"हँसने की क्या बात है?" अनिका ने पूछा, जब उसे कुछ फुसफुस हँसने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो उसने ऊपर देखा।
दो किशोर अवस्था की लड़कियां लगातार धीरे धीरे हँसी जा रहीं थी। अनिका यार्ड में मेडिसिनल हर्ब्स प्लांट कर रही थी। मीना और सोनू उसे अक्सर यार्ड में करने में मदद करते थे। अनिका को कुछ दिनो से यह काम करने में मज़ा आने लगा था।
अनिका मुस्कुराई। "बताओ तोह मुझे, ताकि थोड़ा मैं भी हंस सकूं तुम दोनो के साथ।" अनिका के कहते ही मीना और सोनू की फुसफुसाहट ज़ोर दार हँसी में बदल गई जब उन्होंने ऊपर बिल्डिंग की तरफ इशारा किया।
"हुंह?" अनिका ने ऊपर की ओर देखा, तुरंत ही उसकी नज़र एक लंबे चौड़े इंसान पर पड़ी जो अपने कमरे की बालकनी में खड़ा उन्हें ही नीचे की ओर देख रहा था। अनिका को अपने अंदर एक अनचाही एनर्जी महसूस हुई जब दोनो की नज़रे एक दूसरे से टकराई। वोह आदमी काफी देर उसे ऐसे ही घूरता रहा, उसके बाद उसे आंखों ही आंखों में ऊपर आने का इशारा किया।
अनिका का मन बहुत कर रहा था की उसे ना कह दे, लेकिन ऐसा करने से उससे भी बुरा होता, वोह आदमी नीचे आता और उसे घसीटते हुए ऊपर ले जाता। इससे उसका गुस्सा और बढ़ता।
"तुम दोनो मेरा यह काम करो। मैं बस अभी आई।" अनिका ने अपने हाथ झाड़े और अंदर चल दी।
जब वोह कमरे में पहुँची, तोह उसने सबसे पहले एक गहरी सांस ली और फिर शेर की गुफा में घुस गई।
"दरवाज़ा बंद करदो," उस आदमी ने धीरे से कहा। उसकी पीठ अनिका की तरफ थी, क्योंकि वोह सेफ में से कुछ निकाल रहा था। इतना सारा समय अपने इस कमरे में गुजारने के बाद भी अनिका को नही पता था की यहां एक सेफ भी है। अनिका ने दरवाज़ा बंद किया और उसकी तरफ पलट गई। अनिका एकदम से जम गई जब उसने देखा की अभय उसकी मिट्टी से सने हुए चप्पल की तरफ देख रहा है।
"उन्ह्हह....वोह मैं....यार्ड में काम कर रही थी...." अनिका बिना पूछे ही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रही थी जबकि वोह जानती थी उसने उसे नीचे यार्ड में काम करते हुए देखा था।
अभय के हाथ में एक लाल कलर का वेलवेट बॉक्स था, जिसेइए वोह अपने यूजुअल एक्सप्रेशन से देख रहा था। "अगले हफ्ते इसे मंदिर जाते वक्त पहन लेना।"
बड़े ही ध्यान से अनिका ने वोह बॉक्स अभय के हाथों से ले लिया और उसे खोल कर देखा। उसकी तो सांसे ही रुक गई इतने खूबसूरत हार को देख कर। वोह ज्वैलरी की ना ही लालची थी, और ना ही कुछ खास रुचि थी, लेकिन खूबसूरत चीजों की कौन तारीफ नही करना चाहेगा। वोह हार था ही इतना एलिगेंट और ब्यूटीफुल की अनिका भी दंग रह गई उसे देख कर। बहुत ही कीमती और मुस्किल नक्काशी से बना वोह हर अनिका की भी सांसों को रोक हुए था।
अनिका ने याद किया, की उसने भी देवसेना के जर्नल में पढ़ा था शादी के इकीसवे दिन पर गिफ्ट्स एक्सचेंज करने के रिवाज के बार में, और उसके बाद मंदिर जा कर एक छोटी सी सेरिमनी के बारे में।
अभिमन्यु सिंघम ने अपनी वाइफ के लिए एक बहुत ही खूबसूरत हार बनवाया था। और उसके बदले में देवसेना ने अपने पति को एक हीरों से जड़ा हुआ खंजर तौफे में दिया था। अनिक ने यह भी याद किया की उसने पढ़ा था की देवसेना कितनी एक्साइटेड हो गई थी उस दिन।
"थैंक यू," अनिका ने सॉफ्टली कहा। "पर मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नही है।"
एक हैरानी छा गई अभय के चेहरे पर। एक पल के लिए वोह दंग रह गया। "मुझे लगता है की मैं तुम्हारे गिफ्ट के बिना भी सरवाइव कर सकता हूं।"
अनिका उसके ताने पर भी चुप रही। उसका मन किया कुछ बोलने का लेकिन उसने अपने होंठ कस कर दबा दिए ताकि वोह अपने आप को आगे बोलने से रोक सके। आखिर वोह क्या सोच रही थी? उसने देवसेना की जर्नल इतनी पढ़ ली थी की अब वोह दो दुनिया आपस में मिलाने लगी थी। जैसा की अभिमन्यु सिंघम था, एक लविंग हसबैंड, अभय सिंघम उसके बिलकुल विपरीत था, जो सिर्फ उसे टॉर्चर करता था, धमकाता था, रौब जमाता था, उसे नीचा दिखाता था। अनिका वोह पूरा हफ्ता अभय से दूर भागने की कोशिश करती रही, की कम से कम दोनो का सामना हो, लेकिन उसके बदले उसे अभय से और भी ज्यादा धमकियां मिली, उसका और भी ज्यादा उपहास उड़ाया, उसकी अवेहलना की।
"मैं चाहता हूं की तुम मंदिर में ठीक से बिहेव करो। सबको यह यकीन दिला देना की हमारी शादी एक खुशहाल शादी है और हम दोनो एक हो चुके हैं, और हम हमारे वारिस को इस दुनिया में लाने के लिए काम कर रहें हैं। अगर किसी ने भी कुछ और सोचा, तोह मैं यह सब सच में बदल दूंगा। समझी तुम?"
