बेशक इश्क - Part-1 Vandana thakur द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेशक इश्क - Part-1

" यह जो हल्का हल्का सुरूर है,, मेरा इश्क , मेरा फितूर है,,, यह जो हल्का,,,!!!! कहते हुए वो लडका अचानक रूक गया । उसकी आंखो से बेतहांशा,,, दर्द के साथ एक नमी उभर आयी ।


वो लडका एकटक दिवार की तरफ देख रहा था ,और दिवार की तरफ देखकर उसकी आंखो से एकाएक आंसू बह रहे थे , जैसे दिवार पर उसे कुछ दिख रहा हो, जो उसकी गहरी नील झील सी आंखो में आंसू ला रही थी ।

" तुम कहा हो,,,, तुम्हारे बिना यह जिंदगी जैसे जिंदगी नही लगती,,, तुम्हारी कमी हर पल सताती है,,, प्लीज वापस आ जाओ,,,, मुझे तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बितानी है,,,, मुझे यह एक तरफा सफर सता रहा है,,, प्लीज लौट आओ,,,,," कहते हुए उस लडके के आंखो से आंसूओ की बूंदे झलक पडी ।

देखने में वो लडका काफी खुबसुरत था,,,इतना खुबसूरत जैसे कोई राजकुमार हो । वो लडका चुपचाप सोफे पर बैठा दिवार को देखते हुए आंसू बहा रहा था, उस लडके का ध्यान पूरी तरह उस दिवार पर था तभी एक आकृति उस लडके के पीछे उभरी । वो आकृति एक काले साये की तरह थी । वो काली आकृति एक तरह से हवा में झूल रही थी । धीरे-धीरे वो आकृति उस लडके के तरफ बढी और उस साये नें अपने हाथो को फैला दिया,,, उस लडके को अपने पीछे किसी की मौजूदगी महसूस हुई तो वो पीछे पलटता और चौंक उठता है, उसके मुंह से कुछ भी शब्द निकलता तभी वो आकृति उस लडके को अपने काले धुएं मे समाहित कर लेती है और वहा से गीयब हो जाती है । पूरे कमेरे में एक चीख के बाद सन्नाटा छा जाता है ।

दूसरी तरफ
न्यू यॉर्क सिटी, अमेरिका
एक खूबसूरत घर

एक लडकी, एक रूम में सो रही है रात के करीब दो बजे है और वो गहरी नींद मे है,,,, पूरे रूम में अन्धेरा है,,, पर कुछ हल्की रोशनी थी क्योकि उसके रूम में कुछ चमकीली डीम लाइट्स लगी हुई थी जो पूरे रूम में रोशनी कर रही थी ।

" आदि, नही वहां मत जाओ मत जाओ,,,, वहां,,,, वो तुम्हें मार देगे ,,,,,, वो लोग इंसान नही है,,,, वो लोग इंसान नही है,,,, इंसान नही है वो,,,, आदि,,,,,," कहते हुए वो लडकी चीख उठी और अचानक से उसकी आंखे खुल गयी,,,, ।

उसकी आंखे खुलते ही उसनें तुरन्त अपने रूम की लाइट ऑन कर दी, उस लड़की का चेहरा पसीने से बुरी तरह भीग चुका था और सांसे लगातार फूल रही थी । उस लड़की के चेहरे पर एक अजीब सा डर था और साथ ही उसके हाथ पैर बुरी तरह कांप रहे थे । वो लडकी डर से कांपते हुए अपने चेहरे को अपने हाथो के पीछे छिपा लेती है,,,, और गहरी - गहरी सांसे भरने लगती है ।

" आदि,,,,, कौन हो तुम ,,,,,,, कौन है यह आदि,,,, और क्यो मेरे सपनो में हर दिन आ जाता है,,,,और कौन है वो सब लोग,,,, दो हर दिन मुझे दिखाई देते है पर कोई भी साफ नही दिखाई देता सब अंधेरे में एक दूसरे को खींच रहे होते हैं कौन है यह सब,,,,,,, " कहते हुए वह लड़की खुद से ही सवाल करने लगती है । वो लडकी खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी । तभी उसके रूम का दरवाजा खुलता है और एक लडकी तेज कदमो से उसके रूम मे आती है ।


" रूपी,,, क्या हुआ , तुम ठीक तो हो,,,,,,, " कहते हुए उस लड़की ने रूपिका पीठ पर हाथ रख दिया ।

उस लडकी की आवाज सुनकर रूपिका नें उसकी तरफ देखा । पर अचानक ही वो लडकी रूपिका की तरफ देखकर चीख उठी और बैड से खडी होकर डर से एक कोने में खडी हे गई । उस लडकी की चीख सुनकर रूपिका हैरानी से उसे देखने लगती है अब तक रूपिका शांत हो चुकी थी । पर वो लडकी डर से कांपने लगी थी ।


" गार्गी मै ठीक हूं पर तुम्हें क्या हुआ,,,, " रूपिका नें गार्गी को देखते हुए कहा ।


गार्गी नें रूपिका के पास ही टेबल की तरफ इशारा किया और हल्क और जरी हुई आवाज में कहा -" वहां ,,,, वहां तुम्हारी टेबल पर छिपकली है,,,,,, उसे भगाओ,,,,,,, "
गार्गी की बात सुनकर रूपिका नें, टेबल की तरफ नजर घुमा दी तभी उसे दिखाई देता है कि छोटी सी छिपकली उसके टेबल पर बैठी हुई थी रूपिका नें उस छिपकली को देखकर अपना सिर हिला दिया ।


