तड़प इश्क की - 23 Miss Thinker द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तड़प इश्क की - 23

अब आगे...........

तान्या हैरानी से बाॅलकनी की तरफ देखकर एकांक्षी से कहती है......" तू रूक मैं देखती हूं कौन है...?..." तान्या बाॅलकनी की तरफ धीरे धीरे कदम बढ़ाती है , तान्या बारबार एकांक्षी को मुड़कर देख रही थी , लेकिन एकांक्षी घबराई सी वहीं बैठी हुई थी , तान्या बाॅलकनी के पर्दों को हटाकर बाहर जाती हैं ,

तान्या जैसे ही बाहर देखती है वहां कोई नहीं था केवल अचानक फ्लोवर पोट ही नीचे गिरा हुआ था जिससे अचानक आवाज हुई थी , तान्या ग्रिल से सब तरफ देखते हुए हैरानी से अपने आप से कहती हैं......" हैरानी की बात है हवा तो इतनी तेज नहीं थी फिर फ्लोवर पोट कैसे गिर गया...?... यहां जरूर कोई आया था और मेरी आहट से चला गया , , कहीं अधिराज तो नहीं...."

और यही बात थी अधिराज एकांक्षी के रूम में जाने के लिए आया था लेकिन एकांक्षी के रुम से किसी और की आवाज सुनकर वहां से जाने के हड़बड़ी में उससे फ्लोवर पोट गिर जाता है , , और वो तुरंत छोटे से पक्षी के रूप में वही दूर से तान्या को देखते हुए कहता है...." तो एकांक्षी के साथ ये थी ,.."

तान्या वहां किसी को न देखकर वापस रुम लौटती है....

" कौन है तान्या..?..."

" कोई नहीं है एकांक्षी , अचानक फ्लोवर पोट गिरने की आवाज थी ये...."

एकांक्षी राहत भरी आवाज में कहती हैं..." ओह , , मैं तो डर गई थी , ...."

तान्या एकांक्षी और बात करते इससे पहले ही सावित्री जी की आवाज आती है...." मिकू तू तैयार हो गई है तो जल्दी आ , राघव और तेरे पापा भी आ गए हैं..."

" थैंक्स तान्या , तू चल मैं अपना पर्स लेकर आती हूं..."

तान्या ठीक है कहकर वहां से चली जाती हैं और एकांक्षी अपना पर्स लेती हुई बाॅलकनी के डोर को लाॅक करने के लिए जाती है लेकिन कोई ग्रिल पर उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था और उसके लिए ये पल आ चुका था जब एकांक्षी रुम में अकेली थी और वो खुद को रोक नहीं पाया ,

एकांक्षी जैसे ही कर्टेन को हटाते हुए डोर को पकड़ती है तभी उसे एहसास होता है जैसे किसी ने उसके हाथ को छुआ हो और उसके छूने से एकांक्षी के शरीर में कंपकंपी होने लगती है , वो जल्दी से कर्टेन से हटकर बाहर बाॅलकनी की तरफ बढ़ती है जहां उसके कदम खुदबखुद रूक जाते हैं....

तो यहां कर्टेन के पीछे छुपा अधिराज उसके सामने था , लेकिन आज वो उसके इस रूप को देखकर उसमें खो चुका था , एकांक्षी आज पीच कलर के गाऊन में किसी प्रिंसेस से कम नहीं लग रही थी , उसपर से उसके मेसी हेयर स्टाइल जिससे उसके कर्ल उसके गालों को छू रहे थे और उसपर लाइट मेकअप काफी ग्रो कर रहा था , इस वक्त वो किसी चंद्र सुंदरी से कम नहीं लग रही थी , जिसे देखकर किसी का भी बहकना लाजमी था ,

फिर अधिराज जोकि एकांक्षी से बहुत प्यार करता है उसका उसके लुक पर खो जाना कोई बड़ी बात नहीं थी , , इसलिए वो तो बस उसकी आंखों में खो चुका था ,

