तेरी चाहत मैं - 30 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 30

सिमरन शाम को राज के घर पहुंची। " नमस्ते! पापाजी, राज कहाँ है?" उसे लॉन मैं बैठे मेजर शेखर से पुंछा।
मेजर शेखर ने जवाब दिया "हू वो तो टेरेस पे बैठा है। और तुम इतने दिनों बाद आई हो और आते ही राज को पूछ रही हो। अपने पापा के लिए टाइम नहीं है क्या।”

सिमरन बोली “अरे पापा जी करूँ क्या, काम इतना है। और मेरे पास आपके लिए टाइम ही नही है, बस ऑफिस का कुछ जरूरी काम है जिसे निपटाने के लिए राज की मदद चाहिए।”
मेजर शेखर बोले "काम पहले, जाओ ऊपर, फिर बाद में हम बात करते हैं। मैं चाय ऊपर भीजवाता हूं तुम दोनो के लिए।"
"ओह थैंक्स पापाजी, सच मैं चाय का बड़ा दिल कर रहा था पीने को" सिमरन ने टेरेस की तरफ रुख करते हुए कहा।

राज टेरेस पे ही था। उसे सिमरन को देखा पर बात नहीं की। बस आसमान मैं तारे देखता रहा। सिमरन उसके बगल मैं आकार बैठ गई। राज ने फिर भी कुछ नहीं बोला। सिमरन ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुए बोला "नराज़ हो मुझसे!" राज कुछ नहीं बोला।

“ओके जानू आई एम सॉरी, मैं कभी ऐसा मजाक नहीं करुंगी। पक्का वाला वादा।" सिमरन ने राज को मानाते हुए कहा।
“मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी, सिमरन की तुम सब के कहने में आ जाओगी। हां मैं मानता हूं की हम आज तक कहीं नहीं गए, पर वजह तुम जनती हो। लाइफ कैसी बिजी चल रही है।” राज ने अपनी चुप्पी तोड़ी।

"और भीर तुम बस मजाक कर रही थी।"

मुझे भी पता है।" सिमरन ने कहा।
“क्या हमारा रिश्ता सिर्फ एक डेट का मोहताज है। क्या मुझे अपने प्यार को साबित करने के लिए तुमको डेट पे ले जाना और घुमाना फिराना जरूरी है। बिना इस्के क्या तुमको यही लगता है की मैं तुम्हें धोखा दे रहा हूं।" राज ने अपनी नाराजगी बयान करी।
सिमरन बोली "नहीं राज, तुम गलत समझ रहे हो। वो सब तो बस एक मज़ाक था, जो हम सबने किया था। तुम सबसे नराज़ हो गए। अब आइडिया तो मेरा था। नराज़ होना है तो मुझसे हो बाकी लोगों से क्यूं नराज़ हो। आज सब ऑफिस मैं परेशान थे।”

नहीं सिमरन, मुझे लगता है की शायद ये डेट और आउटिंग जरूर होती हैं। मुझे तुमको ले के जाना चाहिए था। शायद ये सब मेरे प्यार को साबित कर देते हैं।
सिमरन रुआसी हो गई और बोली "नहीं राज, प्लीज ये मत कहो। मुझे तुम्हारे प्यार पर भरोसा है। ये सब तो मैं बस ऐसे ही बोल रही थी। लेकिन आगे से कभी नहीं कहूंगी।”

कमीने अगर अब अगर तूने ये ड्रामा ज्यादा खिंचा तो मैं तुझको नीच धक्का दे दूंगी। सना ने टेरेस पे आते हुए कहा। सिमरन को कुछ समझ नहीं आया। उसने राज को देखा तो वो मुसकुरा रहा था। तबी न्यूटन, रोहित, अजय और हीना भी आ गए। बंद कर ये ड्रामा, अब क्या सिमरन को रूलाएगा।
सिमरन कभी राज को देखती, कभी बाकी लोगो को। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

हीना बोली "सिमरन तुम परशान ना हो, ये राज कोई नराज नहीं है। ये तो सिर्फ तुमसे ऑफिस वाली खिचाई का बदला ले रहा है। और राज अब तुम कुछ बोलोगे या बस अपनी स्टुपिड सी स्माइल ही देते रहेंगे।"

"ठीक है... ठीक है सिमरन असल मे मैं तुमसे नाराज़ होने का नाटक कर रहा था। वो सब नराज़गी, एकदम से तुम सबसे नराज़ होना सब नाटक था।” राज सिमरन के पास जा के बोला।
सिमरन अभी भी कुछ नहीं समझी थी। राज बोला को "अरे! सबको अपने प्लान में जैसे तुमने मैं शामिल किया, वैसा ही मैंने भी किया। तुम खुद सोचो की क्या मैं तुमसे इतनी छोटी सी बात पर नराज हो सकता हूं।"
"मतलब, ये सब ड्रामा था?" सिमरन को अब समझ मे आया। "यस माय जान" राज ने कहा।

