अगले कुछ हफ्ते अनिका की जिंदगी एक पैटर्न में गुजरने लगी। वोह ज्यादा से ज्यादा समय क्लिनिक में बिताने लगी। उसने दिन में अपने कंप्यूटर पर समय बिताना जारी रखा बल्कि वोह तोह क्लिनिक अपॉइंटमेंट में ही अपना काम जारी रखा। शाम के वक्त काफी देर लाइब्रेरी में अपना समय बीतने के बाद ही वोह अपने मास्टर बेडरूम की तरफ रुख करती थी।
अब वोह कोई सोने का दिखावा नहीं करती थी सुबह के वक्त। यहां तक की वोह रात को डिनर पर भी अभय का इंतजार करती ताकी साथ में खाना खा सके। थोड़ी बहुत कोई बातों जैसे की मेडिकल से रिलेटेड या यहां के लोगों से, उसके अलावा दोनो में कोई बात नही होती और ज्यादा तर खाने के समय एक दम शांति रहती।
दोनो एक दूसरे से ज्यादा बात नहीं करते थे लेकिन कुछ था जो दोनो में ही पनप रहा था। और हर बार जब भी अभय उसके साथ एक ही बिस्तर पर होता तोह उसकी मौजूदगी का गहरा एहसास अनिका को होने लगता। अगर रात में सोते वक्त गलती से दोनो का शरीर एक दूसरे से टकरा जाता तोह अनिका के शरीर में सिहरन दौड़ जाती और सुबह जब अभय बिस्तर से उठ जाता तोह अनिका को उसकी कमी खलने लगती। उसे अपना कमरा खाली खाली और ठंडा लगने लगता जब भी अभय उसके आस पास नही होता था।
एक समय था जब अनिका सच में अभय से डरती थी इस्पेशली जब वोह खून से सन कर आया करता था। वोह लम्हा अभी भी अनिका को परेशान करता था, पर जब अभय नहा कर उसके बिस्तर पर सोने आता तोह अनिका सब भूल जाती।
अभय ने दुबारा अनिका को छूने की कोई कोशिश नही की थी। आखरी बार उसने यह तब किया था जब वोह दोनो मंदिर जा रहे थे।
वोह अपने आप को दिलासा देने की कोशिश कर रही थी की उसे इस बात की कोई निराशा नही है। उसे तो खुश होना चाहिए की वोह जानती है की अभय उसे दुबारा छुएगा नही।
पर थी कुछ निराशा जो उसे अंदर ही अंदर खा रही थी और उसका सच बयां कर रही थी।
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अनिका गार्डन में सुबह नाश्ता कर रही थी। वोह किसी बात पर ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी जो मीना और सोनू उससे कह रहे थे।
"आज तुम दोनो लड़कियों को स्कूल नही जाना?" अनिका ने पूछा।
"नही। हमारी गर्मियों की छुट्टियां पड़ गई है।" सोनू ने चहकते हुए कहा।
लक्ष्मी अपनी आंख मटकाने लगी। "तोह फिर इसका मतलब की अब यह नन्ही चिड़ियां आम के पेड़ पर छापा मारने जा रहीं हैं। पिछली बार इन लोगों ने इतने आम तोड़ कर खाए थे की पेट में ही दर्द शुरू हो गया था, और कुछ दिनो तक रहा था।"
मीना धीरे धीरे हँसने लगी। "......ऐसा कुछ नही है। हम अगले ही दिन फिर से पेड़ पर चढ़े थे और हमें कुछ नही हुआ था, बिलकुल ठीक थे।"
अनिका मुस्कुरा दी। "वैसे मेरे पास इस बार दवाइयां हैं। बस मेरे लिए आम तोड़ कर लाना मत भूलना।"
"बिलकुल! मुझे पता है की कौन से पेड़ पर सबसे रसीले और मीठे आम मिलेंगे। बस अभय को इस बारे में मत बताना की हम आम के बाग गए थे।"
अनिका को मज़ा आने लगा। "क्यूं? क्या वोह भी तुमसे फिर आम मंगवाएंगे?"