अनिका को नफरत होने लगी थी अभय के उसे बार बार धमकाने से पर उसने अपने होंठ दबा दिए उसपर ना चिल्लाने से रोकने के लिए।
"वैल?" अभय बोला।
"येस!" अनिका ने जवाब दिया, अब वोह ज्यादा देर तक चुप नही रह सकती थी।
अनिका उम्मीद कर रही थी की उसे डराने और धमकाने के लिए अभय कुछ उसे बुरा भला कहेगा, पर हैरानी की बात यह थी की, अभय की आंखें खुश नज़र आ रही थी।
"आई थिंक, आई लाइक दिस वर्ज़न ऑफ यू बैटर।" अभय ने कुछ रहस्यमई सी बात कही और कमरे से बाहर निकल गया। कुछ पल बाद ही अनिका को अभय की किसी पर अपने ऑर्डर्स चिल्लाने की आवाज़ सुनाई पड़ी।
जब अभय की आवाज़ आना दूर होने लगी और उसके बाद पूरी तरह से बंद हो गई, तब अनिका ने वोह वेलवेट बॉक्स, अलमीरा में तिजोरी में रख दिया। फिर वोह बाहर यार्ड में अपना काम करने चली गई।
अगले कुछ घंटे, अनिका यार्ड में अरुंधती सिंघम की किताब से पढ़ कर मेडिसिनल हर्ब्स प्लांट करती रही। जब वोह आखरी प्लांट लगा रही थी तब उसे घर के बाहर से कुछ शोर की आवाज़ सुनाई पड़ी। जैसे की कुछ लोग इकट्ठा हो कर आपस में बात कर रहें हैं।
"क्या हो रहा है?" अनिका ने पूछा। जब उसने कुछ परेशान चेहरे देखे।
"उन्होंने हमारे अनाज के गोदामों को आग जला कर बर्बाद कर दिया।" एक बूढ़ी औरत फूट पड़ी।
"जिसने आग लगाई?"
"वोही पागल कुत्ते! सेनानी।"
अनिका का दिल जोरों से धड़क उठा जब उसने नाम सुना। देवसेना भी तोह सेनानी थी जब उसने अभिमन्यु सिंघम से शादी की थी। तोह सिंघम और सेनानी के बीच इतनी दुश्मनी क्यूं है?
