अगले दिन, रोहित की मेहनत रंग लायी और डेटा आखिर बच गया पर मिस्टर शर्मा की कोशिश के बावजूद, न्यूटन को एक्सटेंशन नहीं मिला। विभाग प्रमुख ने साफ इंकार कर दिया। कहां, अगर न्यूटन को एक्सटेंशन दिया गया, तो फिर सभी स्टूडेंट्स हेल्थ इश्यू के बहाने के साथ एक्सटेंशन लेने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा किसी को नहीं पता की सही मैं क्या हुआ, अगर लैपटॉप डैमेज हुआ भी है तो किसी गलती से? और वैसे भी न्यूटन आज कल स्टडीज से ज्यादा तो दुसरी बातो मैं मसरूफ है। अफवाह का बाजार यहां तक गरम था। मिस्टर शर्मा ने काफ़ी कोशिश की पर बात नहीं बनी। सब दोस्त मांयूस हो गए।
हिना परेशान सी खडी थी रोड के किनारे। कोई टैक्सी नहीं आ रही थी। ऊपर से मोबाइल भी स्विच-ऑफ हो गया था। लाइब्रेरी से निकलते हुए उसे देर हो गई थी। वो परेशान सी खडी थी की एक कार उसके पास रुकी। कार मैं अलविना थी "हाय, आप कुछ परेशान लग रही हो, क्या मैं कुछ मदद करूं?"
हिना बोली "असल मेन लाइब्रेरी से निकलते हुए देर हो गई, अब टैक्सी नहीं मिल रही। फोन भी डेड है। क्या आप मुझे अपना फोन एक कॉल करने के लिए दे सकती है। मैं किसी को बुला लेती हूं।"
अलविना बोली "क्यों नहीं, वैसा जाना कहां है आपको?" "मोती महल लॉन के पास रहती हूं मैं।" हिना ने जवाब दिया।
“ओह देखिये मैं उसी साइड जा रही हूं, आप जब तक किसी को यहां बुलायेंगी, तब तक मैं आपको सिटी मैं पहुचा दूंगी। वहां से आपको टैक्सी आसानी से मिलेगी।" अलविना ने सलाह दी। हीना भी सोचते हुए कार मैं बैठ गई और बोली "धन्यवाद, आप का नाम क्या है और क्या आप भी घर जा रही हैं?"
अलविना बोली "हां घर ही जा रही हूं, असल मैं कॉलेज के हॉस्टल मैं ही रहती हूं, वीकेंड मैं घर जाती हूं। असल मैं रोज़ के अप-डाउन मेरा टाइम वेस्ट होता है। पेरेंट्स मेरे यहां रहते नहीं, घर में अकेले बोर होने से अच्छा है हॉस्टल मेन फ्रेंड्स के साथ रहो। और माई नेम इज अलविना शाहबाज खान, डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज। "
हीना कुछ शॉक्ड सी हुई, क्योंकि न्यूटन का नाम अलविना से जुड़ा था। वो बोली “हीना ताहिर। डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट्स।"
हीना के चेहरे पर आए अजीब से हरकत अलविना से छुपा नहीं, और वो बोली "मुझको लगता है की मेरे नाम को जो कुछ वक्त से कॉलेज में उस बेगैरत लड़के के साथ जोड़ा जा रहा है, उससे हैरान हो। पर यकीन करो, कुछ नहीं हुआ। मैंने तो उसे पहले दिन ही सीधा कर दिया था, पर वो पता नहीं क्या - क्या बातें फैला रहा था!”
हीना बोली "मुझे नहीं लगता की न्यूटन ऐसा कुछ करेगा, तुमको गलत फहमी हुई है। न्यूटन तो काफ़ी सुलझा हुआ लड़का है।”
अलविना बोली "तुमको बड़ा यकिन है न्यूटन पे, जानती हो क्या उसे!"
