Secret Admirer - Part 74 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Secret Admirer - Part 74

अमायरा अब जानती थी की वोह कबीर से प्यार करती है। उसे पहले कुछ डाउट्स थे, कुछ असंकाए थी, उसकी गंभीरता पर उसे हिचकिचाहट होती थी, अपनी ही फीलिंग्स को पहले समझ नही पा रही थी। पर अब उसे कोई ऐसी कन्फ्यूजन नही थी। वोह श्योर थी उसके लिए कबीर की फीलिंग्स पर, वोह फीलिंग्स जो अब बहुत गहरी हो गई थी, की वोह उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ेगा, और रास्ते में आई हर मुश्किल का सामना करेगा। और अमायरा की अपनी फीलिंग्स, वोह उसकी हर एक सांस के लिए जरूरी बन गया है। और वोह अब उससे कैसे न प्यार करे, जबकि वोह एक ही है जिसने उसके अंदर अपनी गहराई में छाप छोड़ी है वोह भी तबसे जब वोह एक बच्ची थी। अचानक ही उसके दिमाग में उसकी और उसकी मॉम की वोह बातचीत याद आ गई जो उसने इस ट्रिप पर आने से पहले उनके बीच हुई थी।

"तुमने उससे ब्रेकअप इसलिए कर लिया था, क्योंकि कबीर ने जो स्टैंडर्ड तुम्हारे दिमाग में सेट किया था एक अच्छे लाइफ पार्टनर के बारे में वोह मिहिर कभी भी मैच नही कर सकता था।"

"कोई भी चीज़ मुझे इतनी खुशियां नही दे सकती जितना फाइनली तुम्हे यह देख कर की तुम्हारे पास वोह है जो तुमने सच में चाहा।"

क्या उसकी मॉम सच में सही थी? क्या वोह सच में कबीर की अपनी जिंदगी में चाहती थी, पर कभी जान ही नही पाई? कम से कम एक बात के लिए तोह उसकी मॉम सही थी। कबीर ने सचमुच उसके मन में एक परफेक्ट मैन की इमेज बना रखी थी, बिना यह जाने की वोह हर समय सच में बस उसे ही देखना चाहती थी। कुछ दूर से, और कुछ पास से। जहां तक उसे याद है जब भी उसने उसे देखा हमेशा नोटिस किया, हां पर कबीर के लिए वोह एक बच्ची थी, हमेशा से। बस एक फैमिली फ्रेंड की बेटी। उसे याद था की एक बार जब वोह उससे मिली थी जब वोह बच्ची थी, तोह कबीर उससे काफी लंबा था। उसके बाद वोह बड़ी हुई और एक क्यूट सी लड़की बन जाए, और कबीर एक टीनेज, जो हमेशा अपनी जिंदगी में ही बिज़ी रहता था, वोह जिसके पास कभी टाइम ही नही होता था की वोह किसी लड़की पर ध्यान दे जो हमेशा उसका ही ध्यान करती रहती है। फिर जब वोह टीनेज बनी तोह कबीर एक बड़ा लड़का बन चुका था, टाल, हैंडसम, फेयर वन, और उसकी स्कूल फ्रेंड्स की गॉसिप अपने बॉयफ्रेंड के बारे में जिससे अमायरा को लगने लगा की कबीर की कोई शानदार गर्लफ्रेंड होनी चाहिए क्योंकि वोह इतना स्मार्ट है की ऐसा हो ही नही सकता की खूबसूरत लड़कियां उसे अप्रोच ना करे या उसके आस पास ना भटके। वोह अभी भी कबीर के लिए अंधेरे में एक छुपी हुई लड़की की तरह थी, वोह बस कभी क़बार उसे हाई हेलो कह देता था जब वो ग्रुप में बैठी होती थी अपनी मॉम के साथ, क्योंकि वोह बस अपने आप को इन सोशल गैदरिंग से दूर ही रखता था। अमायरा श्योर थी की कबीर उसे पहचान तक नही पाएगा अगर वोह उसे ऐसे ही घर के बाहर कहीं रोडसाइड पर मिल गई तोह।

