एकांक्षी अपने सपने को याद करते हुए कहती हैं...." तू नहीं जानती एक बार मुझे वो मिल जाए जो सपनो में आकर हर बार उस म्यूजिक को बजाकर मुझे अपनी तरफ खींच रहा है बस फिर मै उससे ही इसका मतलब पूछूंगी...."
किरन : तेरे ये सपनों का म्यूजिक पता नहीं कब मिलेगा...?
अब आगे............
एकांक्षी अपनी उम्मीदों को सोचते हुए कहती हैं...." काश ! मिल जाए...."
" अभी नहीं मिलेगा वैदेही..... इसका मतलब तुम्हें हमारा संगीत याद है..." अधिराज एक पक्षी के रूप में एकांक्षी के पास पहुंचकर उसे देखता हुआ कहता है....
किरन एकांक्षी को ख्यालों से बाहर लाती हुई कहती हैं...." तेरा ये ख्याबो वाले संगीत को पता नहीं हम कब ढूंढ पाएंगे अब तक हजारों काॅन्सर्ट में जा चुके हैं लेकिन तुझे अभी तक कुछ नहीं मिला है.....मेरी मां भूल जा उस म्यूजिक को वैसे भी कौन सा वो तेरे सवालों का जबाव देने आएगा...."
एकांक्षी किरन से नाराज़ होते हुए कहती हैं...." तुझे नहीं जाना तू मत जा मैं उस म्यूजिक को ढूंढ कर रहूंगी चाहे मुझे कितना भी टाइम क्यूं न लग जाए...."
एकांक्षी किरन को वहीं छोड़कर आगे चली जाती हैं....किरन जल्दी से उसके पास आकर साॅरी कहती हैं.....
दोनों थोड़ी ही दूर पहुंचे थे की तभी एकांक्षी के पास से एक पक्षी उसके गालों को छुकर निकल जाता है, , अपने गाल पर किसी के छूने का एहसास होकर एकांक्षी सिहर उठती है अचानक रूकने से किरने उससे पूछती है....." क्या हुआ एकांक्षी...?..."
एकांक्षी हड़बड़ा कर कहती हैं..." क कुछ नन ही..."
किरन : तुझे क्या हो गया ..? अचानक हड़बड़ा क्यूं रही है....
एकांक्षी कुछ कहती उससे पहले ही एक तेज हवा के झौंके के साथ उसके कानों में आवाज गूंजती है....." वैदेही... वैदेही..."
एकांक्षी बैचेन नजरों से चारों तरफ देखती है लेकिन उसे कोई नहीं दिखता....
एकांक्षी कानों पर हाथ कर दोबारा सुनने की कोशिश करती है , उसकी इस हरकत से किरन चिढ़कर कहती हैं...." एकांक्षी क्या हो गया तुझे ,, क्यूं पागलों जैसी हरकतें कर रही है....."
एकांक्षी उसे चुप करती हुई कहती हैं....." शशश ... तूने आवाज नहीं सुनी...."
किरन : कौन सी आवाज.....?
एकांक्षी दोबारा कहती हैं...." कोई नाम था शायद वैद...." एकांक्षी काफी देर तक सोचती रहती है लेकिन उसे समझ नहीं आता आखिर अभी जो उसने सुना वो क्या था इसलिए अपने सिर को पकड़ लेती है......किरन एकांक्षी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती हैं....." एकांक्षी ज्यादा मत सोच हो सकता है तेरा वहम हो ,,चल अब सिलेक्शन के लिए नहीं चलना....."
एकांक्षी : हां चल.....
दोनों के जाने के बाद अधिराज अपने इंसानी रुप में आता हैतभी शशांक उससे कहता है......" अधिराज आप जा क्यूं नहीं रहे इनके पास ऐसे रूप में रहकर आप इन्हें देखेंगे...."
अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है....." नहीं शशांक ऐसे ही देखना नहीं है,,, वैदेही का ये दूसरा जन्म है इसलिए उसे कुछ भी स्मरण नहीं है और हमारे अचानक उससे कहने से उसके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ेगा ,,जिसे हम नहीं चाहते कि वो ऐसा करें बस तुम वापस पक्षिलोक जाओ और मां की सुरक्षा करो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है....."
शशांक : आप निश्चित रहिए हम उनकी सुरक्षा में चूक नहीं होने देंगे.....
