तेरी चाहत मैं - 31 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 31

“अजय मुझसे तुमसे कुछ बात करनी है। फ्री हो तो बताओ।" रिया अजय के सामने खडी थी।
"जी बोलिए, क्या बात है।" अजय ने इतमीनान से पुछा।

"यहाँ नहीं कैफेटेरिया चलो।" रिया ने कहा तो अजय ने जवाब दिया "चलिए"। और वो अपनी जगह से उठा गया। कुछ देर बाद दोनो कैफेटेरिया मैं बैठे थे। रिया बोली “देखो, मुझे ऑफिस के किसी काम का आइडिया नहीं है। ऊपर से पापा ने मुझे प्रोजेक्ट मैं तुम लोगों के साथ काम करने को बोल दिया है। मैं चाहती हूं की तुम मुझे थोड़ा बहुत समझा दो काम के बारे में।”
"हम्म, वो तो मेरा काम है, और कोई बात।" अजय ने हामी भरी।
“हां, एक बात का ख्याल रखना, इस एहसान को कोई एहसान न समझना हम पर। इस्के बदले मे जीतना पैसा या कुछ और चाहिये तो ले लेना। असल में पापा ने विक्रम को यहाँ आने से मना कर दिया है। वर्ना हमको तुमसे कहना ही नहीं पढता।"
अजय को गुस्सा तो बहुत आया पर उसे अपने पे काबू करते हुए कहा “हर चीज पैसे से नहीं तौली जाती। आपको गाइड करना तो मेरा जॉब का हिस्सा है। अगर ना भी होता तो मैं आपकी मदद करता। इंसान को एक दुसरे का साथ देना चाहिए। जिंदगी तभी चलती है। "
“देखो ये फालतु के डायलॉग ना मारो, मुझे पसंद नहीं है। मैंने तुमसे एक एहसान मांगा है, जिसके बदले मैं तुमको उसकी कीमत दे रही हूं। अभी नहीं लेना, कोई नहीं। जब ज़रूरत लगे बता देना।" इतना कह के रिया वहां से उठ कर चली गई। अजय उसे जाते हुए देखता रहा और फिर उसने सोचा "इसका कुछ नहीं हो सकता।"

न्यूटन अपनी डेस्क पे बैठा था की तभी उसका फोन बजा। उसने फोन उठाया और बोला "नमस्ते"
दुसरी तरफ से आवाज आई "कैसे हैं आप साहिल।"
"मैं ठीक हूं। आप कौन?" न्यूटन हम अंजान आवाज को पहचान नहीं पाया।
"मैं वही हूं, आपकी अंजान मोहब्बत।" दुसरी तरफ से जवाब आया।
“देखिए, मुझे नहीं पता की आपको क्या अच्छा लग गया मुझेमें। पर मैं आपको अभी बताता हूं, की मुझे ये प्यार मोहब्बत मैं कोई दिलचस्पी नहीं।” न्यूटन ने जवाब दिया।
“हां तो क्या हुआ, आप को नहीं मुझे तो है। और जल्दी ही मैं आप मैं भी ये जज्बा पैदा कर दूंगी। और आप इतने अच्छे और क्यूट तो है, कोई भी लड़की आपसे मोहब्बत कर सकती है।" दुसरी तारफ से जवाब आया।
“देखिए मुझे ये सब पसंद नहीं। और मैं तो आपको जनता ही नहीं। क्यूं मेरा खून पी रही हैं आप।" न्यूटन ने जरा गुस्से से कहा।
“वो आप कितनी प्यारी बातें करते हैं, और आप मुझे नहीं जानते तो क्या हुआ जान जाएंगे। वैसा बता दूं, मैं देखने मैं काफ़ी ख़ूबसूरत हूं। कॉलेज के कई लड़के ट्राई कर चुके हैं।” दुसरी तरफ से हस्ती हुई आवाज आई।
“तो उनमे से किसी को चुन लिजिये, क्यों मेरा खून पीने पर तुली हुई है आप। ना नाम का पता ना इंसान का पता, इश्क करने चल दी आप।” न्यूटन ने फिर गुस्से से बोला।
“मैं तो आपका नाम जनती हूं, और भी बहुत कुछ जानती हूं। और आप भी तो मुझे जानते हैं। फिर हम अंजान कैसे हुए।" दुसरी तरफ से फिर सुकून लेहजे मैं जवाब आया।
"मैं कब आपको जनता हूं, मोहतरमा।" न्यूटन ने पुछा।
"अरे, साहिल मैं आपको चाहने वाली वाली चुड़ैल हूं।" दुसरी तरफ से हसने की आवाज आई।
"देखिए अगर आप कोई मजाक कर रही है, या आपने अपने दोस्त मैं शर्त लगाया है कि कैसे किसी लड़के को आप पागल बना सकती हैं, तो आप बेकार मैं अपना वक्त खराब कर रही हैं। किसी और को ढूंढीये। मैं नहीं आने वाला आपकी बातो मैं। "न्यूटन ने जवाब दिया।"
"आप गलत सोच रहे हैं। साहिल, मैं दिल से आपको पसंद करती हूं।" दुसरी तरफ से जवाब आया।
"आप बहुत ढीठ है, शायद पागल भी। आपको समझाना बेकार है।" ये कह के न्यूटन ने फोन रख दिया।

