Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 20 Poonam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 20

दोनो ने साथ में लंच किया और उसी वक्त अनिका ने अभय को अपने पेरेंट्स और हाफ सिस्टर के बारे में बताया।

"मेरी मॉम ने मेरे स्टेपडैड से जब शादी की थी तब मैं सात साल की थी। मेरे पापा के इंडिया में एक्सीडेंट में मरने के तकरीबन एक साल बाद उन्होंने शादी की थी।

"समझा।"

"नही। ऐसा नही जैसा की दिख रहा है। वोह सच में किसी से शादी नही करने चाहती थी। मुझे लगता है, की वोह बस हो गया। मेरे स्टेपडैड मेरी मॉम के साथ उसी हॉस्पिटल में कोलीग थे। उन्होंने मुझे बताया था की वोह मेरी मॉम से उसी पल प्यार करने लगे थे जब उन्होंने होस्पिटाओ में उन्हे पहली बार देखा था। पर मेरी मॉम ने मेरे पापा से शादी कर ली थी और फिर उन्होंने उन्हे भुला दिया था। पर जब मेरे पापा की डेथ हुई थी तो मेरी मॉम बुरी तरह बिखर गई थी, टूट गई थी। मेरे स्टेपडैड ने ही उन्हे शोक से बाहर निकाला था और अपने साथ उन्हे सैन फ्रांसिस्को ले गए।"

"तुम उन दोनो से बहुत क्लोज हो," अभय ने कहा।

"हां, बहुत क्लोज। हम एक दूसरे की नर्व्स तक पकड़ लेते हैं, और एक भी दिन ऐसा नही बीतता जब हम एक दूसरे से बात नही करे।"

अभय की भौंहे सिकुड़ गई। "यहां आने के बाद क्या तुमने उनसे बात की है?"

अनिका कुछ पल के लिए ही बस हिचकिचाई। "हां, दो बार बस।" उसने झूठ बोला। "मैने उन्हे यहां आने के लिए कहा था और वोह लोग बहुत एक्साइटेड हो गए सुन कर।"

अभय चुप रहा।

"मेरे पेरेंट्स क्रूज पर हैं अगले महीने तक। एंड मायरा.....उसका कॉलेज में अगले महीने से छुट्टियां पड़ रही हैं। शायद तब फिर हमसे मिलने आए।"

अभय का चेहरा अब रिलैक्स्ड लगने लगा।

"और तुम्हारे फ्रेंड्स?" अभयबने पूछा। "तुम्हारे तोह कई सारे फ्रेंड्स रहें होंगे ना सैन फ्रांसिस्को मे?"

"नही। बहुत तोह नही। कुछ हीं हैं जो कॉलेज में मेरे दोस्त बने थे और एक मेरे बचपन का बहुत ही अच्छा दोस्त है।" अनिका ने नाथन के बारे में बताया।

"तुम्हारे बचपन में और दोस्त क्यों नही बने थे?"

अनिका ने कंधे उच्चका दिए। "लगभग बारह साल की उम्र तक मुझे हकलाने की प्रॉब्लम थी। बच्चे मेरा बहुत मज़ाक बनाते थे, और ज्यादा तर बच्चे मुझसे बात करना, मेरे साथ खेलना नही चाहते थे। सिर्फ एक नाथन ही था जो मेरे से बात करता था और मेरे साथ खेलता भी था। वोह मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया था।"

अभय का चेहरा गुस्से में दिखने लगा।

अनिका मुस्कुराई। वोह अपना हाथ उठा कर अभय के माथे पर गुस्से से बनी लकीरों पर फेरने लगी। "हे, यह बहुत पुरानी बात है। बच्चे कभी कभी करते हैं ऐसी हरकत, वोह शरारती होतें हैं। पर मुझे खुशी है जितने फ्रेंड्स मैने बनाए हैं वोह अब तक मुझसे जुड़े हुएं हैं।"

