उनकी बातें सुन कर अनिका तोह और डर से कांपने लगी। वोह मुड़ी और वहां से भाग गई। उसने सांसे ही तब ली जब वोह अपने कमरे में पहुँची।
अभय सिंघम तोह एक खूंखार शैतान है।माय गॉड! मैं कैसे यहां इस जगह जी पाऊंगी?जैसे ही वोह अपने कमरे के अंदर आई उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और दरवाज़े से ही सट कर खड़ी हो गई। वोह अपनी लंबी चलती सांसों को नियंत्रित करने लगी। जब तक की उसे यह एहसास नहीं हुआ की उसे किसी गरम गरम फ्राइंग पैन से सीधे आग में फेक दिया गया हो।
एक नए डर से उसका शरीर कांपने लगा। उसने प्रजापति मैंशन में बहुत कुछ देखा था। उसके लिए यह सब किसी बहुत बुरे भयानक सपने की तरह था। उसने हर संभावित घटना के बारे में सोचा था जो उसके साथ यहां हो सकती थी लेकिन यहां तोह हर सीमा को ही पार कर दिया गया था। उसकी सोच से भी ऊपर उसके साथ बुरा होने वाला था। अगर वोह अपने सो कॉल्ड हसबैंड की बात नही मानेगी तोह वोह उसे मार देगा और अगर वोह मर गई तोह नीलांबरी के मुताबिक इसके परिवार को भी मार दिया जाएगा।
अपनी बची कुची हिम्मत को बटोर कर वोह आगे बढ़ी और उस कमरे में रखे सुंदर तरीके से सजे हुए किंग साइज बैड को अनदेखा कर वोह कमरे के आखरी हिस्से में पहुंची जहां लिविंग एरिया सेटअप था यानी की जहां सोफे रखे हुए थे। वहीं एक बड़ी सी खिड़की के पास एक डेबैड सेटअप था। वोह बैड उसे कंफर्टेबल और सेफ भी लग रहा था।
वोह वहीं लेट गई और अपने शरीर को आराम देने के लिए फिलहाल यह बहुत जरूरी था। इसलिए लेट ते ही वोह सब भूल गई और उसे गहरी नींद आ गई। उसने अपनी आंखे बंद कर ली यह सोच की यह बुरा सपना है और जब उठूंगी तो यह बुरा सपना खतम हो जायेगा।
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अनिका नींद से बोझिल आंखों को खोलने की कोशिश कर रही थी। वोह होश में आने को कोशिश कर रही थी। वोह इतनी गहरी नींद में थी की उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था, वोह कन्फ्यूज्ड थी। बहुत अंधेरा था। और वोह हवा में झूल रही थी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था की वोह हवा में झूलते हुए किंग साइज बैड की तरफ आ रही है। उसका दिल जोरों से धड़क उठा जब उसने यह महसूस किया की कोई उसे उठा कर ले जा रहा है। उसने एक लंबी सांस ली और एकदम से सॉफ्ट गद्दे से टकराई।
"इस बिस्तर के अलावा तुम कहीं और नहीं सो ओगी। समझी तुम?" एक आदमी की गहरी और गंभीर आवाज़ सुनाई पड़ी।
अनिका हिली भी नही बस उसने अपने आप को कर्ल करके टाइट कर लिया इस सोच से की अब अभय उसको हर्ट करेगा।
"हम शादी शुदा हैं। अगर तुम उसी तरह से बिहेव नही करोगी तोह, यह तुम्हारे लिए अच्छा नही होगा। तुम यहां तब तक रहोगी जब तक मैं तुम्हे ऑर्डर न दे दूं।"
अनिका ने अपनी आंखे कस कर बंद करली यह सोच कर की उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा और वो वापिस अंधेरे में चली गई है यानी सो गई है।
"जवाब दो!" वोह चिल्लाया।
अनिका की बॉडी कांप उठी। "ओके।" अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा।
अनिका ने अपनी आंखे बंद ही रखी। लेकिन उसने यह महसूस किया की अभय कमरे में कहीं घूम रहा है और फिर दूसरी साइड आ कर उसे साथ ही बैड पर लेट गया। वोह यही उम्मीद कर रही थी की अभय अब अपना हक जताएगा, उसे खीच कर बाहों में ले लेगा और उसके साथ कुछ बुरा करेगा।
पर वोह हाथ उसकी तरफ बढ़े ही नही। थोड़ी देर ऐसे ही घबराने के बाद जब काफी देर हो गई तोह अनिका ने अभय की गहरी सांसों की आवाज़ सुनी जैसे की वोह गहरी नींद में सो चुका है। उसके बाद ही उसका डर कुछ हद तक के लिए कम हुआ और वोह भी डरते हुए सिमट कर एक ओर से गई।
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अनिका ने धीरे से अपनी आंखे खोली लेकिन हिलने की हिम्मत नही हुई। उसने आस पास सब भांपने की कोशिश की। हैरत से सब कुछ शांत था सिर्फ ऐसी की कंपन की आवाज़ ही कमरे में गूंज रही थी। उसकी आंखे अंधेरे में एडजस्ट होने लगी क्योंकि कल रात की कुछ झलकियां उसकी आंखो के सामने आने लगी।
वोह आदमी उसे उठा कर बैड पर लाया था। और गुलाबों की खुशबू से साफ पता चल रहा था की यह वोही बैड है जो कल रात उसने सजा हुआ देखा था उनकी सुहागरात के लिए।
उसने अपने चेहरे से कंबल को हटाया यह देखने के लिए की इस कमरे में कोई और भी है की नही। और यह सोचने लगी की इस घर में कोई ऐसा होगा जो उसकी मदद करेगा?
