Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 2 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • इंटरनेट वाला लव - 88

    आह में कहा हु. और टाई क्या हो रहा है. हितेश सर आप क्या बोल र...

  • सपनों की राख

    सपनों की राख एक ऐसी मार्मिक कहानी है, जो अंजलि की टूटे सपनों...

  • बदलाव

    ज़िन्दगी एक अनन्य हस्ती है, कभी लोगों के लिए खुशियों का सृजन...

  • तेरी मेरी यारी - 8

             (8)अगले दिन कबीर इंस्पेक्टर आकाश से मिलने पुलिस स्ट...

  • Mayor साब का प्लान

    "इस शहर मे कुत्तों को कौन सी सहूलियत चाहिए कौन सी नही, इस पर...

श्रेणी
शेयर करे

Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 2

उसने अपने सीने की तरफ नज़रे झुका कर देखा उसकी ज्वैलरी ऐसे की ऐसे ही उसके गले में थी। अगर उसे फिरौती के लिए किडनैप किया गया होता तोह अब तक उसकी ज्वैलरी छीन ली गई होती। उसके शरीर में डर से कपकंपी छूट जाए जब उसने दूसरे कारणों के बारे में सोचा की उसको क्यों किडनैप किया गया होगा।

कमरे का दरवाज़ा अधखुला हुआ था जहां से उसे किसी की परछाई नज़र आने लगी जिस वजह से वोह ज़ोर ज़ोर से चीखना चाह रही थी। पर उसने अपनी जीभ दबा ली और अपनी सांसे रोक ली। वोह अपनी आंखें छोटी छोटी कर देखने लगी जब वोह परछाई उसके करीब आने लगी। वोह डर से घबराई हुई थी जब एक बहुत बड़ा आदमी आ कर दरवाज़े पर खड़ा हो गया जो की उस दरवाज़े के फ्रेम को पूरा ढक पा रहा था। उसने अपनी तेज़ चल रही सांसों को रोकने की कोशिश करते हुए सोने का नाटक करने लगी। वोह आदमी लंबा था—बहुत लंबा और चौड़ा उसके भाइयों से भी ज्यादा।

अपने परिवार के बारे में सोचते हुए उसकी आंखों से आंसू बह निकले जबकि कुछ हफ्तों से वोह अपने परिवार के हर एक शख्स से नफरत करने लगी थी। वोह उसे ब्लैकमेल कर रहे थे, धमका रहे थे, पर तब भी वोह अपने परिवार के बीच सेफ थी।

"उठ जाओ," यह एक ऑर्डर की तरह था उसके लिए और वोह हल्का सा हिल गई। उसका दिमाग पूरा सुन पड़ गया अपने सामने खड़े आदमी की आकृति देख कर। कमरे के बाहर काफी लाइट जिस वजह से उस आदमी की शख्सियत पता चल रही थी लेकिन इतनी भी नही थी की उसका चेहरा दिख पाए।

"मैं चाहता हूं की तुम चुपचाप रहो। एक चींख, और मैं तुम्हारा गला दबा दूंगा।" वोह आदमी दरवाज़े पर खड़े ही बात कर रहा था।

"मुझे यहां क्यूं लाए हो? तुम कौन हो?" वोह आदेशात्मक बोलना चाह रही थी पर उसकी आवाज़ ही कंपकपाने लगी थी।

उस आदमी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी बल्कि वोह उसके करीब बढ़ने लगा।

"तुम किसी गलत इंसान को उठा लाए हो।" उसने उसे कनविंस करने की कोशिश की शायद उससे कोई गलती हो गई है। "मेरे सारे गहने ले लो और मुझे जाने दो।"

"शट अप।"

वोह आदमी उसके बैड के पास एक कदम की दूरी पर ही खड़ा था, पर तब भी वोह उसका चेहरा ठीक से नही देख पा रही थी।
उसे अपने हाथों पर रस्सी का खिंचाव महसूस हुआ और अगले ही पल उसके हाथ फ्री हो गए। वोह उठ कर बैठ गई और सोचने लगी की अगर वोह उसके पैरों को भी फ्री कर देगा तो वो तुरंत उठ कर यहां से भाग जायेगी। जैसे ही उस आदमी ने उसके पैरों की रस्सी खोली उसे अपनी दिल की धड़कन अपने कानो में ज़ोर ज़ोर से सुनाई देने लगी।

"बाथरूम में जो कपड़े रखें उनसे अपने कपड़े चेंज कर लो। मुझे कोई फर्क नही पड़ता अगर तुम्हे अपने गहने फेकने हैं या पहनने हैं। कर तुम्हारे पास सिर्फ दस मिनिट है चेंज करने के लिए।" उस आदमी ने कहा और कमरे से बाहर निकल गया।