उसे याद था जब कबीर ने पहली बार उसकी तरफ डायरेक्टली देखा था जब उसके पापा की डेथ हुई थी। तब वोह एक छोटी सी लड़की थी, सिर्फ चौदह साल की, उसके पापा की डेथ ही गई थी, और उसे तब ही पता चला था की उसकी बहन एक्चुअली में उसकी बहन है ही नही। वोह पूरी रात अपने आप को कमरे में बंद करके रोती रही थी पर अगले दिन उसके पापा की डेथ बॉडी की अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी हो रही थी। परिस्तिथित्यां ऐसी थी की वोह अपने आप ही एक जिम्मेदार बेटी बन चुकी थी। अपनी मॉम को सांत्वना दे रही थी, मिलने आने वाले लोगों की अटेंड कर रही थी, मेहमानो को पानी दे रही थी, बिना किसी के आगे एक आंसू बहाए। और तब ही वोह भी वहां था, उसके सामने खड़ा था, उसी की तरफ देख रहा था अपनी उदास आंखों से। वोह नज़रे जो उसे कुछ पल तक ऐसे ही देखती रहीं, पर वोह कोई बेवकूफ लड़की नही थी। अमायरा जानती थी की वोह कौन है। और वोह खुद क्या है। वोह उसके लिए नही आया था। वोह तोह उसके मरे हुए पिता को श्रद्धांजलि देने आया था। अमायरा ने उसे एक पानी का ग्लास दिया था और कबीर ने उसे एक्सेप्ट भी कर लिया था। फिर उसने उससे कुछ पूछा था जिसे अमायरा ने पहले तो समझा नही। क्या वोह उससे सच ने बात कर रहा था? इतने सालों में कई कैजुअल मुलाकात के बाद, आखिर आज वोह उससे बात कर रहा था, इस दिन। उसने सुना था की कबीर ने अपना सवाल फिर दोहराया था तब ही वोह अपने खयालों से वापिस आई थी।

"क्या तुम ठीक हो?" कबीर पूछ रहा था।

"मैं......हां......थैंक यू।" अमायरा ने जवाब दिया था और पलट गई थी, उससे दूर जाने के लिए। आज पहले ही काफी सदमा उसे लग चुका था। उसने अपने पापा को खो दिया था। वोह उस लड़के पर आकर्षित नही हो सकती थी जिसने उससे बात करने के लिए यह दिन चुना था। उसे उसकी सहानभूति नही चाहिए थी। वोह जानती थी अपने दुख और दर्द को कैसे कम करना है। वोह तोह यह भी नही जानती थी की कबीर सच में उस मरे हुए इंसान की बेटी से बात कर रहा था या सिर्फ इसलिए क्योंकि वोह हाथ में पानी का ग्लास लिए खड़ी थी। और इसी तरह ही, वोह हमेशा अंधेरे ने ही रही। उसने यह अपने लिए खुद ही चूस कर लिया था। वोह उससे हमेशा दूरी बना कर रखती थी, हां पर तब भी उसकी हर एक छोटी सी छोटी जानकारी की खबर जरूर रखती थी। वोह हमेशा सुमित्रा आंटी से बात किया करती थी, अक्सर घर आया करती थी, और ईशान और साहिल की अच्छी दोस्त थी। और आसानी से उसे कबीर की सारी इनफॉर्मेशन मिल जाती थी, बिना किसी को यह पता लगे की वोह उसके बार ने इनफार्मेशन निकाल रही है। सारी खबरे जैसे की कबीर के खूबसूरत लड़कियों से कोई रिश्ते, उसकी पढ़ाई के बारे में कोई लेटेस्ट न्यूज, और उससे भी ऊपर उसका प्यार अपने परिवार के लिए। उसे बहुत अच्छा लगता यह देख कर की कबीर अपने परिवार का कितना ख्याल रखता है तब भी जब वोह विदेश में ही रहता था। उसे भी अपने लिए ऐसे ही परवाह की, ऐसे ही अटेंशन की इच्छा होती थी। इतना सब करने के बाद भी, वोह अपने आप को दूर ही रखती जब भी कबीर अपने घर पर होता। वोह कहीं न कहीं इसका कारण नही जान पाई थी की वोह ऐसा क्यूं करती थी, पर फिर भी कबीर उसके सोच में दिल और दिमाग में छाया रहता था। वोह उससे डरती थी, उसे उसमे दिलचस्पी थी, वोह उससे मंत्रमुग्ध हो चुकी थी, पर तब भी वोह उसके साथ कुछ नही करना चाहती थी।