सोनू हँस पड़ी। "नही। वोह हमे समझाने लगेंगे की आम के पेड़ पर चढ़ना कितना अन सेफ है। तीन साल पहले में आम के पेड़ पर चढ़ी थी और गिर गई थी। मेरी एक टांग ही टूट गई थी।"
इससे पहले की अनिका कुछ कहती या रिएक्ट करती उसने एक चीखने की आवाज़ सुनी।
"डॉक्टर सिंघम! सीतम्मा बेहोश हो गई हैं! प्लीज़ जल्दी आइए।"
अपना आधा नाश्ता ऐसे ही छोड़ कर अनिका सीतम्मा के पास भागी जिस ओर से आवाज़ आ रही थी। सीतम्मा का चेहरा नीला पड़ने लगा था और उन्होंने अपने सीने पर कस कर हाथ रखा हुआ था।
"इन्हे सीधा रखो! शायद इन्हें हार्ट अटैक आया है।" अनिका मालिनी की तरफ पलटी। "प्लीज़ गाड़ी तैयार करवाओ। हम इन्हे यहां क्लिनिक में ट्रीट नही कर सकते। मुझे इन्हे लेकर हॉस्पिटल जाना होगा।"
मालिनी ने सिर हिला दिया और जल्दी में वहां से निकल गई। इसी बीच अनिका ने कुछ लोगों से कह कर स्ट्रेचर मंगवाया और उस पर सीतम्मा को लेटा कर गाड़ी की तरफ ले जाने लगी।
जैसे ही अनिका और बाकी सब सीतम्मा को ले कर पार्किंग लॉट की तरफ पहुंचे, मालिनी चेहरे पर गंभीरता लिया भागती हुई आई।
"हम कब से अभय से बात करने की कोशिश कर रहें हैं पर उसका फोन ही नही लग रहा है।"
अनिका की भौंहे सिकुड़ गई। "यह अभी करना इतना क्यूं जरूरी है? गाड़ी तैयार है, हम उन्हे रास्ते से भी फोन कर के सब बता सकते हैं।"
मालिनी कुछ असहज दिखने लगी। "अनिका, हमे अभय से स्ट्रिक्ट इंस्टक्शन मिले हैं की हम तुम्हे कहीं भी इस एस्टेट से बाहर ले जाने से पहले अभय को इनफॉर्म करेंगे।"
अनिका के जबड़े भींच गए। "वैल, शायद यह नॉर्मल केस में पर इस वक्त इमरजेंसी है।" अनिका एक आदमी की तरफ पलटी जो वहीं खड़ा था।
"गाड़ी को यहां लेकर आओ। हम अरुंधती हॉस्पिटल जा रहें हैं। और यह मेरा ऑर्डर है।"
अनिका सेहजता से बोल रही थी पर तब भी उसकी दिल की धड़कन की गति दुगनी तेज़ी से चल रही थी। वोह जानती थी की यहां के सभी एक अथॉरिटी में बंधे हुए हैं, और इस वक्त, उसे यह तोड़ना ही होगा अगर उस औरत की जान बचानी है तो।
दो पल तक हिचकिचाने के बाद वोह आदमी गाड़ी की तरफ बढ़ गया।
बीस मिनट बाद वोह सब अरुंधती हॉस्पिटल पहुंच चुके थे। डॉक्टर राव भी उसका इंतज़ार कर रहे थे। कुछ घंटों की प्रॉपर मेडिकेशन और जरूरी प्रिकॉशन के बाद सीतम्मा अब स्टेबल हो चुकी थी।
"इन्हे अभी भी सही तरह से देखभाल की जरूरत है। हमे इन्हे शहर ले जाना होगा।" अनिका ने कहा।
डॉक्टर राव ने हां में सिर हिला दिया। "मैं इनके साथ चला जाता हूं और अपने साथ एक आदमी को भी ले लेता हूं।"
"मैं भी आपके साथ......"
"नही। तुम नही जा सकती," एक दूसरी गहरी आवाज़ ने अनिका को बोलते हुए रोक दिया।
उस हॉस्पिटल के कमरे के दरवाजे पर अभय सिंघम खड़ा था जिसके चेहरे पर ऐसे भाव थे की मानो अभी बिजली की तरह गड़गड़ाहट से गरज पड़ेगा।
अनिका ने डॉक्टर राव की तरफ देखा। "प्लीज आप अभी निकल जाइए डॉक्टर राव और मुझे बताएगा शहर पहुंच कर की सीतम्मा की तबियत कैसी है।"
डॉक्टर ने अनिका की तरफ एक बार अनिका के लिए चिंतित नज़रों से देखा और फिर मरीज़ को लेकर कमरे से बाहर निकल गए।
अभय धीरे धीरे अनिका की तरफ बढ़ने लगा। "तुमने मेरे आदेश को नही माना।"
अभय के इतने आराम से बोलने पर भी अनिका के शरीर में सिहरन पैदा हो गई।
"मैने जान बूझ कर आपके आदेश की अवहेलना नही की है। यहां पर इमरजे........."
"तुमने मेरे लोगों से भी जबरदस्ती मेरे आदेश का पालन ना करने को कहा।"
"उन्होंने आपका कोई अपमान नही किया है, अभय।" अनिका ने समझाया। "उन्होंने बस मेरे आदेशों का पालन किया है।"
अनिका की बात से अभय का गुस्सा शांत होने की बजाय और बढ़ गया। "मेरे दिए गए इंस्टक्शंस पर तुम अपने इंस्ट्रक्शंस नही चला सकती।" अभय ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा।
"पर यहां इमरजेंसी......"
इससे पहले की अनिका अपनी बात पूरी करती, अभय ने उनके बीच बची कुची दूरी भी खतम कर दी। "डू यू अंडरस्टैंड?" अभय ने धमकाने वाली लेकिन आराम से ही अपनी बात कही।
"मुझे तुरंत ही कुछ डिसीजन लेना था क्योंकि......"