मदद किस लिए? जिंदा रहने के लिए?
उसने एक गहरी सांस ली और कोशिश करने लगी की अपने डर को कुछ हद तक दूर करे। उसका दिमाग अलग अलग आइडियाज से घूम रहा था यहां से भागने के लिए। पर वोह यह भी जानती थी की जिस सुबह नीलांबरी को यह पता चलेगा की वोह यहां से भाग गई है तोह वोह भी अपनी मनमर्जी करेगी।
वोह अपनी जगह ही लेटी रही। उसने अपने शरीर को थोड़ा भी नही हिलाया। वोह उसके साथ बीती हर घटना को याद कर रही थी। तभी किसी के होने के एहसास और चिढ़ने की जैसी आवाज़ से वोह अपनी तंद्रा से बाहर आई। वोह डर से जम ही गई, इस एहसास से की जिस इंसान से वोह कल रात इतना डर रही थी वोह उस से कुछ कदमों की दूरी पर ही खड़ा है। उसने झट से अपनी आंखे बंद करली और अपनी सांसों को नियंत्रित करनी की नाकाम सी कोशिश करने लगी और साथ ही यह दिखाने की कोशिश कर रही थी की वोह अभी तक सो रही है।
वोह काफी देर से ऐसे ही सोने का नाटक कर रही थी और सच में भी नही सो रही थी किसी अनजाने डर से जो उसे भी पता नहीं। वोह तोह सुबह बहुत जल्दी ही उठ गई थी, जब अलार्म बजा था। अलार्म बजा और फिर बंद हो गया, सूरज शायद ही ठीक से उगा हो। उसने महसूस किया था उसके बगल में सो रहा शख्स बैड से उठा और कमरे में इधर उधर चलने लगा। उसने कीबोर्ड पर कुछ टाइप करने की टिक टिक की आवाज़ सुनी थी। और फिर कुर्सी खिसकाने की। उसके बाद दरवाज़ा खोलने और बन्द करने की। कुछ ही मिनट गुज़रे थे की उसने महसूस किया था की वोह आदमी वापिस आ गया है और उसके बैड के पास से ही गुज़रा है। फिर एक भारी दरवाज़े के खुलने की आवाज़। जिसके तुरंत बाद ही एक ठंडी हवा का झोका उसे महसूस हुआ था जिससे वोह अपने बिस्तर पर और दुपक गई थी। और फिर कम से कम आधे घंटे तक किसी चीज़ के लगातार एक जैसी चलने या घुमाने की आवाज़ आती रही। उसके थोड़ी देर बाद, किसी के तेज़ सांसे लेने की और घुर्राने की आवाज़ आने लगी जैसे कोई एक ही तरीके से लगातार पंचिंग बैग पर पंच मार रहा हो। फिर पंचिंग करने की आवाज़ बंद हो गई, और उसने महसूस किया कोई कमरे में वापिस आ रहा है। उसकी सांसे तेज हो गई जब कदमों की आहट तेज़ हो गई और उसके बैड के पास ही आ कर रुकी।
उसके बाद कोई आवाज़ नही आई, कोई हलचल नही हुई। एक गहरी शांति ने उसे अंदर तक डरा दिया। वोह अपने आपको शांत करने लगी थी और ऐसी ही बिना हिले लेटी रही।
"अगर तुम्हारा सोने का नाटक करना बंद हो गया हो तोह, मुझे तुम से कुछ बात करनी है।" एक आदमी की गहरी आवाज़ अनिका के कान में पड़ते ही वोह थरथर्रा गई।
वोह उसकी बात को इग्नोर करना चाहती थी, लेकिन उसे जिंदा रहना था, और उसके लिए उसे उसकी सभी बात माननी थी। उसने धीरे से अपनी आंखे खोली और सीधा उसकी नजर अपने सामने खड़े आदमी की गहरी आंखों पर पड़ी, जो उसे आंखों ही आंखों में धमका रही थी। उसका तोह नर्वस ब्रेक डाउन होते होते रह गया।
"मैं.... मैं नाटक नही कर रही थी। मैं बस आप से दूर रहना चाहती थी।"
एकदम शांति छा गई।
अभय की नाक कुछ गुस्से से फूल गई। "मैं जानता हूं की तुम मुझसे शादी नही करना चाहती थी। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। तुम्हारे लिए अच्छा होगा की इस बात को एक्सेप्ट कर लो।"
"मैं.... मैं आपकी पत्नी नही बनना चाहती।"
