नील इस वक्त हर अंग से खतरनाक तराशा हुआ लग रहा था और नर्मदा ने उससे कुछ कहने से पहले अपनी सारी हिम्मत बटोरी।
"आई.... आई एम सॉरी... मैं..." बोलते बोलते नर्मदा के मुंह में शब्द ही अटक गए जब उसने नील की हल्के रंग की शर्ट पर एक लाल धब्बा देखा।
"नील तुम्हारा खून बह रहा है," नर्मदा की आवाज में पछतावा साफ झलक रहा था। "आई एम सॉरी।"
"बस करो, नर्मदा," नील गुर्राया।
"मुझे माफ कर दो, मुझे नहीं पता मैं क्या सोच रही थी...." नर्मदा की आंखों से आंसू लुढ़क कर उसके गाल पर आ गए जब उसने नील की शर्ट पर वह लाल धब्बा और गहराता हुआ देखा। वोह चोट उसकी बाजू पर दिख रही थी, जो की कंधे के नज़दीक थी, पर इससे नील को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
"नील, प्लीज घड़ी रोको। तुम्हारा खून बहुत बुरी तरह निकल रहा है।" नर्मदा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, न जाने क्यों नील का खून देखकर उसका दिल जोरों से धड़क उठा था जबकि उसने ऐसे कई चोटें और खूनखराबा देख था।
"तोह, ताकि तुम जंगलों में भाग जाओ?" नील से उपहास उड़ाते हुए कहा।
"आई एम सॉरी, मैं नही भगूंगी। मैं वादा करती हूं की तुम्हे कभी नही छोडूंगी।" नर्मदा के मुंह से यह शब्द निकलते ही उसे खुद में ही हैरानी होने लगी।
उसकी बेचैन सांसें और तेज़ हो गई जब नील ने हाईवे से गाड़ी उतार कर एक पेड़ के नीचे खड़ी कर दी। नर्मदा ने नील को करहाते सुना जब वोह गाड़ी से नीचे उतर रहा था और गाड़ी की डिक्की की तरफ आ गया।
नील ने गाड़ी की डिक्की खोली और उसमे से अपने बैग में से एक टी शर्ट निकाली। नर्मदा ने अपनी साइड का दरवाज़ा खोला और अपने कांपते शरीर से कदम बाहर रख दिए।
"तुम ठीक हो?"
नील ने उसकी ओर देखा पर जवाब नही दिया। उसने अपना एक हाथ दूसरी बाजू पर जहां जख्म था वहां पर दबा रखा था। वोह खून का धब्बा उसकी टी शर्ट पर बढ़ता ही जा रहा था। उसने एक फुसफुसाहट भरी सांस ली।
"नील, मुझे देखने दो।"
"मैं ठीक हो जाऊंगा....बस थोड़ा सा प्रेशर देने की जरूरत है।"
नर्मदा ने अपने अंदर महसूस कर रहे गिल्ट जो उसे दबाने को धमका रहा था उस को झटका और नील की तरफ कदम बढ़ा दिया। नर्मदा ने उसका हाथ उसके ऊपर से हटाया और उसकी स्लीव्स को रोल करने लगी चेक करने के लिए। नील ने तेजी दिखाते हुए नर्मदा का हाथ कस कर पकड़ लिया और उसे अपनी बाज़ू पर रखने से रोक लिया।
"मैं ठीक हूं।"
"मुझे बस इसे देखना," नर्मदा ने कहा।
नील उसकी आँखों में देखने लगा जब उसने अपनी पकड़ उसके हाथ पर ढीली कर दी और नर्मदा ने उसकी स्लीव्स का किनारा पकड़ लिया। उसने स्लीव्स ऊपर की और नील को दर्द से चौंकते हुए महसूस किया।
"मैं यह जख्म नही देख सकती।" नर्मदा ने उसकी स्लीससुपर की ओर कुछ दूरी तक उठा दी थी, पर नज़रे नील पर से एक पल के लिए भी नही हटाई थी।
उसने धीरे से उस की टीशर्ट उसके सिर पर से उतारी और साइट कर दी। उसने देखा की उसके कंधे से नीचे बाजू पर पीछे की तरफ से छेद है। उस छोटे से छेद जैसे दिखने वाले जख्म में से खून तेजी से रिस रहा था।
"नील, तुम्हें यह चोट कैसे लगी?" नर्मदा ने थूक गटका और अपनी कांपती उंगलियों को उसके जख्म पर से हटाकर अंगूठे से उसके जख्म पर दबाने लगी ताकि खून रुक जाए।
"यह कोई बड़ी बात नही है। बस तुम इस पर बैंड ऐड लगा दो।"
"हमे डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है। खून नही रुक रहा है।" नर्मदा ज़ोर से उस घाव को दबाए हुए थी जो की नील के बाजू पर बहुत गहरे छेद की तरह था। उसने नील के सीने पर और भी पुराने घाव के निशान देखे जो की बहुत खतरनाक दिख रहे थे।
"नील, क्या हुआ था?" नर्मदा ने अपनी उंगलियां उसके पुराने जख्मों के निशान पर दौड़ाया और लगभग वोह डर रही थी उन्हे छूने से।
उसकी आंखों से आंसू बह निकले जब उसने उसके सीने के ऊपर और साइड में देखा की और भी बहुत सारे पुराने निशान हैं। वोह अपना हाथ उन पुराने निशानों, जो साइड में था, पर चलाने लगी।
"क्या यह वही है जो तुम्हे लगा था जब....." उसकी आवाज़ लड़खड़ा गई पुरानी याद ताज़ा कर के उस रात की जब वोह खुद साक्षी थी जब नील ने उस आदमी को मारा था जिसने छह साल पहले उस पर अटैक किया था।
"नर्मदा..."
