Secret Admirer - Part 73 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Secret Admirer - Part 73

"क्यूं नही? मैं क्यूं भूल जाऊं?" अमायरा ने पूछा और कबीर ने गहरी सांस छोड़ी।

"क्योंकि तुम तैयार नहीं हो अमायरा। शायद तुम्हे लगता है की, यहां के मौसम की वजह से, इस जगह की वजह से, हम यहां अकेले हैं इस वजह से, पर तुम सच में रेडी नही हो। मुझे अच्छा लगा की तुमने यह स्टेप लिया, पर मैने पहले भी यह कहा है, मैं तुम्हारे लिए इंतजार करने को तैयार हूं। जब तक की तुम सच में तैयार नहीं हो जाती। उससे पहले बिलकुल नही।"

"किस बात से आपको ऐसा लगता है की मैं तैयार नहीं हूं? और किस बात से आप यह मानेंगे की जो मैं कह रही हूं वोह सच कह रही हूं?"

"अमायरा बात बस इतनी सी है की मैं तुम्हे खोना नही चाहता, कभी भी नही। और इस शरीर की जरूरतों की वजह से तोह बिलकुल भी नही। यह साइड किए जा सकते हैं, पर जो है मेरे पास, यह एहसास, यह जो गहरा संबंध है वोह ज्यादा कीमती है मेरे लिए। मैं पूरी जिंदगी इसके साथ रह सकता हूं। पर तुम्हारे बिना नहीं। शायद इस वक्त तुम्हे लग रहा होगा की तुम रेडी हो, पर तब क्या जब तुम्हे ऐसा लगेगा की तुम नही हो, कल सुबह?"

"उह्ह्ह......आप सच में बूढ़े हो चलें हैं। इतने भारी भारी शब्दों के कहने का क्या मतलब?" अमायरा ने एक गहरी सांस ली। "हालांकि, मैं चाहती हूं को मेरे हसबैंड मुझे यह दिखाएं की मैं सच में गलत हूं, वोह अभी भी इतने बूढ़े नही हुए हैं।"

"अमायरा.......उह्ह्हह.....देखो मैं भी सच में चाहता हूं की तुम्हे प्यार करूं, पर मैं नही जानता की यह सही होगा की नही।" कबीर ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ ढीली छोड़ दी।

"सही है। इस वक्त इस मोमेंट कुछ भी इससे ज्यादा कुछ सही नही हो सकता है।" अमायरा ने कबीर की गर्दन पर अपनी बांह डालते हुए कहा।

"आर यू श्योर?" कबीर ने पूछा।

"मैं इससे ज्यादा श्योर कभी किसी चीज़ के लिए नही हुई हूं।"

"तुम मुझे कल सुबह इसके लिए ब्लेम तो नही करोगी?" कबीर ने उसके करीब करते हुए पूछा।

"करूंगी, बार बार करूंगी, अगर आप इसी तरह समय बरबाद करते रहे, क्योंकि इस वजह से मैं पक्का बोर हो जाऊंगी, और यहीं सो जाऊंगी।"

"अच्छा, तोह मैं तुम्हे भरोसा दिला सकता हूं की आज रात मैं तुम्हे सोने नहीं दूंगा, ना यहां ना कहीं और, अगर यही तुम चाहती हो।" कबीर ने कर्कश भरी आवाज़ में कहा और एक बार फिर उसके होठों को अपने होठों में दबोच लिया, ऐसा किस जो एक दूसरे के दिलों तक छू जाए, एक्सट्रेमली इंटेंस। अमायरा कबीर की बाहों में पिघलने लगी, वोह एक दूसरे को किस करते रहे जैसा वोह महसूस कर रहे थे, जैसे यह अनंतकाल तक चलता रहेगा। वोह तभी रुके जब एक ज़ोर की लहर उठी और दोनो को ऊपर से नीचे तक भिगो गई, दोनो को अब एक दूसरे से नमक का स्वाद आने लगा। दोनो अलग हुए, एक दूसरे को देखा और अकवार्डली ज़ोर से हँसने लगे।

"चलो, वापिस कॉटेज में चलते हैं।" कबीर की आवाज़ में एक जल्दबाजी थी और अमायरा ने सिर हिला दिया। घबराहट, उत्साह और डर।