क्या वोह उससे प्यार करती थी? नही। उस वक्त तोह नही। वोह बस उसे पसंद करने लगी थी, उसकी अच्छाइयां देख कर। एक परफेक्ट बेटा, एक परफेक्ट भाई, एक परफेक्ट स्टूडेंट, एक परफेक्ट एम्प्लॉय, जो उसने अपने पापा और मॉम से सुना था और फिर उसके बाद एक परफेक्ट बॉयफ्रेंड और एक परफेक्ट फिआंसे। उसकी नजर में कबीर का परफेक्शन बढ़ता ही जा रहा था, और साथ ही लगातार अपने घर में रिजेक्शन बढ़ता जा रहा था, जिससे वोह अपने आप को कम आंकने लगी थी। और इसी बात से उसे ऐसा लगता था की कबीर उसकी मजूदगी कभी नोटिस ही नही करता होगा। वोह अपने आप को उसकी अटेंशन के हकदार के लायक ही नहीं समझती थी। वोह कभी नही चाहती थी की कोई उसके इतने सालों से सीक्रेट एडमायरर को जाने जो उसे कबीर के लिए था। वोह कभी नही चाहती थी की कोई जाने की उसे उसने कहीं ना कहीं इंटरेस्ट है, वोह कभी नही चाहती थी कोई उसका मज़ाक उड़ाते, उसकी जज्बातों को हँसी में उड़ा दे। आखिर वोह थी कौन, कोई नही, और कबीर...उसने तोह दुनिया को ही अपने कदमों ला दिया था, और अपने प्यार को सबसे ऊपर रखता था। तोह फिर वोह क्या है उसके लिए? बस कबीर उसके लिए कभी न हाथ आने वाला इंसान था, उसको लुभाने वाला, एक परछाई जिसे कभी आप पकड़ भी नही सकते।

उसकी मॉम ने तोह उसे चौंका ही दिया था इस रेहसय का पता लगा कर की कबीर ही है जिसने उसे पूरी तरह से बिगाड़ दिया था की अब उसके अलावा कोई और लड़का उसे उसके कंपेयर में अच्छा ही नही लगता था। कबीर ही सच में वोह कारण था उसके लड़कों से दूर रहने के पीछे जो उसमें थोड़ा सा भी इंटरेस्ट दिखाते थे टीनेज के समय और उससे बाद भी। क्योंकि वोह सबकी कबीर के बेसिस पर ही जज करने लगती, उसकी क्वालिटीज को लेकर, और यह हैरत की बात नही थी की सभी लड़के कबीर के आगे फेल हो जाते। जब वोह बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो गई अपने दोस्तों के ताने सुन सुन कर की वोह एक बोर लड़की है तभी तोह उसका कोई बॉयफ्रेंड नही है, उसने फाइनली ब्वॉयफ्रेंड बनाने का डिसाइड किया, और अपने आप को फोर्स करने लगी की कबीर के अकॉर्डिंग उसे जज नही करेगी, और उसे कभी कबार कामयाबी भी मिली थी। पर वोह अपने आप को ज्यादा समय तक धोखे में नही रख सकती थी इसलिए उसने रिश्ते को खतम करना ही ठीक समझा था, इससे पहले की सामने वाले लड़के के लिए यह बात सीरियस हो जाए। और वोह यह भी जान गई थी किसी के साथ रिलेशन में आने से पहले उसे कबीर को पूरी तरह से भूलना होगा। वोह कबीर के साथ किसी रोमांटिक में वे में इमेजिन नही करती थी लेकिन फिर भी वोह उसे अपने दिमाग से नही निकाल पा रही थी, उसकी सोच उसकी क्षमता उसे किसी दूसरे रिलेशन में जाने की इजाज़त नहीं दे रही थी।
वोह उसके बारे में सोचना बंद कर देना चाहती थी पर तब भी वोह उसमे ही डूबती हुई महसूस कर रही थी। वोह अपने आप को कबीर के घर जाने से और उसकी इनफॉर्मेशन निकलवाने से रोक नही पाती थी। उसने महिमा की मौत के बाद उसके लिए रखी गई शोक समारोह में भी कबीर को देखा था, पर कबीर ने उसे बिलकुल भी नोटिस नही किया था। वोह तोह खोया हुआ था, टूट चुका था, आंखें आंसुओं से भरी हुई थी, लेकिन उसकी परमिशन के बिना आंसू आंखों से बाहर निकलने की हिम्मत भी नहीं कर सकती थी। उसे उसके लिए बुरा लग रहा था, और हमेशा की तरह, वोह उससे और भी ज्यादा मोहित होने लगी थी, यह देख कर की महिमा के जाने के बाद भी कबीर ना ही उसे भुलाने को तैयार है ना छोड़ने को। वोह जानती थी की अब कबीर उसकी याद अपने आप को डुबो देगा, काम में अपने आपको बिज़ी रखेगा और अपनी मोहब्बत को जिंदा।