"डू यू अंडरस्टैंड?" अभय फिर बोला।
अनिका को गुस्सा आ गया। आखिर वोह एक डॉक्टर थी। उसे ट्रेनिंग मिली है लोगों की जान बचाने के लिए, ना की एक बेवकूफी भरे ऑर्डर की वजह से किसी की जिंदगी से खिलवाड़ करे।
"नो!" अनिका न चिल्लाते हुए जवाब दिया।
अभय के एक्सप्रेशन बदल गए। वोह और भी ज्यादा खतरनाक दिखने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे की कोई राक्षस खूंखार होने के बाद अपने शरीर को बड़ा कर लेता है, वैसे ही अभय भी लग रहा था और वोह अनिका के ऊपर झुकने लगा।
"तुमने अभी क्या कहा?" अभय ने आराम से ही पूछा।
"मैने कहा नो!" जब अभय लगातार उस पर झुकता रहा तो अनिका ने उससे बचने के लिए अपने दोनो हाथ उसके सीने पर टिका दिए।
"मैं अंधी की तरह तुम्हारे ऑर्डर्स नही मानूंगी! मैने वोही किया जो मुझे करना चाहिए था!"
अनिका के रोकने से भी अभय रुका नहीं। बल्कि उसकी आंखे और भी ज्यादा गुस्से से चमकने लगी। वोह बहुत ही ज्यादा खतरनाक दिखने लगा था लेकिन अनिका ने उससे डरने से इंकार कर दिया था।
"मुझे कोई फर्क नही पड़ता की उस वक्त क्या परिस्थितियां रही थी। मैं चाहता हूं की तुम मेरे ऑर्डर्स को फॉलो करो। मैं किसी भी तरह की की आज्ञा का उलंघन बर्दाश्त नही......"
"मुझे भी कोई परवाह नही है फिर।" अनिका भी गुस्से में बोल पड़ी। उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था की अभय उसे समझता क्या है, कोई छोटी बच्ची है जो आंख बंद कर के उसके सभी बात मानती रहेगी? वोह एक योग्य डॉक्टर है जिसे भविष्य में भी इस तरह की कई घटनाओं का सामान करना पड़ेगा। क्या वोह डर से उनका इलाज करना बंद कर देगी?
इससे पहले की अनिका अपने गुस्से को अभय को और दिखाती, अगले ही पल, उसने महसूस किया की उसके पैर हवा में उठ गए क्योंकि अभय ने उसे अपने शरीर से दबाव बना कर दीवार से टिका दिया। अभय की इस हरकत पर अनिका की सांसे अटक गई। और अगले ही पल उसे अपने हसबैंड का गुस्सा उसके आंखों के जरिए दिखने लगा जब उसने अनिका के हिप्स पर हाथ रख दिया, एक मजबूत पकड़ के साथ।
"मेरी लिमिट्स को अजमाने की कोशिश मत करो," अभय गुस्से से उसके चेहरे के करीब हो कर बोला।
अनिका ने भी उसे घूरा। "तोह फिर मुझ पर कोई लिमिट्स मत लगाओ," अनिका भी तुरंत बोल पड़ी।
एकदम शांति छा गई। उसके बाद अनिका को अभय के जबड़े पिस्ते हुए आवाज़ सुनाई पड़ी।
"यह तुम्हारी सेफ्टी के लिए है," अभय गुस्से में बोला।
अनिका का गुस्सा अभय के कहे हुए शब्दों से कुछ कम होने लगा। "तोह आपने मुझसे कहा क्यों नही बजाय इसके की जबरदस्ती मुझ पर अपने इंस्ट्रक्शंस थोपने के।" अनिका ने सॉफ्टली कहा।
अभय ने उसे घूरा। "क्योंकि मुझे हर बार किसी को कुछ एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं है। अगर मैने कोई आदेश दिया है, तोह मैं लोगों से यह उम्मीद करता हूं की वोह उसे माने।"
अनिका को वापिस गुस्सा आने लगा। "मैं कोई दूसरे लोग नही हूं, मैं आपकी पत्नी हूं! अगर आप चाहते हैं की मैं आपका कोई आदेश मानू तोह आपको पहले मुझे समझाना होगा ताकि मुझे आगे कोई डिसीजन लेने के समय पता रहे।"
अभय उसे अभी भी फ्रस्ट्रेशन से घूर रहा था।
धीरे धीर अनिका ने महसूस किया की उसका गुस्सा बिलकुल ही खतम हो गया है। अभय तोह उसके लिए चिंतित था। उसके अजीब तरीके से, वोह तोह उसे सुरक्षित रखना चाहता था अपने दुश्मनों के अटैक से।
कुछ हद तक वो उसे समझती थी, पर वोह यह नही चाहती थी की अभय यह सोचे की वोह उसे बिना कोई ठोस कारण बताए ऐसे ही ऑर्डर देता रहेगा। हालांकि शुरुवात में वोह ऐसे ही बिहेव कर रही थी जैसे की वोह कोई डोरमैट है जो उसके हालातों से खिलवाड़ करले, पर असल में वो ऐसी है नही। उसे अपने रिश्ते में कुछ नियमों को सेट करने की जरूरत थी।
