खौफ की रातें - 3 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

श्रेणी
शेयर करे

खौफ की रातें - 3

3 ) चुड़ैल


मेरे दोस्त का जन्मदिन था तो मैं सीधे कॉलेज से उसके
घर गया ,, मैंने घर से कुछ नए कपड़े जन्मदिन पर पहनने
के लिए ले गए थे ।
पार्टी शाम को मनानी थी और क्योंकि यह जबरदस्त
ठंडी का मौसम था शाम होते ही कोहरा ऐसे पड़ता
मानों आपके सामने खड़ा व्यक्ति भी न दिखे ।
इसीलिए मैंने उससे कहा कि शाम होते ही मैं निकल
जाऊंगा घर के लिए मेरा घर भी वहां से 18 किलोमीटर
दूर था । पर वह न माना और मैं भी सोचा चलो किसी
तरह से तो घर पहुंच ही जाऊंगा ।
रात के 9:30 बज चुके थे क्योंकि इस समय कोई
बस मुझे मिलने नही वाला था इसीलिए मैंने अपने दोस्त
की मोटरसाइकिल लेकर निकल पड़ा घर के लिए
सच कहूं तो इस वक्त हाइवे पर कोई गाड़ी नही थी
कुछ ट्रक वाले पास ही गाड़ी साइड लगा रुक गए थे
और इस घनघोर कोहरे में कोई न चलने वाला था
मैं साइकिल की तरह गाड़ी लेकर जा रहा था धीरे
धीरे आगे कुछ न दिख रहा था और इस रात के सन्नाटे
ने न जाने क्यों मुझे एक अलग ही डर का अनुभव
अंदर चुभो रही थी ।
फिर एक ट्रक पीछे से आने लगा उसे देख मेरी जान
में जान आई कि चलो उसके पीछे पीछे चला जाऊंगा
कुछ दूर तक वह ट्रक मेरा रास्ता बनाता गया पर उसने भी एक ढाबे पे अपनी गाड़ी साइड कर ली ।
मैंने सोचा रुक जाऊं पर मैं चलता रहा हाइवे के दोनों
तरफ केवल खुले खेतों के मैदान थे और मैं इस घनी
कोहरे में अकेला चला जा रहा था तभी उसी कोहरे में
एक सफेद साया मेरे आगे से हवा की तरह निकली
मैंने सोचा कि कोहरा है पर फिर भी मन में डर का
सैलाब जबरदस्त उठा था लेकिन हिम्मत बांध कर आगे बढ़ता रहा फिर मुझे लगा एक सफेद धुंआ मेरे साथ साथ
ही आगे बढ़ रही थी फिर वह साया मेरे गाड़ी के सामने
आ रुका मैंने तुरंत गाड़ी का ब्रेक मारा और पूछा
' कौन है वहां ' आगे से एक भयानक हंसी आई और
वह बोली ' तू मेरा शिकार है , तेरी मौत हूँ मैं '
यह सुन मेरी घिग्गी बंध चुकी थी मैने तुरंत गाड़ी स्टार्ट
करनी चाही पर वह स्टार्ट ही नही हो रही थी मेरे मन
से चौदह गाली निकल रही थी कि साले ने कौन सी
बाइक दे दी । अब क्या करूँ मैंने चिल्लाते हुए कहा
' तू कौन है बे यहां से चला जा कुत्ते ' और भी भद्दी
गाली देने लगा मैं ।
तभी मैंने देखा एक भयानक सा चेहरा लिए एक
लम्बे वालों वाली साया मेरे सामने खड़ी है , और वो
हंस रही है मैंने गाड़ी को वहीं छोड़ आगे की तरफ
' बचाओ बचाओ ' चिल्लाते हुए भागा पर मुझे उसकी
हँसने की आवाज अब भी सुनाई दे रही थी मैं जोर जोर
से हनुमान चालीसा पढ़ने लगा ।
' जय हनुमान ज्ञान गुन सागर , भूत पिचास निकट