ऐसा कुछ भी नही था जो की कबीर के बार में ही परफेक्ट ना हो। और अब अमायरा के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें बढ़ गई थी कबीर के जैसा ही दूसरा लाइफ पार्टनर ढूंढने के लिए। और इतना सब होने के बाद भी, वोह खुद को इंकार करती रही कबीर को अपना हमसफर मानने में। वह कभी भी अपने आप को कबीर के लायक नहीं समझती थी और जब उसे यह पता चला कि उसकी और कबीर की अरेंज मैरिज की बात चल रही है तो वह बिल्कुल सुन पड़ गई थी। वह डर रही थी। वह घबरा रही थी। पर फिर भी खुश थी। मग्न थी। आनंदित थी। क्योंकि वोह जानती थी की कबीर उसकी दुनिया का है ही नही। कबीर वोह है जिसे अमायरा कभी हासिल नहीं कर सकती थी। और इसी वजह से वोह पूरी रात नही सो पाई थी जब अगले दिन वोह दोनो अपनी शादी की बात करने के लिए मिलने वाले थे। क्या होता अगर कबीर उसे रिजेक्ट कर देता? क्या वोह इस रिजेक्शन को हैंडल कर पाती? फिर इशिता और ईशान का क्या होता अगर कबीर उसे रिजेक्ट कर देता और उन लड़कियों को भी जिनसे वोह बाद मिलता?

और फिर वोह उससे मिली थी, उस पल बिलकुल डरी हुई, घबराई हुई थी, जब वोह उससे पांच साल बाद मिल रही थी। उसने उसे देखा ही नहीं था उस शोक सभा के बाद जब पांच साल पहले महिमा की शोक सभा में उसने कबीर को टूटता हुआ देखा था। उसकी दुख भरी आंखें इन पांच सालों में भी अमायरा की खयालों से नही गई थी। उस दिन जिस दिन उन दोनो को मिलना था, वोह कबीर का चार्मिंग और स्माइलिंग फेस की उम्मीद नही कर रही थी, पर फिर भी वोह एक मैच्योर आदमी का चेहरा एक्सपेक्ट कर रही थी, एक सेंसिबल आदमी का जो अपनी लाइफ में आगे बढ़ने को तैयार है, सिर अपने भाई और परिवार के लिए। पर इसकी बजाय उसे क्या मिला था, एक गंभीर, उदास, सोच में डूबे रहने वाला, नाराज़ रहने वाला, और बेरुखी से बात करने वाला आदमी जो उसकी मॉम और बहन को ब्लेम कर रहा था उसकी बेचारगी के लिए। अमायरा की समझ से कबीर बिलकुल उस दिन अलग दिख रहा था। और इसी बात ने उसके अंदर क्रोध भर दिया था। एक परफेक्ट मैन जिसकी कल्पना अमायरा अपने मन में किए बैठी थी, उसपर एक गहरी चोट लग चुकी थी, और वोह बहुत गुस्से में थी। वोह गुस्सा थी खुद से की उसने कबीर के बारे में इतने सालों में कितनी ऊंचे ऊंचे ख्याल बना का रख लिए हैं, वोह सब कबीर का ढोंग था, सबसे बड़ा ढोंग तो की वोह अपनी मरी हुई मंगेतर के प्यार को आज भी संजो के जिंदा रखे हुए हैं और जो परिवार उससे बहुत प्यार करता है, जो जिंदा है उसकी उसे कोई परवाह नही। अमायरा ने यह महसूस कर लिया था की आगे भी जब वोह शादी की बात करने के लिए मिलेंगे तो वोह ऐसे ही सभी डेट्स खराब कर देगा और इशिता और ईशान की शादी का चांस भी बर्बाद कर देगा। इसलिए उसने डिसाइड किया था की वोह तुरंत उसी वक्त डिएशन लेगी और उस आदमी को अपनी बहन और ईशान की जिंदगी बर्बाद करने नही देगी, इसलिए उसने उसी वक्त उससे शादी करने का फैसला कर लिया था। यह बहुत जल्दी था की अमायरा को यह अंदाज़ा लग चुका था की कबीर अपनी परिआथितियों से परेशान है, गुस्सा है, और वोह अपनी मरी हुई मंगेतर को दूर नही करना चाहता था। लेकिन अमायरा अपने मन में कबीर के लिए किसी भी तरह का बैर नहीं रखना चाहती थी, इसलिए उसने उसे माफ कर दिया था, यह सोच कर की जो कबीर को वोह पहले जानती थी वोही असली कबीर है, और वोह अभी भी पहले ही तरह ही परफेक्ट है जैसा वोह सोचती थी। तभी तो वोह आज उसका परफेक्ट फ्रेंड भी है। कबीर आज भी अपनी मरी हुई मंगेतर से प्यार करता था, लेकिन आज के टाइम में अमायरा कबीर के लिए कोई अदृश्य नही थी। यह अमायरा के लिए विन—विन सिचुएशन थी। इससे अच्छी लाइफ उसे नही मिल सकती थी। जैसा उसने अपने लिए सोचा था यह तोह उसे भी कई ज्यादा अच्छी जिंदगी थी।