वोह दोनो जल्दी जल्दी अपने कॉटेज को तरफ गए, जितनी जल्दी जल्दी और बड़े बड़े कदम वोह रख सकते थे, एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए। जैसे ही उन्होंने अपने कॉटेज का दरवाज़ा बंद किया, वोह दोनो फिर से एक दूसरे से चिपक गए। एक दूसरे को किस करते हुए धीरे धीरे फर्स्ट फ्लोर पर बने बेडरूम की तरफ जाने लगे। उन्हे कोई परवाह नही थी की उनके कपड़े कितने गंदे हो चुके हैं और नमक जैसा उनके शरीर पर स्वाद आ रहा है। हाथ शरीर पर इधर उधर फिसल रहे थे जबकि मुंह तोह एक दूसरे के शरीर के हर एक अंग को आज एक्सप्लोर करना चाहता था। कबीर ने अमायरा को ड्रेस कंधे से नीचे कर दी। और उसकी गर्दन के थोड़ा नीचे एक इंटेंस भरा देर तक एक बाइट ले लिया, जबकि अमायरा दर्द और आनंद से कराह उठी। कबीर ने उसकी आंखों में कुछ पल तक ऐसे ही देखा ताकि उसके भाव पढ़ सके और जब अमायरा ने भी उसे वापिस देखा तोह कबीर के चेहरे पर आत्मसंतुषी मुस्कुराहट आ गई।

"मैने कहा था ना की अगला बाइट मार्क मैं ऐसी जगह दूंगा जहां कोई नही देख पाएगा, सिवाय मेरे। मैने अपना वादा पूरा किया।" कबीर ने कहा और अमायरा ने शर्मा कर अपना मुंह कबीर के सीने में छुपा लिया।

कबीर एक बार फिर उसे एक्सप्लोर करने में बिज़ी हो गया। उसे दीवार से लगा कर उसके बदन को बेतहाशा चूम जा रहा था। उसने इस बात का भी ध्यान नही दिया की कहीं से फोन बजने की आवाज़ आ रही थी।

जब फोन बार बार लगातार बजे जा रहा था, तोह दोनो अपनी सेंस में आए और कबीर ने गुस्से में अपना सिर झटका।

"यह रिजॉर्ट वाले हमे बेवक्त क्यूं फोन कर रहें हैं?" कबीर गुस्से में बड़बड़ाते हुए फोन की तरफ चला गया जो की बैड के साइड पर टेबल पर रखा हुआ था।

"हेलो?" कबीर गुस्से में तेज़ चिल्लाया, जैसे ही उसने फोन का रिसीवर अपने कान पर लगाया।

"सॉरी टू डिस्टर्ब यू ऐट दिस टाइम सर, बट दिस वास अर्जेंट।" दूसरी तरफ से एक औरत रिसेप्शनिस्ट फोन पर डरते डरते से बोल रही थी।

"व्हाट इस इट?" कबीर अपनी तेज़ चलती सांसे नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए बोला।

"आपकी फैमिली आपको पिछले कुछ घंटों से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश कर रही है। आप पूरे दिन रिजॉर्ट में नही थे, इसलिए हम आपको कॉल कनेक्ट नही कर पाए। और आप जानते ही हैं की मोबाइल नेटवर्क इस एरिया में अवेलेबल नही है, इसलिए उन्होंने हमसे कहा था की जैसे ही आप आ जाएं तो हम आपको इनफॉर्म कर दें की आप जल्द जल्द उन्हे कॉल करलें। अगर आपको कोई ऐतराज नहीं है तोह, क्या मैं कॉल कनेक्ट करूं आपकी फैमिली को?" उस रेप्शनिस्ट ने पूछा और कबीर ने एक गहरी सांस ली। वोह जनता था की वोह लेडी तो बस अपना काम कर रही है, और उसे कोई हक नही है इस तरह उस पर चिल्लाने का। और साथ ही हो परेशान भी हो गया था उसकी फैमिली का कॉल सुन कर। क्या वहां सब ठीक है?

"हां। प्लीज़ कनेक्ट करिए।" एक अनजाने डर से कबीर ने जवाब दिया। उसे याद था की की घर से निकलने से पहले उसकी उसके छोटे भाई इशान से क्या बात हुई थी।

"इशान, हमें लेट हो रहा है। हमे फ्लाइट भी पकड़नी है।"

"कम ऑन भाई। अब आपके पास अपने भाई के लिए दो मिनट भी नहीं है? भाभी के साथ अकेले रहने के लिए इंतजार भी नही कर सकते?" इशान ने कबीर को चिढ़ाया।

"कुछ इंपोर्टेंट है तोह बोल।" कबीर ने सीधे कहा।

"एक्चुअली हां। अब यह हम दोनो जानते हैं, इनफैक्ट पूरी फैमिली जानती है की आप सिंगापोर नही जा रहें हैं, क्योंकि भाभी के पास तोह पासपोर्ट है ही नही, क्या आप मुझे बताओगे की आप असल में कहां जा रहें हैं?"

