Khooni Friday - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

Khooni Friday - 3 - किया सच में भूत होते है।

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यह एक सच्ची घटना है जो एक व्यक्ति राहुल के साथ 2003 मे घटित हुई है। राहुल फिल्मों मे फोटोग्राफी का काम करता था। उसे दिल्ली मे बने एक किलेअग्रसेन बावली की जानकारी के लिए जाना था।

उसमे एक फिल्म की शूटिंग होनी थी। वह किला आम नागरिकों के लिए शाम 6 बजे बंद हो जाता था। उसके बाद ही उसने उसमें जाने के लिए परमिसन ली।राहुल और उसका असिस्टेंट शाम 7 बजे के बाद वहाँ पहुँचे।

पूरा किला खाली और सुनसान पड़ा था। चमगादड़ो की आवाज ही बस गूंज रही थी।

वो दोनों अंदर घुसकर नीचे उतरने लगे। सीढ़िया उतरते -उतरते उन दोनों को बाहर की आवाज आनी बंद हो गयी थी और अपने पैरों की ही पदचाप सुनाई दे रहे थे।

तभी राहुल को लगा की कोई उसके सामने से गुजर गया। उसे लगा शायद उसका वहम होगा। इसीलिए उसने अपने असिस्टेंट को कुछ नहीं बताया। वो दोनों नीचे पहुंचे और असिस्टेंट ने वहाँ के फोटो खींचने शुरू किये।

तभी उसको लगा सामने कोई परछाई है। वो दूसरी जगह का फोटो लेने लगा तभी उसको एक भूतनी जैसी दिखाई दी।

डर की वजह से उसके हाथ से कैमरा छूटकर नीचे गिर गया और खराब हो गया। उसने यह बात राहुल को बताई। तब उन्होंने जल्दी से फ़ोन मे 2 -4 फोटो लेकर वहाँ से निकलना ही बेहतर समझा।

राहुल फोटो अपने फ़ोन मे लेने लगा तभी उसने देखा कि एक चुड़ैल सीढ़ियों से अपने हाथों के सहारे नीचे उतरकर आ रही है। वो वहीँ जम गया। तब उसके असिस्टेंट ने जल्दी से उसको पकड़कर बाहर की तरफ दौड़ लगाई।

वो दोनों पूरी रात इस घटना की वजह से सो नहीं पाए।

दूसरे दिन राहुल ने यह बात अपने फिल्म की टीम और क्रू को सुनाई। किसी ने इस बात पर भरोसा नहीं किया। जब किसी और फोटोग्राफर को वहाँ भेजा गया तब उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।

वह जगह तभी से हॉन्टेड मानी जाती है।




एक बार की बात है , जिया और सौरभ जिनकी अभी कुछ दिनों पहले ही शादी हुई थी। उन्होंने वीकेंड पर मुंबई घूमने का प्लान बनाया।

अगस्त का महीना था। बहुत बारिश हो रही थी। वो लोग अपनी कार से निकले थे। बारिश इतनी तेज हो रही थी कि सामने का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। रात भी हो गयी थी।

उन्होंने रात मे कहीं रुकने का सोचा। उन्हें एक छोटा सा होटल दिखाई दिया। वो लोग उसी मे चले गए। रिसेप्शन पर कमरे की चाबी मिलने के बाद दोनों जब कमरे मे पहुँचे तो उन्होंने नहाने का सोचा।

क्योकि बारिश की वजह से दोनों बुरी तरह से गीले हो गए थे। जब बाथरूम मे देखा तो शॉवर मे और नल दोनों मे ही पानी नहीं आ रहा था। उन्होंने रिसेप्शन पर फ़ोन किया तो वहाँ कोई फ़ोन नहीं उठा रहा था।

तब सौरभ खुद रिसेप्शन पर कहने चला गया। पीछे से अपने आप शॉवर मे पानी आने लगा।

जिया को लगा शायद परेशानी ठीक हो गयी है और वो नहाने चली गयी। नहाते हुए उसके बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक हुई। उसे लगा सौरभ है। उसने कहा मै अभी नहा रही हूँ। अभी आती हूँ।

पर दस्तक हुए जा रही थी। जिया को लगा शायद शॉवर की आवाज से सौरभ को सुनाई नहीं दे रहा है।

उसने शॉवर बंद करना चाहा पर वो बंद ही नहीं हो रहा था। उसमे से साफ़ पानी की जगह काला पानी निकलने लगा। जिया को कुछ समझ नहीं आया।

पूरे बाथरूम मे गरम पानी की वजह से दुँधला दुँधला हो गया था। उसने देखा कि वो काला पानी धुँआ बनकर एक आदमी की आकृति मे आ गया। यह देखकर जिया जोर से चिल्लाते हुए भागी और बेहोश हो गयी।