अधिराज : हम तुम्हारी सुरक्षा को अच्छे से समझते हैं किंतु अब पहले जैसी लापरवाही नहीं होनी चाहिए...
शशांक अधिराज को आश्वासन देकर कहता है......" आप निश्चित रहिए..."
अधिराज : और हां वैदेही के पुर्नजीवित होने की खबर प्रक्षीरोध तक नहीं पहुंचनी चाहिए ,,उसकी हरेक गतिविधियों पर तुम्हारी दृष्टि बनी रहनी चाहिए ..... कोई भी हलचल होने पर हमें तुरंत सुचित करना....."
शशांक सारी बातें को मानते हुए अपने पक्षी रुप में आकर वहां से चला जाता है.....
उसके जाने के बाद अधिराज अपने आप से कहता है..."अब हमे यही रहना है तुम्हारे लिए वैदेही.... तुम्हारी स्मृति को जागृत करना होगा....अब और विछोह नहीं सहा जाता....
अधिराज मुस्कुराते हुए अपने आप को एक छोटे से पक्षी के रूप में बदल लेता है.......
उधर एकांक्षी हर एक म्यूजिक को बड़े ध्यान से सुन रही थी धीरे धीरे सिलेक्शन का एंड हो चुका था जिससे एकांक्षी काफी ज्यादा निराश हो जाती है और बिना कुछ कहे सीधी कंसेप्ट हाॅल से बाहर चली जाती हैं.....किरन उसके इन्हीं हरकतों से परेशान रहती है इसलिए उसे एकांक्षी का बार बार किसी म्यूजिक सिलेक्शन में जाना पसंद नहीं आता आखिर में उसके हाथ कुछ नहीं आता.....
किरन उसके रोकते हुए कहती हैं...." मैंने तुझे पहले ही समझाया था लेकिन तू समझने के लिए तैयार हो जब..."
एकांक्षी गुस्से में कहती हैं....." अब तू मुझे ये लेक्चर देना बंद कर तुझे अगली बार से मैं साथ नहीं लाऊंगी...."
किरन उसके मूड को कोल्ड करते हुए कहती हैं....." रिलेक्स यार साॅरी ... तुझे यूं परेशान देखकर बस अच्छा नहीं लगता..."
एकांक्षी किरन के गले लगते हुए कहती हैं....." एक तू ही तो जो मेरा गुस्सा तुरंत खत्म कर देती है.... वैसे ये तुषार कब आ रहा है..."
किरन : तूने उससे बात नहीं की थी क्या....?
एकांक्षी अपने फोन को निकालकर कहती हैं..." एक नम्बर का ड्रामेबाज है फिर कोई न कोई बहाना करेगा कल काॅलेज न आने का...."
किरन उससे कहती हैं...." उसे बिजनेस ट्रीप के लिए जाना पड़ता है ,,, तुझे पता तो है उसके पापा कितने खडूस है..."
एकांक्षी हंसते हुए कहती हैं..." हां बिल्कुल बेचारे तुषार को हमारे सामने ही डांट दिया..."
किरन और एकांक्षी दोनों चलते चलते हंसते हुए उसकी बातें कर रहे थे थोड़ी ही देर में दोनों किरन के घर के बाहर पहुंच जाते हैं....
किरन जाते हुए कहती हैं...." चल यार कल मिलते हैं बातें करते करते कब आ गये पता ही नहीं चला...."
एकांक्षी : हां मुझे भी जल्दी घर पहुंचना पड़ेगा नहीं तो फिर मां का कल वाला टोटका शुरू हो जाएगा.... ओके बाय...
एकांक्षी किरन को ड्राप करके अपने घर के लिए रिक्शे में बैठकर आधे रास्ते तक पहुंचकर आगे बढ़ती है.... रास्ता सुनसान होने की वजह से एकांक्षी चारों तरफ देखती हुई कहती हैं....." आज क्या सब संडे मना रहे हैं सख्त बजे ही ऐसा लग रहा है जैसे ग्यारह बारह बज गए हो...."
उस वीरान से रास्ते पर एकांक्षी के सेंडेल की आवाज गूंज रही थी..... तभी उसका फोन बजता है जिसमें एक अलनाउन नम्बर शो हो रहा था....
एकांक्षी काॅल रिसीव करके हेलो ही कहती हैं कि दूसरी तरफ से आई आवाज सुनकर घबरा जाती है....
........................to be continued............
किसकी काॅल ने एकांक्षी को डरा दिया.....?