"क्या इसकी वजह से किसानों और उनके घरवालों को भुगतना पड़ेगा?" अनिका जानती थी की यह जगह पहले ही सूखे की वजह से भुगत रही है। और अब इतनी मेहनत से और मुश्किल से खेती किया हुआ अनाज बर्बाद हो जाना, एक बहुत बड़ा नुकसान था।
"नही। अभय हमेशा ध्यान रखता है की किसान या उसका परिवार कभी भी किसी भी वजह से मुश्किल में ना पड़े, उसे कभी सफर ना करना पड़े। पर हम सबने मिलकर कड़ी मेहनत की थी, और अभय ने अपना खून पसीना दिया था इस वाटर रेसिस्टेंट फसल को उगाने के लिए। और सेनानियों को एक पल नही लगा हमारी कड़ी मेहनत को बर्बाद करने में।"
"आई एम सॉरी," अनिका ने दिल से महसूस करते हुए कहा। "मुझे बताना अगर मैं किसी तरह तुम सब के किसी काम आ पाऊं तोह।"
उस बूढ़ी औरत ने अपने मुरझाए हुए चेहरे से एक सुस्त सी मुस्कुराहट पास करदी। "आप बहुत अच्छी हैं। आप मुझे अरुंधती की काफी याद दिलाती हैं। वोह भी दिल की बहुत अच्छी औरत थी। सब उन्हे बहुत पसंद करते थे।"
अनिका उत्सुक तो हो रही थी जानने के लिए, लेकिन उसने अपने आप को रोक लिया कुछ भी पूछने से। उसे वोह आखरी बार का किस्सा याद आ गया था, किस तरह से अभय ने रिएक्ट किया था जब उसने उसे उसकी मां के बारे में पूछताछ करते देख लिया था।
जल्द ही अंधेरा छाने लगा। डिनर के बाद अनिका अपने कमरे में आ गई। आई उसने ज्यादा समय लाइब्रेरी में नही बिताया था क्योंकि आज वोह यार्ड में काफी काम कर रही थी। वोह एक जल्दी से शावर लेने के लिए बाथरूम में घुस गई। पर जैसे ही वोह बाथरूम में घुसी उसकी नज़रे बड़े से बाथटब पर चली गई। ही भी छोटे मोटे दर्द उठ गए थे उसके शरीर में लगातार यार्ड में काम करने से वोह सारे दर्द अब और ज्यादा उभरने लगे थे। एक गहरी सांस लेते हुए उसने सोचा की वोह आदमी तोह देर से आएगा, तब तक वोह बाथ टब में नहा ले। उसने बाथ टब में पानी भरा, बाथ साल्ट डाला, और अपने सारे कपड़े उतार कर टब में उतर गई।
वोह कराह गई जब उसके शरीर पर गुनगुने पानी का स्पर्श हुआ जो उसे यह बता रहा था की उसके शरीर पर कहां कहां दर्द है। उसकी दुखती मासपेशियों को अब गुनगुने पानी के गरमाहट से सुकून मिल रहा था। और वाटर साल्ट में से आ रही लैवेंडर की खुशबू उसे एक नई ही दुनिया में ले जा रही थी। उसने अपनी गर्दन की टब के राउंड एज पर टिका दिया और अपनी बाकी के शरीर की पानी के अंदर छुपा लिया। उसने अपनी आंखें बंद कर ली ताकि उसका शरीर और दिमाग दोनो को आराम मिल सकें।
कुछ ही पल गुजरा था की, उसे एक ज़ोर दार आवाज़ सुनाई पड़ी जिससे उसका ध्यान भंग हो गया, उसने अपनी आंखे खोली तोह सामने दरवाज़े के पास अभय सिंघम की खड़ा पाया।
जो नज़ारा वोह सामने देख रही थी, उससे अनिका अपने आप में ही सिमटने लगी, और डर से पीछे हटने लगी। सूखे हुए खून के धब्बे अभय के चेहरे और कपड़ो पर चारों तरफ लगे हुए थे।
अनिका पूरी कोशिश करने लगी की वोह डर से चीखें नही।
अभय अंदर आया और अपने कपड़े उतारने लगा। जब उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह से नग्न हो गया तोह वोह शावर केबिन में घुस गया।
अनिका अभी भी बाथ टब में लेटी हुई थी और कोशिश कर रही थी कबीर को उसकी मौजूदगी का एहसास ना हो। पर उसके कांपने की वजह से पानी में हल्की हलचल होने लगी थी।
अभय ने सिर नीचे किया हुआ था इस वजह से की शावर का गर्म गर्म पानी उसके सिर के ऊपर से पड़े। शावर केबिन के बाहर से अनिका को कुछ साफ साफ नही दिख रहा था, लेकिन उसे उसकी धुंधली परछाई से इतना पता चल रहा था की अभय गुस्से में और परेशान है।
"फक!" अभय ज़ोर से दहाड़ा और अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर शावर केबिन के ग्लास वॉल पर जोर से मारा। उसने ऐसा कई बार किया जिससे ग्लास वॉल के साथ साथ बाहर बाथ टब में लेटी अनिका भी अंदर तक कांप गई।
हर बार जब भी वोह ग्लास पर मुक्का मारता, अनिका हिल जाती।
आखिरकार उसने ग्लास पर अपना हाथ मरना बंद कर दिया, आवाज़ आ रही थी तोह बस उसकी तेज़ चलती सांसों की। अनिका कांप रही थी, वोह हिल नही सकती थी, उसके दिमाग ने डर से काम करना बंद कर दिया था।
कुछ घंटो पहले तक वोह यह सोच रही थी की अभय एक इंसान है, पर इस वक्त वोह एक हिंसक मॉन्स्टर देख रही थी जो उसे वापिस हकीकत में ले आया था। उसे असुरक्षा महसूस होने लगी और उसके डर ने उसका गला ही चोक्ड कर दिया, जबकि उसका मन तोह कर रहा था की पानी में ही छुप जाए क्योंकि उधर उसका पति उसके सामने अपने चेहरे पर लगा किसी का खून साफ कर रहा था।
