तेरी चाहत मैं - 25 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 25

"क्या मैं अंदर आ सकती हूं न्यूटन" अलविना खूबसूरत फूल का गुलदास्ता लिए न्यूटन के कमरे के दरवाजे पे खडी थी।
“जी, आ जाइए। अब क्या किया है मैंने जो आप यहां भी आ गई। “न्यूटन ने नराज़गी से कहा।
"मुझे पता है, तुम मुझे देख कर कभी खुश नहीं होंगे, पर मैं यहां तुमसे कुछ जरूरी बात करने आई हूं।" अलविना ने काफ़ी सलाहियत से कहा।

“जी बताइये, अब क्या गलत किया मैंने। और पुलिस को आपने बहार खड़ा रखा है या कुछ देर बाद फोन करके बुलायेंगे! "न्यूटन के लेहजे मैं तंज ही तंज था।
"मैं समझ सकती हूं तुम्हारे गुस्से को, और तुम्हारा गुस्सा जायज भी है। मेरी गलती की वजह से तुमको जो तकलीफ हुई हैं उसी से मैं खुद से भी नराज हूं। "अलविना ने गुलदास्ता न्यूटन के साइड टेबल पे रखते हुए कहा।
"अछा, बड़ी जल्दी आपको आपकी गलती का एहसास हो गया, यहां मेरा पूरी मेहनत खराब हो गई, करियर पर सांवलिया निशान लग गए।"
"हम्म .. न्यूटन, अपनी गलती को कुछ हद तक मैंने सुधार लिया है। ये लो तुम्हारा एक्सटेंशन लेटर, तुम्हारे डिपार्टमेंट हेड ने एक्सटेंशन दिया है। ये शायद तुमको एहसास दिला दे की मैं सच मैं काफ़ी शर्मिंदा हूं।" अलविना ने न्यूटन को लेटर देते हुए कहा।

"क्या सच में मुझे एक्सटेंशन मिल गया है!" न्यूटन खुशी से बस इतना ही कह सका।
“हां, जब मैंने उनको जा कर अपनी गलती के बारे में बताया तो, तुम्हारा एक्सटेंशन मंजूर कर लिया। अब तुम्हारे पास एक पूरा हफ्ता है। तुम आराम से अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर सकते हैं। मेरे अगेंस एक्शन हो सकता है। लेकिन कोई नहीं, देख लुंगी वो सब” अलविना ने हल्की सी मुस्काराहाट भरे लेहजे मैं कहा।
“शुक्रिया अलविना जी, आपने जो किया है उसका मैं कभी नहीं बोलूंगा। मेरी जिंदगी मैं दोबारा जान आ गई है।"
“मेरी गलती थी जो मुझे सुधारनी थी। मैने वही किया। इसमे कोई बड़ी बात नहीं है। और जो तकलीफ तुमको हुई है उसके आगे ये कुछ नहीं है। बस हो सके तो मुझे माफ करना।”
“आपने जो मेरे लिए किया है, वो बहुत बड़ी बात है। वरना आप सब कुछ छुपा सकती थी। अब अगर आप के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन हुआ तब।”

"हम्म ... उसे छोड़ो, वो बाद की बात है। पर तुमने मेरा नाम क्यूं नहीं लिया। अगर तुम शुरू मैं मेरा नाम ले ले तो शायद ये बात इतनी बढ़ती ही नहीं। "अलविना ने जवाब दिया।
“हां, पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था, एक तो वैसा ही शुरू से कॉलेज मे मेरी और आपके संबंधित फालतू की बाते फैली थी। हमारे दिल में मैंने महसूस किया था की आप कितनी ज्यादा हर्ट हो। मेरा ऐसा करने से बात और बढ़ती। वैसा गुस्सा मुझे बहुत आया, पर अपने गुस्से के लिए मैं किसी को इतना हर्ट नहीं कर सकता। इससे आपकी और मेरी दोनो की बदनामी होती है।" न्यूटन ने मुसकुराते हुवे कहा।
“मैंने तुमको मारा, दो बार। इतना कुछ कहा, फिर भी तुमने मेरा नाम नहीं लिया, कमाल के बंदे हो तुम, न्यूटन। तुमने सच ना ​​बोल के इतना बड़ा कदम उठा लिया।” अलविना ने हैरान होते हुए कहा।

"अलविना जी, इंसान की इज्जत बड़ी चीज होती है, जिंदगी से भी ज्यादा। बस मैं अपनी या किसी भी सही इंसान की बेज्जती नहीं देख सकता।” न्यूटन ने संजीदगी से कहा।

