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नाजायज रिश्ते का अंजाम (अंतिम भाग)

पहले राजेन्द्र माया का पूरा ख्याल रखता था।उसकी सुख सुविधा और जरूरत का ध्यान रखता था।और शाम को समय से घर लौट आता था।पर प्रतिभा के सम्पर्क में आने के बाद उसका ज्यादा समय उसके साथ गुजरने लगा।कम्पनी से निकलने के बाद वह प्रतिभा के साथ कही न कही चला जाता।इसलिए वह घर देर से लौटने लगा।
"देर से क्यो आये?"माया,राजेन्द्र से देर से आने का कारण पूछती तो वह कोई न कोई बहाना बना देता।राजेन्द्र के रोज देर से घर लौटने पर माया को सन्देह हुआ।और एक दिन माया,राजेन्द्र के ऑफिस जा पहुंची।
"राजेन्द्र अंदर ऑफिस में है?"माया ने गेट पर खड़े गार्ड से पूछा था।
"साहब ऊपर नही है"।"
"कहाँ गए है?"
"अभी कुछ देर पहले प्रतिभा के साथ गए है।"
"यह प्रतिभा कौन है?"
"साहब की सेकेट्री है।"और गार्ड ने माया को सब कुछ बता दिया था।
माया ने राजेन्द्र के प्यार में पागल होकर समाज की चिंता न करते हुए पति ही नही बच्चे भी छोड़ दिये थे।वह जानती थी उसके इस कदम से पति और उसके मा बाप की बहुत बदनामी होगी।और ऐसा ही हुआ था।उसके अपने बच्चे ही उससे नफरत करने लगे थे।पति और ब बच्चो के पास वापस लौटने के सारे रास्ते वह खुद ही बन्द कर चुकी थी।
प्रतिभा के बारे में जानकर माया ने सोचा था।अगर अब राजेन्द्र ने भी उसे छोड़ दिया तो वह कही की नही रहेगी।उसने राजेन्द्र को वश में रखने के लिए प्यार का सहारा लिया।वह खुद बिस्तर में पहल करने लगी।वह जबरदस्ती राजेन्द्र से शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए उसे मजबूर करने लगी।पर जो राजेन्द्र पहले माया के शरीर को भोगने के लिए लालायित रहता था।अब अनिच्छुक नजर आने लगा। उसके साथ सेक्स करने से घृणा होने लगी।
जो राजेन्द्र पहले माया पर बुरी तरह आसक्त था।जिसके बिना वह रह नही सकता था।प्रतिभा के सम्पर्क में आने के बाद उससे कटने लगा।उससे दूरी बनाने लगा।जब माया प्यार और शरीर के बल पर राजेन्द्र को माया के पास जाने से नही रोक सकी तब उसने झगड़े का सहारा लिया।वह राजेन्द्र के प्रतिभा से सम्बन्धी को लेकर उससे रोज लड़ने लगी।एक दिन राजेन्द्र गुस्से में बोला,"तुम कौन हो मुझे रोकने वाली?"
"बीबी।"
"मेरी तुमसे शादी नही हुई तो बीबी केसे हो गयी?"
"शादी नही हुई तो बीबी की तरह क्यो रख रखा है।क्यो बीबी की तरह मेरा इस्तेमाल कर रहे हो?"बात इतनी आगे बढ़ी की गुस्से में राजेंद्र ने माया को सीढ़ियों से धक्का दे दिया।माया गर्भवती थी।उसका गर्भपात हो गया।राजेन्द्र उसे अस्पताल में भर्ती करा आया।
राजेन्द्र ने सुधीर को खबर करवा दी।अस्पताल में भर्ती कराने के बाद राजेन्द्र ने उसकी कोई खबर नही ली।उसने प्रतिभा से कोर्ट मैरिज कर ली और पत्नी के साथ हनीमून को चला गया।
सुधीर की तो इतनी बदनामी हो चुकी थी कि वह उसे मरा हुआ मान चुका था।उसके पास जाने का सवाल ही नही था।उसने यह जरूर किया।माया के माता पिता को खबर कर दी।माया के माता पिता उसके कर्म से इतने दुखी थे कि वे समाचार मिलने पर भी नही आये।
अस्पताल में माया तड़पती रही लेकिन उसकी सुध लेने कोई नही आया और वह लावारिस की तरह मरी।
माया की यह गति उसके कर्मो से हुई थी।


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