गीत समाप्त होते ही पंडित जी उठे ..माइक स्टेंड पर आये ..सर्वे भवन्तु सुखिनः... मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत् ।।
पंडित जी ने बोलना शुरू किया ।
हम कौन है ? संसार मे कब तक रहेंगे ? हमारा लक्ष्य क्या है ? जीवन क्या है ?
आपमे से कोई उत्तर देना चाहे तो हाथ खड़ा करे .. बहुत सी लड़कियों ने हाथ खड़े किये ।
पंडित जी ने एक लड़की को कहा ..आप बताएं .. हम कौन हैं ? उत्तर- सर हम मनुष्य हैं । संसार मे कब तक रहेंगे ? उत्तर- जब तक जीवन है । जीवन क्या है ? उत्तर - जब तक हम जी रहे है । आपने जबाब सही दिये हैं किंतु जीवन की परिभाषा मै बताता हूँ । जन्म से मृत्यु के बीच का काल ही जीवन है । जन्म से पहले हमारा अस्तित्व नही था और मरने के बाद भी नही रहेगा तो अस्तित्व का समय ही जीवन है । यह सत्य आप सब मानती हैं ।
तो बताइए आपका लक्ष्य क्या है ? उत्तर - पता नही ।
लक्ष्य विहीन जीवन ही दुःख देता है । हम अपने छोटे से जीवन को कोई लक्ष्य दे फिर उस लक्ष्य की पूर्ति के लिए छोटे छोटे लक्ष्य निर्धारित करे । जीवन मे संघर्ष भी आनंद देने लगेगा । जैसे आप ग्रेजुएट होने के लिए प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष अंतिम वर्ष पास करती है ..शिक्षा लक्ष्य हो सकता है किन्तु यह समाज के लिए भी उपादेय हो ऐसा लक्ष्य क्या लिया है । आपने समाज से लिया ही लिया है क्या कुछ लौटाने का भी सोचा है । खुद के लिए तो कुत्ते बिल्ली भी जीते हैं क्या हमने समाज के लिए कुछ किया है ।
एक लड़की ने हाथ खड़ा किया ..हा बोलिए ..लड़की ने कहा हम प्रोग्रेस करेंगे तो देश भी तो प्रोग्रेस करेगा न । हां आप अपनी जगह सही है किंतु आपने कभी सोचा धरती पर संसाधन तो सीमित हैं आपने अधिक संसाधन पा लिए तो किसी को तो वंचित होना ही पड़ा न .. लड़की वह भी प्रोग्रेस करे मेहनत करे । यहां यह सोचकर देखो कि प्रोग्रेस के लिए सभी मेहनत करेगे तो जो ज्यादा मेहनत करेगा उसी को प्रोग्रेस का अवसर मिलेगा न ..जैसे सीए बनने के लिए कितने बच्चे प्रयास करते है क्या वे सभी अयोग्य हैं ? नही ..सीए के पद कितने है उनके अनुसार कंपटीशन टप होता जाता है ।
किसी मे शारीरिक बल अधिक होता है तो वे अपने बल का प्रयोग कर सब पर अपना अधिकार सिद्ध कर ले ..ऐसे ही बुद्धि से योग्यता मानेंगे तो बुद्धिबल से सब जगह इनका अधिकार सिद्ध हो जायेगा । मै यह कहना चाहता हूँ संसाधन सबके लिए हो । यह तब संभव है जब मानव मात्र के कल्याण की कामना मन मे हो । अमीरी गरीबी की खाई इतनी भी न बढे की समाज से दूर कर दे । आप बुद्धिमान हो सकते है कही बुद्धि का उपयोग ठगने मे तो नही कर रहे । क्या आचारवान हैं ? यदि नही तो वह बुद्धि ही समाज का अहित ही करेगी । आप डाक्टर बन गये पर किडनी निकालकर बेच रहे है ,आप इंजीनीयर बन गये पर सड़क पुल या बिल्डिंग मे सही मैटेरियल नही लगा रहे ,तो समाज का अहित तो कर ही दिया न । इस लिए अंत मे यही कहूंगा कि तन मन धन बुद्धि सब समाज के हित मे हो ।
मेरी बात समाप्त हुई ,आपका कोई प्रश्न हो तो पूछ लीजिए ।
एक लड़की ने कहा दादोसा चोटी का रहस्य ?
पंडित जी मुस्कुराकर..हा..मेरी इस चोटी का संबंध मेरे संकल्प से है ..यह मुझे मेरे संकल्प को याद दिलाती है ..आपका संकल्प क्या है ? मेरा संकल्प अब मेरा गांव ही नही अब पूरा भारत देश है । जब तक गांवो मे बरसने वाला पानी गांवो मे रूकने नही लग जाता ।
आज मेरे गांव की तर्ज पर आस पड़ौस के गांव ही नही पूरे देश मे ऐसा होने लगा है । सरकार खुद गांव गांव मे तालाब बनाने लगी है । मुझे विश्वास है हर व्यक्ति जब सोचने लगेगा तो जल स्तर ऊपर आयेगा । अपने घरो का पानी भी जमीन मे जाये तो जल संकट नही आयेगा ।
सरकार ने तब माना जब हमारे गांव ने ऐसा कर दिखाया । आज देश के कोने कोने से समाज सेवी व सरकारी कर्मचारी आते है ।
आप सभी ने गांव को देखा , गोबर गैस सबके घरों मे स्तेमाल हो रही है , हमारे गांव मे शराब तंबाखू नही मिलेगी .. यह सब सबकी सहमति से हुआ है । यहां पर सरकारी स्कूल है , आपने देखी होगी ..? उसकी भी प्रबंध समिति बनी है जिसमे ग्राम के अभिभावक भी शामिल है । गांव मे हर चौथे शनिवार को गोष्ठी होती है , उसमे पोस्ट ऑफिस जो पास के गांव मे है वे भी आते हैं , जलदाय विभाग , बिजली विभाग , के लोग भी शामिल होते है । सभी अपनी बात रखते हैं । यहां सरकारी अस्पताल भी है , यहां के लोग इतना घुलमिल गये है कि यहां के सभी स्टाफ हर घर के लोगो को जानते है । यह तब हुआ जब सबको परिवार मे हमने शामिल किया । यहां पर लोग मिलते हैं वे राम राम बोलते है क्योंकि राम का नाम हमे नजदीक लाता है ।
अब आप सभी दोहराएंगे- भारत मेरा देश है , इसमे रहने वाले मेरे भाई बहिन है । मेरा कर्तव्य है इन सबकी देख भाल करना । मैं ऐसा कोई काम नही करूंगा जो मेरे देश के हित मे नही होगा । मै रोज परिश्रम करूंगा , मैं रोज बिना अध्यन किये नही सोऊंगा । मै रोज अपनी दिनचर्या अपने अभिभावक को बताऊंगा
भारत माता की जय ।