जब रिया चली गई तो राज अजय के पास आकार बोला "क्या बात है भाई, रिया जी पहले आप अकेले मैं मिलती हैं, वो भी कैफेटेरिया मैं, फिर आप उनको घंटो काम समझाते हैं, क्या बात है!
“अबे चुप करो, दिमाग ना पकाओ। अभी काफ़ी ख़र्च हुआ है। चलो कॉफी पीन। बाकी सब कहां हैं!" अजय ने राज से पुछा।
"हम सब तो यही हैं, आप ही कहीं और मसरूफ हैं।" सना करीब आते हुए बोली
“तुम सब का दिमाग फिर गया है। मैं चला” अजय ने कैफेटेरिया कर रुख किया। पीछे उसे हसने की आवाज़ें आ रही थी। कैफेटेरिया पहुचा तो मुकेश रॉय साहब ने उसे पुकारा। अजय ने देखा तो मुकेश रॉय और रिया एक तरफ खड़े थे। अजय उनके पास जा पहूँचा।
"आज की कॉफी हमारे साथ हो जाए बरखुरदार।"मुकेश रॉय ने कहा तो अजय मुस्कान दिया।
"तो कैसा चल रहा है।"मुकेश रॉय ने पूछा।
"जी सब सही चल रहा है प्रोजेक्ट मैं। प्रोजेक्ट के लिए हम सब बहुत मेहनत कर रहे हैं।" अजय ने जवाब दिया।
“अरे भाई हमको पता है हमारे बारे में। हम तो तुम्हारी जिंदगी के बारे में पूछ रहे हैं। काम और पढाई के अलावा भी कुछ करते हो।”मुकेश रॉय बोले
"टाइम ही कहां मिलता है।" अजय ने जवाब दिया।
“अरे भाई, वक्त निकलो को। थोड़ा बहुत आराम करा करो। अभी नहीं करोगे तो कब करोगे। कोई खेल खेलते हो।"मुकेश रॉय ने कहा।
“जी क्रिकेट, टेनिस, बास्केटबॉल और पूल खेलता हूं। जब वक्त मिलता है।" अजय ने जवाब दिया।
"कॉलेज मैं खेलते हो या किसी क्लब मैं।"मुकेश रॉय ने पूछा।
"जी कॉलेज मैं दोस्तों के साथ।" अजय ने जवाब दिया।
“वैसे टेनिस और बास्केटबॉल तो रिया भी अच्छा खेलती है। और पूल और शतरंज में भाई हम बड़े खतरनाक हैं। कभी आओ फुर्सत मैं घर फिर जरा एक-एक खेल खेलते हैं।"मुकेश रॉय ने मुस्कुराते हुए कहा।
"ज़रूर मैं आऊंगा " अजय ने मुस्कुराते हुवे कहा।
“और हां, रिया ऑनलाइन गेम्स मैं भी चैंपियन है। कौन से गेम है वो जो तुम खेलती हो रिया?”मुकेश रॉय रिया से मुखातिब हुए।
"पापा, अनरियल टूर्नामेंट" रिया ने बेे दिली से कहा। उसे मुकेश रॉय का अजय से इतना बेतकलूफी से बात करना पसंद नहीं आ रहा था।
"हां वही, रिया को जल्दी उसमे कोई हरा नहीं पाता।"मुकेश रॉय ने पूछा।
“बढ़िया, क्या यूजर नाम है आपका ऑनलाइन? मैं भी कभी-कभी खेलता हूं।" अजय ने औपचारिकता के लिए पूछा।
"डेडली गर्ल, के नाम से हूं।" रिया ने जवाब दिया।
"ओह, वैसे रिया आपका लास्ट वीक के टूर्नामेंट कैसा रहा था।" अजय ने मुस्कुराते हुए पूछा।
“पहली बार बेकर हुआ था। एक नया यूजर ने हरा दिया।” रिया ना चाहते हुए भी जवाब दे रही थी।
"जर्विस नाम था ना यूज़र का" अजय ने पूछा।
“अरे हां, यही नाम था, बड़ा अच्छा खेला था वो। मैं भी उस दिन कशिश के कहने पर वो खेल देख रहा था। क्या तुम जानते हो उस खिलाड़ी को।”मुकेश रॉय इस बार बोले।
"जी, इस नाचीज को ही जार्विस कहते हैं।" अजय ने मुस्कुराते हुए कहा।
"ओह तुम हो जार्विस। बड़ा अच्छा खेलते हो। भाई मुझे तो ज्यादा आता नहीं पर मजा बहुत आता है देखने में ये गेम्स।”
"तुम जार्विस हो। पर तुमको ग्रुप मैं कभी देखा नहीं” रिया को भी हेयरत हुई।
“हां, असल मैं जब लखनऊ में तब ये खेल बहुत खेलता था। कॉलेज के पेज पे टूर्नामेंट डिटेल्स पोस्ट की थी, उसी से ग्रुप का पता चला। सोचा पुरानी यादें ताजा की जाए।" अजय ने जवाब दिया।
To be continued
in 32th Part