हीना बोली "हां, मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, और मेरे साथ जो जॉब भी करता है। असल मैं हम सब दोस्त एक साथ काम करते हैं। पर उसके साथ काफ़ी बुरा हुआ है। हम सब परेशान हैं। कल रात वो फ्रस्ट्रेशन से बेहोश हो गया था। उसका प्रोजेक्ट खराब हो गया है। ऊपर से उसे एक्सटेंशन भी नहीं मिल रही। विभाग प्रमुख ने कोई मज़बूत वजह बताने के लिए कहा है। और वो कुछ बोल भी नहीं रहा। उसके रैंक पे भी असर पडेगा। हमेशा वो अच्छे ग्रेड लाता है।”
अलविना ने कार रोक दी "वो मैं सिटी पहुच चुके थे। अलविना बोली "उसके साथ जो हुआ सही हुआ, मैं समझ सकती हूं, आपको बुरा लग रहा है, क्योंकि वो आपका दोस्त है। पर ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। आपको यहां से टैक्सी आसानी से मिल जाएगी।" हीना अलविना के अंदाज का रुखापन साफ महसूस कर रही थी। वो कार से उतर के बोली "लिफ्ट का बहुत - बहुत शुक्रिया अलविना, पर मुझे अपने दोस्त पे पूरा यकिन है। वो इतनी गिरी हुई हरकत नहीं कर सकता।”
अलविना ने सुना और चली गई। हीना ने टैक्सी की और घर आग गईं। घर पे सना और उसके पापा डॉ. ताहिर उसका इंतजार कर रहे थे। सना बोली "हीना कहां रह गई थी। मैं कब से इंतजार कर रही हूं।"
“हां बेटा क्या हुआ, ये न्यूटन का सुन कर यकीन ही नहीं आता। न्यूटन ऐसा कुछ नहीं कर सकता। उसे झूठे आफवाह को दिल पे लगा लिया है।” डॉ. ताहिर परेशान होते हुए बोले।
“अंकल, अफवाह तो थी ही, उस पर से उसी का आधार बना के उसे एक्सटेंशन नहीं मिला है। वो अन्दर से टूट गया है। स्टडीज को बहुत सीरियसली लेता है।"
हीना बोली "पापा, आपके कोई संपर्क मैं ऐसा है जो कुछ कर सके। प्लीज देखिए ना!"
डॉ. ताहिर ने तसल्ली दी "बेटा मैं कल विभाग प्रमुख से मिलने जा रहा हूं, साहिल के बारे में बात करने के लिए। उसके पिता की मौत के बाद, उसकी मां ने तो अलग घर बस लिया, बस उसका खर्चा आ जाता है। पर उसके पिता मेरे करीबी दोस्त थे। ये मेरा फ़र्ज़ है।"
“चलो तुम लोग भी डिनर करके आराम करो। मैं जरा नर्सिंग होम हो के आता हूं।” डॉ ताहिर ये कहते हैं वहां से चले गए।
उनके जाने के बाद हीना ने सना को अलविना से मुल्क़ात और अपनी बातें बतायी। सना बोली "यार, मुझे लगता है की अलविना का हाथ है इसमे।"
हीना बोली "मुझको भी लग रहा है। पर न्यूटन कुछ बोल ही नहीं रहा। उसके बताए बगैर, क्या करें कुछ समज नहीं आ रहा।”
तभी फोन की रिंग ने उनकी बातों के सिलसिला को तोड़ा। सना ने फोन उठाया "नमस्ते!"
