Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 9 books and stories free download online pdf in Hindi

Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 9

तेज़ तेज़ मंत्रों का उच्चारण हवाओं में गूंज रहा था। बहुत सारे पुजारी सुंदर से सजे हुए स्टेज पर अग्नि कुंड के इर्द गिर्द बैठ कर शादी की सभी रीति रिवाजों को अंजाम दे रहे थे। हजारों की संख्या में खूबसूरत कपड़े पहने आदमी और औरतें इस शादी के साक्षी बनने यहां एकत्रित हुए थे।

जैसे जैसे शादी की रस्में आगे बढ़ी, दूल्हे की तरफ से आए अतिथि और दुल्हन की तरफ से आए अतिथि एक दूसरे को नफरत से देखने लगे, जैसे कोई जंग हो दोनो के बीच। अपनी ही दुखों से भरी हुई अनिका को भी लगने लगा की मेहमानों के बीच कुछ गहमा गर्मी है।

सिवाय उसकी बुआ के, नीलांबरी।

अनिका न नोटिस किया की नीलांबरी के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कुराहट है जैसे जैसे वोह शादी की सभी रस्मों को सम्पन होते देख रही थी। सबिता इस जगह से मिसिंग थी। उसके दादाजी उसकी बुआ के साथ वाली जगह पर ही व्हीलचेयर पर बैठे गंभीर रूप से शादी की रस्मों को देख रहे थे।

"सर, शादी संपन हो गई। आप और आपकी पत्नी अब अपने मेहमानो से आश्रीवाद ले सकते हैं।" पुजारी ने कांपती आवाज़ में कहा।

अपनी छब्बीस साल की जिंदगी में अनिका ने कुछ इंडियन वैडिंग देखी थी जिसमे दूल्हा हमेशा मुस्कुराता हुआ मिला था। अभय भी मुस्कुरा रहा था, लेकिन ऐसे जैसे कुछ हासिल कर लिया हो, कोई जंग जीत ली हो, बल्कि दुलहन भी मुस्कुराई थी।

उसका नया नवेला पति गंभीर रूप से और शांत भाव से मुस्कुराया था प्रजापति परिवार के परेशान चेहरों को देख कर। अनिका ने यह भी नोटिस किया था की वोह अपने दिल से नही मुस्कुराया था बल्कि यह सब ऊपरी दिखावा लग रहा था।

अनिका को भी कोई परवाह नही थी की किसी की तरफ देख कर फॉर्मेलिटी के लिए मुस्कुरा दे। बाहर से देखने से वोह एक गुस्सैल और जिद्दी लड़की लग रही थी। लेकिन असल में तोह वोह इतना घबराई हुई थी की पूरी शादी की रस्मों में उसने बहुत मुश्किल से अपने आप को संभाल रखा था। वोह तोह बस भगवान से यही प्रार्थना कर रही थी की कहीं से लास्ट मोमेंट कोई चमत्कार हो जाए और वोह इस शादी, इन लोगों से, और इस जगह से आज़ाद हो जाए।

"आओ," उस आदमी ने कहा जो उसके बगल में बैठा था। वोह जो अब उसका पति बन चुका था। उसने उसके कोहनी से बांह पकड़ते हुए कहा।

अनिका को उसके छूने से झटका सा लगा। उसके छूटे ही उसके पेट में डर से और असंतोष से कुछ अजीब सा एहसास होने लगा। आज सुबह जब अभय ने उसे धमकाया था तोह उसे बहुत सदमा लगा था। बाद में उसने यह महसूस किया की वोह अभय के लिए और प्रजापति फैमिली के लिए चीज़े कितनी आसान करती जा रही थी। उसने यह भी महसूस किया था की वोह सभी लोग उसे उसके अपनो से दूर करते जा रहें है जिस वजह से उसके पास उनकी बातों को मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था।

अभय की भौंहे सिकुड़ गई। उसका हैंडसम और कठोर चेहरा और भी सख्त हो गया। उसने उसकी कोहनी पर पकड़ और भी मजबूत कर दी और उसे खींचते हुए दूसरी तरफ स्टेज पर जहां सजावट हो रखी थी वहां ले गया। उस शानदार स्टेज पर दो बड़ी बड़ी सुनहरे रंग की खूबसूरत महराजाओ जैसी आलीशान कुरैया रखी हुई थी। अभय उसे लगभग खींचते हुए वहां ले आया था और एक कुर्सी पर उसे बिठा कर दूसरी पर खुद बैठ गया था। धीरे धीरे सभी मेहमान एक एक कर आ कर उन्हे बधाई देने लगे थे।