अभय सिर हिला दिया।

वोह दोनो डाइनिंग टेबल पर से उठे और वापिस बेडरूम की ओर चले गए। अभय बैड के सिरहाने से पीठ लगा कर बैठ गया। अभय ने अनिका की कमर में हाथ डाल कर उसे करीब अपने पास ही लेटा लिया। वोह बैडरूम की खिड़की से झील का नज़ारा देख रहे थे।
अनिका ने अभय से पूछा की उसे कैसा लगा था अपनी दादी से दूर रह कर रहने में जो की अभय के ब्लड रिलेशन में इकलौती रिश्ते में बची थी।

"बहुत मुश्किल था," अभय ने माना। "हर बार जब भी मैं छुट्टियों में वापस आता था तोह देखता था की दादी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। उस झगड़े की वजह से कई और दंगे भी बढ़ चुके थे। मेरी दादी सिर्फ शांति बनाए रखने की ही कोशिश नही करती थी बल्कि अपने लोगों के बेहतर जीवन को सुधारने की कोशिश भी करती थी।"

अनिका को देवसेना और भी ज्यादा लुभाने लगी थी। "उनको तो लोहे जैसी हिम्मत और सब्र रखना पड़ता होगा।"

"हां, बहुत हिम्मत थी। जब मैं उनकी मदद करने के लायक भी हो गया तब भी वोह मुझे एक बार भी नही कहती थी की मैं उनकी मदद करूं। वोह हमेशा मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करने और देव की पढ़ाई पूरी होने तक का इंतजार करने को कहती थी।"

"क्या बहुत मुश्किल था?" अनिका ने सॉफ्टली पूछा। "जब तुम वापिस आए तोह एक अलग ही दुनिया, अलग ही परिस्थितियां से सामना हुआ?"

अभय चुप रहा।

"हां," कुछ देर बाद अभय बोला। "मेरी दादी को कुछ समय पहले से ही पता था की वोह मरने वाली हैं। पर उन्होंने आखरी वक्त तक हमें पता नही चलने दिया। मैं उस वक्त बहुत गुस्से में था, उलझन में था, और परेशान था।"

अनिका ने अपनी कमर पर रखा अभय का हाथ हल्का सा दबा दिया उसे आश्वस्त करने के लिए।

"जब हम वापिस आए उसके तीन महीने बाद मेरी दादी हमे छोड़ कर चली गई। उन्होंने मुझे कई बार कहा था की उन्हे मुझ पर पूरा भरोसा है की मैं सिंघम एस्टेट को अच्छे से चला पाऊंगा और साथ ही अपने लोगों का अच्छे से ध्यान रख पाऊंगा। पर मैं श्योर नही था।"

अनिका का दिल अभय के लिए भर आया यह सोच कर की उसे उस वक्त कैसा लगा होगा जब वोह अपनी दादी के जाने का शोक मना रहा होगा और उसी वक्त साथ साथ ही उसके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी डाल दी गई होगी।

"जब तुमने सब संभाला तो लोगों ने कैसे रिएक्ट किया?" अनिका ने पूछा।

"नॉट गुड," अभय याद करते हुए हलका हँस पड़ा। "मैने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के प्रॉफिट बढ़ाए, बिना पानी के उगाने वाली फसलों की पैदावार बढ़ाई, और लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए जो जो कर सकता था वोह किया। पर इन सब में मुझे तकरीबन दो साल लग गया अपने लोगों को यह यकीन दिलाने में की मैं इस एस्टेट को अच्छे से संभाल सकता हूं। और यह तब हुआ जब मैने उस हिंसक प्रजापति को गोली मारी जिसने पहले हम पर अटैक किया था।"

अनिका ध्यान से सुन रही थी अभय की बातों को जो उसे यह कह रहा था की वोह पहले हिंसा के खिलाफ था, पर जब प्रजापति उसका इस बात का फायदा उठाने लगे और बार बार अटैक करने लगे, तोह अभय को भी हिंसक होना पड़ा।

"और देव, देव का क्या? उसने कैसे यहां आना एडजस्ट किया और हिंसा को हैंडल किया?"