“टू बैड। तुम पहली ही मेरी पत्नी बन चुकी हो। और जो तुमने उस दिन सिंघम टेंपल के बाहर देखा, वोही यहां की जिंदगी की सच्चाई है। एक्सेप्ट इट।” अभय ने गरजते हुए कहा।
“मैं चाहती.... मैं....” अनिका आगे कुछ बोल ही नहीं पाई जब उसने देखा की अभय अपने बड़े से सीने के आगे अपने हाथ बांध रहा है और फिर उसे ही घूर रहा है और इंतजार कर रहा है उसके कुछ बोलने का।
उसकी आंखे झिलमिला गई लेकिन उससे पहले की वोह कुछ समझ सकती अभय बोल पड़ा, "तुम्हे मेरे हर वोह ऑर्डर फॉलो करना है जो भी मैं तुमसे कहूंगा। तुम्हारे पास कोई चॉइस नही है, और नाही की कोई बहाना।"
अनिका ने बस सिर हिला दिया। उसकी नज़रे तोह नीची हो रखी थी जैसे कंबल के हर एक डिजाइन को याद कर रही हो।
"मेरी तरफ देखा करो जब भी मैं तुमसे बात करता हूं।" अभय ने आदेश देते हुए कहा और अनिका के पास बस उसकी मानने के अलावा कोई रास्ता नही था।
"बाहर मत जाना। अंदर ही रहना जब तक की मैं खुद अपने साथ बाहर नहीं ले जाऊं। और जब भी मैं तुम्हे अपने साथ बाहर लेकर जाऊंगा, तुम अपनी फैमिली के बारे में एक भी शब्द नही बोलोगी। कभी किसी से फैमिलीज के बारे में कुछ भी डिस्कस मत करना। समझ गई तुम?"
"हां।"
“तुम हमेशा मेरे साथ इसी बिस्तर पर सोओगी, कल रात की तरह कहीं और सोने की हिम्मत भी मत करना।" उसकी आवाज़ गंभीर और गहरी के साथ साथ करकर्ष भरी भी थी जिससे अनिका लगातार घबराहट से कांप रही थी।
”ओके।" अनिका को उसकी आंखे जलती हुई महसूस हो रही थी शायद इसलिए क्योंकि वोह उसकी हर बात आसानी से मान रही थी मानो वो घर की एक आज्ञाकारी चुहिया हो जो बिना किसी इफ एंड बट के बस हां करती जा रही थी। इस वक्त अनिका को अपने आप पर गुस्सा आने लगा था। उसे अपने जिंदगी में जो यह टर्न आया था उस पर बेहद गुस्सा आ रहा था।
"मैं चाहता हूं की तुम कल सुबह शादी से पहले वाला अपना रवैया दुबारा मत दोहराना। अगर तुमने जान बूझ कर घर की किसी भी चीज़ का नुकसान किया तोह फिर मुझे तुम्हे सबक सिखाना पड़ेगा जिस से तुम अपने इस नखरे से पछताने लगोगी।" अभय की आंखे बुरी तरह अनिका को घूर रही थी।
"मैने कोई नखरा नही किया था। मुझसे जबरदस्ती किया गया था..... और वैसे भी मैं आपको जानती तक नही।"
फिर एक बार शांति पसर गई।
"जो होना था वोह अब हो चुका है। तुम अब सिंघम बन चुकी हो।"
यह सुनते ही अनिका का दिल बगावत पर उमड़ आया। उसका मन यह मानने से इंकार करना चाहता था। पर उसने अपनी जबान पर काबू कर लिया।
"भले ही मैं अपने लोगों पर बहुत विश्वास करता हूं लेकिन तुम मेरे और देव के अलावा किसी पर भी भरोसा मत करना।"
अनिका उसे अपनी सुनी आंखों से देख रही थी। उसे अभय की बात का मतलब समझ नही आया था। वोह किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकती थी। ना ही अपनी सो कॉल्ड इंडिया की फैमिली पर जिसने उसे उसके नए हसबैंड के साथ अकेला छोड़ दिया था।
"तुम्हे मेरी बात समझ आई?" अभय की बात पर अचानक अनिका सकपका गई और उसने हां में अपना सिर हिला दिया।
"इस तरह से घबराना बंद करो। मुझे इस से चिढ़ मचती है।" अभय तेज़ आवाज़ में बोला।
इस से पहले की अनिक आगे कुछ कहती, अभय मुड़ा और बाथरूम में चला गया। अनिका फिर से बैड पर लेट गई और अपनी आंखे बंद कर ली। वोह अपने आंसुओं से लड़ रही थी जो बाहर निकलने के लिए उस से बगावत कर रहे थे। तभी अभय बाथरूम से बाहर आया और कमरे में इधर उधर घूमते लगा। क्या उसकी जिंदगी में यही सब होगा, ऐसे ही चलेगी, अगर वोह जिंदगी भर यहीं फसी रह गई? एक आज्ञाकारी पत्नी और एक बेरहम पति, क्या वोह उस से जिंदगी भर बंधी रह जायेगी?