और फिर वोह उसका मेंटोर बन गया जब भी उसे जरूरत होती। और धीरे धीरे अमायरा ने रियलाइज किया की वोह अब उसके बिना एक पल भी नही रह सकती। और जब कबीर ने उससे अपने प्यार का इज़हार किया तोह अमायरा बहुत घबरा गई, चकित रह गई थी, और उसे बहुत दुख भी हुआ था। उसने कभी उम्मीद नही की थी की कबीर उसे कभी प्यार करेगा, वोह खुद को उसके लायक ही नहीं समझती थी, इसलिए उसने अपने आप को कभी भी उसके प्यार में पड़ने की इजाज़त नहीं दी। जब कबीर अड़ा रहा और अमायरा मुकरती रही, तोह अमायरा ने हार मान ली, वोह नही चाहती थी की किसी को भी पता चले इवन कबीर को भी नही की वोह कबीर को उसकी जिंदगी में ऑफिशियली आने से पहले से चाहती है। पर कबीर ने धीरे धीरे उन सभी दीवारों को, जो अमायरा ने अपने सामने खड़ी कर रखी थी, उन्हे तोड़ दिया। अब अमायरा को खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था की उसने कितना समय बरबाद कर दिया कबीर का प्यार एक्सेप्ट करने में।

पर क्या अब वोह तैयार है, उसे यह बताने के लिए, की वोह क्या है, की वोह उसके लिए क्या है?

अमायरा ने रियलाइज किया की उसने काफिर सारा वक्त अपने पास्ट को याद करने में लगा दिया है। उसने एक सॉफ्ट टॉवल से जल्दी से अपने आप को पोछा और शावर क्यूबिकल से बाहर आ गई। उसने अपने बदन पर सबसे पहले एक बॉडी लोशन लगाया ताकी कबीर को उसमे से किसी भी तरह की कोई भी बुरी स्मेल न आए। वोह इस रात को कबीर को किस तरह से इंप्रेस कर सकती थी? लड़किया ज्यादा तर अपने आदमियों को सुंदर सी ड्रेस पहन कर, मेकअप कर के या शायद शोज़ से इंप्रेस कर सकती थी। पर इस वक्त वोह क्या सोच सकती थी, इस वक्त उसके बैग में बस एक पुराना नाइट सूट था और कुछ नही।

वैसे भी, कपड़ों की तोह जरूरत है ही नही। क्या फिर मैं सब कुछ कबीर पर ही छोड़ दूं? मैं इतनी इनेक्सपीरियंस क्यों हूं?

वोह जानती थी की कबीर उसका बाहर इंतजार कर रहा है, और वोह यह भी जानती थी की अपने इस रिश्ते के लिए वोह यह कदम उठाने को तैयार है। वोह खुद भी यह बात नही जानती थी लेकिन उसने अपनी सारी जिंदगी उसी के साथ रहने के लिए इंतजार किया था।

वोह यह भी जानती थी की वोह उससे बहुत प्यार करती है और अब पूरी तरह से तैयार भी है उसे यह बताने के लिए।

अमायरा ने टॉवल से जल्दी से अपने बाल पोंछ लिए। इतनी देर उसके जेहन में बस एक ही बात घूम रही थी की वोह उसके लिए क्या महसूस करती है।

आई लव यू......नही.......यह कितना बोरिंग है। और घिसा पिटा डायलॉग है।
मेरा मतलब है की मैं कैसे बाहर जाऊं और बस कह दूं। इसके साथ कुछ और भी होना चाहिए।
पर क्या?

वोह शब्द सोचने ने लग गई अपने प्यार का इजहार करने के लिए, क्योंकि वोह बाहर जा कर कबीर से यह नही कह सकती थी की वोह बचपन से ही उसको चाहती है। एक लड़की को थोड़ी तोह सेल्फ रिस्पेक्ट रखनी चाहिए। और थोड़ा सा गुरुर भी। क्या होगा अगर वोह उसका मज़ाक उड़ा देगा और अमायरा को बुरा लग जायेगा? जो वोह नही जनता था वोह सच था पर यह इतना इंपोर्टेंट नही था उसके लिए जानना।

अमायरा ने डिसाइड किया और फाइनली वोह बाथरूम से बाहर आ गई। और अपने सामने का नज़ारा देख कर दंग ही रह गई। उसका पती हाथ पाऊं फैला कर बैड पर उल्टा लेटा पड़ा है। और अपने एक हाथ को उस तरफ ऐसे फैला रखा था जैसे मानो अमायरा वहां सो रही ही और उसे बाहों में भर रखा हो। कबीर सो चुका था और हल्की हल्की खर्राटों को आवाज़ आ रही थी। वोह यह सब देख कर हैरान ही रह गई थी। उसने तोह सोचा था की कबीर एक्साइटेड होगा आज इस रात के लिए जैसे की वोह है और यहां वोह सब छोड़ छाड़ के सो रहा है। अपनी पत्नी को जगा छोड़ कर, गुस्से में छोड़ कर, उसे नाराज़ छोड़ कर। पहले तो अमायरा ने सोचा की वोह कबीर को जगा दे, और उससे पूछे की इतनी इंपोर्टेंट नाइट को वोह सो कैसे सकता है, और फिर उसे सोता ही छोड़ दे फ्रस्ट्रेशन में, पर फिर उसने आपने आप को रोक लिया। उसने एक गहरी सांस ली और घड़ी की तरफ देखा और उसकी आंखें फैल गई।

