तड़प इश्क की - 26 Miss Thinker द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तड़प इश्क की - 26

उधर एकांक्षी की बैचेनी बढ़ने लगती है , उसकी तबीयत बिगड़ी शुरू हो जाती है....

अब आगे............

एकांक्षी की तबीयत भी लगातार बिगड़नी शुरू हो गई थी‌, , वो‌ वहीं सोफे पर गिर जाती है , राघव जोकि एकांक्षी पर नजर रख रहा था , उसे अचानक बेहोश देख जल्दी से उसके पास आता है....

राघव उसे जल्दी से उसके सिर को अपनी हाथों में उठाकर उसके चेहरे पर थपथपाते हुए उठाता है....." मिकू ...मिकू उठ.... मैंने कहा था तुझे घर चल...."

राघव उसे उठाने की कोशिश कर रहा था तो एकांक्षी बेहोशी में ही बड़बडा़ रही थी....." अधिराज , , आप कहां है..?....अधिराज आपको कुछ नहीं होगा ....." एकांक्षी इतना धीरे बोल रही थी की राघव उसकी ये बात नहीं सुन पाया, ,

एकांक्षी के बेहोश होने की बाद सबको पता चल गई थी , सावित्री जी भी जल्दी से उसके पास आकर बैठती है... एकांक्षी को ऐसे देखकर वो काफी ज्यादा परेशान हो गई थी ,

एकांक्षी की तरफ देखते हुए सावित्री जी कहती हैं....." राघव क्या हुआ मिकू को.....?..."

राघव थोड़ा गुस्से में कहता है...." मुझे नहीं पता , जब आपको पता था मिकू की तबीयत ठीक नहीं है फिर इसे क्यूं लेकर आई , मैं और मिकू घर रूक जाते..."

" मुझे क्या पता था बेटा ऐसा हो जाएगा , ..."

जब हर कोशिश करने के बाद भी एकांक्षी को होश नहीं आया तो राघव उसे वहां से सीधा हाॅस्पिटल ले जाता है.....

दूसरी तरफ राजवैद्य जड़ी बूटी पीसकर अधिराज के हाथों पर लगाते है और फिर कुछ बूटियों के रस को उसे पीलाते है , लेकिन उन सबसे उसपर कोई फायदा नहीं हो रहा था , राजवैद्य की सारी कोशिशें बेकार हो रही थी , ...

अधिराज की बेहोशी में ही लम्बी लम्बी सांसें लेने लगा था , जिससे रत्नावली काफी घबरा रही थी और शशांक से कहती हैं...." तुम कुछ करते क्यूं नहीं हो... देखो पक्षीराज की हालत बिगड़ती जा रही है...."

शशांक अफसोस भरी आवाज में कहता है....." राजमाता , मुझे अधिराज की चिंता है , किंतु राजवैद्य की कोई औषधि काम नहीं कर रही हैं , ऐसा कैसे संभव हो सकता है...?..."

रत्नावली कुछ सोचते हुए कहती हैं...." ये सब जरुर उस प्रक्षीरोध ने किया होगा , , हमारे बेटे के प्राणों के पीछे पड़ा है , वैद्य जी कुछ भी कीजिए कोई भी बूटी मंगवाईऐ किंतु हमारे अधिराज को पहले जैसा स्वस्थ्य कर दीजिए....."

" राजमाता हम पूरी कोशिश कर रहे हैं पक्षीराज के घावो को भरने की.... किंतु कोई औषधि इनपर कारगर नहीं हो रही है , इनके घावों पर किसी औषधि का लेप असर नहीं कर रहा है..."

शशांक धीरे से बुदबुदाते हुए कहता है...." आज अगर उपचारिका वैदेही अपने अस्तित्व को पहचानती तो वो जरूर पहले की तरह अधिराज को स्वस्थ कर देती...."

राजवैद्य अपने काम में असफल हो जाते हैं इसलिए एक उम्मीद के साथ राजमाता रत्नावली से कहते हैं....." राजमाता , अब तो पक्षीराज को केवल जीवंतमणि की शक्ति ही स्वस्थ कर सकती हैं...."

रत्नावली अचंभे से कहती हैं....." आप राजवैद्य , जब पक्षीलोक की रानी अपने अस्तित्व को पहचानती नहीं है जबतक जीवंतमणि की शक्तियां जागृत नहीं हो सकती..."