नही! वोह ऐसा कभी नहीं होने देगी। उसे इस पचड़े से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना ही होगा।
तभी उसने दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुनी, जैसे अभय कमरे से बाहर चला गया हो। अनिका तुरंत उठी और अपने कांपते पैरों पर खड़ी हो गई। जो उसने अपनी शादी का जोड़ा पहना हुआ था वोह अब उसे कांटो के जैसे चुभ रहा था। सबसे पहला काम जो वोह करना चाहती थी की इन कपड़ो से छुटकारा पाना, फिर उसे जला कर राख कर देना, अगर पॉसिबल हो तोह। वोह सीधा बाथरूम में घुसी और दरवाज़ा बंद कर दिया। वोह कोसने लगी की जब उसने यह रियलाइज किया की दरवाज़े पर तो लॉक है ही नही, जबकि वोह जानती थी की कोई लॉक उसे सेफ फील नहीं करा सकता।
उसने तब में पानी भरा और उसमे उतर गई। पानी गरम होने की वजह से उसके बदन को थोड़ा आराम मिलने लगा पर उसकी मसल्स अभी भी अकड़ी हुई थी।
कितने दिन हैं उसके पास, जब वोह आदमी जो उसका अब पति है वोह उसे अपने बैड पर फोर्स करने लगेगा और उस से बच्चा पैदा करेगा?
डर से उसका बदन कांप उठा। यह याद करते हुए की वोह कैसे उसके बदन, उसकी आत्मा को चोट पहुंचाएगा।
एक घंटा बीत जाने के बावजूद भी उसके शरीर को राहत नहीं मिली। उसने अपने बदन पर लगे साबुन को पानी से धोया और बाहर आ गई। अपने आप को पोंछ कर उसने टॉवल लपेट लिया। वोह दूसरी टॉवल से अपने बाल पोंछने लगी की तभी उसने बाहर से कोई आवाज़ें सुनाई पड़ी।
उसकी तोह सांसे ही अटक गई जब अचानक बाथरूम का दरवाज़ा खुला। और सामने खड़ा आदमी एकदम से रुक गया और जड़ हो गया। अनिका का दिमाग भी रिएक्ट नही कर पाया और वोह भी फ्रीज हो गई। वोह ज़ोर से चिल्लाना चाहती थी, लेकिन बहुत डरी हुई थी कुछ भी रिएक्ट करने से।
थोड़ी देर बीत गई जब दोनो तरफ से कोई हलचल नही हुई तोह वोह आदमी आगे बढ़ा अनिका की तरफ। अनिका की पकड़ उसके टॉवल पर मजबूत हो गई जैसे वोह अब उसकी आखरी लाइफलाइन बची हो।
वोह आगे बढ़ा और अनिक से एक कदम की दूरी पर रुक गया। उसने जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया, अनिका डर से कांप गई और उसकी डर से आंखे बंद हो गई।
"मैने तुमसे कहा था ना की इस तरह से घबराना बंद करो दो।" अभय ने तल्खी से कहा और अनिका को उसकी तरफ देखने पर मजबूर कर दिया।
अनिका तोह चिल्लाना चाहती थी उस पर की उसे भी इस तरह से वोह डराना बंद कर दे, पर वोह चिल्ला नही पाई।
अभय के हाथ अनिका के पास से होते हुए उसके पीछे चले गए वैनिटी की तरफ। वोह एक पतला सा महंगा फोन था, जिसे अभय उठा रहा था। वोह अपना फोन काउंटर पर भूल गया था। बिना एक शब्द कहे अभय मुड़ा और वापिस चला गया और छोड़ गया डरी हुई, सहमी हुई और कंपकपाती हुई अपनी पत्नी अनिका को।
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कुछ देर बाद जब अनिका को यह विश्वास हो गया की अभय अब चला गया है और वापिस नही आयेगा तोह वोह बाथरूम से बाहर निकली। उसने अपना बैग खोला और जो कपड़े सबसे पहले उसके हाथ में आए उसे तुरंत पहन लिया।