काफी देर बाद, कबीर शावर केबिन से बाहर निकला और हिप्स के चारों ओर टॉवल लपेट दिया।
बाथरूम से बाहर निकलने से पहले, अभय पलटा और सीधे अनिका के आंखों में देखा।
अनिका को लगा की वोह डर से कहीं मर ना जाए, पर अभय वापिस पलट गया और बाथरूम से बाहर निकल गया। इधर अनिका ने चैन की सांस ली।
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"एक सच्चे नायक को, शांति बनाए रखने के लिए, जरूरत पड़ने पर, क्रूर बनना चाहिए।"अगली सुबह, जब अनिका सो कर उठी तोह उसे देवसेना के शब्द याद आने लगे। हालांकि वोह पूरी तरह से इस बात को नही मानती थी, पर वोह समझती थी देवसेना ऐसा क्यों कह रही है। शायद उस समय में, देश के कानून कुछ अलग हुआ करते थे। पर आज के समय में, कोई भी व्यक्ति हिंसक नही हो सकता भले ही सामने वाला गलत क्यों ना हो।
उसे ट्रेडमिल पर किसी के चलने की आवाज़ आ रही थी। कुछ मिनट बाद, उसे एक सख्त सी आवाज़ सुनाई पड़ी और फिर घुरघुराने की जैसे ही वोह पंचिंग बैग पर पंच मार रहा था। वोह धीरे से बैड से उठी और धीरे धीरे चलने लगी। कमरे की खिड़की तक पहुँच कर वोह चुपके से अभय की देखने लगी।
वोह आदमी पंचिंग बैग पर किक मार रहा था। उसकी चौड़ी पीठ और लंबे पैर, किसी सख्त और मजबूत चट्टान की तरह दिख रहे थे। उसकी मसल्स काफी स्ट्रॉन्ग दिख रही थी। उसे देख कर अनिका को यह आभास हो रहा था की अगर उसका प्लान सही तरीके से काम नही किया और फेल हो गया तोह अभय इतना स्ट्रॉन्ग है की उसे किसी टूथपिक की तरह पल भर में ही तोड़ देगा। अनिका ने उसे कुछ और देर तक ऐसे ही देखा और फिर खिड़की से पीछे हट गई। वोह वापिस बैड पर आ कर लेट गई। वोह बहुत कोशिश कर रही थी की अभय को यह दिखा सके की वोह उससे डर नहीं रही है।
किसको बेवकूफ बना रही थी वोह?उसने ब्लैंकेट ओढ़ा और अपने आधे मुंह तक ढक लिया, और उस तरह से पोजीशन दिखाने की कोशिश करने लगी जिस तरह से वोह रात भर सोई थी, जैसे की वोह अभी भी सो रही हो।
अभय कबर्ड के पास खड़ा था, और तैयार हो रहा था, जब अनिका न अपनी आंखें खोली, और अभय से नज़र बचाते हुए सीधे बाथरूम में घुस गई। दस मिनट बाद, वोह अपनी ही परछाई को शीशे में घृणा की नज़रों से देखने लगी।
आखिर तुम कर क्या रही ही! क्या पूरी जिंदगी ऐसे ही रहना चाहती हो? कुछ तोह करो। बाहर निकलो यहां से और अपने प्लान को अंजाम देने की कोशिश करो!अपने आप से बातें करने के बाद अनिका बाथरूम से बाहर निकल गई। अभय अपनी लंबी पुरानी सफेद रंग की शर्ट की बाज़ू के बटन बंद कर रहा था। अनिका ने उसे अक्सर थ्री पीस फॉर्मल सूट में ही देखा था।
"तुम मुझे ऐसे ही घूरती रहोगी या फिर कुछ बात भी करोगी?" अभय ने गहरी और गंभीर आवाज़ में पूछा।
अनिका थरथर्रा गई। अच्छी बात यह थी की, अभय ने देखा नही उसका रिएक्शन क्योंकि वोह नज़रे नीचे किए अभी भी अपनी बाज़ू के बटन बंद कर रहा था। पिछले एक महीनों में अनिका ने अभय के बारे में काफी कुछ ऑब्जर्व किया था।
अभय सिंघम घर के सभी लोगों के साथ अलग थलग रहता था। कोई भी रिलैक्स्ड नही रहता था जब वो आस पास होता था। वोह सभी अभय से डरते थे, पर डरने के साथ साथ इक्वली रिस्पेक्ट भी करते थे। वोह हमेशा कहते रहते थे की अभय के समझदार इंसान है और जितना हो सके उतना उनकी परेशानियां सुनता भी है और सब की हेल्प भी करता है। क्योंकि अब अनिका उसकी पत्नी है और इस नाते उसे भी उम्मीद है की इसी तरह का सम्मान उसे भी सब से मिले।
इसी सोच से उसकी आवाज़ वापिस आ गई जो की अभय को देख कर उसके कंठ में ही फस गई थी।
"मैं....मैं कल से ही आपसे कुछ पूछना चाहती थी। मैं बल्कि कल रात आपका इंतजार कर रही थी।" अनिका की आवाज़ बहुत धीरे थी लेकिन अभय को सुनाई दे रही थी।
अभय ने अपनी सिर उठाया और सीधे अनिका की चेहरे की तरफ देखने लगा जैसे की उसके चेहरे को पढ़ रहा हो। उसका जबड़ा जकड़ गया, जो भी उसे उसके चेहरे पर दिखा, उसे देख कर।
"तोह क्यों नही पूछा?" अभय ने डांट पीसते हुए पूछा।
"आपके ऊपर ब्लड लगा हुआ था।" अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा।
अभय की एक भौंहे उचक गई।
"कभी इससे पहले ब्लड नही देखा था डॉक्टर सिंघम?" अभय ने पूछा। उसने डॉक्टर शब्द थोड़ा ज्यादा ज़ोर देते हुए कहा था।
अनिका ने अपना होंठ काट लिया।
"हां। लेकिन उस इंसान के ऊपर नही जिसने अभी....अभी...." अनिका बोलते बोलते रुक गई। वोह अपने मुंह से मडरड या किल्ड शब्द का इस्तेमाल नही करना चाहती थी।
"अच्छा?"