सौरभ वापस आया तो उसने जिया को बेहोश देखा तो उसको पलंग पर लिटाकर वो बाथरूम मे आया तो वहाँ कुछ नहीं था। एक चाकू पड़ा हुआ था ,वह चाकू को उठाकर जैसे ही उठा वैसे ही शीशे मे उसे एक डरावना आदमी दिखाई दिया।


उसने मुड़कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। जिया को जब होश आया तब उसने अपने साथ हुई घटना को सौरभ को बताया।

वो दोनों उसी समय उस होटल से निकलकर अपने घर को वापस चले गए। यह किसी को पता नहीं चल पाया कि आखिर उस बाथरूम मे होने वाली घटना किस वजह से हुई थी आखिर कौन था वहाँ पर ?


2 दोस्त तेज और विक्रम जो दिल्ली के रहने वाले थे। उन दोनों ने जुलाई माह मे मनाली घूमने का प्लान बनाया और अपनी गाड़ी से वह दोनों मनाली के लिए निकले।

बारिश बहुत तेज हो रही थी। तेज गाड़ी चला रहा था और विक्रम उसके पास बैठा था।

इतनी तेज बारिश मे भी वो दोनों बिना कहीं रुके चले जा रहे थे। बारिश इतनी तेज थी कि आगे का कुछ रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था।

रास्ते मे एक चाय की दुकान देखकर दोनों ने चाय पीने के लिए गाड़ी रोकी। दोनों अपनी गाड़ी मे बैठकर चाय पीने लगे। तभी उनकी गाड़ी पर किसी ने दस्तक करी।

तेज ने गाड़ी का शीशा नीचे किया तो वहाँ एक सुन्दर लड़की खड़ी थी। जो कि सफ़ेद साडी मे थी।

उस लड़की ने उनसे मदद माँगी। वह बोली मैं यहीं आगे गांव मे रहती हूँ। क्या आप लोग मुझे वहाँ तक छोड़ देंगे। विक्रम को कुछ ठीक नहीं लग रहा था। पर तेज ने हामी भर दी और वो लड़की पीछे सीट पर बैठ गयी।

तेज उससे बातें किये जा रहा था और वो चुपचाप बैठी थी। विक्रम को उसकी आँखों मे कुछ अजीब ही दिखाई दे रहा था। तभी अचानक से वो लड़की बोलने लगी पिछले साल आज के ही दिन इसी रास्ते पर मेरा एक्सीडेंट हुआ था।

और उस गाड़ी वाले ने मुझे घायल देखकर भी उठाने की जहमत नहीं उठाई।

वो मुझे टक्कर मारकर वहाँ से चला गया। तभी तेज को वहीं सब दिखने लगा जो वह लड़की बता रही थी। उसकी गाड़ी के सामने एक लड़की खड़ी थी। तेज ने जोर से ब्रेक लगाए और गाड़ी रोकी।

उसने देखा यह वहीँ लड़की थी जो उनकी गाड़ी मे पीछे बैठी थी।

तेज को चककर आने लगा। विक्रम ने जब पीछे मुड़कर देखा तो वो लड़की एक चुड़ैल मे बदल गयी थी। दोनों बहुत जोर से चीखे और गाड़ी को भगाने लगे। आगे एक बस स्टॉप पर उन्होंने गाड़ी रोकी।

तो वहाँ खड़े लोगों ने उन दोनों को बताया कि हमारे गांव की एक लड़की पिछले साल सड़क दुर्घटना मे मारी गयी थी। बहुत लोगों ने उसको इस रास्ते पर देखा है।

दोनों वहाँ से मनाली न जाकर वापस दिल्ली लौट आये।


यह एक बोर्डिंग स्कूल मे पढ़ने वाले बच्चों की कहानी है। वो बोर्डिंग स्कूल बहुत नामी था। उसमें कुछ रहस्मय घटनाएं भी हुई थी।

प्रताप नाम का लड़का 12 th क्लास मे उसी बोर्डिंग स्कूल मे पढ़ता था। एक दिन रात मे प्रताप और उसके दोस्त मिलकर भूतों के बारे मे बात कर रहे थे। तभी प्रताप उन सभी को एक गेम के बारे मे बताने लगा।

उस गेम मे ‘डेविल ‘डेविल दोहराना होता था और उसमें एक कागज पर चारों कोनो पर हा और ना लिख्ना होता था। उसके दोस्त बोलते है ,आज हम सब भी यह गेम खेलेंगे।

प्रताप एक कागज पर 2 जगह ‘हां ‘और 2 जगह ‘ना ‘ लिख देता है और प्रताप और उसके तीनों दोस्त उस कागज को बीच मे रखकर उसके ऊपर 2 पेन रख देते है। और उसके चारों तरफ बैठ जाते है।