अनिका के पाऊं अभी भी जमीन से उठे हुए थे। धीरे से उसने अपने पैर अभय के हिप्स के इर्द गिर्द जकड़ लिए और उसे करीब कर लिया। अभय उसके नजदीकी से एक दम कठोर हो गया और अनिका को उसका सख्त साफ महसूस होने लगा। उसने अपना हाथ उसके कंधे से हटा कर उसके बालों में फसा दिया। थोड़ा झुकते हुए उसने उसके गाल पर किस कर लिया। "आई एम सॉरी, मैने आपको परेशान कर दिया," अनिका ने धीरे से कहा।
अभय के हाथ अनिका के हिप्स पर और कस गए। अनिका अपनी चढ़ती हुई सांसों से इंतजार करने लगी, या तो अभय उसे अपने से दूर झटक दे या फिर वोह उसे अपने और करीब कर दोनो के बीच बन रही इस सेक्सुअल टेंशन को टेक ओवर कर ले।
इससे पहले की आगे कुछ होता उन्होंने किसी आदमी की आवाज़ सुनी। "अभय वोह तुम्हारा इंतजार कर रहें हैं। हमें अब शुरू कर देना चाहिए। ओह! मुझे नही पता था। मेरा मतलब है....मैं.......उह्ह्ह्......मैं....बाहर इंतजार कर रहा हूं।"
उन्होंने सुना की वोह आदमी कहते हुए चला गया है। धीरे से अभय ने अपनी पकड़ ढीली कर दी और अनिका ने भी धीरे से अपने पैर जमीन पर रख लिए। अब वोह उसके सामने ही जमीन पर खड़ी थी।
अभय अभी भी उसे ध्यान से देख रहा था।
"अब से मैं ध्यान रखूंगा और एस्टेट से ही तुम्हारी सिक्योरिटी में और भी ज्यादा आदमी लगा दूंगा। वोह तुम्हारे साथ जायेंगे अगर तुम्हे कहीं भी बाहर जाना होगा तोह।" अभय ने शांति से कहा।
अनिका ने सिर हिला दिया। "थैंक यू, अभय।" अनिका ने कहा और देखने लगी की अभय अपने कपड़े अब ठीक कर रहा है।
"आप घर जा रहें हैं?" अनिका ने रूखेपन से पूछा।
एक पछतावा अभय की आंखों में दिखने लगा।
"नही। मुझे एक इंपोर्टेंट मीटिंग अटेंड करनी है। मैं वापिस शहर जा रहा हूं। मैं कल सुबह वापिस आ जाऊंगा।"
"ओके। तोह फिर मैं आपसे कल घर पर मिलती हूं।" अनिका ने सॉफ्टली जवाब दिया।
अभय ने सिर हिलाया और उसकी बांह पकड़ कर उसे गाड़ी की तरफ ले जाने लगा।
जैसे ही अनिका की गाड़ी आगे बढ़ने लगी, अनिका पीछे मुड़ कर अभय को देखने लगी जो की अपनी गाड़ी के पास खड़ा उसे ही देख रहा था। जब उसे पूरी तरह से अभय दिखना बंद हो गया तोह वोह आगे चेहरा कर आंख बंद करके चुपचाप बैठ गई।
आज उसने सिंघम एस्टेट को अपना घर कहा था....«»«»«»«»«»
अगले दिन अनिका अपने क्लिनिक में बैठी सप्लाइज की लगाने से पहले उसकी लिस्ट तैयार कर रही थी। वोह एक दवाई के साइड इफेक्ट्स को चेक कर ही रही थी की उसे उसका नाम पुकारने की किसी की आवाज़ सुनाई पड़ी।
यह आवाज़ अभय की ही थी। वोह घर जल्दी वापिस आ गया था और इस वक्त किसी कारण से उसकी आवाज़ गुस्से में लग रही थी।
अनिका का दिल तेज़ धड़क उठा, वोह भागते हुए अपने क्लिनिक से बाहर निकल गई और अभय की तरफ ही चली गई। कुछ हफ्तों पहले तक अनिका को कबीर के उसे पुकारने से ही डर लगता था और वोह उसके बुलाने पर उसके पास जाने के बजाय दूसरी तरह भागना चाहती थी। पर अब वोह कुछ हद तक जान गई थी की वोह उसे नुकसान नही पहुंचाएगा। जैसे अभय की आवाज़ नजदीक आ रही थी, उसे उसकी आवाज़ में जल्दबाजी और गुस्सा दोनो समझ आ रहा था। उसके कदम लड़खड़ा गए और धीरे हो गए जैसे ही उसने अभय को देखा।
अभय अपने हाथों में एक बेहोश लड़की को लिए बढ़ रहा था। अनिक ने रियलाइज किया की वोह सोनू थी क्योंकि मीना तो अभय के साथ मारियल सी हालत में चलते हुए आ रही थी।
"ओह माय गॉड! यह क्या हुआ?" अनिका ने उसकी तरफ भागते हुए आ कर पूछा। "इन्हे जल्दी से क्लिनिक के अंदर ले आओ। लक्ष्मी आप गर्म पानी और फर्स्ट एड किट ले कर आ जाइए।"
इसी बीच अभय ने सोनू को क्लिनिक के बैड पर लिटा दिया जहां अनिका ने इशारा किया था। "लक्ष्मी आप मीना के ज़ख्मों को साफ कीजिए जब तक मैं सोनू को चैक करती हूं।" अनिका ने लक्ष्मी को अनुदेश देते हुए कहा।
अनिक के हाथ कांप गए जब वोह सोनू की पल्स चैक कर रही थी। उस लड़की के होठों पर सूखे हुए खून के धब्बे थे और उसके चेहरे और गर्दन पर कई जगह चोट के निशान थे। उसे किसी कारण से शक होने लगा की ऐसी चोटें उसे कहीं और भी शरीर पर होंगे।
ऐसा कौन कर सकता है एक छोटी सी बच्ची के साथ?
