तेरी चाहत मैं - 29 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 29

कुछ देर बाद कैफेटेरिया मैं, राज और अजय बैठे बात कर रहे थे। न्यूटन परेशान हालत मैं उनके पास आया और बोला "यार बाकी सब कहां हैं! मुझे कुछ जरूरी बात करनी है!"
राज बोला "क्या हुआ न्यूटन, सना और हीना हमेशा की तरह सिमरन के साथ हैं। और रोहित वो रहा काउंटर पे खाने का ऑर्डर दे रहा है। भाई हुआ क्या परेशान लग रहा है!”

“भाई परशानी बड़ी है, पता नहीं कहां से एक लड़की मुझे पसंद करने लगी है। वो मेरा पीछा कारती है। उसे मेरे बारे में सब पता है। यहां तक ​​कि मैं क्या पहन कर ऑफिस आया हूं, वो भी! यार वो कॉलेज मैं भी मुझे फॉलो कर रही है।” न्यूटन ने अपनी परेशानी बताई।
उसी बात सुन कर राज हसने लगा। अजय भी मुसकुराने लगा। फिर राज अपने को रोक कर बोला "यार अजीब बंदे हो, एक लड़की तुमको फॉलो कर रही है और तुम ऐसे घबड़ा रहे हो जैसे कोई तुम्हारा कतल करने के लिए तुम्हारे पीछे लगा हो।" न्यूटन को दोनो पे गुस्सा आया और बोला "यार तुम दोनो को पता है मुझे में फलतू की बातें मैं दिलचस्पी नहीं है। मैं नहीं चाहता की फिर मुझे वो सब झेलना पड़े जो मैं पहले भी झेल चुका हूं।”

अब राज और अजय सीरियस हो गए राज बोला "भाई माफ करदे, हमको पता है तेरे बारे में, पर तू सिर्फ़ एक रिजेक्शन को ले के सारी जिंदगी नहीं बिता सकता।"
"हां न्यूटन, जो हुआ उसे भूल जाओ। वो लड़की तुझको डिसर्व ही नहीं कारती थी। तू क्यूं हमेशा उसे याद करता है।” अजय ने न्यूटन को समझाते हुआ कहा।
अब तक रोहित भी आ गया था। वो बोला "भाई, हो सकता है की ये लड़की सच में तुमको पसंद कारती हो। भाई जिंदगी ने तुमको मौका दिया है। भाई लड़की खुद तेरे को सामने से आ के इजहार कर रही है।”
“और इसकी क्या गारंटी है की वो जो कह रही है वो सच है। क्या पता ये सब एक बड़ा मज़ाक हो, भाई अब मेरे अंदर इतनी ताकत नहीं है की मैं दुबारा से सब कुछ झेल पांउ।” न्यूटन ने परेशान होते हुए अपनी बात कही।

"यार प्यार मैं गारंटी नहीं होती, कोई शॉपिंग करने निकला है क्या तू।" राज ने फिर न्यूटन को समझाया।
“यार तुम लोगों को समझ क्यों नहीं आता, भाई तुम खुद सोचो, मुझे कोई क्यों पसंद करने लगेगा। क्या खास है मुझ में। ये सब एक फरेब है, और अब मैं फरेब मैं नहीं फासुंगा।" न्यूटन ने कहा।
"हां तो अब तुम क्या करोगे? पता नहीं क्या इश्यू हो गया है तुमको अपने आप से। अच्छे खासे इंसान हो। शक्ल सूरत से भी, अच्छे हो, एक मतलबी लड़की ने रिजेक्ट क्या किया, अब तुमको लग रहा है की सब तुम्हारे साथ ऐसा ही करेंगे। "रोहित ने गुस्से से कहा।
न्यूटन को गुस्सा आ गया इस बात पे और वो उठा कर चला गया। अजय और राज ने उसे रोक रहे थे। पर वो नहीं रुका।