राजवैद्य उन्हें याद दिलाते हुए कहते हैं...." राजमाता आप को शायद‌ स्मरण नहीं है, , आपकी भावी रानी के अंतिम वाक्य क्या थे ..."

रत्नावली वैदेही की कहीं हुई आखिरी बात याद करती है...

" प्रेषक जी..! हमें स्मरण रहे या ना रहे किंतु हमारे अधिराज को सुरक्षित रखना...जीवंतमणि की शक्तियां केवल हमारे अधिराज की है.."

रत्नावली वैदेही की बातों को ध्यान करते हुए कहती हैं...." राजवैद्य जी ...! हमें ज्ञात है , उन्होंने कहा था जीवंतमणि केवल हमारे अधिराज की है , किंतु अभी मणि की शक्ति जागृत नहीं है....आप जानते हैं..."

रत्नावली की बात से पूरे कमरे में मायुसी का सन्नाटा छा जाता है...

उधर एकांक्षी को इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया , जिससे डाक्टरों ने तुरंत उसे ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया था लेकिन उनके पास भी इस बात का कोई जबाव नहीं था कि एकांक्षी अचानक बेहोश कैसे हो गई...?...

तो वहीं एकांक्षी बेहोशी में ही लगातार अधिराज बोल रही थी लेकिन आॅक्सिजन मास्क पहने होने की वजह से कुछ साफ समझ नहीं आता , , डाक्टर क्वेशन मार्क से एक दूसरे को देखते हुए एकांक्षी के बेहोश होने के कारण को पता लगाने की कोशिश कर रहे थे , लेकिन उन्हें अभी तक कुछ पता नहीं चला....

डाक्टर बाहर आकर राघव से कहते हैं...." देखिए सर , हमें इनके बेहोशी का कोई खास रीजन पता नहीं चल रहा है , शायद इन्हें किसी बात के सदमे से इनके माइंड पर असर हुआ है..."

राघव गुस्से में कहता है...." Are you mad , कन्फ्यूजन में कुछ भी बोलेंगे... उसे किसी बात का कोई स्ट्रेस नहीं और ही कोई ऐसी बात है जिससे एकांक्षी को सदमा लगे...."

डाक्टर कोल्ड वाइस में कहते हैं...." एम सॉरी मिस्टर राघव , हम पूरी कर रहे हैं ..."

राघव डाक्टर की बात को काटकर स्टिकली कहता है....." आपको जिस भी डाक्टर को बुलाना है बुलाओ , जो मेडिसिन चाहिए उसे मंगवाओ लेकिन मुझे मेरी बहन सही सलामत चाहिए..."

डाक्टर राघव के गुस्से से बचने के लिए चुपचाप हां में सिर हिलाते हुए वहां से चले जाते हैं.....

***************

एक ओर शिवि अधिराज की खबर लेकर तान्या के घर में पहुंचती है.....

तान्या गहरी नींद में सो रही थी , इसलिए शिवि उसे उठाते हुए कहती हैं...." महारानी जी ...!....उठीए बहुत जरूरी सूचना बतानी है , .... महारानी जी उठीए...."

शिवि के बार बार कहने पर तान्या मचलते हुए अपनी आंखें खोलकर देखती हुई कहती हैं......" शिवि ये क्या समय है आने का आधीरात को हमारी नींद क्यूं खराब की...?.."

शिवि सहमी हुई कहती हैं...." हमें क्षमा करें रानी जी... सूचना अत्यंत आवश्यक है ..."

" कैसी सूचना..?... जल्दी बोलो..."

शिवि उसे बताती है....." रानी जी.... पक्षीराज काफी घायल अवस्था में है , और वो अपने महल में ही है , वैद्य जी ने साफ मना कर दिया है , उनपर कोई उपचार कारगर नहीं हो रहा है..."

" अधिराज घायल हैं ... लेकिन कैसे ..?..वो‌ तो एकांक्षी से मिलने आया था , , जो भी हो पहले मुझे अधिराज को बचाने के लिए कुछ करना होगा...."

इतना कहते ही तान्या आंखें बंद करके कुछ बोलकर अपने असली रूप में आती है......




..............to be continued........

क्या तान्या अधिराज को ठीक कर देगी....?...

एकांक्षी के बेहोश होने की वजह क्या है...?

तान्या का असली रूप क्या है...?...