"मैं यह जरूरी नहीं समझता, सबको बताना।"

"पर अगर यहां कोई इमरजेंसी हुई तोह क्या होगा? मैं यही उम्मीद करता हूं की आपका फोन हर समय रिचेबल होगा। मैं बस इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि घर में भी कुछ जरूरी काम हो सकता है, यह शादी का घर है और आप जानते हो की आप ही हो वोह जो सब कुछ अच्छे से मैनेज कर लेते हो बिना किसी प्रॉब्लम के।" इशान ने एक्सप्लेन किया और कबीर सोचने लगा।

"एक्चुअली.......मेरा फोन नॉट रीचेबल ही रहेगा क्योंकि हम एक ऐसी जगह जा रहें हैं जहां नेटवर्क नही होता।

"तोह फिर मैं आपको कॉन्टैक्ट कैसे करूंगा? कम से कम होटल का ही नंबर दे दीजिए।"

"ओके फाइन। हम हैवलॉक आइलैंड में, ताज होटल में रुकेंगे। तुम रिसेप्शनिस्ट को कॉन्टैक्ट करना अगर मुझसे कोई बात करनी हुई तोह, और मुझे वहां बेवजह फोन मत करना जब तक की सुनामी जैसी कोई बड़ी खबर ना हो, नही तोह फिर तुम अच्छे से जानते हो।" कबीर ने उसे धमकाया और कमरे से बाहर निकल गया।

"हैलो! हां इशिना। क्या सब ठीक है?" कबीर ने जैसे ही लाइन कनेक्ट हुई पूछा।

"हां। सब कुछ ठीक है। आपको ऐसे क्यों लगा की कुछ ठीक नहीं होगा?" इशान ने दूसरी तरफ से फोन पर जवाब दिया।

"क्या? तोह मुझे क्यों फोन कर रहा था, बेवकूफ?"

"रिलैक्स भाई। इतना गुस्सा सेहत के लिए अच्छा नही होता। और आपकी जानकारी के लिए बता दूं की अगले तीस सेकंड में यह फोन स्पीकर पर होने वाला है क्योंकि सब मुझसे स्पीकर पर करने के लिए पीछे पड़े हैं। अब शांत हो जाओ और फोन भाभी को देदो।"

"क्या? अमायरा......क्यूं?"

"क्योंकि आज उसका बर्थडे है और हमे पूरा हक है उसे विश करने का।" कबीर को फोन पर अपनी मॉम की आवाज़ सुनाई पड़ी। बड़बड़ करने का शोर सुन कर कबीर समझ गया की पूरी फैमिली फोन स्पीकर पर कर सब सुन रही है। कबीर ने अपनी आंखें बंद की और अपने आप को शांत करने लगा और फिर फोन अमायरा को पकड़ा दिया। अमायरा ने तुरंत फोन का रिसीवर ले लिया, और उसकी मुस्कुराहट लंबी हो गई। वोह बहुत खुश थी फैमिली का कॉल लेने में जो उसकी बातों से साफ नज़र आ रहा था। कबीर भी मुस्कुराया, सब ठीक था, यह कॉल भी अमायरा के चेहरे पर मुस्कुराहट ले आया था। आखिर वोह डिजर्व करती है अपनी फैमिली के सभी लोगों से बर्थडे विश पाना। कबीर ने थोड़ी देर इंतजार किया, पर जब उसे यह रियलाइज हो गया की फोन इतनी जल्दी नही रखने वाला कोई, तोह उसने यह टाइम कुछ यूजफुल करने का सोचा और बाथरूम में घुस गया शावर लेने के लिए। कुछ देर पहले तक उसे समुंदर के पानी से गंदे हुए कपड़ों से कोई फर्क नही पड़ता था, पर उसे इरीटेशन हो रही थी इन कपड़ो में।
एक रिफ्रेशिंग सा शावर लेने के बाद कबीर बाथरूम से बाहर आया। वोह यह उम्मीद कर रहा था की अमायरा बाहर उसका इंतजार कर रही होगी पर वोह तोह चौंक गया यह देख कर की अमायरा अभी भी फोन पर ही बात कर रही थी। वोह क्रॉस लैग करके बैड के किनारे ज़मीन पर बैठी थी। बैड का सहारा लिए वोह फोन पर पूरी फैमिली को यह दो दिन के बारे में डिटेल में बता रही थी।
कबीर ने बार बार अपनी पलकें झपकाई, वोह यह समझ गया था की वापिस जाने पर, सब उसे बहुत चिढ़ाएंगे और उसकी टांग खींचेंगे। और इसका पूरा श्रेय जाता है उसकी अपनी, खुदकी पत्नी को, की वोह पूरी फैमिली को खुल कर बता रही है की कैसे उसके पती ने अपनी ही फैमिली से इस ट्रिप के बारे में झूठ बोला। कबीर उसके पास ही बैड पर बैठ गया, इस उम्मीद से की अमायरा उसे देखेगी और अपनी कॉल को जल्दी खत्म कर के फोन रख देगी। पर इससे भी काम नही बना, उल्टा अमायरा ने कबीर का हाथ पकड़ा और उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फसा कर वैसे ही बात करती रही फोन पर। कबीर ने कुछ देर इंतजार किया और फिर वोह अपना सब्र खोने लगा। कबीर ने उसे इशारा किया की वोह अब फोन रख दे। अमायरा को कुछ देर लगी समझने में की कबीर उससे क्या कहना चाह रहा है, पर जब वोह समझी तो उसने यह कह कर फोन रख दिया की हमे सुबह जल्दी फ्लाइट पकड़नी है इसलिए उन्हें अभी जल्दी सोना होगा तोह वोह फोन रख रही है। कबीर ने एक गहरी सांस छोड़ी, उसने चैन की सांस ली जब अमायरा ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।