“जान के बच्चे, तुमको पता है की मैं कितना परेशान हो गई थी। मुझे ये बात खाए जा रही थी की मेरी वजह से तुम्हारे अपने दोस्त से भी नराज हो गए हो।" सिमरन ने राज को घूरते हुए कहा।
इस पर राज खिलखिला के हसने लगा।
"मेरी जान निकल के तुमको बड़ी हंसी आ रही है, रुको अभी बताती हूं।" सिमरन राज को मारने के लिए लपकी तो राज भाग लिया। टैरेस पर राज और सिमरन के बीच पकडा पकड़ी शुरू हो गई। बाकी सब हंस - हंस के मजे लेने लगे।
“अरे यार सिमरन से कोई मुझे बचाओ, वर्ना आज सच मैं ये मेरी जान निकल जाएगी। राज ने सिमरन से बचते हुए कहा।
"आज अगर कोई बीच मैं आया तो उसकी खैर नहीं।" सिमरन ने धमकी भरे अंदाज मैं कह तो अजय बोला "हां, सिमरन, तुम लगी रहो, इस्को छोड़ना नहीं। हमको राज ने जिस काम से बुलाया था वो तो हम कर ही चुके। अब हम लोगों का यहां कोई काम भी नहीं है। हम चलते हैं।"

"अबे क्या कर रहे हो तुम लोग, मुझे यहां अकेला छोड़ कर कहां जा रहे हो!" राज ने अपने को बचाते हुए कहा, पर तब तक सभी हंसते हुए वहां से चलते बने।
"आज तुमको कोई नहीं बचा पाएगा राज" ये कहते हुए सिमरन ने बास्केट बॉल खिंच के राज को मारा।
बॉल सीधी राज की पीठ पर लगा और वो गिर पड़ा "ओह आह मर गया यार।" राज करहाने लगा।
ये देख सिमरन घबरा गई। वो भाग कर राज के पास आई और बोली "ओह सॉरी राज, क्या जोर से लग गया क्या? मैं तो बस तुमको डरा रही थी। दिखाओ मुझे कहां लगा है?" सिमरन राज के पास आ कर उसके चोट देखने लगी।
"आह सिमरन, बहुत दर्द हो रहा है" राज ने बड़ी मासूमियत से कहा। "कहां लगी है बताओ" सिमरन उसकी पीठ पर हाथ फिरते हुए बोली। "सिमरन मैं घायल हूं, तुमने मुझे घायल कर दिया" राज ने कहा।

"हां सॉरी राज, मुझे ज़ोर से नहीं मरना चाहिए था।" सिमरन राज की पीठ सहलाते हुई बोली।
"हां सिमरन पर बॉल ने नहीं, मुझे तो तुम्हारे हुस्न ने घायल किया है।"
"क्या मतलब" राज के ये कहने पर सिमरन ने उसे देखा, राज फिर मुसकुरा रहा था। "मतलब, तुम फिर मज़ाक कर रहे थे?" सिमरन ने पुछा तो राज ने जल्दबाजी उठ खड़ा हुआ अपना सर हिलाया। तभी सिमरन ने राज का हाथ पकडा और उसे मोड़ दिया। राज अबकी बार सच मैं चिल्ला पड़ा। "बॉल से तो बच गए तुम अब बताओ, अब दर्द हो रहा है ना।" सिमरन राज का हाथ मोड़ते हुए बोली।
“हो रहा है, ज़ोर का हो रहा है। प्लीज छोड़ दो सिमरन।" राज ने कहा तो सिमरन ने उसका हाथ चोर दिया। फिर दोनो एक दुसरे को देख कर हसने लगे और वही बैठे गए।

कुछ देर दोनो चुप चाप आसमान को देखते रहे, फिर राज बोला "सिमरन, मैं तुमको कुछ दिखाना चाहता हूं।" "क्या" सिमरन ने पुछा तो वो खड़े होते हुए बोला आओ मेरे साथ। राज सिमरन को ले के टेरेस के दुसरे तरफ ले के आया। वो हिसा फूलों और छोटी - छोटी लाइट्स से डेकोरेटेड था। बड़ी ही खूबसूरत से एक टेबल बीच मैं रखी थी जिसपर पहले से खाना लगा था। बीच मैं दो खुशबोदार मोम्बतिया से महौल और रुमानी हो गया था। राज ने वाहा रखे म्यूजिक प्लेयर को ऑन करता हूं सिमरन से पूछा "कैसा लगा आपको अपनी पहली डेट का इंतजार।"
सिमरन हेयरां हो कर बोली "ये सब तुमने किया!"

“दोस्तों की हेल्प से किया है, आखिरी हमारी पहली डेट का सवाल था। खास होना जरूरी था, जैसे आप मेरे लिए खास हो।” राज मुस्कुराते हुवे बोला
“ये सब बहुत खूबसूरत है राज। मुझे नहीं पता था की तुम इतने ज्यादा रोमांटिक हो सकते हों।” सिमरन ने कहा। फिर वो राज के पास बैठ गई। राज ने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया। दोनो एक दुसरे की आंखें मैं देखने लगे। आसमान खुशगवार था, चांद का हुस्न अपने पूरे उरुज पे था। पर आज चांद अपने हुस्न पे नहीं, दोनो की पाक मोहब्बत की खुशी मैं कुछ ज्यादा ही खुशगवार लग रहा था।


To be continued
in 31th Part