"फक!"
यह अशिष्ट शब्द सुन कर अनिका अपनी स्तब्धता से बाहर आ गई। उसने पलट कर अपने नए नवेले पति की तरफ देखा लेकिन वोह तोह मेहमानो से तौफे लेने में व्यस्त था। यह अशिष्ट शब्द तोह अभय के छोटे भाई देव सिंघम के मुंह से निकला था।

अनिका ने याद किया की देव सिंघम का एक छोटा सा इंट्रोडक्शन उससे कराया गया था। उसने पहले इतना नोटिस नही किया था लेकिन अब उसने देखा की देव अपने बड़े भाई अभय से दिखने में काफी अलग था। उसने देखा की देव की नज़रे किसी पर थी। वोह अपने साथ ही खड़ी किसी को घूर रहा था। अनिका ने अपने पीछे पलट कर देखा था तोह वोह चौंक गई थी और उसने एक गहरी सांस ली। उसकी कजिन, सबिता खड़ी थी। उसने एक गोल्डन एंब्रॉयडरी वाली साड़ी पहनी हुई थी और कुछ ही गहने पहने हुए थे। अनिका इसलिए नही चौंकी थी की सबिता ने अपने स्वभाव के विपरीत कपड़े पहने हुए थे क्योंकि जबसे अनिका उससे मिली थी उसने उसे शर्ट और ट्राउजर में ही देखा था। वोह तोह इसलिए चौंक गई थी क्योंकि उसने सबिता का चहरा देखा था जो की बुरी तरह नीले निशान से भरा हुआ था। उसके दाहिने आंख के किनारे पर नीला निशान था। उसके होठों के पास कट पड़ा हुआ था जो की अभी भरा ही नही था। उसने हाथ में बड़ी सी सोने की थाल पकड़ रखी थी जिसमे सभी गेस्ट मॉनिटरी (पैसे) गिफ्ट्स रखते जा रहे थे। अनिका ने यह भी नोटिस किया की सबिता की कलाई पर भी नीले चोट के निशान थे।

"तुम बहुत ही बड़े बेवकूफ हो, अगर तुम यह सोचते हो की मुझसे कभी जीत पाओगे।" सबिता ने खतरनाक लहज़े में कहा। "और अगली बार तुम्हारी टांग नही होगी बल्कि तुम्हारा गला होगा।"

कुछ पल लगा अनिका को यह समझने में की सबिता जो कह रही है वोह देव से कह रही है। और देव झल्लाया हुआ उसे घूर रहा था। "तुम क्यूं......."

"देव, जाओ देखो की गाड़ी तैयार है की नही।" अभय के स्ट्रिक्ट ऑर्डर पर देव अपनी बात कहते कहते रुक गया। उसने सिर हिलाया और वहां से चला गया। अनिका ने नोटिस किया की देव कुछ लंगड़ा लंगड़ा कर चल रहा है।

जब आखरी मेहमान ने भी दूल्हा दुल्हन को बधाई दे दी तोह नीलांबरी अनिका के पास आई।
"मैं अपनी भतीजी को हमारे भगवान के पास ले जा रही हूं ताकि इसे उनका आश्रीवाद मिल सके की जल्दी सिंघम का वारिस इसकी कोख में आ जाए।" नीलांबरी ने मुस्कुराते हुए कहा।

वहां खड़े सभी लोगों ने उसे जाने का रास्ता दे दिया। और क्योंकि अनिका के पास कोई और चॉइस नही थी इसलिए वोह भी नीलांबरी के पीछे चलने लगी। नीलांबरी चलते चलते एकांत जगह पे जा कर रुकी। एक बड़ा और ऊंचा चबूतरा बना कर उसपर बीस फूट ऊंची एक मूर्ति बनी हुई थी। वहां मूर्ति के पास कुछ लोग थे जो मूर्ति के सामने हाथ जोड़े प्राथना कर रहे थे, वोह लोग नीलांबरी को देख कर उसके पास आए और नीलांबरी के पैर छुने लगे। पैर छू कर वोह सभी वहां से चले गए। अनिका तोह दंग ही रह गई नीलांबरी को इतना सम्मान मिलता देख।

"इतना हैरान मत हो, माय डियर। हमारे लोग सिर्फ मुझे प्यार ही नही करते, बल्कि अपना भगवान भी मानते हैं।" नीलांबरी गर्व से मुस्कुरा पड़ी। "अगर तुम भी अपने हिस्से का सौंपा हुआ काम ठीक से करोगी तोह तुम्हे भी प्रजापति और सिंघम से ऐसा ही सम्मान मिलेगा।"