अरसलां काम मैं मसरूफ था। तबी रिया उसके पास आके बैठ गई और बोली "हां, तो कहां से शुरू करना है।" “शूरु से शुरू करना ही बेहतर रहेगा। आप अपना लैपटॉप स्टार्ट किजिये मैंने आपको कुछ फाइल्स मेल की हैं, उन्हें देखिये और बताइये की आपको क्या समझ आ रहा है।"
"ओके, मैं चेक कारती हूं।" रिया ने जवाब दिया। फिर दो मिनट बाद बोली "ये फाइल खुल ही नहीं रही है।" अजय ने पूछा "क्या हुआ, कोई एरर आ रहा है क्या।"
"पता नहीं, हमको क्या पता। डबल क्लिक करने पर कुछ हो ही नहीं रहा बस ओपन विद आ रहा है।” रिया ने परेशान होते हुए कहा।

“कशिश वो पीडीएफ फाइल है। आपको पीडीएफ रीडर मेन ओपन करनी होगी।” अजय ने समझाया
"अब ये क्या होता है। तुम देखो जरा। हमको नहीं मिल रहा ये रीडर।" रिया ने लैपटॉप अजय को पकडा दिया। अजय ने लैपटॉप देखा तो उसमे तो पीडीएफ रीडर ही नहीं, ऑफिस का पैकेज भी नहीं था। कोई भी जरूरी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं था। सिरफ गेम्स और गाने भरे हुए थे।
"आपके लैपटॉप मैं जरूरी सॉफ्टवेयर तो हैं ही नहीं। स्थापित करने होंगे ।" अजय ने लैपटॉप देखते हुए कहा।
"ओह ओके, तो करदो। आज लैपटॉप रेडी कर दो, कल से हम तुमसे काम सीखना शुरू करेंगे।" रिया उठते हुए बोली तो अजय उसे रोकते हुए बोला “आप यहीं रुकिए। मैंने आप के डॉक्युमेंट्स का प्रिंट पहले ही तैयार रखा है। जब आपके लैपटॉप में जरूरी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होते है तब तक आप इन डॉक्यूमेंट्स से स्टडी कर लीजिए
फिर अजय रिया के लैपटॉप मेन इंस्टालेशन मैं लग गया। और रिया ना चाहते हुए भी फाइल स्टडी करने लगी। कुछ देर मैं लैपटॉप भी तैयार हो गया। अब अजय और अच्छे से रिया को सब कुछ समझाने लगा। करीब दो घंटे बाद अजय बोला "आज के लिए इतना काफ़ी है। आप सबको और स्टडी किजिये में। अगर ज़रूरत पड़े तो आप मुझसे पुछ लिजिएगा।”


To be continued
in 32th Part