अभय ने देव का मज़ाक उड़ाते हुए कहा। "पानी के लिए एक बतख की तरह, जिसे पानी में जाना नही पसंद। देव प्रजापतियों से बहुत ही ज्यादा नफरत करता है और वोह तोह उनका नमो निशान इस दुनिया से ही मिटाना चाहता है। कितनी बार मैंने उसे मुश्किलों से निकाला है और बचा कर रखा है।"

अनिका की भौंहे सिकुड़ गई। "पर वोह तोह मेरे साथ बहुत फ्रेंडली बिहेव करता है।"

"जनता हूं। और इस बात से मैं भी सरप्राइज्ड हूं।"

अभय ने उसे एस्टेट में ही न्यू यूनिट्स के कंस्ट्रक्शन के बारे में बताया जिससे देव प्रजापति और सिंघम के लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा बिज़ी रहेगा।

बाहर अंधेरा होने चला था।

"क्या हमे अब जाना होगा?" अनिका ने प्यार से पूछा।

"हां," अभय ने अपने चेहरे पर पछतावा लिए कहा। "यहां ज्यादा देर रुकना सेफ नहीं है। पर मैं वादा करता हूं, जब भी तुम चाहो हम यहां वापिस आ जायेंगे।"

अनिका मुस्कुरा गई। "तोह मैं तुम्हारा यह ऑफर जल्द ही एक्सेप्ट कर लूंगी," अनिका ने कहा।

दोनो ने सारा सामान पैक किया और वहां से निकल गए। फिर वापिस अपने घर आ गए।

******

अनिका अपने क्लिनिक में थी और अपने कंप्यूटर पर कुछ इनफॉर्मेशन चैक कर रही थी, जब उसका फोन बजा। उसने फोन उठाया और उसके चेहरे पर एक सिली स्माइल आ गई।

"आज रात, मैं तुम्हे डिनर पर ले जा रहा हूं। छः बजे तक रेडी रहना।"

एक महीने या उससे भी पहले, अगर अभय ने इस टोन में कहा होता, तोह अनिका सच में डर जाती या घबरा जाती। पर इतने अभय के साथ रह कर उसके बारे में अच्छे से जानने के बाद, वोह यह बात एक्सेप्ट कर चुकी थी की अभय एक स्वीटली रोमांटिक टाइप इंसान नही है जो उसके लिए पोएट्री फॉर्म में बात करे या फूलों का गुलदस्ता लाए। वैसे भी किसी कारण से वोह हमेशा ही एक ऐसे इंसान से शादी करना चाहती थी जो थोड़ा सेंसिबल हो, जो अपनी फीलिंग्स दुनिया के सामने शो करने से डरता नही हो। पर सरप्राइजिंगली, अनिका अभय के प्राइवेट में फीलिंग्स शो करने के तरीके से भी बहुत खुश थी।

"हैलो, टू यू टू, मिस्टर सिंघम। मुझे डिनर पर कहां लेकर जा रहे हैं?"

"शहर में। वहां एक बहुत अच्छा रेस्टोरेंट है, और मैं श्योर हूं की तुम एंजॉय करेगी।"

अनिका के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। यह पहली बार था जब वो शादी के बात सिंघम एस्टेट से बाहर जा रही थी।
"ओके। मैं देखती हूं की मेरे पास जो कपड़े हैं उसमे से मैं क्या पहनूं।"

"ठीक छह बजे, या फिर मैं तुम्हे टॉवल में ही ले जाऊंगा या जो भी तुमने पहना होगा उस समय।"

अनिका हँसने लगी। "ओके ओके। मैं तैयार रहूंगी। मिस्टर रोमैंटिक।"

एक पल के लिए अभय कुछ नही बोला, बिलकुल चुप रहा।
"शायद मैं यहीं चाहूंगा कि तुम छह बजे टॉवल में ही रहो," अभय ने मदहोशी भरी टोन में कहा।

अनिका फिर से हँसने लगी। कुछ हफ्ते पहले, जबसे उसने वर्जिनिटी खोई थी लेकहाउस में, बिलकुल ऐसा लगता था जैसे डैम का गेट हमेशा ही खुला रहता था। अभय अपना हाथ उससे दूर रख ही नही पता था जब भी वोह घर आता था।