वो प्रताप डेविल-डेविल दोहराता है। पर कुछ भी नहीं होता है। वह दोबारा डेविल-डेविल दोहराता है। तब भी कुछ नहीं होता। उनमे से एक लड़का तेजा उस गेम को फर्जी बताकर उठ खड़ा होता है।

तभी कमरे की लाइट हिलने लगती है। तो प्रताप उसे वापस बैठने के लिए कहता है।

तेजा वापस अपनी जगह पर बैठ जाता है। फिर प्रताप पूछता है डेविल आप यहाँ पर हो । तब उस पेन मे से एक पेन का सिरा घूमकर ‘हां ‘पर रुक जाता है। तब प्रताप पूछता है ‘डेविल’हम आपसे कुछ सवाल पूछ सकते है?

तब पेन का सिरा वापस घूमकर ‘हां ‘पर रुक जाता है। सभी लड़के अपने-अपने सवाल पूछते है।

डेविल किसी का उत्तर ‘हां ‘और किसी का उत्तर ‘ना ‘मे देता है। पेन का सिरा घुमाकर। फिर तेजा की बारी आती है। तेजा पूछता है ‘डेविल ‘क्या तुम मुर्ख और बेवकूफ हो ?


पेन अपनी जगह से नहीं हिलता। फिर वो दोबारा पूछता है। तब पेन घूमकर ‘हां ‘पर रुक जाता है। और कमरे की लाइट बंद हो जाती है प्रताप उठकर कमरे की लाइट जलाता है।

तो प्रताप और उसके दोस्त देखते है कि ,तेजा का पूरा शरीर नीला पड़ गया था और उसकी आँखे बहुत डरावनी हो गयी थी। तेजा अजीब सी आवाज मे चिल्ला रहा था।

जैसे उसके अंदर ‘डेविल’आ गया हो सब बहुत डर जाते है।

जोर -जोर से आवाज सुनकर वार्डन अंदर आता है। तब तक तेजा बेहोश होकर गिर जाता है। उसको अस्पताल मे भर्ती कराया जाता है। दूसरे दिन जब उसको होश आता है।

तब उसको कुछ याद नहीं होता कि कल जो गेम वह खेल रहे थे उसमें उसके साथ क्या हुआ था। प्रताप और उसके दोस्त ऐसे डरावने खेल दोबारा कभी नहीं खेलने का वादा करते है और फिर कभी इस बात की चर्चा नहीं करते है।

राकेश नाम का लड़का कॉलेज का छात्र था। क्रिसमस पर सभी की छुट्टियाँ हुई। पर राकेश और उसका रूममेट दीपक किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। तो वो लोग अपने घर नहीं गए।

वो दोनों रातमे भूतों की बातें करते -करते सो गए ।

दीपक ने राकेश को यह बताया था। कि एक शीशा है ‘उसके सामने जाकर 3 बार’ खूनी शीशा ‘बोलने से उसमे से एक चुड़ैल निकलती है और वो उस खूनी शीशा बोलने वाले को मार डालती है।

रात मे राकेश उठा और बाथरूम मे जाकर शीशे के सामने जाकर 3 बार (खूनी शीशा ) बोलकर आया। पर उसमे से कोई नहीं निकला। वह वापस आकर सो गया।

रात मे उसे सपना आया की वो बाथरूम मे खड़ा है और उसके चारों तरफ शीशे ही शीशे है। सब शीशों मे वहीँ दिखाई दे रहा है। बस एक शीशे मे एक छोटा बच्चा दिख रहा है।

फिर सभी शीशे एक -एक करके गायब हो गए। और वहीँ बच्चे वाला शीशा रह गया। डर की वजह से उसकी आँख खुल गयी। उसने अपने दोस्त को भी जगा लिया। और उसको सारी बात बताई।

दीपक यह सुनकर बोला कि उस शीशे से हमें वापस माफी मांगनी पड़ेगी और वो दोनों बाथरूम मे शीशे के सामने जाकर मोमबत्तियां जलाकर ‘खुनी शीशा ‘दोहराने लगे पर इससे कुछ नहीं हुआ।

तब दीपक राकेश से बोला मैं बाहर जाता हूँ तुम अकेले बोलो।

तब शायद वो माफ़ कर दे। ऐसा कहकर दीपक बाहर चला आया। और इन्तजार करने लगा। अंदर राकेश खूनी शीशा ,दोहराने लगा। तभी मोमबत्तियां बुझ गयी और शीशे मे से एक डरावनी चुड़ैल निकलकर चिल्लाई।