"आई एम सॉरी।" नर्मदा ने अपनी हथेली को उसके ताजे जख्म पर दबाया और दूसरे हाथ को उसके चारों ओर रख कर उसके सीने से लग गई।
नील को उसके सीने पर जहां नर्मदा के गाल छू रहे थे वहां गरम सा लगने लगा क्योंकि नर्मदा ने अपना चेहरा उसके सीने में छुपा रखा था।
"क्या तुम मेरा खून ऐसे ही बहते हुए रहने दोगी जबकि तुम बस माफ़ी मांगी जा रही हो?" नील ने चिढ़ाते हुए कहा।
"चलो ना हॉस्पिटल चलते हैं," नर्मदा ने रिक्वेस्ट किया।
"जरूरत नही है, पर मैं तुम्हारी तो मदद ले ही सकता हूं। अपना हाथ वहीं रखे रहो जहां है।" नील ने उसे कहा और अपने बैग में से एक छोटा सा पाउच निकालने लगा।
नील ने सैनिटाइजर से अपने हाथ रब किए और सर्जिकल धागा और सुई निकाल ली। नील ने अपनी कमर सीधी की और सुई धागा अपने हाथ में ले लिया।
"मुझे लगता है की मुझे स्टीचेस की जरूरत है।"
"हाँ, चलो डॉक्टर के पास चलते हैं।"
"नही। क्या तुम एक बार वोह कर सकती हो जो तुमसे करने को कहा गया है?" नील ने हँसते हुए कहा।
एक सुकून सा दौड़ गया नर्मदा के दिल में जब उसने नील की मजाकिया आवाज सुनी।
"ठीक है, क्या करना है मुझे?"
नर्मदा के हाथ कांप रहे थे जब वोह नील के जख्म पर एंटीसेप्टिक लिक्विड छिड़क रही थी और उसके हाथ से सुई धागा ले लिया।
"मैने यह पहले कभी नही किया है," नर्मदा ने कहा।
"तुम्हे बस कटी हुई खाल के बीच सुई चलानी है।" उसकी आवाज़ शांत थी।
"मैं नही कर सकती....दर्द होगा।" नर्मदा ने अपना सिर ना में हिलाया।
"नर्मदा, मुझे तकलीफ होना तब बंद होगा जब तुम जितनी जल्दी हो सके इसे सिल दोगी।"
"प्लीज़, तुम्हे डॉक्टर की जरूरत है।"
"या तो तुम यह करो, या फिर हम गाड़ी में बैठते हैं और आगे गाड़ी चलाते रहेंगे।" नील बेसब्र होने लगा।
"मैं करती हूं," नर्मदा ने जल्दी से कहा।
अपनी कांपती उंगलियों से, उसने सुई उसकी खाल में घुसा दी। नील जरा भी नही हिला और कराहया जैसा की नर्मदा उम्मीद कर रही थी, पर उसे जरूर सुई से चुभ गया था। उसे घुटन सी महसूस होने लगी जब उसने दूसरे आधे कट पर सुई घुसाई।
नर्मदा नील के पीछे खड़ी धीरे धीरे रोती जा रही थी जब उसने थोड़ा और एल्कोहल उस जख्म पर लगाया और उस पर पट्टी बांध दी।
"मैं कितनी बेवकूफ हूं जो की तुमसे दूर भागने की कोशिश कर रही थी।" नर्मदा ने अपने हाथों में अपना चेहरा छुपा लिया और नील का सामना करने की स्तिथि में बिलकुल नही थी।
नील उस औरत को देख रहा था जो उसके अपनी जिंदगी के सबसे छोटे कट पर रो रही थी और उसे अपने अंदर कुछ हलचल महसूस होने लगी। उसे दुख हो रहा था नर्मदा के रोने से, पर उसके अंदर की आवाज़ उसे यह कह रही थी की यह आंसू उसके लिए हैं।
नील ने दूसरी साफ टी शर्ट पहन ली और नर्मदा को गले लगा लिया। कुछ तो था जिस से नर्मदा को शांति और सुकून मिल रहा था जिसके लिए वोह जिंदगी भर से तड़प रही थी।
नील भी उसे ऐसे ही अपने सीने से लगाए रखना चाहता था हमेशा के लिए, पर वोह उसकी आवाज़ सुनना चाहता था, उसकी आँखों की चमक देखना चाहता था, और सबसे ज्यादा, उसकी मुस्कुराहट जिससे उसे सुकून और शांति मिलती थी।
"आई हेट यू मुझसे यह स्टीचेज कराने के लिए," नर्मदा की आवाज़ नील के सीने में धीमे धीमे निकल रही थी, पर नील ने यह महसूस किया की उसे नर्मदा की गरमाहट अपने सीने पर अच्छी लग रही थी।
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कहानी अभी जारी है...
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