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बनारस

कई बनारस

इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी, श्री कशी विश्वनाथ मन्दिर एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है।


काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है।

वाराणसी का मूल नगर काशी था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कंद पुराण, रामायण एवं महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में नगर का उल्लेख आता है।

यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है, जो शिवमेटल के सबसे पवित्र हैं। मुख्य देवता विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के शासक है। वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है। इसलिए मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है।


शिव के त्रिशुल पर बसी काशी , कहते हैं कि गंगा किनारे बसी काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशुल की नोक पर बसी है जहां बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक काशी विश्वनाथ विराजमान हैं। पतित पावनी भागीरथी गंगा के तट पर धनुषाकारी बसी हुई यह काशी नगरी वास्तव में पाप-नाशिनी है।


यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ पर भगवान शिव वाम रूप में माँ भगवती के साथ विराजमान है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी तीनों लोकों में सबसे सुंदर नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है।
माना यह भी जाता है कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिग किसी मनुष्य की पूजा, तपस्या से प्रकट नहीं हुआ, बल्कि यहां निराकार परमेश्वर ही शिव बनकर विश्वनाथ के रूप में साक्षात प्रकट हुए। काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू मंदिरों में अत्यंत प्राचीन है। मंदिर के शिखर पर स्वर्ण लेपन होने के कारण इसे स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं।

एक बनारस मृत्यु है और एक बनारस जीवन;
एक बनारस जेठ दुपहरी, एक बनारस सावन!
एक बनारस गरम जलेबी, एक बनारस लस्सी;
एक बनारस चौक पे बसता, एक बनारस अस्सी!

एक बनारस मेला ठेला, एक बनारस मॉल;
एक बनारस गमछा ओढ़े, एक सिल्क की शॉल!
एक बनारस शहनाई है, एक बनारस कजरी;

एक बनारस ना धिन धिन्ना, एक है चैती-ठुमरी!

एक बनारस जाम में फँसा, एक भाँग पी टल्ली;
एक बनारस सड़क पे घूमे, एक बनारस गल्ली!

एक बनारस घाट पे उतरा और चढ़ गया नैया;
एक बनारस साँड़ से बचा तो पीछे पड़ गयी गैया!

एक बनारस सेल्फी लेता, एक बनारस मस्त;
एक बनारस हँसता- गाता, एक बनारस पस्त

एक बनारस पिज़्ज़ा-नूडल, एक बनारस पान;
एक बनारस चाट कचौड़ी और ठंडाई छान!

एक बनारस महादेव का, एक बनारस गंगा;
एक बनारस ऐसा ऐंठा, बच के लेना पंगा!
एक बनारस बाकी सबका, दिखता है जो बाहर
अपना तो है वही बनारस बसा जो अपने अंदर

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