अब उसका पेट गुड़गुड़ करने लगा था। कमरे से आती खाने की खुशबू उसे बेचैन कर रही थी। डर और घबराहट की वजह से उसने कुछ नही खाया था। फिर उसने सोचा की उसे अगर कोई अच्छा प्लान बनाना है यहां से भागने के लिए तोह उसके दिमाग और शरीर की एनर्जी की जरूरत है। वोह खाने की खुशबू का पीछा करते हुए कमरे में ही बने डाइनिंग की तरफ चली गई। खाना एक व्हील कार्ट पर रखा हुआ था। यह सोचते हुए की कौन उसके कमरे में खाना रख गया है, उसने खाने के बोल पर से कपड़ा हटा दिया। फिर बिना देखे की ब्रेकफास्ट में क्या है, वोह अपनी प्लेट लगाने लगी और जल्दी जल्दी खाने लगी।
उसने यह भी सोचा की जो इंसान यहां उसके लिए खाना लाया उसने अपने आप को इंट्रोड्यूस कराने के लिए उसका इंतजार तक नही किया। शायद यह उसके लिए एक और हिदायत हो की वोह इसी कमरे में रहे, बाहर न निकले और किसी से भी बात भी न करे।
उस आदमी ने उसे ऑर्डर नही दिया था कमरे में रहने का लेकिन उसे डराया जरूर था की अगर वोह बाहर निकली तो उसके लिए अच्छा नही होगा।
क्या होगा अगर वोह उसके बनाए हुए नियमों को तोड़ दे? क्या वोह उसे फिर मरेगा? नही। मारेगा तोह नही। उसने याद किया शादी की रात को जब उसने उसकी अपने भाई के साथ हुई बातचीत सुनी थी। वोह उसे मारेगा नही, पर अगर उसने उसकी बात नही मानी तोह वोह उसे जान से मारने से हिचकिचाएगा भी नही। शायद वोह इंसान जिस से उसने शादी की थी वोह उसे नुकसान पहुंचाने से ज्यादा जान से ही मारना पसंद करता है।
यह सोचते ही वोह अंदर से कांप गई। वोह अपनी जिंदगी को खतरे में नही डाल सकती थी, भाग कर, क्योंकि उस से उसकी फैमिली भी खतरे में आ जाती।
अपने आप को हारा हुआ महसूस कर, वोह उठ खड़ी हुई और अपने मास्टर बेडरूम को एक्सप्लोर करने लगी, जो की बहुत बड़ा था। बल्कि उसके अपने पुराने वाले पूरे घर से भी बहुत बड़ा। बड़े ध्यान से सब देख रही थी। उसकी नज़र कॉर्नर में रखे एक लैपटॉप पर गई। उसने याद की वोह आदमी सुबह कुछ टाइप कर रहा था इसका मतलब इसी लैपटॉप पर ही काम कर रहा होगा। वोह चेयर पर बैठ गई और लैपटॉप खोल दिया। वोह जानती थी उसकी बुआ उसकी हर एक हरकत पर नज़रे रखी हुई है और शायद किसी स्पाइ को उसके पीछे भी लगा रखा हो। और अगर वोह अपनी फैमिली को किसी तरह आगाह करेगी तोह कहीं वोह स्पाइ नीलांबरी को सब बता ना दे।
उस लैपटॉप पर स्क्रीन पर एक ही प्रोफाइल शो हो रही थी। जो की अभय सिंघम की थी। उसने प्रोफाइल पर क्लिक किया तोह पाया की वोह पासवर्ड प्रोटेक्टेड है। तोह वोह निराश हो गई। हताशा से वोह डेस्क के इधर उधर देखने लगी। उसने देखा की बुक शेल्फ में लाइन से काफी सारी किताबें रखी हुई हैं। वोह उन्हे देखने लगी इस उम्मीद से की शायद कोई अच्छी बुक मिल जाए जो उसे थोड़ा सुकून पहुँचा सके।
वोह खुद एक किताबी कीड़ा थी, जिसे जब समय मिलता था तोह वो कोई भी किताब पढ़ने लगती थी। पर बाद में जब उसे हॉस्पिटल में अपनी लॉन्ग और लेट शिफ्ट करनी पड़ती थी तोह किताबे पढ़ना उसके लिए पोसैबल नही हुआ पाता था।
अनिका ने रैंडम कुछ बुक्स उठा ली बुक शेल्फ में से और फिर बालकनी की तरफ चली गई। उसने दरवाज़ा खोला फिर एक चेयर पर बैठ गई। वोह बुक पढ़ने लगी इस उम्मीद से की जो भी उसकी जिंदगी में आज कल हो रहा था उसे कुछ समय के लिए अपने दिमाग से निकाल सके।