"आप कल रात.... परेशान लग रहे थे," अनिका ने फिर धीरे से फुसफुसाते हुए कहा।
अभय ने अपना मुंह टेढ़ा कर लिया। "क्या मैं तुम्हे बाकी के समय हस्ता, मुस्कुराता, और चहकता हुआ लगता हूं?"
अभय के सरकास्टिक वे में ताना मारने से अनिका चिढ़ने लगी।
"नही, मैने कभी भी आपको हँसते मुसकुराते हुए नही देखा है पर यूजुअली भी आप इस तरह से परेशान और गुस्से में नही रहते हैं।"
अभय ने आँह भरी इस सोच से की उसे हार मानना ही पड़ेगा और अनिका की बात सुननी ही पड़ेगी जो वोह कहना चाहती है। वोह साथ साथ अपनी गर्दन भी सहला रहा था और अनिका की बात पूरी होने का इंतजार भी कर रहा था।
अपने आप को थोड़ा और मजबूत और बोल्ड बनाते हुए, अनिका अभय के थोड़ा नज़दीक आ गई। उसे असहज भी महसूस हो रहा था और अप्राकृतिक भी, लेकिन उसे कोशिश तोह करनी ही थी। "आप...... उह्ह्ह्...थके हुए लग रहें हैं।"
"क्योंकि मैं बहुत बुरी तरह से थका हुआ हूं।" अभय ने दो टुक जवाब दिया और फिर उसके चेहरे की ओर देखने लगा।
धीरे धीरे उसकी आंखें छोटी होने लगी क्योंकि वोह उसके चेहरे पर चालाकी देख रहा था।
"तुम्हे क्या चाहिए? यह जिस तरह का तुम ढोंग कर रही हो यह मुझे परेशान कर रहा है।"
"नही। मैं कोई ढोंग नही कर रही। मैं सच में जानना चाहती हूं की आप सारा दिन करते क्या है?" अनिका ने पूछा। वोह कुछ कुछ सही कह रही थी। उसकी सच जानने की उत्सुकता उसे और बहादुर बना रही थी।
"क्या करूंगा? मारना और सब जगह तबाही का कारण बनना," अभय ने बेपरवाही से जवाब दिया।
अनिक के होंठ कांपने लगे पर उसने अपने होंठो को दबा कर स्थिर करने की कोशिश करने लगी। वोह आदमी जान बूझ कर उसे डराने की कोशिश कर रहा था, और उस काम में जीत भी रहा था।
"आप ज्यादातर सुबह लैपटॉप पर काम करते हैं, और मैने आपको फोन पर बात करते हुए सुना है किसी टेक्नॉल्जी से जुड़े प्रोडक्ट पर फंडिंग के बारे में बात करते हुए। मैं.... मैं जानती हूं की आप दूसरे काम भी करते हैं। नॉर्मल थिंग्स।"
अभय अपनी भौंहे सिकोड़ हुए धीरे धीरे ऊपर सिर से नीचे पांव तक देखने लगा। उसकी नज़रे कुछ पल उसके होंठों पर रुकी और फिर उसके सीने पर।
उसका निर्दय मुंह टेढ़ा हो गया।
"अह! मैं तोह भूल ही गया था की तुम डॉक्टर हो, इस कायर शरीर में तेज़ दिमाग भी है।"
"ऐसा बहुत कुछ है जो आप मेरे बारे में नही जानते हैं।" अनिक तेज़ चिल्लाना चाहती थी पर उसकी आवाज़ ही डर से धीरे निकल रही थी। "प्लीज़। मैं अपनी जिंदगी यहां आसान बनाना चाहती हूं और इस जगह में और आपके साथ एडजस्ट होना चाहती हूं। मुझे अपने बारे में और बताइए।"
अभय थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही देखता रहा।
"मैं भी शायद तुम्हारे बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता, माय डियर वाइफ, पर एक बात बहुत अच्छी तरह से जानता हूं की तुम मेरे गुरुर से नफरत करती हो, और मेरे बारे में और जानना चाहती हो!"
