मदन जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास। नौकरी के लिए मदन जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी। अब लड़के का बियाह कर देना चाहिए।
सुरेश जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है, सुरेश भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।उन्होंने अपने रिश्तेदारों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया। पता चला वैसे तो रेट पांच से छः लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट तीन से चार लाख का है।
रिश्तेदारों ने अशोक औऱ ममता की विवाह का सौदा साढ़े तीन लाख में तय करा दिया। दोनों के शादी का दिन भी मुकर्रर कर दिया गया । दोनों तरफ़ से तैयारी शुरू होने लगी ।
लेकिन ऊपरवाले को कुछ औऱ ही मंजूर था । बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था कि कमीशन से पत्र आया कि मदन जी के पुत्र अशोक का डिप्टी कलक्टर के पद पर चयन हो गया है।
अब पत्र मिलने के बाद मदन जी बमक के फ़ायर हो गए.... साले कामचोर हैं कमीशन वाले...!
मदन जी की पत्नी बोली - लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है , नाराज क्यों होते हैं जी ?
मदन जी- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी... यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे क्या , डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।
पत्नी- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने... आनन फानन में होनहार एकलौते हीरे लड़के का सम्बन्ध तय कर दिया... मैं तो कहती हूँ सुरेश जी को पत्र लिखिये , वे समझदार आदमी हैं.....अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा , नुकसान की भरपाई हो जाएगी ।
अब पत्नी की बातों को सुनकर मदन जी ने अपने होने वाले समधी सुरेश जी को पत्र लिखना शुरू किया......
" प्रिय सुरेश जी, आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल ही हुआ। इसमें निःसंदेह मेरे पुत्र के मेहनत के साथ साथ आपकी पुत्री के भाग्य का भी योगदान है।आप स्वयं समझदार हैं, नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे , जो भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे.....मुझें आशा औऱ विश्वास है कि आप मेरा इशारा समझ गए होंगे । "
पत्र मिलने के बाद सुरेश जी के परिवार ने उसे बेहद गंभीरता से पढ़ा औऱ गहन विचार विमर्श के बाद मदन जी को उसका जवाब लिखना शुरू किया......" प्रिय मदन बाबू , आपका पत्र मिला, मैं स्वयं ही आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं औऱ उसकी उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं । वो अब से डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य जीवन में तरक्की करेगा।आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरी बेटी ममता का चयन भी आईएएस के लिए हो गया है। अब उसकी ये इच्छा है कि वो अपने अधीनस्थ कर्मचारी से विवाह नहीं करेगी। मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है.....आपने ख़ुद ही मेरा काम आसान कर दिया "..........!!
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.............बेटी पढाओ......दहेज मिटाओ.......!!