उसने बाथरूम में फॉर्टीफाइव मिनट्स ले लिए थे। इतनी देर तक वोह कर क्या रही थी अंदर? इसमें कोई चौंकने वाली बात नही थी बेचारा कबीर इंतजार करते करते थक कर सो गया था।
अमायरा ने उसके सोने के तरीके को देखा और मुस्कुरा पड़ी। कबीर एक छोटे से बेबी की तरह सिया था। उसका हाथ उसी जगह पर था जहां वोह अपनी पत्नी अमायरा को चाहता था की वोह हो। अमायरा ने लंबी सांस ली। उसने अपनी रात खुद ही खराब कर दी थी। कितनी एक्साइटेड थी वोह इसके लिए। उसने रियलाइज किया की पहले ही काफी रात हो चुकी थी। वोह सुबह भी काफी जल्दी उठे थे सनराइज देखने के लिए। और पिछली रात भी काफी देर से सोने की वजह से नींद भी पूरी नही हुई थी। और पूरा दिन भी काफी बिजी रहे थे। ऑब्वियस्ली कबीर ने पूरे दिन में एक बार भी आराम नही किया था और अब थकना तोह बनता था। वोह खुद भी बहुत थक गई थी लेकिन इस बात का एहसास उसे अब हुआ था।

उसने कमरे में चारों ओर देखा। एक बार कल यहां आने के बाद एक नज़र सब देखने के बाद उसने दुबारा किसी चीज़ पर ध्यान नही दिया था। वोह इतनी बिज़ी थी, इतनी एक्साइटेड थी की उसने इस कमरे की ब्यूटी तो देखी ही नही थी। वोह ज्यादा तर कमरे से बाहर ही रहे थे, आइलैंड को एक्सप्लोर करने में बिज़ी थे की कमरे में रहें ही नही। उसने अपने नीचे देखा, और उस पूल की तरफ, जो कमरे के ट्रांपरेंट फर्श के नीचे था और उसका नीला पानी अमायरा के कदमों के नीचे चमक रहा था। यह बिल्कुल ऐसा था की कबीर उसे एक नई दुनिया ही में ले आया हो। एक अलग, दूर, और खूबसूरत दुनिया। खूबसूरत बिलकुल उसके प्यार की तरह। हमारा मुस्कुराए और लाइट स्विच ऑफ कर दी और फिर कबीर के पास उसके बगल में ही बैड पर लेट गई। उसने बड़े ही ध्यान से कबीर का हाथ उठाया और अपने पेट पर रख लिया। धीरे से सोते हुए कबीर के वोह और नज़दीक हो गई। और नींद में ही कबीर ने उसे और करीब कर लिया। अमायरा ने अपनी आंखें बंद की और भगवान का शुक्रिया अदा करने लगी की उसने उसकी जिंदगी में कबीर को भेजा और उसके प्यार को।
उसकी लाइफ अब बहुत सुकून भरी थी।

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अगली सुबह जब कबीर सो कर उठा तो देखा अमायरा उससे लिपटी हुई थी। कबीर उसके और करीब हो गया। इससे पहले की वोह लोग यहां से निकल जाएं और साहिल की शादी में बिज़ी हो जाएं, कबीर कुछ देर तक इस नज़ारे को ऐसे ही निहारता रहा। पर शादी तोह चार दिन बाद थी। अब के बारे में क्या? और पिछली रात? उसे अचानक ही बीती रात के बारे में याद आ गया और उसकी नींद एक झटके में खुल गई। उसने याद किया की वोह अमायरा का इंतजार कर रहा था की कब वोह बाथरूम से निकलेगी और वोह बैड पर लिटा बाथरूम के दरवाज़े पर टकटकी लगाए हुए था। और उसके बाद उसे कुछ याद नहीं। क्या वोह सच में सो गया था, वोह भी उस रात जो उसके लिए बहुत स्पेशल होने वाली थी? वोह अपने आप को कोसने लगा। वोह कैसे कर सकता था उसके साथ, खुद के साथ? अब वोह उसका सामना कैसे करेगा, उसे इस तरह से निराश कर के? उसने धीरे से अपने आप को उससे छुड़ाया और टाइम देखने लगा। सुबह काफी देर हो चुकी थी। और उन्हे वापिस भी जाना था समय पर। वोह धीरे से उठा और वाशरूम चला गया। थोड़ी देर बाद वोह वापिस निकला और उसके रिएक्शन से डरते हुए उसे उठाने लगा। उसने उसे प्यार से जगाना शुरू किया और अमायरा नींद में कुनमुनाने लगी।