थोड़ी देर बाद उसने अपने कमरे का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी। वोह समझ गई की लंच टाइम हो गया है और कोई उसके कमरे में आया है लंच रखने। उसने बुक साइड टेबल पर रखा और सुइट(अनिका का रूम) के अंदर भागी। एक औरत बस सुइट से बाहर निकलने ही वाली थी एक व्हील कार्ट रखने के बाद जिसमे बहुत सारा खाना रखा हुआ था।
"वेट!"
अनिका की जल्दबाजी वाली आवाज़ सुन कर वोह औरत रुक गई। अपने लिए उस औरत के चेहरे पर घृणा के भाव देख कर, अनिका की आवाज़ ही नही निकली। फिर वोह औरत पलटी और कमरे से चली गई।
वोही सेम औरत शाम को स्नैक्स और रात को डिनर ले कर आई। और हर बार उसका एटीट्यूड और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन वोही थे घृणा से भरे।
हर बार अनिका कोशिश करती उसे ग्रीट करने की, उससे बात करने की, पर हर बार एक गुस्से भरी चुप्पी के अलावा उसे कुछ नही मिलता। वोह चाहती थी उसे दोस्त बनाना ताकी कोई रास्ता ढूंढ सके यहां से भागने का लेकिन वोह अब उम्मीद हार रही थी।
अपना डिनर समय से पहले ही खा कर उसने बुक को भी बुक शेल्फ में रख दिया जहां वोह पहले रखी हुई थी। इस वक्त सिर्फ आठ ही बजे हुए थे, पर उसने जल्दी ही बैड पर सोने का सोचा, इस उम्मीद से की जो आदमी उसका पति होने का दावा करता है उस आदमी से उसका आमना सामना न हो पाए।
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अनिका बहुत ही गहरी नींद में थी। उसने धीरे से हल्की सी ही अपनी नींद तोड़ी। वोह एक बहुत अच्छा सा सपना देख रही थी। एक अनैछिक घुरघूर की आवाज़ निकलने लगी जब उसे अपने आस पास गरमाहट महसूस हुई। उसे किसी आदमी की गहरी सांसों की आवाज़ अपने नीचे से आती सुनाई पड़ी। और सख्त उंगलियों की पकड़ भी उसे अपने हिप्स के नीचे महसूस हुई।
यह उंगलियां इतनी सख्त क्यों है? एक डॉक्टर होने के नाते, और मोस्टली फ्रेंड्स एंड रिलेटिसेज भी डॉक्टर होने के नाते, वोह अक्सर इन लोगों से हाथ मिलाती थी। जो सर्जरी करते थे उनके भी हाथ बहुत ही सॉफ्ट रहते थे।
उसने अचानक आंख खोली और अपना सिर ऊपर किया। वोह बर्फ सी जम गई जब उसकी आंखे अपने सामने गहरी इंटेंस भरी आंखों से मिली।
वोह उसके ऊपर लेटी हुई थी।
उन दोनो के बीच काफी देर शांति पसरी रही जैसे हो उन दोनो ने एक दूसरे को देखा। अनिका की आंखें डर और हैरानी से फैली हुई थी। और अभय की आंखें एक दम ठंडी थी। कुछ पल बाद अनिका ने अभय के ऊपर से हटने की कोशिश की तोह अभय ने अपनी पकड़ कस दी।
"म....मुझे जाने दीजिए।" अनिका ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। उसकी आवाज़ करकर्ष भरी निकल रही थी।
अनिका ने रियलाइज किया की उसका हकलाने जैसी आवाज़ निकलना अब काफी बार रिपीट हो रहा था। बचपन में उसने कई सालों तक और स्पीच थेरेपी में कई सेशन करने के बाद उसकी यह प्रॉब्लम ठीक हुई थी। पर कभी कभी जब वो जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस ले लेती थी तब ही उसे फिर से हकलाने की प्रॉब्लम होने लगती थी।
अभय ने कोई जवाब नही दिया। उसके हाथ अभी भी अनिका के पीछे रखे हुए थे और वोह धीरे धीरे उसके पीछे हाथ फेर रहा था जिसकी वजह से वोह कांप रही थी। ये कंपकपाहट डर की वजह से थी और साथ ही एक अनचाहे खतरे की वजह से भी।
"मु....मुझे यह नहीं करना। आप जानते हैं और फिर भी......"
