"अभय, तुम दिन भर कहां थे?"
देव अपने बड़े भाई का गेस्ट हाउस के लिविंग रूम में, जहां वोह अपने छोटे भाई को ढूंढने के लिए रुके थे, इंतजार कर रहा था।
"मैं गांव में गया था उस औरत को ढूंढने।" अभय ने निराशा से कहा।
"कोई सुराग मिला उस तक पहुँचने के लिए? तुम्हे लगता है, की वोह हमारी मदद करेगी?"
"येस।"
अभय और देव पिछले कुछ हफ्तों से इकलौते सुराग के पीछे भाग रहे थे जो उन के मन में अपने छोटे भाई तक पहुंचने की उम्मीद जगा रहा था। वोह दोनो अपनी खोज के काफी करीब आ चुके थे।
"अभय, मुझे लगता है शायद हमे मिलकर काम करना चाहिए।"
"नही, देव, हमे अलग अलग हो कर काम करना चाहिए," अभय ने कहा।
"तोह तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?" देव ने पूछा।
"अभी भी उसी औरत के पीछे जाऊंगा। उसने अपने पीछे सभी सुराग बहुत ही सफाई से छुपा लिए हैं।" अभय बेसब्री से अपने बालों में उंगलियां फेरने लगा।
"गुंडों की मदद से मुझे कुछ पता नही चला। पर मुझे कहीं न कहीं ऐसा लगता है की लोग उसे जानते हैं, पर किसी को याद नही है की उसके साथ क्या हुआ था। ऐसा लग रहा की वोह ना जाने हवा के झोंके की तरह गायब हो गया।"
"उसी रास्ते पर रहो, देव। हमे और जानने के लिए उस औरत का पता लगाना बहुत जरूरी है।"
"हम्मम। मैं करूंगा। काश हमारा अंडरवर्ल्ड से कोई कनेक्शन होता ना की पुलिस डिपार्टमेंट में।"
"हम उसे जल्द ही ढूंढ लेंगे।"
अभय अपनी खाली आंखों से अपने सामने रखी हुई चमकती हुई चांदी की प्लेट में अपना अक्स देख रहा था और सोच रहा था की कब वोह लोग अपने भाई से मिल पाएंगे। वोह जानता था की यह बात 'कब' मिलने की है ना की 'अगर' मिल पाए की। अगर उसका भाई उस हत्याकांड में बच गया था जहां पर सौ से भी ज्यादा लोग मारे गए थे, तोह वोह योद्धा की तरह जी रहा होगा....एक सिंघम।
«»«»«»«»
नर्मदा यूहीं शहर के आसमान को देख रही थी, हजारों ख्याल इस वक्त उसके दिमाग में चल रहे थे। वोह इस परिस्तिथिति से बहुत गुस्से एम थी, और वोह और भी ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो रही थी की वोह अपने आप को बचाने के लिए कुछ नही कर पा रही है। वोह अपनी आज़ादी के बहुत करीब थी और यकीन ही नहीं कर पा रही थी की उसे अपने परिवार और घर को छोड़ कर जाने से कुछ मिनिट पहले ही किडनैप कर लिया गया था। वोह वापिस न्यूयॉर्क जाने की प्लानिंग कर रही थी, अपने हाई स्कूल के दोस्त के साथ रहती जब तक की उसे कोई अप्रटमेंट नही मिल जाता और वोह स्कूल नही शुरू कर देती। खासकर जब उसके परिवार वाले उसकी जबरदस्ती शादी करा रहें थे और उसके भाइयों के साथ क्या हुआ था, उसके बाद उसे जिंदगी जीनी थी अपनी फैमिली से दूर।
उसने एक गहरी सांस ली और इन खयालों को अपने मन में से निकलने लगी और सोचने लगी की यह जो अभी हालत है वोह ज्यादा बैटर हैं उस से जो हालत उसके तब थे जब वोह अपनी फैमिली के साथ थी।
नील ने उसे किडनैप किया था किसी वजह से पर वोह नही जानती थी, पर ऐसा लगता था की जैसे उसके पास अच्छा मौका था उसके साथ भाग जाने का ना की फैमिली के साथ रहना पड़े।
वोह खिड़की से पलट कर नील की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी। उसे वक्त नही लगा यह समझने में की यह उसकी आज़ादी का एक टिकट है। अगर एक और कोई कांड अगर यह कर देगी तोह, वोह जानती थी की नील उसे बांध देगा और दुबारा ड्रग दे देगा। उसने डिसाइड किया की वोह नील से लड़ना और उसके सामने गिरगिड़ाना छोड़ देगी, उससे सिफारिश करना, और बल्कि उसे सेड्यूस करेगी ताकि वोह अपनी शर्तों पर अपनी जिंदगी जी सके।
"हे, तुम कहां थे?" नर्मदा ने चहकते हुए पूछा।
"क्या तुम तैयार हो जाने के लिए?" नील ने बिना किसी भाव ले पूछा।
"मैं तो यहां कब से खाली बैठी हूं जब से तुम गायब हुए थे," नर्मदा ने मुंह से पाउट बनाते हुए कहा।
नील उसे कुछ देर ऐसे ही देखता रहा बिना कुछ कहे जैसे उसे कुछ शक हो गया था। "चलो।"
नर्मदा ने एक कपड़े का बाग उठाया जिसमे उसकी ड्रेस और गहने थे और उसकी तरफ बढ़ने लगी, उसके एक्सप्रेशन इतनी खुश मिजाज़ लग रहे थे की कोई नही कह सकता था की उसे उसकी मर्जी के खिलाफ अगवा कर लिया गया है।
"यह क्या है?" नील ने नर्मदा के हाथ में कपड़े के बैग की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"ओह, मैने हाउसकीपिंग से अपना सामान रखने के लिए एक बैग लिया है, और उन्होंने मुझे यह लॉन्ड्री बैग दे दिया।"
"और तुम इस तरह से अपना सामान ले कर जाएगी?"