उसने अपने कलाई पर थोड़ा रगड़ा जहां रस्सी बंधी हुई थी और कुछ देर ऐसे ही बैठने के बाद वोह उठ खड़ी हुई। जैसे ही वोह बाथरूम की ओर जाने के लिए चली पड़ी, उसके लहंगे पर लगी खूबसूरत और आकर्षक मोती और नग झिलमिलाने लगे। बिना यह जाने की उसे यहां क्यूं लाया गया है वोह यहां से भागना नहीं चाहती थी। वोह एक ऐसे परिवार में जन्मी थी जहां की औरतें स्ट्रॉन्ग होती हैं, और वोह बिना लड़े हार नहीं मानने वाली थी,और साथ ही वोह यह भी नही दिखाना चाहती थी की उसे कितनी हड़बड़ी है।

वोह बाथरूम में जैसे ही घुसी और लाइट ऑन की उसकी आंखें अचानक रोशनी में आने से ब्लिंक होने लगी। वोह शीशे के सामने खड़ी हुई और अपने आप को देखने लगी। उसकी आंखें पूरी तरह लाल थी, और जो उसने अपने चेहरे पर मेकअप किया था वोह पूरी तरह से बिगड़ा हुआ था। उसे कोई फर्क नही पड़ता था की वोह कैसी दिख रही है, बस उसे किसी भी तरह यहां से निकलना था।

जो सबसे पहली चीज़ उसके की वोह खिड़की ढूंढना। जब उसने बाथरूम के साइड में एक छोटी सी ग्लास की खिड़की देखी तोह उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। वोह जल्दी से उस खिड़की के पास आई और उसे खोलने की कोशिश करने लगी। खिड़की खुलते ही सामने का नज़ारा देख कर वोह फ्रीज हो गई। सड़क उसे बिलकुल किसी काली पट्टी की तरह दिख रही थी और उसपर लोग किसी चींटी की तरह चलते हुए नज़र आ रहे थे। वोह पक्का किसी हाई राइज बिल्डिंग में है और आखरी जगह जो उसे याद थी जहां वोह थी, वहां कोई हाई राइज बिल्डिंग नही थी। वोह तोह अपने पुश्तैनी घर में थी जो की एक रूरल एरिया में आता है। तोह वोह पक्का किसी बड़े शहर में थी जो उसके पुश्तैनी घर से कुछ घंटे की दूरी पर होगा।

वोह फिर से दुखी और निराश होने लगी बाहर का नज़ारा देख कर, लोग आज़ादी से बाहर घूम रहे थे, और वोह यहां कैद थी। वोह अभी भी स्तब्ध सी एक टक बाहर देख रही थी।

"कोई फायदा नही है," एक आदमी की गहरी आवाज़ ने उसकी शांति को तोड़ दिया।

"मुझे जाने दो," उसने बिना उस आदमी की तरफ देखे कहा क्योंकि वोह उसकी तरफ देखना नही चाहती थी।

"तुम्हारे पास पांच मिनट है।"

यह शब्द कानों में पड़ते ही उसका दिमाग ठनका और जो सबसे नजदीक आया, एक फूलदान उठा कर उस आदमी की ओर गुस्से से फेंक दिया।

उस लड़की की गहरी आंखे, उस आदमी की जानी पहचानी भूरी आंखों से जा मिली। वोह आदमी उसे घूरने लगा जब वोह फूलदान उस आदमी के पैरों के पास आ कर गिरा, पर वोह लड़की तो एकदम शॉक खड़ी थी। जो आदमी उसके सामने खड़ा था वोह कोई अजनबी नही था। वोह लगभग उसे पहचान नहीं पा रही थी क्योंकि उस आदमी का चेहरा एक प्यारे से स्वीट से लड़के से बदल कर एक रफ आदमी में बदल गया था। वोह अब बहुत चौड़ा और लंबा दिखने लगा था, पर उन सबसे भी ऊपर उस आदमी की गंभीर नजरें उस लड़की को यह सोचने पर मजबूर कर रही थी की यह वोही है भी की नही। वोह आदमी जिस नज़रों से उसे देख रहा था उससे वोह लड़की डर रही थी, वोह उसे ऐसी नज़रों से देख रहा था जैसे की वोह उसकी जिंदगी छिनने आया हो, अ कोल्ड ब्लडेड किलर।







***
कहानी अभी जारी है...
❣️❣️❣️