अभय के बड़े बड़े हाथ रुक गए। अनिका को अभय की गहरी चलती सांसों की गरमाहट महसूस होने लगी जिस से अनिका और घबराने लगी। अभय की आंखें धधक रही थी और अनिका यह नही जानती थी की यह गुस्से से है या लालसा से या फिर दोनो।
"क्या सोच कर तुम्हे ऐसा लगता है की मैं किसी को इजाज़त दूंगा, उस किसी को में तुम भी शामिल हो, की मुझे रोके वोह भी उस चीज पर हक जताने की लिए जो राइटफुली मेरा हक है।"अभय ने उदासीनता से पूछा।
अनिका ने एक गहरी सांस ली, और घबराहट में ही सोचने की कोशिश करने लगी जो की उसका अब डर में बदलने लगा था। "मुझे पक्का यकीन है की आप जैसे आदमी को अनिच्छुक औरतों पर जबरदस्ती करने में गर्व महसूस होता होगा।" अनिका ने अपने दिमाग में ही अपनी फिंगर क्रॉस कर ली, इस उम्मीद से की उसकी बात उसके ईगो को ठेस पहुंचाएगी।
"अनिच्छुक औरतें, हाँ, पर इच्छुक नहीं जो खुद चल कर मेरे ऊपर आ जाती है मेरी गर्दन में ही घुस जाती है।"
उसकी बात सुनते ही अनिका चेहरा लाल हो गया। वोह जानती थी की नींद में वोह बहुत करवटें बदलती थी। कभी इधर कभी उधर बिस्तर पर ही लुढ़कती रहती थी। "मैं इच्छुक नहीं हूं।" अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा।
"तुम्हे देख कर तो ऐसा नहीं लगता है। एस्पेशियली जिस तरह से तुम कराहती हो मेरे छूने से।" अभय ने हतोत्साहित ढंग से उसे घूरते हुए कहा। "मैं तुम्हारे शरीर को इच्छुक बना सकता हूं और फिर पल भर में ही तुम मुझे पाने के लिए मुझसे भीख मांगने लगोगी।"
"मैं तब भी आपको गलत साबित कर दूंगी क्योंकि मेरे दिमाग में, मैं आपको नही चाहती।"
अभय के हाथ उसके हिप्स पर कस गए और अनिका की सांस फूलने लगी। फिर अभय ने अनिका के ऊपर से अपने हाथ हटा लिए और अपने सिर के नीचे फोल्ड कर के रख दिए। "मेरे ऊपर से नीचे उतरो।" अभय ने सीलिंग फैन की तरफ देखते हुए शांति से अदेष्टमक लहज़े में कहा।
तुरंत ही अनिका रोल करते हुए बैड से उतर गई और भागते हुए उस बड़े से बाथरूम में घुस गई। उसने सांस तब ली जब उसने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया।
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अभय सिंघम अपनी पत्नी को देख रहे थे उस से से दूर भाग कर जाते हुए। वोह थी ही ऐसी की उसे देखने का और छूने का मन करे, पर वोह घबराती बहुत थी। वोह हमेशा डर से कांपती रहती थी। वोह तब भी ऐसे ही कंपकपा गई थी जब वोह उससे पहली बार मिला था और उस से बात की थी प्रजापति एस्टेट में। वोह तब भी कंपकंपा रही थी जब वोह शादी के दौरान उसके साथ बैठी थी और फिर ऐसी ही रही जब तक वोह सिंघम एस्टेट नही पहुंचा गए। वोह ऐसे ही कंपकंपा रही थी उन दो रातों को भी जब वोह उसके साथ एक ही बिस्तर पर सो रहा था।
क्या वोह ऐसी ही हरकत करती रहेगी जब भी मैं उसे छू ऊंगा जिस तरह से मैं छूना चाहता हूं? कांपती हुई? घबराती हुई?इसी विचार ने उसके मन एक साथ दो भावों का मिलन कर दिया। नफरत और वासना।