"न..नही मैं मैं आपके गुरुर से नफरत नही करती।" अनिका को यह शब्द कहने के लिए बहुत हिम्मत करनी पड़ी क्योंकि वोह जानती थी की यह झूठ है।
वोह नफरत करती है अभय सिंघम से— उससे शादी करने के लिए, यह बताने के लिए और दिखाने के लिए की वोह उसे खरीद कर लाया है, उसका हक है उस पर। उसने उसे अपने कैद में फसा कर रखा हुआ है।
अभय अपनी आंखों में एक अजीब सी चमक लिए अनिका को गौर से देख रहा था। "क्या कभी किसी ने तुमसे यह कहा है की तुम झूठ बोलने में बहुत खराब हो?"
हां। हर समय। उसके स्टेप डैड, उसकी मॉम, मायरा, और इवन नाथन भी। लोग हमेशा ही उसे पकड़ लेते हैं जब भी वोह कोई झूठ बोलती है। इसलिए वोह बहुत कम ही झूठ बोलती है, पर बात जब अपने आप को बचाने की हो, उसे हर वोह मुमकिन कोशिश करनी चाहिए जिसकी जरूरत है, इस जंजाल से बाहर निकलने के लिए।
"न....नही। मैं झू...झूठ नही बोल रही। मैं आ...आपसे नफरत नही करती। मैं यहां एडजस्ट होना चाहती हूं ताकि अपनी जिंदगी कुछ आसान बना सकूं।"
अभय की नाक फूल गई। उसने अपने हाथ से अनिका की गर्दन के पीछे से पकड़ कर उसे करीब खींच लिया। अब उनके दरमियान इंच भर का फासला बच गया था।
अनिका का दिल इतनी जोरों से धड़क उठा की मानो अभी बाहर आ जायेगा, पर उसने इससे बचने का बहाना सोच लिया था। वोह अब और डर कर नही रह सकती थी। उसे अपनी सारी ताकत और कोशिशों से इस परिस्थिति से बाहर निकलना था। उसने हिम्मत और कोशिश करके अपने डर पर काबू कर लिया।
अभय सिंघम की भौंहे सिकुड़ गई क्योंकि उसे कुछ शक हुआ। और फिर उसके चेहरे पर धीरे धीरे मुस्कुराहट आने लगी।
"प्रूव इट," अभय ने चैलेंज किया।
"प्रूफ करो की तुम मुझसे ना ही डरती हो और ना ही नफरत करती हो। और तुम इस लाइफ में एडजस्ट होना चाहती हो।"
"क...कैसे?"
अभय ने उसकी गर्दन छोड़ दी। "तुम्ही थी ना जिसने मुझे यह कहा की तुम मुझसे नफरत नही करती और डरती भी नही और यहां एडजस्ट भी करना चाहती हो। तोह मुझे दिखाओ।"
अनिका असमर्थ सी यूहीं खड़ी थी जिस वजह से अभय की आंखे और चमक उठी।
"तुम जानती हो की मुझे क्या लगता है? मुझे लगता है की तुम जनरली आदमियों से डरती हो। तुम उसी टाइप की लगती हो।"
अनिका कहीं ना कहीं जानती थी अभय उसे चुप कराना चाहता है लेकिन उसे खुद को सही साबित करने के लिए तोह लड़ना ही था। "मैं आदमियों से नही डरती। और आपका यह टाइप कहने से क्या मतलब है?"
"टाइप जो यह सोचते हैं की आदमियों के साथ रहना कितना गन्दा और घिनौना होता है। मुझे लगता है ऐसे लोगों को ठंडा कहा जाता है।"
अनिका को अपनी बेजती महसूस हुई। "मैं यूएस में पली बड़ी हुई हूं और मैंने बहुत से लडको को डेट किया है।"
"सच में? रोमांटिक डेट्स? या फिर प्ले डेट्स?"
"रोमांटिक डेट्स।" अनिका ने जवाब दिया।
अभय उसे घूर कर देखने लगा, तब तक जब तक की उसके अंदर जन्मा यह नया नया साहस टूट न जाए और वोह फिर से असहज हो कर कांपने न लगे। "बुलशिट। मैं शर्त लगा सकता हूं की अगर कोई आदमी तुम्हे किस करने की कोशिश करेगा तोह तुम डर से चिंखोगी और कांपने लगोगी।"
"बिलकुल भी नही। मैं...मैने कई बार किस किया भी है और एंजॉय भी किया है।" अनिका झूठ बोल रही थी, पर उसे बिलकुल भी पसंद नही आया जिस तरह से अभय उसे लूजर साबित कर रहा था जो आदमियों से और इंटीमेसी से डर कर भाग जाती है।
"प्रूव इट।"
"क्या?"
"तुमने कहा ना की तुमने कई बार किस किया और एंजॉय भी किया है। तोह प्रूव करो।"
"प...पर..."
"तुमने ही अभी कहा था की तुम मुझसे नफरत नही करती। तोह मुझे किस करो और दोनो प्वाइंट प्रूव करके दिखाओ।"
"मैं...मैं..."
