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रहमान चाचा की चिट्ठी
एक हफ्ते बाद रहमान चाचा का एक लंबा पत्र आया। उन्होंने लिखा, “गोलू, तुम्हारी सच्ची कहानी पढ़ी। पढ़कर आँखें नम हो गईं। मुझसे ज्यादा तो घर में तुम्हारी सफिया चाची, फिराक और शौकत तुम्हारी तारीफ कर रहे हैं, बल्कि कल तो मुझमें और तुम्हारी सफिया चाची में झगड़ा होते-होते बचा। मैं बार-बार कह रहा था कि तुम बहुत अच्छे पुलिस अधिकारी बन सकते हो और तुम्हारी चाची का कहना था कि तुम लेखक बहुत अच्छे हो। आगे चलकर एक बड़े लेखक बनकर देश और समाज की सेवा कर सकते हो। सफिया चाची को तुम्हारे लिखने की शैली में महान लेखक शरतचंद्र और मंटो जैसा जज्बा दिखाई दिया।...अच्छा, तो मुझे भी बहुत-बहुत लगा, पर मेरे पास तारीफ के लिए सही अल्फाज नहीं हैं।
वैसे, मेरी राय है कि तुम चाहे लेखक बनकर देश का नाम ऊँचा करो और चाहे जिम्मेदार पुलिस अधिकारी बनकर अपना कर्तव्य पूरा करो, आगे भविष्य तुम्हारा ही है।...तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता गोलू, क्योंकि तुम्हारी आत्मा बड़ी बलवान है।
मेरी शुभकामनाएँ तथा घर में सभी को दुआ सलाम।
—तुम्हारा रहमान चाचा”
रहमान चाचा का यह पत्र पाते ही, खुशी के मारे गोलू के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
उसने यह निश्चय कर लिया है कि आगे से वह बहुत मेहनत से पढ़ाई करेगा, ताकि बहुत कुछ जो छूट गया है, उसे जल्दी से जल्दी पूरा कर ले। नहीं तो बड़ा होकर वह रहमान चाचा जैसा नेक और ईमानदार पुलिस अधिकारी कैसे बनेगा!
हाँ, गोलू ने अपनी कहानी दिल्ली के मशहूर प्रकाशक को छपने के लिए दे दी है। और उसके पहले ही सफे पर लिखा है, ‘यह किताब रहमान चाचा को समर्पित है जिन्होंने मुझे जीवन की नई दिशा दी।’
गोलू ने तय कर लिया कि जैसे ही उसकी यह किताब छपकर आएगी, इसे भेंट करने के लिए वह खुद रहमान चाचा के घर जाएगा। पर इस बार वह अकेला नहीं होगा। उसके मम्मी-पापा, दोनों दीदियाँ और आशीष भैया भी साथ होंगे। और हाँ, उसे बहुत-बहुत प्यार करने वाले मन्नू अंकल भी।
गोलू को लगता है, यह किताब छपकर आते ही उसका पहला सपना पूरा हो जाएगा। पर उसके आगे एक नहीं, कई सपने हैं। और उन्हें पूरा करने के लिए वह अभी से कड़ी मेहनत करने में जुट गया है।
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