"उठ जाओ अमायरा। हमे जल्दी निकलना भी है।" उसने प्यार से उसे सहलाया।

"नही.....मुझे सोना है। मुझे यहां से नही जाना।" अमायरा ने नींद में आंखें बंद करे ही जवाब दिया। उसने कबीर का हाथ लिया और अपने सिर के नीचे एक तकिए की तरह रख लिया और कबीर उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा गया।

"हमें फ्लाइट पकड़नी है अमायरा। हम देर नहीं कर सकते।"

"आप फ्लाइट का टाइमिंग चेंज नहीं कर सकते? मुझे भी यहां से नही जाना।" अमायरा ने जवाब दिया। उसने अभी तक अपनी आंखे नही खोली थी।

"यह आइलैंड है स्वीट हार्ट। उनके पास लिमिटेड रिसोर्सेज ही होते हैं और लिमिटेड फ्लाइट्स। अगर हमने अभी फ्लाइट मिस कर दी तोह हम कल तक के लिए वेट करना होगा सेम फ्लाइट के लिए।" कबीर ने उसे समझाया और अमायरा ने अनिच्छा से आंखें खोल दी।

"आप इतने बोर कैसे हो सकते हैं?" अमायरा ने बैठते हुए कहा। "और वैसे भी मैं उस इंसान से क्या एक्सपेक्ट कर सकती हूं जो उस रात को सो गया जो हमारी फर्स्ट नाइट हो सकती थी?" अमायरा ने उस पर इल्ज़ाम लगाया और कबीर ने आह भरी।

"आई..... आई एम सॉरी अमायरा। मुझे खुद ही नही पता की मैं रात को कैसे सो गया। आई एम रियली सॉरी।" कबीर की आवाज़ से ही पता चल रहा था की वोह कितना गिल्टी महसूस कर रहा था पर अमायरा उसे इतनी आसानी से जाने नही देना चाहती थी।

"मुझे नही लगता की आपको गिल्टी फील हो रहा है।"

"तुम ऐसा क्यों बोल रही हो?"

"देखिए अपने आप को, आप को कितनी जल्दबाजी है जाने की, एक परसेंट भी इंटरेस्ट नहीं है यहां मेरे साथ रुकने का। ओह....अप तोह पहले से ही तैयार ही हैं। ठीक है फिर। मैं भी जाती हूं और तैयार हो जाती हूं।" अमायरा बड़बड़ाई और कबीर मुस्कुराने लगा। जब वोह इस तरह से उससे लड़ती थी वोह बहुत ही क्यूट लगती थी। अमायरा ने उठने की कोशिश की लेकिन कबीर ने उसका हाथ पकड़ कर वापिस लेटा लिया। अमायरा ने उससे छूटने की कोशिश की लेकिन कबीर ने अपनी पकड़ कस दी। कुछ ही पल में अमायरा बैड पर नीचे लेटी थी और कबीर उसके ऊपर, उनके होंठों के बीच इंच भर का फासला था। कबीर ने अपना सिर झुकाया अमायरा को डीप किस करने के लिए और अमायरा ने अपना सिर दूसरी ओर पलट दिया।

"नही। अब आपको इसके लिए कमाना होगा। आपके पास चांस था पर आपने कल रात वोह खो दिया। अब आप मेरे लिए कुछ ऐसा कीजिए की आप इस लायक बन पाएं।" अमायरा ने शैतानी मुस्कुराहट से कहा।

"ओह! मैं एक रात क्या सो गया की मैं अचानक अपनी ही पत्नी को किस करने के भी लायक नही रहा। यह तोह नाइंसाफी है।" कबीर उसे अच्छे से पकड़े हुए था क्योंकि अमायरा अभी उससे छूटने की कोशिश करने में लगी हुई थी।

"अच्छा होगा की तुम यह बेकार की कोशिश करना बंद करदो क्योंकि यह मुझे और उकसा रही है।"

"इससे क्या फर्क पड़ता है? आपको अब मुझसे कुछ नही मिलने वाला।" अमायरा ने स्ट्रगल बंद कर जवाब दिया।

"डेट्स लाइक अ गुड गर्ल। मुझे अब तुमसे कुछ पूछने की जरूरत नहीं है। तुम्हे अभी तक मेरे औरा का अंदाजा भी नहीं है। मैने इन दिनो अपने पत्ते बहुत सावधानी से खेले थे।" कबीर ने अपनी उसकी गर्दन पर सहलाते हुए जवाब दिया।