बल्कि अनिका भी ऐसा ही महसूस करती थी। पर आई अलग बात यह थी की अभय अपने मैराथन में ब्रेक लगा कर उसे डिनर पर ले जाना चाहता था जिससे अनिका का दिल उसके लिए और पिघलने लगा था।
"मैं तुम्हारा नीचे इंतजार करूंगी, मिस्टर सिंघम। तुम्हे मुझे डेट पर ले जाने के लिए दरवाज़े से पिक करना होगा, बेडरूम से नही।"

"वोह हम देख लेंगे—" अभय बोलते बोलते बीच में रुक गया, और अनिका को किसी और आदमी की आवाज़ आने लगी जो अभय से बात करने लगा था। अनिका को कुछ क्लियरली नही सुनाई पड़ रहा था, पर इतना समझ आ रहा था की कुछ इंपोर्टेंट और अर्जेंट बात है।
"अनिका, मुझे जाना होगा। मैं जल्दी घर आ जाऊंगा। बाय।" अभय ने बिना अनिका का कोई जवाब सुने तुरंत कॉल कट कर दिया।

फोन को वापिस टेबल पर रख कर अनिका वो ही काम दुबारा करने लगी जो वोह कॉल आन से पहले कर रही थी। हालांकि इस बार उस के मन में एक्साइटमेंट जाग गई थी उसकी शाम को होने वाली डेट के लिए, जिसकी वजह से वोह अब अपना काम जल्दी जल्दी कर रही थी।

उसके कंप्यूटर में बीप का साउंड आया, और वोह अपना चेहरा उठा का स्क्रीन की ओर ध्यान से देखने लगी।

अजनबी: सब ठीक है।

अजनबी: एहतियात के तौर पर जाल से बाहर निकल रहा हूं।

अनिका ने एक गहरी सांस ली। उसकी जिंदगी आखिरकार रुख बदल रही थी।


«»«»«»«»«»

दो घंटे बार और छह बजने से एक्जेक्टली आधे घंटे पहले, अनिका अभी भी अपने कपड़ो में उलझी हुई थी की वोह अभय के साथ डेट पर क्या पहन कर जाए।

इससे पहले वोह कभी भी किसी प्रॉपर डेट पर नही गई थी। हां यह जरूर था की वोह फ्रेंड्स के साथ या जानने वालों के साथ फ्रेंडली डिनर पर गई थी, पर रोमैंटिक डेट पर कभी नही। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वोह अभय को सेड्यूस करने टाइप कोई ड्रेस पहने या कोई कैजुअल ड्रेस यूं ही पहन ले। अभय ने उसे ज्यादा इनफॉर्मेशन नही दी थी की वोह जगह किस तरह की है। 'तुम एंजॉय करेगी' के अलावा अनिका को बस इतना ही पता था की वोह जगह शहर में है, और कुछ नही।

अगर वोह किसी फैंसी जगह जा रहें हैं तो जींस पहन का जाना अंडरड्रेस हो जायेगा। और अगर कोई सिंपल जगह हुई जहां का खाना बहुत स्वाद होता है और इसलिए वहां जा रहें हैं तो कॉकटेल ड्रेस ओवरड्रेस हो जायेगा। तो अंदाज़ा लगाते हुए अनिका ने बीच का रास्ता चुना, उसने एंकल लेंथ की एक स्कर्ट निकाली और उसके साथ एथनिक वर्क का एक टॉप। यह ड्रेस न ज्यादा ड्रेसी था और ना ज्यादा कैजुअल।

घर के सभी लोग उसे देख कर एक्साइटेड हो गए जब वोह सीढ़ियों से नीचे उतरती हुई दिखाई दी। मालिनी ने तोह एक छोटी सी सिटी भी बजा दी अनिका की तारीफ में। अनिका मुस्कुरा उठी जब सब लोगों से उसे तारीफ सुनने को मिली और सबके चहकते हुए और मुस्कुराते हुए चेहरे देखने को मिले। सिर्फ एक ही शख्स था जो अपनी भौंहे चढ़ा कर खड़ा था वोह था उसका पति।