अनिका ने चुप रहना ही बेहतर समझा। वोह जानती थी की नीलांबरी उसे भीड़ से यहां एकांत में जरूर कोई खास बात कहने ही लाई होगी।

"और तुम जानती हो की तुम्हारा काम क्या है?" नीलांबरी ने उतावलेपन में पूछा। "तुम्हारा काम है सिंघम को उनका वारिस देकर सिंघम वंश को आगे बढ़ाना।"

अनिका ने फिर उनकी बातों को नजरंदाज कर दिया। क्योंकि वोह थक चुकी थी वोही एक ही बात सुनते सुनते। इतनी देर में नीलांबरी ने एक वेलवेट बॉक्स में से एक खूबसूरत हार निकाला।
"यह मुझे बहुत पसंद है। यह डिज़ाइन ऑर्डर देकर मेरे मंगेतर ने मेरी शादी के लिए खास बनवाया था। उन्होंने कहा था की जब मैं यह हार पहनूंगी तोह मेरी आंखे हीरे सी चमकेंगी।" नीलांबरी की आंखे और आवाज़ दोनो में नमी भर गई थी। वोह ऐसे बता रही थी मानो अतीत में ही चली गई हो। "जब तुम दुल्हन बन कर सिंघम के घर जाओ तो मैं चाहती हूं की तुम यह हार पहन कर जाओ।"

अनिका मानो किसी पुतले की तरह खड़ी थी उसे नीलांबरी की बातों से कोई फर्क नही पड़ता था और नीलांबरी ने इतनी देर में अनिका के गले में हार पहना भी दिया।

"तुम शानदार लग रही हो, माय डियर।" तभी एक खनकती हुई आवाज़ सुनाई पड़ी अनिका को।

"प्रजापति से नफरत के बाद भी तुम्हारा पति आज रात तुम्हे अपने साथ ले जायेगा। उस से लड़ना मत। और यहां तक की अगर तुम्हे दर्द हुआ क्योंकि तुम एक वर्जिन हो, क्योंकि आज तक किसी मर्द ने तुम्हे नहीं छुआ है, यह याद रखना, की अपने आप को उसे सौंपना और उसे वारिस देना तुम्हारा कर्तव्य है।"

अनिका का दिल एकदम से धक से रह गया नीलांबरी के कहे शब्द सुन कर।
"आपको कैसे पता?" अनिका ने पूछा।

"क्या पता?" नीलांबरी ने जवाब दिया।

"की मैं वर्जिन हूं या नहीं?"

दोनो के बीच एकदम चुप्पी छा गई।
"मुझे इसलिए पता है क्योंकि मैने इस बात का पूरा ध्यान रखा है," नीलांबरी ने जवाब दिया। "मैं ने पूरी कोशिश रखी की तुम बिलकुल पवित्र रहो और कोई भी लड़का तुम्हे छू भी न पाए क्योंकि तुम अभय सिंघम की अमानत हो। तुम उसका हक हो।"

अनिका को तोह यकीन ही नहीं हो रहा था जो भी वोह अपने कानो से सून रही थी। "आप यह क्या बात कर रही हैं?"

नीलांबरी उसे मनमोहक सी मुस्कुराहट लिए देख रही थी। "तुमने कभी सोचा है की तुम मेरे जैसी इतनी खूबसूरत हो कर भी अभी तक वर्जिन क्यों रही?" नीलांबरी ने पूछा। "क्योंकि तुम्हारा सिंघम की दुल्हन बनना किस्मत में लिखा जा चुका था। मैने बस इतनी ज़िमेदारी निभाई की तुम्हारे और और तुम्हारी किस्मत के बीच किसी और लड़के को कभी आने नही दिया।"

अनिका का तोह सिर ही चकराने लगा नीलांबरी की बात सुनकर। उसने अपना हाथ अपने माथे पर रख लिया, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था अपने कानों पर। उसकी आंखों के सामने उसकी सभी लव डेट और फिर तुरंत बाद ब्रेकअप सब घूमने लगे। उसका कोई भी रिलेशनशिप क्यों नही टिक पाया था उसका अंदाजा उसे अब लग चुका था।