दुसरी तरफ रोहित था "सना, हीना को ले के फ़ौरन अंकल के नर्सिंग होम पहूँचो। न्यूटन ने सुसाइड अटेम्प्ट की है। "सना और हीना सुन कर एकदम घबरा गई। फिर दोनो जल्दी - जल्दी घर से निकली।
नर्सिंग होम मे न्यूटन आईसीयू मे था। रोहित, राज और अजय बाहार बैठे थे। हीना और सना भागी हुई उनके पास पहुंची। "न्यूटन कैसा है। हू ठीक अभी। क्या हुआ और कैसे हुआ।”
“उसने फांसी लगाने की कोशिश की थी। हम तीनो होस्टल में थे। हम सबने उसके मूड को हलका करने के लिए कहा की चलो बहार चलते हैं खाना खा के आते हैं। वो बोला ठीक है और नहीं चला गया। हम लोग भी बहार गार्डन मैं आ के इंतजार करने लगे। जब देर हुई तो अजय ऊपर देखने गया से दरवाजा बंद था। जब आवाज देने पर न्यूटन जवाब नहीं दिया न दरवाजा खोला, तो घर कर दरवाजा को तोड़ा तो सामने ये फैन से लटका था। अगर जरा सी भी देर होती तो…” इतना कहते हुए राज रोने लगा।
सभी दोस्त एक दूसरे को संभाल रहे थे। कुछ देर मैं रूबी और जावेद भी पहुंच गए। मेजर शेखर भी वही मौजूद थे। सभी एक दुसरे को संभाल रहे थे। तभी डॉ. ताहिर उनके पास आए और बोले "अगर जरा सी देर हो जाती तो पता नहीं क्या होता…. लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं है। 12 घंटे तक क्रिटिकल है। मैं जरा कुछ टेस्ट के परिणाम देख कर आता हूं। आप लोग अभी अंदर मत जाएं।” सब परेशान थे। रात काटने का नाम ही नहीं ले रही थी। सभी वही लॉबी मैं बैठे थे। सिमरन भी अब उनके साथ ही थी। वो राज और बाकी लोगो को सम्भल रही थी। घड़ी की सुई को तो जैसे हिलना ही बंद कर दी थीं।" सब बस घड़ी ही देख रहे थे।
अगली सुबह न्यूटन को होश आ गया। सब उसको घेरे हुए थे। पर वो अभी भी चुप था। आंखें पथरा गई थी उसकी। डॉ. ताहिर ने भी सबको कहा की अभी इस्को आराम करने दो कुछ दिन। अभी कुछ बोलना बात करना सही नहीं होगा। सब नर्सिंग होम से लौट आए, पर दिल तो उसी मैं अटका था सबका।
दिन कॉलेज मैं भी सिर्फ यही चर्चा थीं। सब न्यूटन के ही बारे में बात कर रहे थे। अलविना अपने हॉस्टल की तरफ जा रही थी। गैलरी के एक कोने से उसे कोमल की आवाज आई। वो कुछ बोलता उसे पहले ही, उसे किसी लड़के की भी आवाज आई। उसने गौर से सुना।
“देखो विक्रम, तुमने जैसे प्लान किया मैंने वैसा ही किया। तुमने न्यूटन और अलविना की झूठी न्यूज कॉलेज मैं फैला कर न्यूटन और उसके दोस्त को मजा चखा दिया। मैने तुम्हारे कहने पे अलविना के कान भरे। और उसने तुम्हारा काम कर दिया। अभी तक किसी को शक भी नहीं हुआ है। पर अगर न्यूटन को कुछ हुआ तो क्या करेंगे।” कोमल कुछ परेशान लेहजे मैं बोली।
विक्रम ने कोमल को समझया “अरे तुम परेशान ना हो, मैं सब संभल लुंगा। मजा आ गया है। अजय और उसके दोस्त को तकलीफ दे के मुझे बड़ा मजा आया। लेकिन तुम्हारी दोस्त का भी धन्यवाद करने का दिल कर रहा है। जो बिना सच को परखे न्यूटन को ही गलत मान बैठी। न्यूटन तो बिलकुल सीधा साधा गधा है।"