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अनिका ने धीरे से उठ कर सब ओर देखा की वोह आदमी चला गया है या नही। उसने दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ तोह सुनी थी लेकिन वोह कोई चांस नही लेना चाहती थी। वोह कब से ब्रेकफास्ट वाले कोने में दुबक कर बैठी थी, अपने आप को उस से दूर रखने के लिए जैसे ही अभय अपने मॉर्निंग रूटीन में बिज़ी हो गया था। अपने छोटे छोटे और अनिश्चित कदमों से वोह आगे बढ़ कर पहले बालकनी फिर बाथरूम में चेक करने लगी।
ऑल क्लियरउसने राहत से एक गहरी सांस ली और लैपटॉप वाली जगह की तरफ बढ़ गई। उसने कुछ और पासवर्ड ट्राय किए पर कोई भी काम नही किया।
फ्रस्ट्रेट हो कर वोह उठी और रैक में से कुछ बुक्स निकाल ली। बीते दिन में जो उसने बुक पढ़ी थी वोह कुछ खुले विचारों वाली किताब थी। वोह जिस आदमी के साथ रह रही थी उसे वो सिर्फ उसके पसंद की किताबों से नही जज कर सकती थी। वोह सब किताबों के नामों पर उंगलियां फेरते हुए पढ़ रही थी और चुन रही थी आज कौनसी किताब पढ़े अपने डर और चिंता को दूर करने के लिए। उसके हाथ रुक गए जब उसे एक सॉफ्ट, लैदर के कवर की बुक मिली जिसपर कोई नाम नहीं लिखा था। और उसके जैसी एक और बुक और थी। उसने दोनो में से एक बुक निकाली। वोह स्तब्ध रह गई जब उसने देखा की उसमे हाथ से लिखा हुआ था ना की प्रिंटिंग थी। उसने कन्फर्म होने के लिए थोड़ा और नजदीक से पढ़ा तो पाया की वोह किसी का हैंडरिटन ही था। वोह लिखावट बहुत ही खूबसूरत थी पर किताब के पन्ने हल्के पीले रंग के थे और कहीं कहीं पन्नों पर स्याही के बूंदों के निशान थे।
"....... मैं मेरे भाइयों के सामने खड़ी हो गई थी, उस खून से सनी हुई चिड़ियों को लेकर जिसे मैने गोली मार दी थी। मैने उन्हे प्रमाण दे दिया था की मैं एक गर्वित सेनानी औरत हूं जो उनके साथ शिकार पर जा सकती हूं......"
अनिका ने वोह किताब तुरंत बंद करदी और उसे अब गिल्टी महसूस होने लगा क्योंकि वोह कोई बुक नही थी किसी की डायरी थी।
पर किसकी? इस में जो नाम सेनानी लिखा था वो कुछ जाना पहचाना लग रहा है। अनिका को किसी की डायरी पढ़ने से जो गिल्ट महसूस हो रहा था उस से ज्यादा अब वो उत्सुक हो रही थी उसे दुबारा पढ़ने के लिए। उसने फिर से वोह डायरी खोल दी।
"......माँ दुखी थी। वोह चाहती थी की मैं ज्यादा से ज्यादा समय इस राज्य को चलाने को सीखने में लगाऊं ताकि मैं अभिमन्यु सिंघम के लिए योग्य दुल्हन बन सकूं...."
अनिका ने एक गहरी सांस खींची। एक शब्द पढ़ कर वोह हिल गई 'सिंघम'। उसके अंदर का सारा गिल्ट अब दूर हो गया। उसका दिल जोरों से धड़क उठा जब उसने आगे पढ़ने का डिसाइड किया। उस बुक को अपने हाथ में सावधानी से पकड़ कर वोह बालकनी में चली गई। और एक कुर्सी पर जा कर बैठ गई।
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कहानी अभी जारी है...
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