यह देखकर राकेश के मुँह से जोर से चीख निकल गयी। चीख सुनकर दीपक ने दरवाजा खोलने की कोशिश की पर दरवाजा नहीं खुला। वो बाहर जाकर गार्ड को लेकर आया।

दरवाजा खुलने पर वह देखते है कि राकेश पानी मे उल्टा पड़ा है। उसको तुरंत अस्पताल मे भर्ती कराया गया। पर उसको बचाया नहीं जा सका।

दीपक इसके लिए खुद अपने आप को दोषी ठहरा रहा था कि उसकी वजह से उसके दोस्त की जान चली गयी। न वह उसको खूनी शीशे के बारे मे कुछ बताता और न यह सब कुछ होता।


यह कहानी एक रौनक नाम के लड़के की है जो 14 साल का था , वो हॉस्टल मे रहकर पढ़ता था।

एक दिन उसके स्कूल मे क्लास चल रही थी। तभी एक टीचर भागती हुई आयी और उसके क्लास मे पढ़ाने वाले टीचर के कान मे कुछ कहकर भाग गयी। उस दिन स्कूल बंद कर दिया गया।

पता चला कि उसके स्कूल के पास एक सीरियल किलर घूम रहा है , जिसने बहुत सारे लोगों का खून कर दिया है।

उसने जितने भी लोगों को मारा था। उनका दाहिना हाथ गायब था। पुलिस उस सीरियल किलर को ढूढ़ रही थी। जब तक वो नहीं मिल जाता तब तक के लिए स्कूल को बंद कर दिया गया था।

रौनक के साथ एक अजीब घटना घटित हो रही थी। उसे आधी रात को हॉस्टल के पीछे से एक आदमी के चिल्लाने की आवाज आती थी। जो उसके सिवा किसी और को नहीं सुनाई देती थी।

आज फिर उसकी चिल्लाने की आवाज से नींद खुल गयी। वो आज हिम्मत करके हॉस्टल के पीछे वाले हिस्से मे चला गया।

उसको वहां खून की बूंदे दिखाई दी। वो उन बूंदो का पीछा करता हुआ थोड़ा आगे बढ़ा। वहाँ पर एक बोरी पड़ी थी। उसमे से ही खून टपक रहा था। वो हॉस्टल वार्डन को बुलाने के लिए जाने ही वाला था।

तभी उस बोरी मे से एक हाथ निकला और उसकी तरफ बढ़ने लगा। रौनक यह देखकर सुन्न हो गया।

उस बोरी मे से बहुत सारे हाथ निकल कर उसके पास आ रहे थे। वो बेतहाशा चिल्लाकर भागने लगा।

उसकी आवाज सुनकर वार्डन, टीचर ,और सभी बच्चे बाहर निकल आये। टीचर ने सभी बच्चों को एक हॉल मे बिठाया और बाहर से बंद करा। पुलिस को बुलाया गया।


पुलिस ने उस सीरियल किलर को पकड़ लिया जो स्कूल के ही एक क्लासरूम मे छिपा हुआ था। वहाँ पर व्ह बोरी भी मिली जिसमें सभी मारे हुए लोंगो के हाथ थे।

उस दिन से कई रातों तक रौनक अच्छे से सो नहीं पाया। वो इस हादसे से बहुत डर गया था। जो उसने देखा वो सच था या उसका वहम। यह तो पता नहीं।।






मगर कुछ देर बाद ही उस पेड़ से कुछ पत्ते गिरने लगते है उसे पता तो नहीं चलता है. मगर वह सब कुछ एक भूत कर रहा था जोकि बहुत समय से उस पेड़ पर ही रहता था वह सके साथ में मजाक करता है उस पेड़ के पत्ते गिर रहे थे मगर जब वह लड़का उन्हें देखता है तो उसे अपने आँखों पर यकीन नहीं होता है क्योकि पत्ते तो गिर रहे थे मगर साथ में कुछ लिखा भी जा रहा था. उन पत्तो से लिखा जा रहा था. वह लिख रहा था की यहां से चले जाओ.




मगर वह कौन लिख रहा था पत्तो से कैसे लिखा जा सकता है. उसके लिए तो किसी का होना बहुत जरुरी होता है. मगर यहां पर तो में ही हु. उस पेड़ को देखता है मगर की भी तो नज़र नहीं आता है तभी पत्तो से लिखा होता है तुम मुझे देखन चाहते है. यह पढ़कर उसे बहुत डर लगता है अब उसे यकीन होने लगता है यह अपर भूत है वह सु पेड़ से दूर हो जाता है. तभी उसे पेड़ पर कोई नज़र आता है वह अब भागने लगता है क्योकि वह समझ गया था. यहां पर भूत है उस दिन से उसे पता चल गया था. की भूत होते है.

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