तभी वहा सना और हीना भी पहुंची। वो न्यूटन को गुस्से से जाते देख चुकी थी। हीना बोली "आज क्या किया है तुम लोगों ने। न्यूटन को फिर परेशान किया है क्या।” उन दोनो को लगा था की रोज़ वाली खिचाई है जो अक्सर उन लोग मैं होती रहती थी।
“नहीं यार, इश्यू दूसरा है। न्यूटन को एक लड़की पसंद करती है।" फिर अजय सारी बात बताता चला गया।
सना बोली "और न्यूटन अभी तक फ़िज़ा वाली बात को भुलाया नहीं है। सच मैं कुछ समझ नहीं आता की क्या किया जाए न्यूटन का। न्यूटन उस बात को दिल पे लगा के बैठा है। उसे लगता है की वो किसी लड़की को डिजर्व ही नहीं करता।
“कुछ चीजो को वक्त पर छोड़ देनी चाहिए। वक्त मैं बड़ी ताकत होती है। बड़ी से बड़ी चोट भर जाती है।” सिमरन ने आते हुए कहा।

देखो मुझे लगता है की समस्या को न्यूटन को खुद हैंडल करने दो, वो समझदार है। मुझे पता है की तुम सबको उसकी फ़िकर है। पर मुझे लगता है की न्यूटन के अंदर जो घुटन है उसे वो खुद ही मिटा सकता है। सिमरन ने अपनी राय रखी।
"शायद यही सही रहेगा। आप सही कह रही हैं।" अजय ने कहा। बाकी लोग भी सिमरन की राये पे राजी थे।
“सिमरन मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। फ्री हो अभि।” राज ने सिमरन से पुछा।
“आप क्या बात करोगे मिस्टर राज शेखर वर्मा, बात तो मुझसे तुमसे करनी है। एक महिने से तुमसे कह रही हूं की डेट पे ले जाओ, डेट पे ले जाओ। टाल रहे हो, धोकेबाज़ कहीं के। अभी ये हाल है तो तब क्या होगा। सिमरन ने गुस्से से कहा तो सब हसने लगे।

"हां यार राज ये गलत बात है, तू हमारे साथ ही घुमता रहता है। कभी मूवी कभी डिनर, पर सिमरन को क्यूं नहीं ले जाता।” रोहित ने साफ झूठ बोला।
अजय कहां पीछे रहता है "हां सिमरन, आज सुबह ही मुझसे कह रहा था की चलो आज शाम कोई नई फिल्म देखते हैं।"
"हां-हां, बिलकुल जाओ, मेरी क्या जरूरी है। मैं ही पागल हूं ना जो तुमसे दिल लगा बैठी।” सिमरन फिर गुसे से बोली।
राज हैरां परशान होते हुए बोला “अबे कामिनो उड़ा लो मेरा मजाक मैंने कब कहा, और कब मैं तुम लोगों के साथ घुमने गया हूं पिछले एक महिने मैं। यहां सांस लेने का टाईम नहीं है और तुम लोग मुझे मरवाने पे तुले हुए हो।”
“उनपे गुस्सा ना उतारो मुझसे बात करो। मुझे पक्का पता है की ये सच ही बोले रहे हैं। वो तो खुद तुमको समझा रहे होंगे की कभी मुझे भी कहीं बहार ले जाओ। "सिमरन ने फिर कहा।

"हां राज ये बिलकुल सही बात नहीं है, हमको तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।" अब की बार सना ने धावा बोला।
हीना भी अब राज को घूर रही थी। राज हैरान था, की ये हो क्या रहा है। तभी रोहित हसने लगा, उसके साथ सभी हसने लगे। जल्दबाजी - जल्दबाजी बोला "बस यार और कंट्रोल नहीं होता, ऐसी ऐसी हालत देख कर मुझसे नहीं रहा जाता। बस करो भाई। और खिंचाई ना करो।"
राज फिर हैरान था। "ये हो क्या रहा है, कोई मुझे बताएगा।"
"कुछ खास नहीं, बस हम सब मिलकर तुम्हारी खिंचाई कर रहे थे।" सिमरन ने हंसते हुए कहा।

"तो ये सब तुम लोग जान बूझ के कर रहे थे।" राज ने थोडी नाराज़गी से कहा।"
सबने सिर्फ मुसकुराते हुवे हामी भारी।
"ये गलत किया आज तुम सब लोगों ने, ऐसा मजाक! ये ठीक नहीं है।" राज के चेहरे पे नरजगी साफ दिख रही थी। सब चुप हो गए। सिमरन ने उसे समझाना चाहा, पर वो उसे मना कर के वहां से चला गया।
सब लोग एक दुसरे को देखते रह गए।

To be continued
in 30th part