"यू आर अ सिक वूमेन।" अनिका ने हैरानी में ही फुसफुसाते हुए कहा।

"मैने यह सब तुम्हारी भलाई के लिए ही किया। ऊंची जाति और शक्तिशाली आदमी पवित्र औरत को ही महत्व देते हैं। और साथ ही, मैं नही चाहती थी की कोई कमीना आ कर तुम्हारी कोख में अपनी औलाद डाल दे। तुम्हारी कोख से सिर्फ और सिर्फ सिंघम का वारिस ही जन्म लेगा।" नीलांबरी अनिका के हैरान चेहरे को देख कर ज़ोर से हंस पड़ी। "बहुत देर हो गई है। चलो वापिस चलते हैं। तुम्हारा पति सिंघम का पहला वारिस लाने के लिए बेसब्र होया जा रहा होगा।"

अनिका को घृणा से उल्टी जैसी आने लगी।

"हिम्मत मत हारो, माय डियर। अगली बार जब मैं तुमसे मिलू तोह उम्मीद करती हूं की हालात कुछ अलग होंगे और तुम अपने पति के बारे सोच कर डरोगी नही। ओह बाय द वे.....तुम्हारे पेरेंट्स और सिस्टर ठीक हैं.....अभी के लिए।"

अनिका को उनकी अनकहे शब्दो में दी धमकी समझ आ रही थी की उसकी फैमिली अभी भी खतरे में है अगर वोह नीलांबरी की बात नही मानेगी तोह।

********

सिंघम एस्टेट जाने का रास्ता पूरा धुंधला ही गुजरा। रास्ता कुछ उबड़ खाबड़ था। रास्ते में जब भी कोई गड्ढा आता अनिका उछल कर अपने साथ बैठे इंसान के पास खिसक जाती। वोह डर से कांप उठती और तुरंत पीछे हट जाती। जैसे जैसे प्रजापति एस्टेट से दूर जाते गए और सिंघम एस्टेट के नजदीक आते गए रास्ते भी साफ होते चले गए। फिर वो एक बड़े से लंबे दरवाज़े से गुजरे जिसपर सोने का बड़ा सा शेर का मुखौटा बना हुआ था। कई सौ लोग अनिका को उसके सो कॉल्ड मैंशन की तरफ गाड़ी में जाते हुए देख रहे थे। अनिका ने ज्यादा तर रास्ता, अपना सिर नीचे करके ही बिताया था क्योंकि वहां किसी का भी चेहरा नही देखना चाहती थी। उसे पहले ही आज बहुत धमकियां मिल चुकी थी और बहुत सी घूरती नज़रों का सामना वोह कर चुकी थी। अब और सहने की हिम्मत नही थी उसमें।
सिंघम मैंशन में उसे एक बहुत बड़े विशाल कमरे में ले जाया गया जहां कई तरह के स्वादिष्ट भोजन उसके सामने रख दिए गए। वोह कमरा बड़ा और खूबसूरत तो था ही और साथ ही उसे फूलों से और सजाया गया था। थोड़ी देर बाद उसे कमरे में अकेला छोड़ दिया गया।
दो घंटे बीत चुके थे, वोह अब बेचैन होने लगी थी। वोह थक चुकी थी इंतजार करते करते। जैसे किसी मेमने को हलाल करने से पहले खूब खिला पिला कर तैयार किया जाता है, बिलकुल वैसे ही अनिका को भी ऐसा ही महसूस हो रहा था। थोड़ी हिम्मत करके, उसने कमरे से बाहर जाने का सोचा।

उसने कमरे का दरवाज़ा खोला और बाहर कॉरिडोर में कदम रखा, बाहर कोई नही था। लेकिन उसे धीमे धीमे किसी के बात करने की आवाज़ें सुनाई दे रही थी जो की इस गोल गेरेधार कॉरिडोर के दूसरे हिस्से से आ रही थी। वोह धीरे धीरे कम आवाज़ करते हुए आगे बढ़ी और उस कमरे के बाहर पहुँची जहां से बात करने की आवाज़ आ रही थी। उसने दरवाज़े के नज़दीक कदम बढ़ाया और ध्यान से बातें सुनने लगी।

"तुमने एक लड़की पर हाथ उठाया?" अनिका ने अभय सिंघम की कड़कती हुई आवाज़ सुनी जो किसी और पर बरस रहा था।

"वोह कोई लड़की नहीं है!" दूसरे आदमी की भी गुस्से भरी दहाड़ने की आवाज़ सुनाई पड़ी। "सबिता प्रजापति एक साइको है जिसने खुद यह सब शुरू किया था। उसने मुझ पर हमला किया और फिर चीज़ आउट ऑफ कंट्रोल हो गई। और फिर उसने धोखे से मेरी जांघ पर चाकू घोप दिया!"