तो वहीं हाल एकांक्षी का था उसे अधिराज के सामने आने से वो उसमे खो चुकी थी , कुछ पल के लिए उन दोनों के बीच यूंही सन्नाटा छाया रहा , अधिराज एकांक्षी के पास जाकर उसकी कमर पर एक एक हाथ रखकर और एक हाथ से उसके गालों को छूता हुआ उसके बालों की लटो को पीछे करता है, जिससे एकांक्षी की आंखें खुदबखुद ही बंद हो जाती है जैसे वो भी बस अधिराज के एहसास में खो जाना चाहती हो... अधिराज उसके कान में कहता है..." हमारे ह्रदय को आघात कर ही दिया है , अब और क्या चाहती हो तुम हमसे , इस तरह अपने कटिले नैनो से और कितनी बार हमें घायल करोगी , वैदेही ये विरह अब और नहीं सहा जाता.... "

एकांक्षी बस उसकी बातों को और उसकी सांसों को अपने गालों पर महसूस कर रही थी , जिससे एकांक्षी बड़बड़ाने लगती है....." अधिराज .... तुम मुझे छोड़कर मत जाओ..."एकांक्षी की बात सुनकर अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है..." हम तुम्हारे पास ही तो है , अपनी आंखें खोलो..."

एकांक्षी अपनी आंखें खोलती उससे पहले ही सावित्री जी की आवाज से वो तुरंत चौंक जाती है और तुरंत आंखें खोलकर देखती है तो सामने कोई नहीं था बस कर्टेन जोर जोर से हिल रहा था , एकांक्षी काफी घबरा जाती है और अपने कानों के पास छूकर देखती है तो वो हैरान रह जाती है क्योंकि जो कर्ल अधिराज ने उसके कानों के पीछे करती थी वो वैसे ही है , एकांक्षी सब तरफ देखते हुए कहती हैं..." कौन हो तुम..?.. मुझे पता है ये मेरा वहम नहीं है , आखिर सामने क्यूं नहीं आते क्यूं मुझे परेशान कर रहे हो , ... पहले उपचारिका अब वैदेही , ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है...?... " एकांक्षी काफी परेशान हो गई थी जिससे उसके आंखों में आंसू झलक पड़े थे......

एक बार दोबारा सावित्री जी की आवाज आने से एकांक्षी अपने आंसूओं को पोंछ कर बाॅलकनी का डोर लॉक करके रुम से बाहर चली जाती हैं और धीरे धीरे सीढ़ीयो से नीचे उतरकर डाइनिंग हॉल में पहुंचती है जहां सब उसी का इंतजार कर रहे थे ,

सावित्री जी एकांक्षी को देखकर तुरंत उसके पास जाकर अपनी आंखों से काजल का काला टीका एकांक्षी के कानों के पीछे लगातें हुए कहती हैं....." तू इतनी देर तक क्या कर रही थी मिकू..."

एकांक्षी कुछ देर पहले हुई घटना को याद करके उखड़े मन से कहती हैं..." मम्मा , वो पर्स नहीं मिल रहा था , ..."

" कोई बात नहीं मेरी प्रिंयेस...."

राघव सावित्री जी की बात पर हंसते हुए कहता है...." मां वो प्रिंसेस होता है , ..."

" हां वही , मेरी मिंकू बिल्कुल उसकी तरह लग रही है..."

एकांक्षी के चेहरे पर परेशानी केवल तान्या को दिख रही थी जिससे वो उसके पास आकर कहती हैं..." क्या हुआ एकांक्षी ..?..अभी तो सब ठीक था अचानक तेरे चेहरे पर ये टेंशन मार्क क्यूं हो रहा है...?..."

एकांक्षी तान्या की बात टालते हुए कहती हैं...." कुछ नहीं हुआ तान्या , मां , भाई चले अब पापा वेट कर रहे हैं..."

एकांक्षी इतना कहकर आगे बढ़ती है तभी तान्या उसे रोकते हुए कहती हैं...." एकांक्षी रूक एक मिनट.."

अचानक तान्या के कहने से तीनों उसी की तरफ देखने लगते हैं , एकांक्षी उसके पास आकर पूछती है..." क्या हुआ तान्या..?.."

" एकांक्षी तेरे बालों में ये पीला फूल कैसे आ गया , मैंने तो तेरे हेयर स्टाइल में ऐसा कोई फूल नहीं लगाया था...?..."




...........to be continued..........

आखिर एकांक्षी के बालों में पीला फूल कैसे आया...?.

क्या रहस्य है इस पीले फूल का...?

जानने के लिए जुड़े रहिए......