ये सुन दोनो हसने लगे और आगे बढ़ गए। उन्हें अलविना की मौजुदगी का एहसास भी नहीं हुआ।
अलविना को अपने कानों पर यकिन भी नहीं हुआ! वो कितनी आसानी से इतने बड़े प्लान का मोहरा बनी थी। उसे अपने सबसे करीबी दोस्त कोमल उसे धोखा किया था। उसे याद आया की कल किसी ने कहा था की न्यूटन ऐसा कुछ नहीं कर सकता। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करें। उसकी आंखों से अफसोस के आंसू टपकने लगे। वो अपने रूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। वो न्यूटन के बारे में सोचने लगी। उसने क्या कर दिया। सबसे ज्यादा दुख और नुखसान उसी को हुआ है। उसकी कुछ समाझ मे नहीं आया तो उसे अपनी माँ को फोन किया "माँ, मुझसे बड़ी गलती हो गई है।" "क्या हो गया बेटा" दुसरी तरफ से उसकी माँ ने पुछा। जवाब मैं अलविना ने सब बता दिया। वो बता रही थी और रो रही थी।
तब उसकी माँ ने उसे समझाया "देखो बेटा, आपसे गलती हुई है, जिसकी साजा कोई दुसरा उठा रहा है। जाने मैं ही सही आपसे भूल बहुत बड़ी हुई है। बेटा हम चाहते हैं की आप इसे अपने हिसाब से इसे सुधारिये। बस इसका ध्यान रखियेगा की उस लड़के को और परेशानी ना उठानी पड़े। अब चुप हो जाओ और सब सही करो। तुम एक अच्छी बच्ची हो और हमको यकीन है की तुम सब सही करोगी।”
अपनी माँ की सलाह ने अलविना पे जादू का असर किया। वो चुप हो गई और सोचने लगी। फिर एक फैसला ले कर अपने रूम से फाइन आर्ट्स सेक्शन की तरह चल दी। कुछ देर बाद वो विभाग प्रमुख को सब कुछ बता चुकी थी। विभाग प्रमुख ने गुस्से से बोले "आपको पता है जो गलती आपने की है उसका कितना बड़ा असर हुआ है। न्यूटन ने सुसाइड करने की कोशिश कर डाली है। अगर आपने खुद ये सब करने के बजाय कॉलेज मैनेजमेंट से बात की होती तो ऐसा मसाला नहीं होता।”
अलविना ने सर झूका के कहा "मुझ से गल्ती हुई है। आप कोई भी एक्शन ले लिजिये। पर आप न्यूटन को एक्सटेंशन दे दिजिये।”
विभाग प्रमुख बोले “अगर मैंने एक्शन लिया तो आपका साल खराब होगा। फाइनल सेमेस्टर है आपका भी। और जो कुछ आपने बताया है अगर वो सही है तो आप भी कहीं ना कही यह अंजाने में ये कर बैठी । मुझे न्यूटन पे गुस्सा सिर्फ उसकी झूठी गॉसिप्स के लिए था, वो इतना लपरवाह हो गया हैं की... खैर मैं अपने लेवल पे इस पूरे मामले पर गौर करुंगा। मुझे न्यूटन के एक्सटेंशन का पत्र भी बात करनी है।”
"सर क्या वो लेटर आप मुझे दे सकते हैं?" अलविना ने रिक्वेस्ट की।
"ओह क्यों? माफी मांगनी है उसे?" विभाग प्रमुख ने टाइप करते हुए पूछा।
“माफ़ी का सवाल है ही कहां। इतनी बड़ी गल्ती के बाद। बस मैं ये चाहती हूं की मेरी वजह से न्यूटन को जो परेशानी हुई है। शायद इस लेटर से मैं उसे थोड़ी सी खुशी दे दूं। "अलविना ने धीरे से कहा।
"ठीक है, न्यूटन अभी नर्सिंग होम मैं ही है, लाइफ-लाइन नर्सिंग होम। तुम लेटर वही दे देना उसे।" विभाग प्रमुख मुसकुराते हुवे बोले।
"थैंक यू सर ! आपका बहुत - बहुत शुक्रिया, सर ”अलविना बस यही कह पाई।
To be continued
in 25th part