Beshak Ishq - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

बेशक इश्क - Part-7

रूपिका का घर.....

शाम का समय.......

वो नीली आंखो वाला लडका मुस्कुराते हुए रूपिका के पास आकर सोफे पर बैठ जाता है-: तेरा मेरा रिश्ता है कैसा,,,, एक पल दूर गवारा नहीं तेरे लिए हर रोज है, जीते तुझको दिया मेरा वक्त सभी,,,,,!!!! उस लड़के ने अपनी मदहोश आवाज में आगे की लाइन में रूपिका के चेहरे को देखते हुए कही ।

रूपिका के चेहरे पर चोट के निशान थे और सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, जिस कारण रूपिका का चेहरा काफी जख्मी और घायल दिख रहा था । लडके नें अपना हाथ धीरे से रूपिका के चेहरे के ऊपर हवा में कर लिया अपनी आंखें रूपिका के चेहरे पर टिकाए वो गाने की आगे की लाइनें गाने लगा-:" कोई लम्हा मेरा ना हो, तेरे बिना हर सांस पे नाम तेरा,,,,, !!! क्योंकि तुम ही हो, अब तुम ही हो मेरी जिंदगी अब तुम ही हो, मेरा चैन भी, मेरा दर्द भी, मेरी आशिकी अब तुम ही हो,,,,,!!!! लडका गाना गाते हुए रूपिका के चेहरे की तरफ देखते हुए उसके पूरे शरीर पर एक बार हवा में ही हाथ घुमा देता है, कुछ ही देर में वो अपना हाथ हटाता है तो रूपिका के शरीर पर कोई भी चोट का निशान नहीं था और ना ही ऐसा लग रहा था कि उसे कोई चोट भी आई है ।

लडका रूपिका को बडे ही प्यार के साथ देखते हुए-: "जब तक मैं तुम्हारे साए की तरह तुम्हारे आस-पास हूं , तुम्हें कुछ भी नहीं हो सकता है,,,,, !!!! तुम्हारी सांसे भी मेरे दिल से जुड़ी हुई हैं, तो तुम्हें इन चोट के साथ कैसे देख सकता हूं बस अब तुम हमेशा मेरे पास रहना तुम्हें कहीं जाने भी नहीं रह सकता आखिर इतने सालों बाद, इतने इंतजार के बाद मेरी मोहब्बत मेरे सामने है,,,,,, !!!! कहते हुए लडके नें रूपिका के चेहरे की तरफ अपने होंठ बढा दिये ।

" डैड,,,,, आप मत जाइये !!!!! " रूपिका चीखते हुए बेड से खडी होती है । रूपिका की सांसे तेज- तेज चल रही थी, उसकी आंखो मे आंसू थे, जो अपने आप ही बहने लगते हैं ।

रूपिका आंखे खोलकर यहां-वहां देखती है तो वो हैरान रह जाती है इस वक्त वह अपने घर पर थी अपने रूम में पर कैसे,,,,!?! रूपिका को यही बात समझ नहीं आती क्योंकि कुछ देर पहले तक तो वो वदान्य के घर पर थी और अचानक यहां.....?????

रूपिका नें पूरे रूम में नजरे दौडायी पर इस समय वहां कोई नही था, सिर्फ एक वही वहां मौजूद थी, वो अपने बेड पर कैसे, अपने घर पर कैसे पहुची,,,, ??? रूपिका को हद से ज्यादा हैरानगी हो रही थी ।

" मैं अपने घर में कैसे पहुंची, मैं तो चन्दानी पैलेस में थी,,,,!!!!!"रूपिका नें खुद से कहा ।

रूपिका को कुछ भी समझ नही आया वह कुछ देर तक बेड पर बैठी- बैठी सोचती रहती है पर उसे कुछ भी समझ नहीं आता, तो वो अपना सिर पकड लेती है-: यह सब क्या हो रहा है मेरे साथ,,,,,!!! पहले डैड का जाना, फिर गार्गी का जाना और मेैं यहां,,,,???? आहह,,,,!!! रूपिका खुद से कहते हुए चीख पडती है । तभी उसे कुछ अजीब लगता है वो अपने माथे पर बंधी पट्टी को चेक करती है पर अब उसके सर पर कोई पट्टी नहीं बंधी थी यहां तक की उसके हाथ पर भी अब कोई भी चोट का निशान नहीं था । रूपिका यह देख कर हैरान हो जाती है.

" मेरी चोट,,, मुझे तो बैंडेज बंधे हुए थे, तो यह सब,,, मैं ठीक, इतनी जल्दी कैसे,,,,,,????? रूपिका अपने आप को देखते हुए कहा ।

रूपिका अपने पैरो को भी चेक करती है पर अब वहां पर भी ना तो कोई चोट के निशान थे, ना ही उसके पैर पर कोई बैंडेज बंधी हुई थी ।

" यह सब ठीक कैसे,,,,,,,,???? "

" मैम,,,, क्या मैं अंदर आ जाऊं,,,,,!!! बाहर से किसी औरत की आवाज आती है ।

रूपिका आवाज सुनकर घबरा जाती है क्योंकि उनकी वह अपने में ही इतनी खोई हुई थी कि इस वक्त अगर एक सुई भी गिर पड़ती तो शायद वह उतनी ही बुरी तरह घबराती ।

" हा,,, हां,,, आ,,,,, जाओ,,,!!! रूपिका ने डरते हुए कहा । रूपिका के कहने पर एक 40-45 साल की औरत अंदर एंटर करती है ।

" मैम साहब,,,,, माफ किजियेगा, मैं थोडी लेट हो गयी,,,, पर आज बाहर मौसम काफी खराब है इसलिए आने में लेट हो गई , खैर आप बताइये आज डिनर में क्या बनाना है,,,,??? उस औरत ने कहा ।