अभय अपनी एक आईब्रो को ऊपर उठाए अनिका के टूटने या पीछे हटने का इंतजार कर रहा था। अनिका पीछे हटना नही चाहती थी। वोह अभय को प्रूफ करना चाहती थी की वोह कोई सिली गर्ल नही है जो हमेशा डरती रहे जैसा की अभय उसके बारे में सोचता है।
एक गहरी सांस ले कर अनिका अभय के करीब आ गई की अब इंच भर भी फासला नही था। अभय की आंखें लगातार उसे ही देख रही थी पर वोह अपनी जगह से एक इंच भी हिला नही।
अनाड़ीयों की तरह अनिका ने अपने होठों को अभय की चिन पर रगड़ा और फिर उसके निचले होंठ पर। अनिका झेंप गई, इसलिए नही की वोह उस आदमी को किस करने जा रही थी जिससे वोह नफरत करती है, बल्कि इसलिए की वोह जानती थी की वोह किस करने में बहुत बेकार है। उसने आज तक ना ही प्रैक्टिस की थी और ना ही किसी को किस किया था।
पर लकिली और सरप्राइजिंग्ली, उसकी किस ने उसकी चाहत का एहसास हो रहा था। अभय सिंघम ने ना ही उसकी किस का मज़ाक उड़ाया और ना ही घृणा की। वोह उसके सामने अकड़ सा गया और ऐसे ही बिना हिले खड़ा रहा। मुश्किल से दो सेकंड बिता होगा, अभय ने अपनी लंबी उंगलियों से अनिका की चिन को अच्छी तरह से पकड़ लिया।
अभय ने अनिका को अपनी तरफ खींच और उसके होठों को अपने होठों में दबोच डीप किस करने लगा— एक हॉट, पैशनेट, एंड वैट किस जिससे अनिका का पूरा शरीर तुरंत हीट हो गया। वोह अपने शरीर के रिएक्शन को देख कर खुद ही दंग रह गई। अनिका ने भी उसे किस करने की थोड़ी कोशिश शुरू कर दी लेकिन अभय ने खुद ही चार्ज ले रखा था और उसे एक नई ही दुनिया में ले गया। उसने अपने बड़े बड़े हाथों से अनिका के हिप्स को पकड़ा और उठा कर, किस करते हुए ही उसे बैड पर लिटा दिया। अनिका की पीठ बैड पर पड़ते ही वोह अभय के मुंह में ही कराह उठी। उसे अपने अंदर गहराई में कुछ जलता हुआ महसूस हुआ जिससे उसे लगने लगा की वोह जिंदा है।
अभय एग्रेसिवली अनिका को किस किए जा रहा था और अपने घुटने से अनिका के पैरों को अलग कर रहा था, ताकि अनिका अभय का इरेक्शन महसूस कर सके। अनिका का शरीर पहली बार चाहत से कांप रहा था ना की डर से। अनिच्छा से, अनिका ने अपने शरीर को ढीला छोड़ना शुरू किया ताकी वोह अभय के सख्त शरीर के हर एक अंग को अंदर तक महसूस कर सके।
अभय एक खूनी था, उसने अनिका की मर्जी के बिना उससे शादी की थी। उसने उसे अपनी दुनिया में बंदी बना कर रखा हुआ था, पर फिर भी उसका शरीर मानो सांसे ले रहा था उसकी बाहों में। अभय उसे पैशनेट किस किए जा रहा था। और फिर उसका निचला होंठ सक कर उसके कान को और उसके बाद उसकी गर्दन के सबसे सेंसिबल हिस्से को चूमने लगा। अभय के हाथ अनिका के ब्रेस्ट पर फिसल रहे थे और उसकी निप्पल से खेल रहे थे, जिस वजह से अनिका अपने आप को और तरो ताज़ा महसूस कर रही थी। अनिका ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी और लालसा से अभय के शरीर को अपनी उंगलियों से एक्सप्लोर कर रही थी। उसके हाथ अभय के सीने पर फिसले, जो काफी सख्त था, उसे सुबह का वोह वक्त याद आ गया जब उसने उसे कसरत करते हुए उसके शरीर को निहारा था। अनिका के हाथ अभय के शरीर पर फिसलते फिसलते उसके हिप्स पर चले गए जहां उसे कुछ हार्ड सा मिला।
अभय एक दम जम गया।
"फक!" अभय अनिका के मुंह में किस करते हुए ही कराह गया। और तुरंत अनिका की कलाई पकड़ उसके हाथ को रोक दिया।
"ब्लडी हेल!" अभय ने अपने आप को कोसा और पलट कर उठ खड़ा हो गया। अनिका को उसकी गरमाहट दूर जाति महसूस हुई और साथ ही बुरा भी लगा की अभय ऐसे बैड से उठ गया। अभय की सांसे जोर जोर से चल रही थी जैसे अनिका की चल रही थी। अभय ने अपनी कमर से कुछ बाहर निकाला।