"मुझे ऐसा क्यूं लग रहा है की तुम यहां मेरे साथ से ज्यादा फोन कॉल पर बात करना ज्यादा एंजॉय कर रही थी?" कबीर ने उसपर आरोप लगाते हुए कहा।

"ऐसा कुछ भी नही है। मैं बस उनका कॉल एक्सपेक्ट कर रही थी, पर क्योंकि यहां कोई नेटवर्क नही है, और मुझे नही पता था की मेरी फैमिली मुझे विश कर भी पाएगी या नही, यह कॉल मेरे लिए सरप्राइज्ड था।" अमायरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"यही तोह मैं कह रहा हूं। मेरे साथ यहां रहने से जायदा, तुम इस कॉल से ज्यादा खुश हो गई थी।" कबीर नाराज़ हो गया और अमायरा खिलखिला कर हँस पड़ी।

"ऐसा नही है। और आप कितने क्यूट लग रहें हैं इस तरह बच्चों की तरह नाराज़ हो कर, मिस्टर मैहरा।" अमायरा ने कबीर के दोनो गाल खींच लिए और कबीर ने अपने चेहरे पर नाराजगी वाले भाव बनाए रखे।

"ठीक है तोह, मैं जाती हूं और शावर ले कर आती हूं। बस कुछ ही देर। और उसके बाद मैं पूरी तरह से आपकी।" अमायरा ने यह आखरी लाइन शोखी से कही, कबीर के चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए और कबीर मुस्कुराने लगा। अमायरा बाथरूम में जाने के लिए आगे बढ़ गई। दरवाज़े के पास आ कर उसने हवा में कबीर को बहुत सारी कीसिस भेजी और बाथरूम में घुस गई, और पीछे छोड़ गई मंत्र मुग्ध बैठा कबीर।

अमायरा बाथरूम का दरवाज़ा बंद करने के बाद दरवाज़े से लग कर खड़ी हो गई और बस मुस्कुराए जा रही थी। उसका दिल एक बार फिर जोरों से धड़के जा रहा था जो की रुक गया था उस फोन कॉल से। उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और शावर के नीचे खड़ी हो गई। एक अजीब सा एहसास होने लगा था उसे, यह सोच कर की जब वोह बाहर जायेगी तो उसके लिए बाहर क्या इंतजार कर रहा होगा। शावर का ठंडा ठंडा पानी उसकी बेचैन सांसों को राहत दे रहा था। अपने शरीर पर शावर जेल लगाते वक्त उसे अपने पूरे शरीर पर हर जगह कबीर के छूने का एहसास हो रहा था। क्या वोह इसी फोम की तरह सॉफ्ट होगा या फिर सख्त जैसा की वोह खुद है? पहले से अब में क्या कोई बदलाव आ जायेगा? क्या वोह सच में यह स्टेप लेने को तैयार है? क्या वोह खुद ही थी जिसने उसे उसे प्यार करने को कहा था? सच में ऐसा क्या हुआ की जो वोह पागल हो गई है उसके लिए? यह सब करने और बोलने की इतनी हिम्मत कहां से मिली उसे? यह और इससे भी ज्यादा कई सवाल उसके दिमाग में गूंज रहे थे। पर सभी सवालों का एक ही जवाब था।

कबीर










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कहानी अभी जारी है...
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