जैसे ही अनिका सीढ़ियों से नीचे उतरी, अभय उसकी तरफ आ के उसपर झुकते हुए कहने लगा, "मैं पहले ही इस डेट पर जाने के लिए पछता रहा हूं। इससे अच्छा तोह हम अपने कमरे में ही रहते रात भर।"

अनिका ने भी अपनी एक भौंहे उठाई। "मिस्टर सिंघम तुमने मुझसे वादा किया था की डेट पर ले कर जा रहे हो, और मैं तुम्हे तुम्हारा वादा याद दिला रही हूं।"

अभय ने अपनी नज़रे उसके चेहरे से हटा कर उसके पूरे शरीर पर घुमाई। "यू लुक.....नाइट।"

"ओह, थैंक यू, तुम भी बुरे नही लग रहे हो।" अनिका हंस पड़ी, उसने रियलाइज किया की यह अभय का ही तरीका है कॉम्प्लीमेंट देने का।

अभय उसे एक चमचमाती हुई सिडान स्पोर्ट्स कार की तरफ ले गया।

"तुम खुद कार चला कर ले जाओगे?" अभय हमेशा अपने साथ ड्राइवर और बॉडीगार्ड रखता था कहीं भी बाहर जाने के लिए।

"इट्स अ डेट," अभय ने यूहीं कहा और अनिका को पैसेंजर सीट पर बिठा कर खुद दूसरी साइड आ गया ड्राइविंग सीट पर बैठने के लिए।

अनिका मुस्कुराई और अभय की थाईज पर अपनी हथेली रगड़ने लगी।

"मैं बहुत मुश्किल से बस एक धागे की तरह ही लटका हुआ हूं। अगर तुम मुझे इस तरह से छुओगी तोह मैं एक पल नही लगाऊंगा तुम्हे अपनी बाहों में खींचने में और गाड़ी में ही शुरू हो जाऊंगा और बाहर हमारे सिक्योरिटी यह सोचेंगे की अंदर क्या हो रहा है।"

"ओके। नो टचिंग, जब तुम ड्राइव कर रहे हो तोह। मैं समझ गई।" अनिका ज़ोर से हँस पड़ी, खिड़की से चार गाडियां उनको फॉलो कर आती हुई देख कर।

"अपने हाथों को अपने तक रखो, डॉक्टर सिंघम। हम यह तब शुरू करेंगे, जब हम घर वापिस आ जायेंगे।"

"या फिर हम जहां जा रहें हैं वहीं रात बिताए?"

"नही। यह सेफ नहीं है।"

"समझी।"

अभय ने पलट कर अनिका की तरफ देखा जहां उसे उसके चेहरे पर निराशा दिख रही थी। "मैं जानता हूं, तुम इस डेट को उसी तरह से एंड करना चाहती हो जैसा की हम दोनो चाहते हैं, अनिका, पर मैं तुम्हारी सिक्योरिटी से कोई रिस्क नहीं ले सकता।"

अनिका ने लंबी सांस ली। "आई अंडरस्टैंड।" अनिका थोड़ी झुकी और अभय के गाल पर किस कर लिया। "क्या तुम मुझे बताओगे की हम जा कहां रहें हैं?"

"अ सर्प्राइज।"

अनिका अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लिए चुप हो गई।

जब अनिका कूचे देर तक कुछ नही बोली तो अभय उसकी तरह एक झलक देखने के लिए मुड़ गया। "तुम मेरी तरफ इस तरह से क्यूं देख रही हो?"

"क्योंकि मुझे पूरा हक है ऐसा करने का। तुम मेरे पति हो, और मुझे लगता है की तुम...क्यूट लग रहे हो।"

"क्यूट?"