धीरे धीरे अनिका का दिमाग उस ओर जाने लगा। वोह समझने लगी की वोह चीज किया है जो अभय ने अपनी कमर से निकली।
एक बंदूक! जो वोह अपनी कमर पर बंधे बंदूक के खोल से निकाल रहा था। उसके बाद उसने उस खोल को भी अपनी कमर से हटाया और नाइट स्टैंड पर रख दिया।
अभय अनिका के धीरे धीरे पीले पड़ते चेहरे को देख रहा था और धीरे से उसका उपहास उड़ाने के लिए उसके लब खुल पड़े।
"क्या हो गया, माय डियर वाइफ? मेरे हाथ में मेरा एक खिलौना देख कर अब उत्सुकता नही बची?" अभय ने ताना मारा।
अनिका के डरे हुए दिमाग से कोई आवाज नहीं निकली।
"वैसे भी मुझे तुम्हारी इनेक्सपीरियंस किस और मूव्स की कोई जरूरत नही है। तोह जाओ वापिस वैसे ही सोने की एक्टिंग करती रहो जैसे हमेशा करती हो।"
अनिका को बहुत बुरा लगा। नही नही बुरा नही लगा—उसे बहुत गुस्सा आया। वोह जानती थी की इस तरह से सोचना बेवकूफी है, यह जानते हुए की लगभग तीन फीट की दूरी पर ही अभय की गन है और वोह उसे चलाना अच्छी तरह से जानता है।
पर फिर भी अनिका उठी और घुटनो के बल बैड पर ही खड़ी हो गई। "लिसन टू मी, अभय सिंघम। आप ही हैं जिसने मुझसे जबरदस्ती शादी की थी। आप ही मुझे मजबूर करते हैं हर रात आपके बिस्तर पर सोने के लिए। और आपकी जानकारी के लिए मैं आपको बता दूं, की मैं बेवकूफ नही हूं। और मेरे इनेक्सपीरियंस किस और मूव्स से भी मैंने आपका अराउसल महसूस किया था। सो सेव योर बिग—बैड —वुल्फ एंड कॉकी एटीट्यूड। और हां— मुझे कुछ चाहिए। मैं थक गई हूं यहां खाली बैठे बैठे और यहां अपने समय को ठीक तरह से यूटिलाइज नही कर पाने से। मैं इस एस्टेट में ही एक छोटा सा क्लिनिक खोलना चाहती हूं ताकि दवाइयों का स्टॉक कर सकूं और यहां के लोगों की मदद कर सकूं। मैं यह अच्छे से जानती हूं की आपको सब कंट्रोल करने का इतना पसंद है, इस वजह से मुझे आपकी मदद और आपसे पहले परमिशन चाहिए।"
अनिका के इस तरह आक्रोश में बात करने से अभय तो दंग ही रह गया। अनिका को अभय के जबड़े भींचते हुए साफ पता चल रहे थे, पर वोह यह नही जानती थी की यह गुस्से में है या फ्रस्ट्रेशन में। अनिका को ज्यादा फ्रस्ट्रेशन ही लग रहा था क्योंकि वोह साफ साफ अभय का अराउजल उभरता हुआ देख सकती थी, काफी ज्यादा उभरा हुआ।
"यह सच मुच एक गलती थी," अभय अपनी तेज़ चलती सांसों से बड़बड़ाया और बैडरूम से सीधे बाहर निकल गया, और ज़ोर की आवाज के साथ दरवाज़ा बंद कर दिया।
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अनिका कन्फ्यूज्ड सी थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रह गई। अपने दिमाग से सारे बेकार के ख्याल निकाल कर वोह उठ खड़ी हुई। थोड़ी देर उसने अभय के लैपटॉप पर कुछ काम किया और फिर नीचे चली गई बाकी से सभी लोगों से मिलने।
लक्ष्मी अनिका को देख कर मुस्कुराई।
"अभय ने हमसे कहा है की हम पीछे वाले कमरे में क्लिनिक सेटअप करने में आपकी मदद करे।"
अनिका का दिल उछल पड़ा। अचानक ही उसका निचला होंठ अभय के किस से झुनझुनाने लगा।
"यह तोह बहुत अच्छी बात है। मुझे दिखाओ वोह जगह।"
उसके बाद पूरा दिन उन लोगों ने मिल कर उस जगह को साफ करने और उसे स्टेराइल करने में बीता दिया। क्योंकि वोह सब मिलकर साफ कर रहे थे, अनिका ने किसी को बातचीत करते हुए सुना।
"हमारी सारी फसल बर्बाद करने के बाद वोह आदमी तोह मरना ही डिजर्व करता है।"
"हां और यह वोही कमीना है जिसने कुछ हफ्ते पहले मछलियों का तालाब जहरीला कर दिया था, जिससे मीना की तबियत खराब हुई थी।
"क्या हुआ था कल रात?" अनिका ज्यादा देर तक अपनी उत्सुकता को अपने तक नही रख पाई थी।
कहानी अभी जारी है...
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