नही आवे महावीर जब नाम सुनावे '
मैं भागे जा रहा था तभी आवाज आई ' तू मुझसे आज
नही बच सकता ' यह सुन मैं रोने लगा और चिल्लाया
तुम मेरे पीछे क्यों पड़ी हो।
मैंने मोबाइल का टोर्च जला रखा तभी मेरे सामने एक
बोर्ड चमका कोहरे की वजह से कुछ नही दिखा फिर
ध्यान से देखा तो 'पीली नहर' मुझे पता था कि पीली नहर
पर एक छोटा दुर्गा मंदिर है , मुझे आगे कुछ दिख तो नही
रहा था पर मैं पूरा जोर लगाकर आगे रोड पर ही भागा
तभी पीछे से उस साया ने मुझे घक्का दिया मैं सीधे
मुँह के बल गिरा था न जाने कहाँ कहाँ लगा पर मैं जल्दी
से उठकर फिर भागा मेरे मुंह से खून टपक रहे थे
और पीछे से वह भयानक हंसती आवाज अब भी आ
रही थी ।
मैं मंदिर के पास पहुंच चुका था जल्दी से गिरते पड़ते
मंदिर के चौखट पे पहुँचा और रोते हुए बोलने लगा
' हे माँ बचा ले और वहीं आंख बंद कर हाँथ जोड़
बैठ गया ।
एक बार फिर वह भयानक हंसी सुनाई दी पर कुछ
देर बाद वह आनी बंद हो गई ।
मैंने सोचा पुलिस को फोन करूँ मोबाइल में देखा तो
नेटवर्क एकदम गायब , वाह मेरे jio सिम जिसमें काम
के वक्त नेटवर्क नही होना आम बात हो गया था ।
मैं तो अब मंदिर छोड़ बाहर नही निकलने वाला था
वहीं बैठ जय माता दी , जय माता दी की जाप
करने लगा ,, गिरने की वजह से मेरा दांत टूट गया
था और होठ भी छिल गए थे पर डर के आगे दर्द
मालूम ही नही हो रहा था ।
jio की मेहरबानी से दो पॉइंट नेटवर्क आ गया तुरंत
मैंने पुलिस को फोन किया और मैं कहाँ हूँ यह उन्हें
बताया घर से भी फोन आ रहा था मैंने उठाया
तो मम्मी ने कहा - कोहरे वाली रात है कहाँ हो, अभी
जन्मदिन पार्टी खत्म नही हुई ।
अब मैं उनसे कैसे बताऊं कि यहां मेरे साथ क्या हुआ
पर मैंने उनसे कुछ नही बताया और इतना कहा कि बस
पहुंचने ही वाला हूँ ।
कुछ बीस मिनट बाद पुलिस की गाड़ी की आवाज
आई मैंने उन्हें कहा कि बस गाड़ी लेकर थोड़ा
फिसल गया और गाड़ी आगे ही गिरी हुई है जो चल
नही रही ।
पुलिस वालों ने मुझे घर पहुँचाया मां ने भी बिगड़ते
हुए कहा इतने कोहरे में बाइक से आओगे तो यही होगा
और पिता जी " और करो जन्मदिन पार्टी ।"
मेरा एक दांत टूट कर निकल चुका था , घुटने छिल
गए थे साथ में गाल भी ।
पर मैं जिस मुसीबत में था वह याद कर मेरे रोंगटे
आज भी खड़े हो जातें है बाद में मैंने वहां के लोगों से
पूछा तो उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले एक
औरत ने गाड़ी के सामने आकर आत्महत्या कर
ली थी तब से कई लोगों ने उस चुड़ैल को रात में रोड
पर देखा है ।
अब मैं उस छोटे दुर्गा मंदिर के आगे से निकलते हुए
एक बार प्रणाम जरूर करता हूँ एक दिन मेरी जान
यहीं पर बचीं थी ।

[ एक काल्पनिक घटना ]