" आप,,,, कौन है,,,, ??? और आप मेरे घर में क्या कर रहे है,,,,,??? "रूपिका नें धीमी आवाज में कहा ।

" मैम, मैं माधवी,,, आपने ही तो मुझे बुलाया है,,,,, मैं आपके डैड के समय भी इस घर की देखभाल किया करती थी, और अभी पिछले एक महिने से में गांव गई हुई थी, तो कल आई,,,, पर कल यहां ताला लगा था फिर पता चला कि रहैजा साहब,,,, इसलिये फिर मेैं यहां से चली गयी थी पर अभी एक घण्टे पहले आपका कॉल आया तो मैं चली आयी,,,, "

" मैने,,,,??? "रूपिका हैरानगी से को देखने लगती है ।

" हां मैम साहब, यह देखिये कॉल लॉग,,,,!!! " कहते हुए माधवी कॉल लॉग रूपिका को दिखाती है ।

" पर यह कैसे,,, मैने कब कॉल की, और मेरा मोबाइल,,, वो तो टूट,,,,, " रूपिका इससे आगे कुछ कहती तभी उसकी नजर टेबल पर रखे अपने मोबाइल पर जाती है । रूपिका अपना मोबाइल देखकर बिल्कुल हैरान थी, क्योकि हॉस्पिटल में उसनें वदान्य और निवेदिता से मोबाइल के बारे में पूछा था तो उन्होने बताया था कि उसका मोबाइल टूट चुका है ।

" मैम साहब,,,, मैम साहब,,, कुछ तो बोलिये,,,, ? क्या बनाना है ????

" ह,,,, हा,,,,, हां,,, तुम,,,अभी,,, जाओ,,,, यहा से,,,,," रूपिका ने अटकते हुए कहा, उसका दिमाग पूरी तरह से घुम चुका था कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है ।

" पर आपका खाना,,,,,!!!! माधवी नें रूपिका की बात सुनकर तुरन्त कहा ।

" नही मुझे , भूख नही है,,, आप जाइये, जब मुझे कुछ जरूरत होगी , मैं आपको बुला लूंगी,,,,,!!!अभी जाइये "

" ठीक है,,,, मैम साहब,,,,, !!!! माधवी नें इतना कहा और कंधे उठाते हुए वहां से चली गयी, रूपिका की अजीब बाते शायद उसके भी समझ से बाहर ही थी । रूपिका , माधवी के जाते ही तुरन्त दरवाजा बन्द कर देती है ।

रूपिका जाकर अपने बैड पर चुपचार बैठ जाती है फिर अपने मोबाइल की तरफ देखती है,,, वो जाकर अपने मोबाइल को उठाती है उसका मोबाइल सच में बिल्कुल सही था , टूटना तो दूर की बात थी, उस पर जरा भी खरोच तक नही थी । रूपिका का दिमाग अब सोच-सोच कर फट रहा था क्योकि माधवी, वदान्य, निवेदिता की बाते साथ ही गार्गी और उसका एक्सीडेन्ट होना, उसके डैड का सडक पर दिखना, हॉस्पिटल में आया सपना वो सब उसके दिमाग में घुम रहे थे, रूपिका नें अपना सिर पकडा और चुपचाप आंखे बन्द करके बैठ गयी ।

दूसरी तरफ

चन्दानी पैलैस

" अरे पर वो ऐसे कैसे चली गयी, उसकी तो हालत ही चलने लायक नही थी,,,, मुझे तो उसकी बहुत फिक्र हो रही है,,,,,,,"

" अरे निवेदिता, अब रहने दो , अगर वो खुद ही यहां नही रूकना चाहती है तो हम जबरदस्ती उसे यहां नही रोक सकते है,,,,!!!! रघुवीर नें निवेदिता को देखते हुए कहा ।

" पर भैय्या, उसकी तबियत,,,, "

" निवेदिता,,, देखो मुझे लगता है हमें इस वक्त अकेले छोड देना चाहिये , क्योकि इंसान अकेला रोकर और अकेला रहकर हर बार मजबूती से निखरकर बाहर आता है,,,,, और वो भी बेहतर बनकर ही दुनिया के सामने आयेगी, शायद इस वक्त उसे अपने घर पर ही रहना चाहिये , आखिर उसके डैड की यादे है वहा,,,,,, !!!!

" यस डैड, आई थिंक यू आर राइट,,,, हमे उसे परेशान नही करना है शायद वो अपने आप को मजबूत बनाना चाहती है और किसी भी सिंपथी नही चाहती इसलिये ही अकेले रहना चाहती है,,, सो हमे उस पर प्रेसर डालना चाहिए कि वो हमारे साथ रहे,,,,,!!!!

" पर मुझे उसकी चिंता हो रही है वो ठीक तो है ना" निवेदिता नें कहा ।

" बुआ,,,वो ठीक होंगी आप चिंता मत करो कल मैं कॉलेज जाते वक्त मैं उनसे जाकर मिला लूंगा,,,, और वैसे भी उनके घर में उनका ध्यान रखने के लिए नौकर तो है ही "

" हम्म,,, ठीक है पर तुम एक कल बार उससे मिल लेना ताकि मुझे भी इतनी टेंशन नही होगी,,,, "

" औके बुआ,,,!!! वदान्य नें ऊपरी मन से कह निवेदिता को तो कह दिया था पर उसे भी रूपिका की फिक्र हो रही थी पर वदान्य खुद को समझा लेता है वो कि वो कल रूपिका से मिल लेगा ।

धारावाहिक जारी है.......

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED