बेशक इश्क - Part-13 Vandana thakur द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेशक इश्क - Part-13

धीरे-धीरे रूपिका की तबियत सही होने लगती हैं, अब उसे समझ गया था कि वो आत्माओ को देख सकती है, और कॉलेज ऑफ ने जो कुछ भी देते था वह एक अलग दुनिया थी । रूपिका को अब हर जगह कोई ना कोई आत्मा सफेद या काले कपडो में दिख जाया करती थी । बस वदान्य के घर के अन्दर उसे कोई दिखाई नही देता था, इस बात की उसे खुशी थी, जब भी वह निवेदिता के साथ कहीं बाहर जाती तो हर जगह उसे कोई ना कोई आत्मा दिख जाया करती थी, शुरूआत में रूपिका उन्हें देखकर डरती थी पर अब उसे उन सभी की आदत पड़ गई थी ।

कभी-कभी तो आत्माएं कार की सीट के बगल में ही बैठकर उसे घूरती रहती थी, तो कुछ उससे मदद मांगती थी, रूपिका को जैसे भी लगता कि वो किसी की भी मदद कर सकती है तो वो कर दिया करती थी । धीरे-धीरे रूपिका नें अपना डर भी छोड़ दिया था वह पहले सभी को देखकर जितना डरा कर दी थी अब बिल्कुल भी नहीं डरती थी । उसकी सुधरती तबियत देखकर निवेदिता, वदान्य और रघुवीर बहुत ही खुश थे ।

लगभग 15 दिन बाद............

रात का समय..........

रूपिका चन्दानी मैन्शन की छत पर खड़ी थी, छत पर काफी तेज हवा चल रही थी । रूपिका के बाल हवा में लहरा रहे होते है । उसकी आंखो आसमान को ताक रही थी, आसमान में काफी तारे चमक रहे होते है पर चांद नही दिखाई दे रहा था ।

वो आसमान में देखते हुए-: " कल सें मैं वापस कॉलेज जाऊंगी,,,, उम्मीद है अब पापा और गार्गी की मौत का रहस्य मुझे पता चल पाएगा,,,, "

" हां हो सकता है, मैने तुम्हारे डैड को देखा था तब वो कॉलेज आया करते थे,,,," उस टॉम बॉय जैसी दिखने वाली लडकी नें कहा । यह लड़की वही थी जो उस दिन रूपिका वो कॉलेज के बाहर मिली थी ।

" तब तुम जिंदा थी,,,???" रूपिका नें सवाल किया ।

" हां,,, तीन साल पहले तक तो,,, बट फिर,,, " वो लडकी कहते-कहते रूक गयी ।

" तुमनें मुझसे दो बार इस बारे में जिक्र किया है पर तुम दोनो बार नही बताती कि तुम्हारी मौत कैसे हुई रूबल,,,!!" रूपिका नें कहा ।

" तुम मेरी मौत को क्यो लेकर बैठी हो, मुझे लगता है अभी तुम्हें अपने डैड के बारे में जानना चाहिये,,,, " रूबल नें बात बदलते हुए कहा ।

" हम्म,,,, फिर तुम्हें कुछ पता है,,,,, जो तुम बता पाओ,,, ???" रूपिका नें कहा ।

" हां कल कॉलेज में बताऊंगी,,, अभी मेरे जाने का वक्त हो गया है,,,, तुमसे कल कॉलेज में मिलता हूं,,," कहकर रूबल हवा में गायब हो जाती है ।

रूपिका उसे जाते हुए देखती रहती है, वही पीछे से वदान्य वहां आता है-: " तो आप यहां बैठी है,,, और मैं आपको नीचे ढूंढ रहा था,,," वदान्य छत के सहारे खडे होते हुए कहता है ।

रूपिका उसे अचानक अपने सामने देखकर सवालियां नजरो से-: पर आप मुझे क्यो ढूंढ रहे थे,,,,???

" बस यूंही,,, सोचा आपसे कुछ बात कर ली जाये,,,,"

" मुझसे क्या बात,,,,??? "

" अरे, यूंही, दोस्त है तो कुछ बाते तो कर ही सकते है, क्या आप मुझे अभी तक अपना दोस्त नही मानती है,,,,??"