अनिका उसके ज़ख्मों और बाइट के निशानों को साफ कर उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाने लगी।
"क्या यह ठीक हो जाएगी?" अभय ने पूछा।
"मुझे लगता तोह है," अनिका ने सोनू की पल्स के बेस्ड पर जवाब दिया।
"जाओ और मुझे वोह कमीना ला कर दो," अभय ने किसी से कहा। अनिका ने सुना की काफी सारे कदमों की आवाज़ जैसे काफी सारे लोग वहां से अभय का ऑर्डर सुन कर चले गए हों।
मीना सोनू के पास वाले दूसरे बैड पर थी। जबकि उसे पूरी तरह से होश था लेकिन फिर भी वोह चुपचाप अपनी खाली आंखों से छत की तरफ एक टक देख रही थी और लक्ष्मी उसके ज़ख्मों को साफ कर रही थी।
"क्या हुआ है, अभय?" अनिका ने अभय से पूछा। वोह अभी भी सोने के शरीर कर बाइट मार्क्स और स्क्रैच्स साफ कर रही थी।
"इन्हे सेनानी उठा कर ले गए थे, और जब ताकी किसी ने सुना और वहां तक पहुंचे, इन्हे पहले ही टॉर्चर किया जा चुका था।"
अनिका ने सांस ही अटक गई। "अभय, क्या तुम बाहर इंतजार कर सकते हो? मुझे इन्हे चैक करना है की कहीं इनके साथ......कहीं इन्हे टच तोह नही किया गया है।" अनिका इन छोटी छोटी मासूम लड़कियों के लिए रेप शब्द का इस्तेमाल नही करना चाहती थी। उसे इतने दिनो मे इन दोनो से और इनके बेवकूफी भरे जोक्स से बहुत लगाव हो गया था।
अनिक ने अभय की आंखों में गुस्सा उमड़ते हुए देखा, क्योंकि अभय को भी उतना ही गुस्सा आ रहा था यह सोच कर की कहीं इन मासूम लड़कियों को उस तरह से ना छुआ गया हो।
"मैं बाहर आँगन में हूं," अभय ने कहा और बाहर चला गया।
अनिका ने पहले सोनू को चैक किया और उसे राहत मिली यह जान कर की सोनू के साथ ऐसा कुछ नही हुआ था। वोह मीना के पास आ कर खड़ी हुई जो की अब भी खाली आंखों से एकटक छत को ही देखे जा रही थी।
"मीना," अनिका ने प्यार से उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा। "अब तुम ठीक हो। तुम घर वापिस आ गई हो और बिलकुल सुरक्षित हो।"
उसकी सुनी आंखों से आंसू की एक धारा बह गई लेकिन वोह अब भी छत की ओर ही देखे जा रही थी।
"क्या तुम्हे बहुत दर्द हो रहा है, मीना?" अनिका ने प्यार से पूछा। "मुझे बताओ कहां, ताकि मैं दर्द कम करने में तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं।"
मीना ने धीरे धीरे रोना शुरू कर दिया।
"मुझे बहुत गंदा लग रहा है," उसने रोते हुए कहा।
अनिका का दिल धक से रह गया। उसने मीना का हाथ कस कर पकड़ लिया उसे सहज करने के लिए, उसे आश्वासन देने के लिए की सब ठीक हो जायेगा।
"वोह हमे आम के बाघ से उठा कर ले गए," मीना ने रोते हुए ही आगे कहा। "सोनू और मैं हमेशा ही आम के सीजन में हर साल वहां जाते हैं। हम पेड़ पर बैठे हुए थे, कुछ आम तोड़े थे हमने, उन्हे खा रहे थे। तभी हमने देखा की दो आदमी पेड़ के नीचे खड़े थे और हमारी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे। हमने वहां से भागने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमे पकड़ लिया। वोह हम पर हँसे जा रहे थे और हम यहां वहां छुए जा रहे थे जब हम उनसे छूटने के लिए लड़ रहे थे और मदद के लिए ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहे थे। उन दोनो में से एक आदमी मेरे साथ कुछ गंदा करना चाहता था लेकिन दूसरे आदमी ने उसे रोक दिया। उसने कहा की कुंवारी लड़कियों के ज्यादा दाम मिलते हैं बेचने पर। लेकिन मज़े लेने के और भी कई तरीके हैं। तोह उसने......"
