देव आईसीयू के अंदर आया और रायडू की तरफ देखने लगा। अब रायडू के चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क नही लगा हुआ था। कुछ हफ्ते गुज़र चुके थे जब उसने यह कबूला था की राणा जिंदा है और फिर वापिस बेहोश हो गया था। अनिका और सबिता वहीं बैड के पास खड़ी थी और देव का इंतजार कर रही थी।
देव ने अनिका को ओर देखा। “क्या यह बात कर सकता है?“
अनिका सिर हिला दिया।
देव ने अभय का फोन नंबर डायल कर दिया और फोन स्पीकर पर लगा दिया। अभय ने ही उसे रायडू से बात करने भेजा था जबकि वोह खुद अपने छोटे भाई को ढूंढने के पीछे था।
“राणा कहां है?“ देव की आवाज में गुजारिश थी।
“मुझे नही पता।” रायडू की आवाज़ कमज़ोर लग रही थी।
“तुम ही उसे मंदिर से उठा कर ले गए थे।” अभय की आवाज़ गूंजी उस छोटे से कमरे में जबकि वोह फोन पर था।
“हाँ, मैं उसे अनाथाश्रम में ले गया था।”
“तुम राणा को वापिस क्यूं नही ले कर आए?“ देव की आवाज में शांति जबकि वोह बहुत बेसब्र हुआ जा रहा था।
“मैं.... मैं डर गया था।” रायडू कांपने लगा था।
“क्यों?“ अभय ने पूछा। “तुम हमारे परिवार के साथ सालों से थे। ऐसा क्या तुम्हे डरा रहा था?“
“मैं...मैने ही उन्हें आने दिया था....मैने उनपर भरोसा किया था और उन्हे मंदिर में आने दिया था।” रायडू ने देव की तरफ देखा।
“कौन?“
“वोह आदमी जिसके साथ मैं पला बड़ा हुआ था और वोह सेनानी के साथ काम करते थे। उन्होंने कहा कि वो विजय से बात करना चाहते हैं, और मैने उन्हे अंदर आने दिया।”
“क्या हुआ था?“ अभय की कंपकपाती शांत आवाज़ थी।
“मैं...मुझे लगता था की मैने ही उस इंसान को अंदर आने दिया जिसने तुम्हारी माँ को मंदिर में मार डाला था,” रायडू रोने लगा।
एक सरसरी सी सब के शरीर में दौड़ गई रायडू की बात सुन कर।
“कौन थे वो?“ अभय ने आराम से पूछा और अनिका यह चाह रही थी की काश उसका पति इस वक्त उसके साथ होता।
“मुझे नही पता, वोह उन आदमियों के साथ था जिन्हे मैं जानता था, और जो मुझे याद है बस उनकी चीखें। जब तक की मैं उन तक पहुँचा, उनके सीने पर चाकू घुसा हुआ था और हर्षवर्धन प्रजापति उन्हे संभाल रहे थे।”
“क्या मेरे पापा ने उन्हें चाकू मारा था?“ सबिता की कांपती हुई धीरे से आवाज़ आई।
रायडू खाली आँखों से सबिता की ओर देख रहा था।
“क्या हर्षवर्धन प्रजापति ने मेरी माँ को मारा था?“ देव ने पूछा।
“नही...नही, वोह तोह वोह थे जिन्होंने मुझे राणा को यहाँ से ले कर जाने के लिए कहा था।” रायडू में लड़खड़ाती आवाज़ में कहा।
देव ने अपनी पत्नी का पीला पड़ता चेहरा देखा पर इस वक्त कुछ कहा नहीं।
“मैं राणा को वापिस मैंशन ले कर जा रहा था, पर जब मैने दूर से धमाके की आवाज़ सुनी, तो मैं जानता था की रानी देवसेना मेरा गला काट देगी...मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करूं...“ वोह बूढ़ा आदमी रोने लगा।
“किसने मेरी माँ को मारा था था?“ देव ने काफी देर चुप्पी के बाद पूछा।
“वोह जरूर उस आदमी ने ही किया है....वोह आदमी जिसे मैंने पहले कभी नही देख था।”
“वोह धमाका कैसे हुए था?“ अभय ने पूछा।
रायडू ने सिर ना में हिलाया।
“जब मैं वहाँ से जा रहा था, तो वहाँ पर लोग एक दूसरे को मारने में लगे हुए थे, और मैं नही जानता की वहाँ धमाका कैसे हुए था।”
“हम तुम पर भरोसा कैसे करे? तुम हमारे भाई को ले कर भाग गए थे और कभी वापिस नही आए? तुम क्या छुपा रहे हो?“ देव ने पूछा, बहुत मुश्किल से अपने आप को शांत किए हुए था।
“मैं डर गया था। मैं पछतावे में घबराया हुआ था...विजय...मैने देखा की विजय को भी चाकू मारा गया था... मैं कैसे तुम्हारी दादी का सामना करता? मैं बस इतना कर सकता था की राणा को सुरक्षित रखूं क्योंकि मैं नही जानता था की इन सब के बाद इस एस्टेट का क्या होता।”
“किसके साथ तुमने कहा था की वोह आदमी आया था?“ अभय ने पूछा।
“सेनानी के आदमी। मैं उन्हे जनता था पर उसे नही जो उनके साथ आया था।” रायडू ने अपना सिर हिलाया।
“सेनानी?“ देव ने अपनी नाक पर खुजाते हुए सबिता की ओर देखा।
“हाँ, उन्होंने कहा था की उन्हे विजय से बात करनी है तो मैने उन्हे आने दिया... मैं उन्हे जनता था... वोह हमारे दोस्त थे।” रायडू ने विलाप करते हुए कहा।