" अरे नही ऐसी बात नही है वदान्य, आप सभा नें मेरे लिये इतना कुछ किया है तो मैं आपको दोस्त क्यो नही मानूंगी,,,,, "

" औह अच्छा ऐसी बात है, तो फिर यह बताइये कि आप यहां अकेले बैठे-बैठे क्या कर रही है,,,???

" कुछ नही बस गार्गी की बाते याद आ रही थी,,,"

" क्या,,,?? मतलब कौनसी बाते,,,??"

" एक्सिडेन्ट से पहले की बाते, आपको पता है एक्सिडेन्ट से पहले वो मुझे कितनी बार कह रही थी वापस चलो, मुझे कुछ ठीक नही लग रहा, पर मैने उसे कहा था कि घर वापस नही जाएगे , एयरपोर्ट ही जाएगे , मेरी नासमझी के कारण आज नेरी बहन मुझसे दूर चली गयी है,,,, " कहते हुए रूपिका की आंखो से आंसू बहने लगते है । वदान्य को रोते हुए देखकर उसके आंसू पोंछते हुए-: " आप मत रोइये,,,, रूपिका,,, आपकी कोई गलती नही थी, शायद किस्मत में यही लिखा था, तो यही हुआ,,, आप इस तरह खुद को दोष मत दिजिये,,,"

पर रूपिका को वदान्य की कोई बात समझ नही आ रही होती, वो बस वो बाते याद करके ही रो रही थी । वदान्य रूपिका के पास आकर उसको शांत करवाने की कोशिश करता है ।

" आप,,, आप जाइये,,, वदान्य,,,, मुझे कुछ देर,,अकेला रहना है "

" पर,,,"

" प्लीज,,, जाइये,,,, !!!! "

" ठीक है, आपको दस मिनट के लिये अकेले छोड देता हूं,आप या तो नीचे खुद ही आ जाइयेगा वरना मैं ही आपको लेने ऊपर आ जाऊंगा,,,,और रोना बन्द करके ही नीचे आइएगा,,,, " इतना कहकर वदान्य नीचे की तरफ चला जाता है ।

रूपिका वदान्य के जाने के बाद आसमान की तरफ देखते हुए रोने लगती है । कुछ देर रोने के बाद रूपिका का मन हल्का होता है तो वो नीचे की तरफ जाने लगती है पर उसे लगता है जैसे किसी नें उसको पीछे से पकड रखा हो । रूपिका किसी के हाथो को अपने शरीर पर महसूस कर रही थी । उसे लग रहा था किसी नें उसे जकड रखा है पर उसे कोई दिखाई नही दे रहा था । रूपिका का शरीर भी उसका साथ नही दे रहा था ।

" कौन,,, है,,, किसनें मुझे पकड रखा है,,,???"

" रूपिका,,,,,!!! " ठण्डी सांसो के साथ एक आवाज रूपिका के गर्दन पर उसे महसूस होती है ।

रूपिका को ऐसा लगता है जैसे किसी के ठण्डे होंठ उसकी गर्दन पर हो । रूपिका का शरीर ठिठक उठता है ।

रूपिका , तुरन्त खुद को उस कैद से छुडाकर नीचे की तरफ भागती है वो बहुत तेजी से नीचो की तरफ जा रही होती है कि सामने से आ रहे सख्स पर उसका ध्यान नही जाता और वो उससे टकराकर उसके साथ ही नीचे गिर जाती है । रूपिका और उस सख्स के होंठ एक-दूसरे को चुम चुके थे । ऐसा होने पर रूपिका को एकदम चौंक जाती है उसे समझ नही आतै उसके साथ क्या हुआ, वो सामने सख्स की आंखो को हैरानगी सेे देखने लगती है उसकी गहरी हरी आंखे रूपिका एकदम पत्थर की मूर्त बनकर उन्हें देख रही होती है । वही सामने वाले सख्स के चेहरे पर भी इतने ही हैरानगी के भाव थे । जितने कि रूपिका के चेहरे पर थे ।

धारावाहिक जारी है..........