Consequences of illicit relationship--5 books and stories free download online pdf in Hindi

नाजायज रिश्ते का अंजाम--5

माया राजेन्द्र से अलग होकर दरवाजा खोलने के लिए आ तो गयी।लेकिन उसे अस्त व्यस्त अवस्था मे देखकर सुधीर के मन मे सन्देह का बीज फूट गया।सुधीर ने पत्नी से साफ साफ तो कुछ नही कहा पर घुमा फिराकर सब कुछ कह दिया।
पति की बात का माया पर कोई असर नही पड़ा।राजेन्द्र के प्यार में वह ऐसी पागल हो चुकी थी कि जो माया पति की हर बात आंख मूंद कर स्वीकार कर लेती थी।वह माया पति की बात पर ध्यान देने के लिए तैयार नही थी।
घर से बेखबर हर समय अपने धंधे की सोचने वाला सुधीर शक होने पर हर समय पत्नी पर नजर रखने लगा।वह पहले सुबह जाता तो रात को ही घर लौटता था।लेकिन शक होने पर वह चाहे जब घर आ जाता।वह जब भी घर आया उसने माया को राजेन्द्र के पास ही पाया।उसने पत्नी को हर बार समझाने का प्रयास किया।पर व्यर्थ।
एक दिन सुधीर ने रंगे हाथ राजेन्द्र और माया को वासना का खेल खेलते हुए पकड़ लिया।"चल साली"
वह माया को पीटते हुए अपने कमरे में ले गया।फिर राजेन्द्र से आकर बोला,"मेरा घर अभी खाली करके चले जाओ।"
राजेन्द्र ने सुधीर का घर खाली करने में देर नही लगाई।वह घर खाली करके चला गया।लेकिन अकेला नही गया।माया भी उसके साथ चली गयी।माया के राजेन्द्र के साथ चले जाने पर सुधीर बौखला गया।पत्नी के प्रेमी के साथ चले जाने से सुधीर की बहुत बदनामी हुई।कुछ लोगो ने कहा,"कैसा मर्द है जो औरत को सम्हाल कर नही रख सकता।"
वह दोस्तो से बोला,"पुलिस में रिपोर्ट लिखवा देता हूँ।"
"रिपोर्ट किस बात की करोगे?माया नाबालिग नही है।वह अपनी मर्जी से राजेन्द्र के साथ गयी है।तुम्हारी तो छोड़ो जब उसने अपने बच्चों का ख्याल ही नही रखा।अगर उसे जबरदस्ती किसी तरह से घर ले भी आये तो उससे क्या फायदा होगा?"
और दोस्तो और रिश्तेदारों के समझाने पर सुधीर ने पुलिस में रिपोर्ट नही करायी थी।
दाम्पत्य का आधार है विश्वास।दाम्पत्य पति पत्नी के बीच निष्ठा और विश्वास पर टिका रहता है।बहुत से ऐसे पति पत्नी के बीच नही बनती।पति पत्नी के विचार नही मिलते।आपस मे बात बात पर झगड़ते रहते है।फिर भी वे एक छत के नीचे रहते है।बच्चे हो जाने पर औरत सन्तान के मोह में पड़ जाती है।
प्रेमी के साथ माया के भाग जाने की बात छिपी नही रही।धीरे धीरे लोगो को पता चलने लगी।सुधीर के बेटा था राजू और बेटी थी मोना।स्कूल के बच्चे राजू और मोना से तरह तरह के सवाल पूछने लगे थे।जब दोनों बच्चे पिता को स्कूल की बात बताकर उससे अपनी माँ के बारे में पूछते तब सुधीर उन्हें समझाता,"बेटा अब तुमसे कोई तुम्हारी माँ के बारे में पूछे तो कह देना।माँ मर गयी।"
बच्चे अब नादान,नासमझ नही रहे थे।वे जानते थे।उनकी माँ मरी नही है।राजेन्द्र के साथ अपना घर छोड़कर चली गयी है।माँ के इस तरह दूसरे आदमी के साथ चले जाने पर कदम कदम पर अपमानित होना पड़ता था।बच्चों के दिल मे भी माँ के प्रति नफरत भर गई।जो बच्चे अपनी माँ से बेतहाशा प्यार करते थे।वे बच्चे उससे नफरत करने लगे।
और दो साल गुजर गए।माया और राजेंद्र का दो साल तक कोई पता नही चला

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