फिर एक गहरी संस के साथ गार्गी की तरफ देखते हुए कहा-" यार छिपकली है भूत नही है जो इतनी तेज चिल्ला रही हो, इससे कौन डरता है,,, कितनी प्यारी है यह,,,,,"

" यह,,,, यह,,,, ,, तुम्हें,,,,,, तुम्हें प्यारी दिख रही है भगाओ इसे वरना देख लेना ,,,,,,, भगाओ जल्दी भगाओ" गार्गी ने लगभग रोते हुए और डर से कांपते हुए कहा ।

गार्गी की ऐसी हालत देखकर रूपिका नें इशारे से उस छिपकली को भगा दिया और गार्गी को देखते हुए कहा-: गई वो,,,,, अब शांत हो जाओ,,,,," कहते हुए रूपिका ने गार्गी की तरफ पानी का गिलास बढा दिया ।

गार्गी पहले ही डर से कांप रही थी । पानी का गिलास उसनें जैसे ही हाथ में पकड़ा वह छूट कर नीचे गिर गया और उसके टुकड़े पूरे फर्श पर बिखर गए ।

रूपिका ने गार्गी को सोफे पर बैठाया और पानी का दूसरा गिलास भरकर उसे पिलाते हुए कहा-: शांत हो जाओ,,, वो छिपकली थी,,,,कोई भूत नहीं था,,,,!!! इतना डरने की कोई बात नहीं है, शांत हो जाओ अब,,,,, " कहते हुए रूपिका दूसरे हाथ से गार्गी की पीठ मसलने लगी ।

कुछ देर में गार्गी शांत हो गई, तो रूपिका नें गार्गी को कहा-: अब ठीक हो तुम ,,,,,, !!!


गार्गी नें अपना सिर हिला दिया ।


" मैं ठीक हू पर पहले तुम क्यों चिल्लाई थी,,,, क्या वापस तुम्हें वही सपना आया था ,,,, " गार्गी ने कहा ।


" हां ,,,,, " रूपिका ने एक छोटा सा जवाब दिया ।


" तुम रोज एक ही सपना देखती हूं और उसी से डरती हो,,," गार्गी ने रूपिका के चेहरे को एकटक देखते हुए कहा ।


" हां जब तुम छिपकली को देखकर इतना रोने लगती हो , तो फिर मैं तो इंसान हूं मुझे तो इस तरीके के अजीब सपने तो डरा ही सकते हैं,,,,,,"


" तो क्या मैं कोई भूत थोड़े ही हूं मैं भी इंसान हूं, इसलिये मुझे डर लगता है उससें, और तुम्हे वो क्यूट लगती है उसे अपने रूम से बाहर फेंक दो तुम,,, , वो मुझे नही पसन्द है ,,,, हर दूसरे दिन मुझे डरा देती है मैं तुम्हें शांत कराने आती हूं और खुद डर कर जाती हूं"गार्गी नें भौंहे सिकोडते हुए कहा ।


" मत आया करो तुम रात के 2:00 बज रहे हैं जाओ सो जाओ अब जाकर" रूपिका नें सोफे से खडे होते हुए कहा ।


" और यह,,,, यह साफ करना "


" नही रहने दो मैं इसे साफ कर लूंगी, तुम सो जाओ, मेरी वजह से तुम्हारी नींद खराब हुई है और रोज होती है फिर सुबह तुम्हारे डाक सर्कल आ जाएंगे तो तुम दोबारा रोना शुरू कर दोगी और चिल्लाना भी " कहते हुए रूपिका नें कोने में पडा डस्टबीन उठाकर बैड के पास रखी और फर्श पर बिखरे हुए कांच के टुकड़ों को इकट्ठा करने लगी ।


" पर मैं हेल्प "


" अरे रहने दो, मैं कर लूंगी यार, तुम अभी सो जाओ कल सुबह बात करते हैं मुझे कल डैड से भी बात करनी है " कहते हुए रूपिका चुपचाप कांच के टुकड़ों को डस्टबिन में डालने लगी ।


" ठीक है,,,, पर अब तुम्हें दोबारा सपना आए तो मेरे पास आ जाना , क्योकि अब मैं तुम्हारे रूम में बिल्कुल नहीं आऊंगी जब तक तुम छिपकली को नहीं भगा दोगी " कहते हुए गार्गी नें एक सरसरी नजर से रूम को देखा और एक गहरी सांस लेते हुए वहां से बाहर निकल गई ।


" क्या अजीब तूफान है यह गार्गी भी, रात के समय एक वो सपना और दूसरी यह लडकी दोनो ही मेरे समझ से बाहर हो जाते है,,," रूपिका ने अपना सिर झटकते हुए कहा ।


रूपिका नें धीरे धीरे सार् कांच के टुकड़ों को इकट्ठा करके डस्टबिन में डाला हाथ मुंह धो कर बेड पर आ कर लेट गई उसके रूम की लाइट अब जल रही थी और वह छत को एकटक घूरे जा रही थी । जैसे ना जाने वह क्या सोच रही हो कुछ देर अपनी बाद करीब 3:00 बजे उसे नींद आ जाती है ।

जैसे ही उसे नींद आती है उसके कुछ देर बाद ही उसके रूम की लाइट्स अपने आप ऑफ हो जाती है और एक काली परछाई बाहर खिडकी पर काले कपडे में हवा मे लहराते हुए दिखाई देती है । उस काले साये की लाल आंखे कुछ देर तक रूपिका को देखती रहती है । फिर अचानक ही वो उस छिपकली में बदलकर उस घर की दिवार के सहारे नीचे उतर जाता है और रूपिका के रूम में अचानक ही काला धुआं उठ जाता है । जिसके गायब होते ही रूपिका भी अपने बैड से गायब हो जाती है ।

धारावाहिक जारी है...............