अनिका की मुट्ठी भींच गई मीना के मुंह से हैवानियत की डिटेल सुन कर की कैसे उन जानवरों ने मासूम सी बच्ची को प्रताड़ित किया है।
"तुम अब ठीक हो, मीना। तुम बहुत बहादुर हो। आई एम प्राउड ऑफ यू। मुझे तुम पर गर्व है।" अनिका ने उसके दर्द को कम करने के लिए उसे हल्की दर्द की दवाई दी ताकि वो रिलैक्स हो जाए।
अनिका उन लड़कियों के साथ ही रही और सिर्फ कुछ ही लोगों को उससे मिलने की इजाज़त दे रही थी। पूरा घर इस वक्त परेशान और गुस्से में था।
कुछ घंटों बाद दोनो लड़कियों को होश आ गया और दोनो थोड़ा थोड़ा बात करने लगी। अनिका घर के सभी लोगों से कह दिया था की कोई भी उससे अटैक के बार में कुछ नहीं पूछेगा।
इस वक्त अंधेरा हो चुका था, अनिका ने हल्का फुल्का खाना दोनो बच्चों को खिला दिया था और उनके साथ थोड़ा बहुत खुद भी खा लिया था। तभी उसने चिल्लाने की आवाज़ सुनी।
कुछ पल बाद ही एक ज़ोर की आवाज़ के साथ क्लिनिक का दरवाज़ा खुला। तेज़ हांफते हुए अनिका उठ खड़ी हुई।
"अभय....." अनिका एकदम जम गई जिस तरह का गुस्सा वोह उसकी आंखों में देख रही थी।
"सोनू, मीना, मेरे साथ आओ।" अभय ने आराम से कहा।
अनिका अभय के पास दरवाज़े पर आ गई।
"अभय, अभी दोनो लड़कियां आराम कर रही हैं।"
"वोह ज्यादा अच्छे से आराम तब कर सकती हैं जब वोह अपनी आंखों से यह दिखेंगी।" उसकी आवाज़ में एक भरोसा था लेकिन साथ ही अनिका को डरा रहा था।
"अभय......प्लीज। वोह अभी बच्ची हैं।"
"अनिका, मेरे रास्ते से हट जाओ।" अभय की आंखों में उतरा गुस्सा देख कर अनिका साइड तोह हट गई लेकिन दरवाज़े से नही हटी।
अभय की आंखे अनिका को बचाव करता देख गुस्से फैल गई। अनिका को लगा की अभय उसे अभी उठा कर दूसरी तरफ धकेल देगा और लड़कियों के ले जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ। अभय ने अनिका के पीछे देखते हुए धीरे से आराम से कहा, "चलो।"
अनिका तो हैरान ही रह गई, सोनू और मीना उसके पीछे दाईं ओर खड़ी थी और उनके चेहरे पर भी दृढ़ भाव थे। अनिका पूरी तरह से साइड हट गई ताकि वोह वो दोनो जा सकें। वोह हेल्पलेस महसूस कर रही थी, वोह उन्हे नही रोक सकती थी अगर वोह खुद ही जाना चाहें तोह।
अनिका भी उनके पीछे पीछे गई। वोह सब एक खुले आंगन में पहुंचे जहां एक खंबे पर दो आदमियों को बांध रखा था।
"क्या इन्होंने ही तुम्हे छुआ था?" अभय ने अपनी शांत लेकिन रौबदार आवाज़ में लड़कियों से पूछा।
सोनू रोने लगी। " हां! इसने मुझे चोट पहुंचाई।" उसने दोनो में से एक की तरफ इशारा करते हुए जवाब दिया।
वोह आदमी बुरी तरह से मार खाया हुआ था और हर जगह से बस खून ही बह रहा था।
"उसे तुम भी चोट पहुँचाओ, सोनू।" अभय ने प्यार से उसे आदेश दिया।
अनिका को एक और झटका तब लगा, जब सोनू ने अपने आंसू पोंछे और उस आदमी की तरफ बढ़ गई। किसी ने उसके हाथ में एक लोहे की रॉड पकड़ा दी। सोनू ने अपने हाथ में वोह रॉड पकड़ी और उस आदमी को उससे मारने लगी।
सिर्फ उस रॉड से मारने का शोर और उस आदमी के चिल्लाने का शोर ही गूंज रहा था, जैसे वोह रॉड उस बंधे हुए आदमी के मांस पर टकराती।
जब सोनू थक गई और ज़ोर ज़ोर से हांफने लगी। वोह अपनी आंखें में सुकून लिए खून से लतपत उस आदमी को देखने लगी। अभय ने मीना की तरफ देखा।
"अब तुम्हारी बारी है मीना," अभय ने बस इतना ही कहा।
मीना ने इंतजार नही किया और तेज़ कदमों से चलते हुए दूसरे आदमी के पास पहुंची। उसने दूसरा लोहे का रॉड लिया और बेहतशा उसे मारे जा रही थी, बहुत ज़ोर से, और ज़ोर से। सोनू ने भी उसे ज्वाइन कर लिया और दुबारा उस आदमी को मारने लगी।
अगले कुछ मिनिट तक सिर्फ मारने का ही शोर गूंज रहा था। थोड़ी देर बाद दोनो लड़कियां थक कर हांफते हुए रुक गई। वोह दोनो आदमी पोल पर बंधे हुए झुके हुए थे।
क्या वोह मर गए थे?अभय आगे आया और उन दोनो आदमियों की पल्स चैक करने लगा।
"इन्हे जगाओ," अभय ने चिलिंग टोन में ऑर्डर दिया।
दो औरतें पानी भरा हुआ ड्रम लाईं और उन बंधे हुए आदमी के ऊपर उड़ेल दिया, पर उन दोनो को होश नही आया।
"अनिका, इन हरामियों को जगाओ।"
अनिका एक दम से उछल पड़ी जब अचानक उसने अपना नाम सुना।
"क्या?"