अलविना हैरानी से न्यूटन को देख रही थी, उसे यकीन नहीं आ रहा था की कोई इंसान इतना सीधा और शरीफ भी हो सकता है। "न्यूटन तुम बहुत मासूम हो। काफ़ी जायदा सुलझे हुए इंसान हो। तुम ऐसे ही रहना। दुनिया मैं तुम्हारे जैसे लोग कम है।”
"ओह! सच मैं, वैसे आप कुछ लेंगी इज इनोसेंट से इंसान के साथ, चाय या कॉफी, देखे मेरे पास सब उपलब्ध है।" न्यूटन ने दो फ्लास्क दिखते हुए पुछा।
"हम्म... तुम्हारी मर्ज़ी जो पिला दो।" अलविना ने भी मजे से कहा।

कॉफी पीते है, रूबी आपा की हाथ की कॉफी कमाल की होती है।" न्यूटन ने कॉफी कप मैं निकलते हुए कहा।
"न्यूटन, वैसे तुमको एक बात बताना जरूरी है, ये सब जो फलतू की बातें फैलाई गई, सब कुछ विक्रम और मेरी दोस्त कोमल का करा धरा है। मेरी सबसे क्लोज फ्रेंड ने मुझे धोखा दिया, और मैं आसानी से उसकी बातो मैं आ कर इतना बड़ा कदम उठा लिया। सोचा भी नहीं।" अलविना ने कॉफी पीटे हुए कहा।
"ये विक्रम और उसके दोस्त, पता नहीं हम लोगों से क्या इश्यू है उसका।" न्यूटन ने सोचते हुए कहा।
"विक्रम और कोमल को इसका जवाब तो देना ही होगा।" अलविना ने थोड़ा गुस्से से कहा।

“नहीं अलविना, कुछ मत करना, अभी सेमेस्टर का एंड है, अगर ये बात फैली तो मेरे दोस्त बिना कुछ सोचे-समझे विक्रम के पीछे पढ़ जाएंगे। इस्से बात और बड़ी सकती है। वैसे भी डिपार्टमेंट हेड ने जब कहां है की वो छानबीन करेंगे, तो अभी रहने दो।" न्यूटन ने अलविना को शांत करते हुए कहा।
"तुम सिर्फ दुसरों की क्यों सोचते हो, अच्छा है पर अपना भी तो सोचो।" अलविना ने हेयरां होते हुए कहा।

“दूसरे नहीं, मेरे अपने हैं सब। तुम मेरे दोस्तों को अभी नहीं जानती, मेरा अपना कोई सगा नहीं है। पर मुझे कभी सगो की कमी नहीं लगाने दी है मेरे दोस्त ने।” न्यूटन ने बताया।
"हम्म... हीना से मैं मिल गई हूं। तुम पे बहुत यकीन है उसे। तुम शायद सही हो न्यूटन, जैसे अच्छे तुम हो, वैसे अच्छे तुम्हारे दोस्त हैं।" अलविना मस्कुराते हुये बोली।

न्यूटन भी अलविना की इस बात पे मुस्कुरा दिया।
“अछा मैं तुम्हारे लिए ये लैपटॉप लायी हूं। तुम्हारा लैपटॉप जो मैंने तोड दिया था। ना…” अलविना एक नया लैपटॉप न्यूटन को देते हुए बोली।
“नहीं अलविना ये क्या कर रही हो। मैं खुद ले लूंगा। मैं इतना मेंहंगा गिफ्ट नहीं ले सकता” न्यूटन ने ना करते हुए कहा।
"देखो न्यूटन, अगर तुम ये नहीं लोगे तो मैं यही समझूंगी की तुम अभी भी मुझसे नराज हो।" अलविना ने ज़बरदस्ती करते हुए कहा।
“ मैं नहीं हूं नाराज। लेकिन ये काफ़ी महंगा है। प्लीज़ अलविना समझो बात को।” न्यूटन ने समझाते हुए कहा।
"ठीक है, ठीक है। जब तुम न्यू ले लेना तब मुझे लौटना देना। अभि तो रख लो. जस्ट फॉर मी, मेरी खतिर! कृप्या!" अलविना ने फिर ज़ोर दिया।

“अच्छा ठीक है, अलविना पर एक शर्त है, मैं इसका पुरा पेमेंट करुंगा। और तुम मना नहीं करोगी।" न्यूटन लैपटॉप ले हुवे बोला।
अलविना ख़ुशी - ख़ुशी बोली "मंज़ूर है। पर अभी नहीं जब तुम ठीक हो जॉब करने लगोगे।"

न्यूटन ने सिर्फ सहमती से सर हिलाया। कुछ देर बाद अलविना वापिस चली गई और न्यूटन भी सो गया।



To be continued
in 25th Part