"वोह तुम पर हमला क्यों करेगी?"

फिर एक हसने की आवाज़ सुनाई पड़ी। "सबिता प्रजापति तुम्हे पसंद करती है, बिग ब्रदर। बीती रात उसने तुम्हे एक मैसेज भेजा था, उसने तुम्हे अकेला बुलाया था सिक्योरिटी और कुछ पर्सनल डिस्कस करने के लिए। मुझे कुछ गड़बड़ लगी इसलिए मैं आपकी जगह पर चला गया। उसने आपको रिझाने का प्लान बनाया था। आपको सिड्यूस करके आप से शादी करने का प्लान। अच्छा हुआ की मैने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया और...... और उसने मुझ पर अटैक कर दिया।"

अनिका को किसी भरी चीज़ के टूटने और हाथ को टेबल पर ज़ोर से मरने की आवाज़ सुनाई पड़ी।
"मैं थक गया हूं तुम दोनो के बारे में यह सुनते सुनते। और यह पहली बार नही है!"

"पर वोह....."

"वोह अब फैमिली है, भले हमे पसंद हो या न हो।"

"तुम उसकी साइड नहीं ले सकते। तुम मेरे भाई हो!"

"मैं तुम्हारी साइड ही हूं। लेकिन मैने उसकी बहन से शादी करी है। अब बहुत मौके आयेंगे की तुम्हे उसे देखना भी होगा, मिलना भी होगा और बात भी करनी पड़ेगी। तोह एक दूसरे को मरने की कोशिश करने से हम जो काम करना चाहते हैं वोह नही कर पाएंगे।

"पर मुझे उससे नफरत है!"

"तोह फिर नाटक करो। कोई तुम्हे उसे पसंद करने को नही कह रहा, पर अगर तुमने हमारा प्लान खराब किया तोह मैं खुद तुम्हे जान से मार दूंगा।"

एक उदासी पूर्ण शांति छा गई।

"फाइन। व्हाटेवर।"
फिर अनिका को किसी के कुर्सी खींचने की आवाज़ आई।

"तोह पहले मुझे यह बताओ, माय डियर ब्रदर। तुम अनिका प्रजापति के बारे में क्या सोचते हो?"

अभय पहले तो कुछ नही बोला फिर उसने कहा, "उसके बारे में क्या?"

फिर एक हसने की आवाज़ सुनाई पड़ी। "आपको ना, एक बार वोह फाइल पढ़नी चाहिए जो मैने और इन्वेस्टीगेटर ने साथ मिलकर उनके बारे में बनाई है।"

"जैसा मैंने पहले कहा था, मुझे कोई फर्क नही पड़ता। वोह बस मेरे मकसद को पूरा करने का एक जरिया है।"

फिर एक मज़ाक उड़ाने वाली हसीं सुनाई पड़ी। "मुझे यकीन है तुम पर। मुझे याद है तुमने कहा था की मैं उससे तब भी शादी करने को तैयार हूं अगर वोह दुनिया सबसे बदसूरत दिखने वाली औरत हो।"

"तुम पहले ही जानते हो की उस से शादी करने के लिए हमने क्या दांव पर लगाया है।"

"बिलकुल सही। पर मुझे अभी भी बहुत आश्चर्य हो रहा है की आप एक बदसूरत लड़की से शादी करने का सोच रहे थे और अनिका प्रजापति तोह......" फिर एक तेज़ सीटी की आवाज़ सुनाई पड़ी।

"मुझे अभी भी कोई फर्क नही पड़ता, की वोह कैसी दिखती है।" अभय ने इरिटेट होते हुए जवाब दिया। "जब तक वोह मेरे ऑर्डर्स फॉलो करती रहेगी, तब तक वोह जो चाहे उसे मिलता रहेगा।"

"हुंह! प्रजापतियों के रिकॉर्ड को देखा जाए तोह मुझे अनिका पर डाउट है।"

"अगर वोह मेरी बात नही सुनेगी, तोह फिर मैं उस से बस अपना पीछा छुड़ा लूंगा और उस घटना को एक्सीडेंट का रूप दे दूंगा। हमारे लोग समझ जायेंगे, खासकर तब, जब मैं सेनानी की लड़की को फिर अगली दुल्हन बनाऊंगा।"

उनकी बातें सुन कर अनिका तोह और डर से कांपने लगी। वोह मुड़ी और वहां से भाग गई। उसने सांसे ही तब ली जब वोह अपने कमरे में पहुँची।

अभय सिंघम तोह एक खूंखार शैतान है।









कहानी अभी जारी है...


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