"रुक जाइए। मैं सच में आपसे बहुत गुस्सा हूं।" अमायरा गुस्से में बोली।

"अभी भी गुस्सा हो?" कबीर ने मदहोशी भरी आवाज़ में पूछा और अमायरा उसकी आंखों में खो गई।

"मैं.....मैं......" अमायरा अटकने लगी और कबीर को मौका मिल गया उसका मुंह बंद करने का।
वोह उसे डीप किस करने लगा, पैशनैटली, डेस्परेटली, हंगरिली। और अमायरा कुछ नही कर सकी, कबीर ने बस किस लिया और अमायरा ने दे दिया। उसको किस करने के बाद कबीर उसकी गर्दन की तरफ बढ़ गया। और अमायरा लंबी लंबी सांसे लेने लगी। कबीर की किसी भी हरकत को रोकने के लिए काफी वीक महसूस कर रही थी। अपनी सुबह को खुशनुमा बनाने के बाद कबीर ने अपना सिर उठाया और अपनी आंखों में चमक और नशा लिए उसकी आंखों में देखने लगा।

"क्या कह रही थी तुम गुस्से और वगैरा वगैरा के बारे में?" कबीर ने सोचने का नाटक करते हुए पूछा और अमायरा ने उसके सीने पर हाथ से मारा।

"यह चीटिंग है। मैं तैयार नहीं थी।"

"किस चीज के लिए तुम्हे तैयार रहना है? मुझसे लड़ने के लिए? मुझे नही लगता की अब तुम में मुझसे लड़ने के लिए शक्ति है। अब तुम इसके काबिल ही नही हो।" कबीर उसके कान में फुसफुसाया।

"यह सच नहीं है। मैं क्यूं इसके काबिल नही हूं?" अमायरा ने हल्के गुस्से में पूछा।

"क्योंकि तुम मुझसे प्यार करती हो।"

"क...कब मैने ऐसा कहा?"

"तुम्हे यह कहने की जरूरत नहीं है। मुझे पहले से ही पता है। हालांकि मुझे अच्छा लगता अगर तुम कहती, पर जब तक नही कहती, मैं किस 😘 और हग 🤗 से काम चला लूंगा।" कबीर ने कहा और अमायरा उसकी बात का कोई जवाब नही दे पाई।

"और कल रात के लिए आई एम रियली सॉरी। मैं जानता हूं की मैने तुम्हे निराश किया है, पर मैं तुम्हे नही बता सकता की मैं खुद अपने आप से कितना निराश हुआ हूं। मैं कब से इस दिन का इंतजार कर रहा था, पर जब वोह आया, तोह मैं सो गया। तुम बल्कि जान भी नही सकती की मेरी खुद के आत्म—सम्मान के लिए यह कितनी शर्म की बात है। तुम जो गुस्से में बोल रही थी वोह सही था, पर मेरा यकीन करो इससे मेरा खुद का ही नुकसान हुआ है।" कबीर ने कहा और अमायरा दिल से खिलखिला पड़ी।

"अगर ऐसी बात है तो, मैंने आपको माफ किया......लूजर।" अमायरा ने अपनी एक उंगली कबीर के चेहरे पर फिराते हुए और मोहक भरी आवाज़ में कहा और कबीर आनंदित हो उठा।

"अब जल्दी से उठ जाओ। प्लीज तैयार हो जाओ। हमे निकालना है।" कबीर ने बैड से उठते हुए कहा और अमायरा को भी उठने में मदद के लिए हाथ दिया। हल्की निराशा से अमायरा ने कबीर का हाथ पकड़ कर उठ गई। कबीर ने उसे अपनी बाहों में खीच लिया और अमायरा उसे एक अपेक्षा से देखने लगी।

"आई एम सॉरी....."

"इट्स ओके कबीर। मैं सच में गुस्सा नही हूं। और हमारे पास हमारी पूरी जिंदगी है। यह कोई आखरी रात नही थी जो हम एक दूसरे के साथ बिता रहे थे। आप को बिलकुल भी गिल्टी महसूस करने की कोई जरूरत नही है।"

"पर तुम मेरी वजह से निराश हो गई।"

"नही। मैं इस वजह से निराश हो रही हूं की हमारी ट्रिप अब खतम हो गई। मैं इस जगह को बहुत याद करूंगी।" अमायरा ने जवाब दिया।

"तोह क्या हुआ? हम कभी भी जब तुम चाहो वापिस आ सकते हैं। बल्कि यह ट्रिप इसलिए इतनी छोटी थी क्योंकि हमारे पास टाइम नही था। अगली बार जब भी हम आयेंगे ज्यादा दिन तक रुकेंगे।"











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कहानी अभी जारी है...
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