"हां, मुझे तुम कभी कभी क्यूट भी लगते हो, मिस्टर सिंघम।" अनिका ज़ोर ज़ोर से हँस पड़ी अभय के चेहरे के भाव देख कर।

******

दो घंटे बाद, वोह दोनो एक आलीशान से हॉटल के एंट्रेंस पर पहुंच चुके थे। अभय ने अनिका की साइड का गाड़ी का दरवाज़ा खोला और अनिका बाहर आ गई। अभय ने अनिका की कमर पर हाथ रखा, उसे करीब खींचा और उसे साथ लिए हॉटल के एंट्री से होते हुए अंदर जाने लगा। मैनेजर ने उनकी टेबल तक गाइड किया जो पहले से ही रिजर्व थी। वोह अपनी सीट पर बैठने ही वाले थे की, अनिका ने किसी आदमी की आवाज़ सुनी, "मिस्टर सिंघम।"

"डॉक्टर मनी," अभय ने पलटते हुए अनिका को भी अपने पास कर लिया।

"गुड टू सी यू, मिस्टर सिंघम। व्हाट अ प्लेसेंट सर्प्राइज।" वोह आदमी चालीस साल की उम्र के आसपास का लग रहा था।

"अनिका, दिस इस डॉक्टर मनी। डॉक्टर मनी, दिस इस माय वाइफ।" अभय ने प्यार से स्माइल करते हुए कहा।

"ओह डॉक्टर सिंघम। आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। मिस्टर सिंघम और मैने डिस्कस किया था की आपके ऑनलाइन ट्रीटमेंट मॉडल को और कैसे आगे बढ़ाया जाए। इतने कम समय में आपने बहुत अच्छा काम किया है।"

अनिका तोह सर्प्राइज ही हो गई की अभय ने उसके काम को किसी और के साथ डिस्कस किया था और उसे कंसीडर भी किया नेगलेक्ट नही। "थैंक यू। जो भी मदद मिल सके हम उसे जरूर यूज कर सकेंगे।"

"बिलकुल!" डॉक्टर मनी ने कहा। "मैं आप लोगों का ज्यादा वक्त नहीं लूंगा। प्लीज़ कंटिन्यू।"

"थैंक यू।" अनिका ने डॉक्टर मनी से हाथ मिलाया और अभय के साथ वापिस अपनी सीट पर आ गई।

"मुझे बहुत भूख लगी है। क्या अच्छा मिलता है यहां?" अनिका ने बेसब्री से पूछा और मेन्यू देखने लगी।

"पहले ड्रिंक लेते हैं," अभय ने कहा और ड्रिंक मेन्यू अनिका के आगे कर दिया।

"ओह, आप मुझे नशा कराने की कोशिश कर रहें हैं मिस्टर सिंघम।" अनिका ने संकोच करते हुए पूछा।

अभय मुस्कुराया। "शायद।"

अनिका हँसने लगी और मेन्यू चैक करने लगी। जब अनिका ने मेन्यू में से डिसाइड कर लिया की उसे क्या पीना है तोह उसने नज़रे उठा कर अभय की तरफ देखा और पाया की अभय उसे परेशान नज़रों से देख रहा है।

अनिका के माथे पर लकीरे बन गई जब उसने यह रियलाइज किया की अभय उसकी ओर नही बल्कि उसके पीछे कुछ देख रहा है। उसने पीछे मुड़ कर देखा और पाया की रवि एंट्रेंस पर खड़ा था और अभय को कुछ इशारे कर रहा था।

"हमे यहां से जाना होगा, अभी," अभय ने कहा, तुरंत खड़ा हो गया, और अनिका को भी उसकी बांह पकड़ कर खड़ा कर लिया।

"अभय, क्या सब ठीक है?"

"नो, हमे इस जगह से बाहर निकलना है।" अभय उसे एंट्रेंस गेट से ना ले जा कर पीछे की तरफ के दरवाज़े पर ले गया।

"तुम्हारी कार?"

"बस चलती रहो।" अभय ने उसे उसकी हील्स में ही लगभग भगाते हुए कहा।

अनिका को कुछ समझ नही आ रहा था की यहां हो क्या रहा है पर अभय के परेशान चेहरे को देख कर वोह बस अभय को फॉलो करती जा रही थी। वोह किचन के रास्ते होते हुए जा रहे थे और रवि उन्हे फॉलो कर रहा था।

"वोह कहां है?" अभय ने अपनी कड़कती आवाज़ में पूछा।

"ठीक दरवाज़े के बाहर।"