"इन्हे जगाओ। अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ। हर किसी को सावधान हो जाना चाहिए की क्या अंजाम होता है मासूम लड़कियों को हाथ लगाने पर।"
अनिका को भी अपने अंदर कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ। उसे बहुत बुरा लग रहा था सोनू और मीना के लिए।
"इन्हे जगा दीजिए, डॉक्टर सिंघम," सोनू ने रिक्वेस्ट करते हुए अनिका से कहा।
अनिका तो चौंक ही गई सोनू के दर्द भरी गुहार सुन कर। उन बंधे हुए आदमियों ने हर तरीके से उन बच्चियों को दुख देने की कोशिश की थी, उनके मान सम्मान और मुस्कुराहट को कुचला था। हां यह सच है की टेक्निकली उन्होंने इनका रेप नही किया था लेकिन उन्हें गलत जगह छू कर भी उनकी मासूमियत को रौंधा था। यह भी उतनी ही बड़ी गलती है जितनी की रेप करना। अनिका ने अपनी आंखें बंद की, एक गहरी सांस ली, और फिर अपनी आंखें खोल दी।
"लक्ष्मी, मेरा मेडिकल बैग लेकर आओ।"
दस मिनट बाद, अनिका ने दोनो आदमियों को एड्रेनालाईन शॉट्स दे दिया।
उन दोनो को धीरे धीरे होश आने लगा।
दस मिनट बाद, अनिका ने दोनो आदमियों को एड्रेनालाईन शॉट्स दे दिया।
उन दोनो को धीरे धीरे होश आने लगा। उनके ऊपर और पानी डाला गया। उन्हे होश आते ही, माफी के लिए गिड़गिड़ाने लगे।
"प्लीज, मत मारो। मुझे माफ करदो। मैं सिंघम की ज़मीन पर दुबारा कभी नही आऊंगा। गलती हो गई हमसे। मैं कभी भी किसी भी सिंघम की लड़की को नही छुऊंगा।" दोनो में से एक आदमी गिड़गिड़ाते हुए, रो रो कर माफी मांग रहा था।
"प्लीज़, छोड़ दो।" दूसरे आदमी ने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया। "गलती हो गई। मुझे लगा वोह ही चाहती है। बल्कि.....उसने........मुझे उकसाया......यहां तक की उसने मुझे बुलाया वहां और......." वोह आदमी बोलते बोलते रुक गया जब उसने अभय के चेहरा गुस्से लाल और आंखे जलती हुई देखीं।
"आज रात के बाद से, तुम दोनों सिंघम लड़की तो क्या, किसी भी दूसरी लड़की को छू नहीं पाओगे।" अभय ने वादा करते हुए कहा।
अभय ने एक लंबी चमड़े का चाबुक लिया और उन दोनो आदमियों पर बरसाने लगा। वोह उन्हे इतनी ज़ोर से मार रहा था की उनकी खाल ही उधेड़ दे रहा था। हवाओं में सिर्फ और सिर्फ उन दोनो के चीखने चिल्लाने की गूंज ही उठ रही थी। थोड़ी ही देर में एकदम शांति छा गई। दोनो आदमी उस खंबे के सहारे ही लटक गए।
अभय ने दुबारा अनिका से नही पूछा की इन्हे जगाओ। उन आदमियों के पीले पड़े चेहरे देख कर अनिका समझ चुकी थी की एड्रेनालाईन शॉट्स का अब कोई असर नहीं होगा। वोह मर चुके थे, और हैरत की बात यह थी, की उसे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता था, कोई दुख नही था।
जब अभय ने चाबुक नीचे ज़मीन पर फेंक दिया और उन आदमियों के पास से हट गया, सोनू और मीना दोनो भागते हुए अभय से दोनो साइड से लिपट गईं।
"थैंक यू अभय," सोनू ने धीरे धीरे रोते हुए कहा।
"वोह जानवर जिसने तुम दोनो को नुकसान पहुंचाया है वोह मर चुका है," अभय ने प्यार से कहा। "अब तुम्हे बिलकुल भी चिंता करने की कोई जरूरत नही है। बस इतना ध्यान रखना की कहीं भी दूर जाने से पहले किसी को अपने साथ ले जाना।"
दोनो लड़कियों ने हां में सिर हिला दिया।
उसी देर रात को अपने बेडरूम में जाने से पहले अनिका ने दोनो बच्चियों को एक बार फिर चैक किया और वोह ठीक हैं यह सुनिश्चित करने पर ही वोह अपने कमरे में गई।
अभय अभी तक वापिस नही आया था। वोह जानती थी की अभय शायद आंगन में से वोह खून खराबा और लाशें साफ करवा रहा होगा।
अनिका अभी शावर ले रही थी। शावर लेने के बाद वोह फ्रेशेनअप हो ही रही थी की उसने उसके कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनी और फिर बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी।
वोह अभी भी खून से सने कपड़ों में ही था। पर पिछली बार की तरह, इस बार अनिका ना उससे घबराई और ना डरी और ना ही उसे उससे नफरत महसूस हुई।
वोह उसके नज़दीक बढ़ने लगी।
अभय अपने शर्ट के बटन खोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन उससे खुल नही रहा था क्योंकि उसके हाथ जमे हुए खून और गंदगी की वजह से अकड़ चुके थे।
"मैं मदद कर देती हूं," अनिका ने प्यार से कहा।