"हाँ, हमेशा एक जोड़ी एक्स्ट्रा कपड़े रखना अच्छा रहता है।" नर्मदा ने झूठी मुस्कुराहट से कहा।
"एक एक्स्ट्रा जोड़ी फटे हुए कपड़े?"
"ओह, मैं ब्लाउज को दूसरे से बदल सकती हूं या फिर स्कर्ट को दूसरी टी शर्ट से।" नर्मदा की आवाज़ कुछ ज्यादा ही शांत थी, पर वोह जानती थी की इससे नील को और भी गुस्सा दिला रही थी।
"जो भी हो!"
"हम कहां जा रहें हैं, नील?"
"तुम्हे जानने की जरूरत नहीं है," नील ने दो टूक में जवाब दिया।
"ठीक है, मत बताओ मुझे।" नर्मदा उसके पास से गुजरते हुए दरवाजे की तरफ बढ़ गई और अपने कंधे पर वोह कपड़े का बैग लटका लिया।
उसे अपनी पीठ पर नील की जलती निगाहें महसूस हो रही थी पर हिम्मत नही हुई पलट कर देखने की। नील भी बिना एक शब्द कहे उसे फॉलो करने लगा एलिवेटर तक।
"तुम्हारा बैग कहां है?" नर्मदा ने पूछा।
नील ने ना में सिर हिला दिया।
"तुम बिन बैग के ट्रैवल कैसे करते हो?" नर्मदा सच में सरप्राइज्ड हो गई थी।
"तुम्हे मेरे बैग की चिंता करने की जरूरत नहीं है।"
"ओह तुम्हारे पास जरूरत की सब चीज़ है....हम आगे कहां जा रहें हैं?" नर्मदा ने कोशिश नही छोड़ी थी जितनी ज्यादा से ज्यादा इनफॉर्मेशन निकलवा सके—कैसी भी कोई जानकारी।
"यह झूठी खुशी का नाटक करना बंद करो।"
"मैं अच्छी बनने की कोशिश कर रही हूं तो....तुम्हे भी मेरे साथ अच्छा बनना चाहिए।" नर्मदा ने एलिवेटर में कदम रखते हुए कहा।
दोनो एलिवेटर में एकदम चुप रहें, और जब एलिवेटर खुला एक आलीशान कॉरिडोर में, नर्मदा की सांस ही अटक गई। वोह दुनिया के बहुत सारे महंगे आलीशान होटल्स में जा चुकी थी अपने परिवार के साथ, पर कभी उसने यह नही उम्मीद की थी की इतने आलीशान होटल को किडनैपिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
"तुम बहुत अच्छे हो जो मुझे यहां लाए, मैं जानती हूं की तुम्हे जरूरत नही..." नर्मदा का बोलना रुक गया जब उसने नील की व्यंगपूर्ण मुस्कुराहट देखी।
"क्या?"
"तुम्हे लगता है की तुम एक पल के लिए भी रह पति अगर मैं तुम्हे किसी बेकार से होटल ले जाता?"
"थैंक, और, मैं कितनी देर से मिसिंग हूं?"
"इससे फर्क पड़ता है?" उसकी आवाज़ में मजाकिया हँसी थी।
"क्या मेरी फैमिली मुझे ढूंढ रही है?" नर्मदा ने हिचकिचाते हुए पूछा।
"वोह तुम्हे क्यों नही ढूंढेगी?" नील ने तर्क कर दिया।
"नील, मैं वापस नहीं जाना चाहती," नर्मदा ने फुसफुसाते हुए धीरे से कहा।
"इसलिए तुम शादी में जाने की प्लानिंग कर रही थी जो की असल में थी ही नहीं?" नील ने यूं ही पूछा।
नर्मदा हैरान हो गई की नील को यह बात पता है।
"तुम्हारी फैमिली तुम्हें पूरे शहर में ढूंढ रही है.... गलत शहर में।"
"मैं नहीं चाहती की वह मुझे ढूंढ ले और मुझे वापस ले जाएं.... मुझे मेरी फैमिली को वापस ले जाने मत देना।" नर्मदा ने रिक्वेस्ट की थी।
नील मुड़ा और नर्मदा की तरफ देखने लगा पर कहा कुछ नहीं।
***
कहानी अभी जारी है...
❣️❣️❣️