"मेरी कार भी यहीं ले आओ।" अभय ने अपनी गाड़ी की चाबी रवि की तरफ उछाली और फिर से अनिका का हाथ पकड़ लिया और अपने करीब कर लिया। अभय ने डबल डोर को धक्का देते हुए खोला, तोह जितने भी लोग अभय के साथ सिक्योरिटी के तौर पर फॉलो करते हुए आए थे वोह सभी दरवाज़े के बाहर खड़े थे।

"मेरी वाइफ को किसने धमकाया?" अभय ने धीरे से आदेशात्मक लहज़े में पूछा, वोह चलते हुए अपने आदमियों के बीच आ गया। अनिका ने देखा की जैसे ही उनके आदमी हटे, एक आदमी घुटनो के बल बैठा हुआ था, रस्सी से बांध हुआ और बुरी तरह मारा गया था।

"सिंघम, प्लीज।" उस आदमी की आवाज़ इतनी धीरे थी की शायद किसी को सुनाई दे रही हो।

"किसने तुम्हे भेजा है?" अभय ने फिर पूछा।

उस आदमी ने ना में सिर हिला दिया।

"आखरी चांस। उसका नाम बताओ।"

वोह आदमी अभी भी अपना सिर हिला रहा था।

"कौन?" अभय ने ज़ोर से उस आदमी के पेट पर लात मारी।

वोह आदमी चिल्लाया और फिर खांसने लगा पर कुछ बोला नहीं।

रवि ने एक बड़ा सा चाकू अभय के हाथ में पकड़ा दिया। "कौन?"

उस घायल आदमी के चेहरे पर घबराहट और डर साफ दिख रहा था पर वोह अभी भी अपना सिर ना में ही हिला रहा था। "अगर मैने बता दिया, तोह भी तुम लोग मुझे मार दोगे।"

"तुम्हारी मौत सबको यह याद दिलाएगी की जो भी मेरी वाइफ को चोट पहुंचाने की सोचेगा भी उसका हश्र यही होगा।" अभय ने गरजते हुए कहा और चाकू से उस आदमी के गले पर चला दी।

अनिका हांफ गई अपने सामने खूनी दृश्य देख कर पर अपनी जगह से एक इंच भी हिला नही। अनिका ने अभय की तरफ देखा जो उस आदमी की लाश को लात मारते हुए उसे अपने से दूर कर रहा था और फिर वोह भी अनिका की तरफ देखने लगा। अभय बिलकुल वैसे ही उसे देख रहा था जैसे की वोह उसे हमेशा देखता था। जबकि अनिका ने अभय को दो बार किसी को मारते हुए देखा था, और दोनो बार अभय के चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं आया था। अभय एक कोल्ड मॉन्स्टर की तरह था, जिसके, किसी की जान लेते वक्त, चेहरे पर कोई सॉफ्ट इमोशन नही दिखते थे।

"लेट्स गो," अभय ने अपने हाथों पर से लगा खून एक कपड़े से साफ करते हुए कहा।

उनकी गाड़ी वहीं आ चुकी थी और बिना एक शब्द कहे दोनो गाड़ी ने बैठ गए। अनिका अभय को देख रही थी गाड़ी चलाते हुए। अभय के जबड़े कसे हुए थे और गाड़ी में एकदम तनावपूर्ण शांति थी।

धीरे से अनिका ने अपनी सीट बेल्ट लूज की और अभय की तरफ झुक गई। उसने अभय के गाल पर प्यार से किस किया और उसके जांघ पर अपना हाथ रख दिया। बाकी का रास्ता अनिका ने अभय के कंधे पर सिर रख कर तै किया और अभय चुपचाप गाड़ी चलाता रहा।

सिर्फ एक ही विचार उस पूरी रात अनिका के दिमाग में बार बार घूमता रहा।

अभय शायद एक मॉन्स्टर हो, पर वोह उसका मॉन्स्टर है और वोह उससे बहुत प्यार करती है...