अभय के हाथ रुक गए, वोह चुपचाप खड़ा हो गया। उसने उससे कुछ नही कहा जबकि अनिका उसकी खून से लतपत शर्ट के बटन खोलने लगी। उसने सारे बटन खोलने के बाद उसके कंधे से उसकी शर्ट नीचे की लेकिन अभय से हाइट कम होने की वजह से वोह उसकी शर्ट को पूरी तरह से नही उतार पाई। तोह अभय ने ही अपनी शर्ट उतारने में हेल्प की।
इसी बीच, अनिका ने अभय की पैंट के हुक खोल दिया। अभय एक दम जम गया जब उसे अनिका की उंगलियों की छुअन का एहसास हुआ लेकिन उसने कुछ नही कहा। अनिका ने उसकी पैंट नीचे सरका दी।
कुछ पल तक उसकी आंखों में ऐसे ही देखते रहने के बाद अनिका सिंक की तरफ चली गई अपने हाथ धोने जिन पर अभय के कपड़ो से खून लग गया था।
अनिका को शीशे में अभय की परछाई साफ नज़र आ रही थी। वोह अपने सारे कपड़े पूरी तरह से उतार कर शावर केबिन की तरफ बढ़ गया।
उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था और वोह अपने बदन से खून साफ कर रहा था।
पिछली बार जब वोह इसी तरह की सिचुएशन में थे जब अनिका टब में लेटी हुई थी और अभय शावर में था, तब उसे अभय की धुंधली सी परछाई नज़र आ रही थी, पर इस बार वोह अभय को साफ साफ देख सकती थी। अनिका उसके गठीले शरीर के हर एक अंग को निहार रही थी जैसे जैसे वोह मूव कर रहा था।
और पिछली बार की तरह इस बार अनिका बिलकुल भी उससे नही डर रही थी। इनफैक्ट उसे तोह उसकी लालसा हो रही थी। वोह तोह यह सोच रही थी की अभय क्या करेगा अगर वोह शावर का दरवाज़ा खोल कर अंदर घुस जाए और उसे ज्वाइन कर ले।
एक गहरी सांस लेने के बाद, इससे पहले की उसकी यह इच्छा और बढ़ने लगती, अनिका जल्दी से बाथरूम से बाहर निकल गई।
कुछ देर बाद अभय उसके साथ बिस्तर पर लेटा हुआ था। वोह अपने में ही खोया हुआ छत को एकटक देख रहा था।
धीरे से अनिका उसकी तरफ खिसकी और उसके नज़दीक आ कर उसकी खुली छाती पर अपना हाथ रख दिया। अभय का शरीर एक दम कड़क हो गया उसके छूने के एहसास से लेकिन कुछ ही पल बाद वोह रिलैक्स हो गया। पर अभी भी उसने कहा कुछ नहीं।
अनिक ने अपना हाथ अच्छे से अभय की कमर पर फैला दिया और एक सुकून भरी गहरी नींद में सो गई।
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अगली सुबह जल्दी ही किसी वक्त अनिका की नींद खुली। उसने अपनी गर्दन घुमाई और देख कर निराश हो गई जब उसने देखा की अभय उसके पास नही लेटा हुआ था।
अनिका उठ कर बैठ गई। उसने देखा की अभय अपनी गन अपनी कमर पर बंधे गन के खोल में डाल रहा है और वोह पूरी तरह से तैयार भी है।
अभय ने अनिका की नज़रे उस पर भाप ली और अपनी नज़रे उठा कर उसकी तरफ देखा। धीरे से वोह आगे बढ़ने लगा। वोह बैड के किनारे अनिका के पास आ कर खड़ा हो गया।
उसने अपना एक हाथ अनिका के गाल पर रखा और उसी को देखते हुए झुकने लगा। वोह इंतजार कर रहा था यह देखने के लिए की अनिका उसका हाथ हटाती है या नही, पर उसने ऐसा नही किया।
अनिका का दिल जोरों से धड़क उठा इस सोच से की शायद अभय उसे किस करने वाला है। जैसे ही अभय के होंठ उससे मिले, वोह पूरी तरह से उसमें डूब गई। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और दोनो की जीभ आपस में टकराने लगी क्योंकि अभय उसे डीप किस कर रहा था। इससे पहले की अनिका अभय को छूती और उसे करीब खिंचती अभय उससे दूर हो गया।
"मुझे अभी जाना होगा। कुछ लोग मेरा इंतज़ार कर रहें हैं नीचे," अभय ने नरमी से कहा।
अनिका को निराशा हुई लेकिन उसने सिर हिला दिया।
"मैं एक हफ्ते के लिए जा रहा हूं एक प्रॉब्लम को सुलझाने, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए परमिशन लेने। तुम ठीक तोह रहोगी ना?" अभय ने पूछा।
अनिका ने फिर सिर हिला दिया। "हां," अनिका ने जवाब दिया। उसे अभी से उसकी गैर मजूदगी का एहसास होने लगा था।
कुछ पल तक ऐसे ही उसका चेहरा देखते रहने के बाद अभय पलटा और कमरे से बाहर चला गया।
अनिका वापिस अपने बैड पर गिर पड़ी और अपने तकिए में मुंह छुपा लिया और सोने की कोशिश करने लगी पर उसे नींद नही आई। उसने अपनी उंगलियों से अपने होठों को छुआ, उसे अभी भी अभय के किस का टिंगलिंग सा एहसास हो रहा था।
कहानी अभी जारी है...
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