“रायडू....तुम्हे गोली किसने मारी? कौन तुम्हे मारना चाहता है?“ अभय की आवाज़ शांत थी फोन पर भी।
“मैं नही जानता, मैने नही देखा था जिसने यह किया.... मैं होटल रूम में आया, और मुझे कुछ याद नहीं की फिर क्या हुआ?“ रायडू ने ना में गर्दन हिलाई।
“तुम सैन फ्रांसिस्को में अभय से मिलने की बजाय इंडिया क्यूं वापिस आ गए?“ देव ने पूछा।
“मैं घबरा गया था की मेरे एक्सप्लेन करने से पहले तुम मुझे मार दोगे।” रायडू ने कांपते हुए कहा।
“कौन जानता था की तुम होटल में हो?“ अभय ने अपने सवाल पूछना जारी रखा।
“कोई नही, मैं नही जानता की कौन मुझे मारना चाहता था,” रायडू ने कबूला।
“किसने तुम्हे कॉन्टैक्ट किया था जब तुम इंडिया में लैंड हुए थे?“ देव ने पूछा।
“मैं...मैने ब्रह्मा राज सेनानी को कॉल किया था,” रायडू ने बताया।
“ब्रह्मा राज सेनानी तो मुश्किल से बात कर पाते हैं, तुम उन तक कैसे पहुँचे?“ देव ने पूछा। वोह सेनानी परिवार के सबसे पुराने सदस्य हैं, और कभी बहुत पावरफुल हुआ करते थे, और अब मुश्किल से ही हिल डुल पाते थे।
“उनका एक आदमी है जो मुझे बताता था की क्या करना है। जब मैने उन्हे बताया की मुझे उनका सपोर्ट चाहिए तुम्हे और तुम्हारे भाई को यह बताने की लिए की सच में आखिर क्या हुआ था, वोह मेरी मदद करने के लिए मान गए थे और मुझसे एक जगह पर मिलने के लिए कहा था। मैं अगले दिन उस जगह पहुँच गया था जहाँ उन्होंने बुलाया था, पर वहाँ कोई नही आया था।” रायडू अभी भी रो रहा था।
“रायडू, थैंक यू की तुमने राणा की जान बचाई थी। देव, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है,” अभय ने कहा और देव ने स्पीकर ऑफ कर दिया। उन दोनो औरतों की ओर इशारा कर के जो स्तब्ध सी रायडू के कन्फेशन सुन कर खड़ी थी देव कमरे से बाहर निकल गया।
“अभय, तुम्हे लगता है की सेनानी का उस हत्याकांड में कोई हाथ होगा? वोह रायडू को क्यूं मारना चाहते होंगे?“
“देव, अभी और भी बहुत कुछ है, पर हमें राणा को ढूंढने का काम जारी रखना चाहिए।”
“मुझे भी यही लगता है....पुलिस ऑफिसर के बारे में और कोई जानकारी मिली?“ देव ने पूछा।
“उस पुलिस ऑफिसर का नाम जिसने उस सुअर को जेल की सलांखो के पीछे डाला था उसका नाम जॉन वेस्ले है। पता लगाओ जितना लगा सको, और मैं जितना पता लगा सकूं उतना पुलिस रिकॉर्ड से पता लगाने को कोशिश करता हूं,” अभय ने देव को इंस्ट्रक्ट किया। देव शहर में तब आया था जब उसे सबिता ने फोन किया था रायडू के बारे में बताने के लिए। वोह अपने टेक्नोलॉजी टीम के साथ काम करने जा रहा था।
वोह सुराग जो उस गुंडे ने अभय को दिया था गुस्से में की उसका भाई ही कारण है उसकी इस हालत का, अभय को अगला सुराग मिल गया था।
“वोह पुलिस ऑफिसर हमारी कैसे मदद करेगा? और उसका क्या जो हमे रायडू ने बताया।“
“वोह वो आदमी था जिसने उस गुंडे को झुकाया था। मुझे पक्का यकीन हैं की उसे कुछ तो पता होगा अगर राणा ने ही उसे अरेस्ट करवाया था, और रायडू के बारे में भी। अभी बहुत कुछ है जानने के लिए जिसका हमे पता लगाना है, पर हम तब तक कुछ जान नही पायेंगे जब तक की हमे राणा नही मिल जाता,” अभय की आवाज़ गूंजी।
“समझ गया। और, मेरी टीम भी बहुत जल्द राणा के अलग अलग उम्र की तस्वीर बना लेगी, और फिर हम जल्द ही मैचिंग करना शुरू कर देंगे। इसमें थोड़ा सा टाइम लग जायेगा क्योंकि हमारे पास बहुत सारी इमेजेस और विडियोज है।” देव को उम्मीद तो थी पर उस से सब्र नही हो रहा था।
“हम ढूंढ लेंगे, देव, हम जरूर ढूंढ लेंगे।” अभय अपने छोटे भाई की बचपन की तस्वीर देख रहा था।
“मैं जानता हूं पर कब वोह दिन आएगा।”
“और कोई जानकारी की किसने रायडू को मारा था?“ अभय जानता था की देव के पास बहुत सारी टीम है इन्वेस्टिगेट करने के लिए, इसलिए उसने उसे सजेस्ट किया था की वोह वापिस जाए उनके साथ काम करे उन पर निगरानी रखे।
“मैं सबिता की इंवस्टिगेटिंग टीम को भेज रहा हूं रायडू के बारे में और पता करने के लिए। मुझे लगता है की हम राणा के सुरागों के पीछे ही रहना चाहिए,” देव सजेस्ट किया, और उसका भाई सहमत हो गया।
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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
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