«»«»«»«»«»

अगले कुछ दिनो में ही, अभय ने सिक्योरिटी और टाइट कर दी थी। उसने आपने एस्टेट के लोगों को भी यह ऑर्डर पास कर दिया था की अगर कुछ भी अजीब और संदेहजनक लगे तो उस पर नज़र रखें। अनिका ने अभय को और किसी भी डेट पर सिटी से बाहर जाने के लिए ज़िद्द नही की, बल्कि एस्टेट में ही वोह खाना पैक कर के ले जाते थे। उनके लेक हाउस के अलावा, यहां और भी कई शांत और खूबसूरत जगह थी जहां पर वोह दोनो अकेले में समय बिता सकते थे और खुल कर एक दूसरे से बात कर सकते थे।

अनिका हर शाम अभय का इंतजार करते वक्त देवसेना की जर्नल्स पढ़ती थी।

"एक माँ होने के नाते, मैं अपने बेटे की इच्छा को स्वीकारती हूं की वोह परंपरा के विरुद्ध जा कर अपने दिल की सुने। पर आज, एक औरत होने के नाते, मुझे अपने बेटे पर गर्व है, की उसने नियमों के विरुद्ध जा कर उससे शादी की जिससे वोह प्यार करता है, जबकि उसे मालूम था की आगे क्या होने वाला है।"

देवसेना की आंखों से अनिका ने अरुंधती सिंघम और विजय सिंघम की शादी देखी, और वोह हिंसा भी जो उनकी शादी के दौरान हुई थी। अनिका का दिल भी अरुंधती के साथ ही टूट गया जब उनकी शादी के दौरान अभिमन्यु सिंघम को मार दिया गया था।

उसने यह भी पढ़ा की कैसे देवसेना ने विजय सिंघम से वादा लिया की वोह अपनी प्रेगनेंट वाइफ को सिंघम एस्टेट से ले जाए बल्कि किसी दूसरे ही देश में ले जाए।

देवसेना ने अगले दस साल के बार में लिखा की, प्रजापतियों ने नीलांबरी का बदला लेने के लिए अपने अंदर दुश्मनी पाली रखी। वोह बार बार, कई बार सिंघम पर अटैक करते रहे जिसमे पहले तो सिंघम अपना बचाव करते थे पर बाद में वोह भी पलट कर अटैक करने में बराबर भागीदार हो गए।

वोह जितना हो सके उतना अपने लोगों को शांत रखने की कोशिश करती थी, पर फिर भी कुछ लोगों को लगता था की उन्हे अपने सिंगम्स की गरिमा बनाए रखने के लिए कुछ ना कुछ तोह करना चाहिए।

देवसेना की जर्नल उस दिन खतम हो गई जिसके अगले दिन मंदिर में वोह हत्या कांड हुआ था, जिसमे अभय के पेरेंट्स और अनिका के पिता मारे गए थे।

देवसेना की जर्नल की आखरी एंट्री थी— "आज वोह दिन है, जब मेरे अजय की बरसो पुरानी इच्छा पूरी हो जायेगी।"

यह वोह दिन था जब प्रजापति और सिंघम मिलने वाले थे अजय सिंघम और नीलांबरी प्रजापति के बीच शादी के प्रस्ताव के लिए।

अनिका दुखी हो गई थी और फिर बरसो पहले जो हुआ उस के बारे में सोच सोच कर अपने आप को बेवकूफ महसूस करने लगी। अभय ने कई तरह से उसका ध्यान भटकाने की कोशिश की थी। वोह कभी उसके साथ पैशनेट लव करता तोह कभी स्वीट लव, पर हमेशा ही वोह उसे और चाहने की और उसे दुलार महसूस कराते हुए ही खतम करता। उसने उसे हर तरीके से यह भरोसा दिला दिया था की हमारे परिवार के बरसो पुरानी दुश्मनी को वोह अपने रिश्ते में कभी आने नही देगा।

अनिका जानती थी की अभय सही कह रहा है, और उसे दृणता से अपनी और अभय की खुशियों को ढूंढना चाहिए और अपनी शादी पर काम करना चाहिए सिर्फ इसलिए नही की देवसेना ऐसा चाहती थी, बल्कि इसलिए की वोह खुद अभय सिंघम से प्यार करने लगी थी।


















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कहानी अभी जारी है
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