Khauf ki rate - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

खौफ की रातें - 7

वो रात

सुद्धोधन दास जी कोलकाता से दिल्ली रहने आये थेवह यहां कारपेंटर की दुकान खोलना चाहते थेअपने एक दोस्त के पास रुककर दूकान के लिएखाली कमरे की तलाश करने लगे ,,, दिल्ली में खालीदुकान मिलना इतना भी आसान नही था ,, पर तलाशपूरी हुई साथ ही वही रहने की जगह भी मिल गई थीऔर किराया भी कम था तो उस घर के मालिक दिनेशसे बात कर सब कुछ पक्का कर लिया था ,,यह घर संत नगर के बुराड़ी नामक जगह पर था ।


सुद्धोधन दास ने जब उस जगह और दुकान मिलनेके बारे में बताया तो ,,, उसका दोस्त चौककर बोलातुमको और कोई जगह नही मिला था क्या ,, पता हैवहाँ आज से सात आठ महीनें पहले उसी घर मेंकई मौतें हुई थी और सब लोग उस घर को भूतहामानते हैं ,, उस घर अब कोई रहने नही आता औरतभी उसका मालिक तुझे वह घर इतने सस्ते परकिराए में दे रहा है ।पर सुद्धोधन को इस बात से कोई फर्क नहीपड़ता था उसके पास इतना पैसा भी नही था औरकुछ काम तो जल्द से जल्द शुरू करना था ।और इतने सस्ते में उसे कोई खाली कमरा भी नहीमिल सकता था ,, सुद्धोधन ने अपने दोस्त कीबात को अनसुना कर वहां आ गया घर आखिरबड़ा था , और नीचे दुकान थी ।दुकान के लिए सभी सामान भी धीरे धीरे इक्कठाहोने लगा ,, पर वहां के आस पास के लोग सुद्धोधनजी को देख हैरान थे वो तो उस घर के सामने से जाते हुए भी भगवान का नाम लेते थे और सुद्धोधन तो वहांरहने आया था ,,


पास ही रहने वाले एक बूढ़े ने आकर सुद्धोधन से कहा- ' बेटा जानते हो न तुम जिस घर में रह रहे हो वहांकुछ ऐसा हुआ था कि हम इस जगह को भुतहामानते हैं और तुम तो यहां रहने आ गए ।'सुद्धोधन इन सब से परेशान हो चुका था तोझिझकते हुये बोला - ' बाबा हम रह रहे है आप तोनही न ,, और मैंने उन भूतों का कुछ बिगाड़ा है क्याजो मुझे परेशान करेंगें ।'वह बूढ़ा ,, जो तुम्हारा मन ,, यह बोलते हुए चला गया ।आसपास के आदमी भी हमेशा उसे यहां न रहनेकी सलाह देते ,, पर वह किसी की बात न सुनता ।उस घर का मालिक जिनका नाम दिनेश भाटियाथा वो भी कुछ दिन के लिए यहां अक्सर रहनेआते ,, एक दिन सुद्धोधन ने इन सब मौतों के बारेमें उनसे पूछा तो बताया हाँ यह सच है पर इससेक्या ,, क्या तुम्हारें घर में किसी की मौत हो जाएतो तुम वहां रहना छोड़ दोगे ।हालांकि सुद्धोधन जब से यहां आया था उसे तो कोईऐसा महसूस नही होता था कि यहां कोई नकारात्मकचीजें भी हैं ।कारपेंटर का दुकान भी बन गया था और उसने एकदो और आदमी को काम पर रख लिया था औरदुकान भी चल निकली थी ,,,लोगों में अब भी दहशत तो थी पर आज सुद्धोधन कोआये उस घर में एक महीने से भी ज्यादा हो गया था लोगों में कुछ डर तो कम हुआ था इस घर को लेकरऔर अब वहां के लोग भी उसके दुकान से समान बनवाने लगे थे , इस बात से सुद्धोधन भी खुश था ।


दिल्ली में इस समय गर्मियों का मौसम चल रहा थातो रात को सुद्धोधन जी ऊपर छत पर ही सोते ,,उनका मानना था कि हाँ आत्मायें रात को आतीहैं पर वह तो छत पर रहते हैं तो अगर इस घर में हैतो मुझे इससे कोई फर्क नही ।पर एक रात वह छत पर लेटे हुए थे रात के करीब11 बज रहे थे उनकी आँखों में भी नींद ने दस्तकदेना चालू ही किया था कि उन्हें लगा मानों कोईउनके सर के पास खड़ा है उसकी सांसों की गर्मीसुद्धोधन की को अपने मुंह पर महसूस हो रही थीउन्होंने ने हड़बड़ाहट में अपनी आंखें खोली तो देखाकोई एक आदमी का साया उनके पास खड़ा है फिरवह गायब हो गई । और उन्होंने देखा छत का दरवाजा खुलाहुआ था जो उन्होंने बंद किया था फिर एकाएक वहदरवाजा अपने आप बन्द हो गई ,, और उनके कानमें आवाज आई ' स्वागत है मेरे घर में ' पीछे मुड़कर देखा तो कुछ नही था ।उन्होंने इसे कोई वहम समझा और फिर से निचेजाकर कमरे को देखा कही कोई चोर तो नही घुसगया और फिर जब उन्हें तस्सली हुई कि कोईनही है तो फिर जाकर सो गए ।सुबह उन्हें ऐसा लग रहा था मानों उनका शरीर पूराभारी हो गया था , सर में भी दर्द हो रहा था और पूरेशरीर में भी ।नीचे आकर देखा तो उन्हें कमरे में कुछ खासबदलाव दिखी जैसे ,,, जो कुर्सी किसी दूसरे कमरेमें रखी वह किसी और जगह थी ,, पैरों के निशान भीथे मानों रात में कई लोग इस घर में चल रहे थे ।खिड़की भी खुली थी जो उन्होंने बन्द कर रखी थी ,,ऐसे ही कई चीजें ,,, पर इस पर उन्होंने ध्यान नहीदिया ,, तबियत वैसे ही खराब लग रही थी तोउन्होंने दुकान को काम करने वाले आदमियों को फोनकर आज नही आने को कहा और फिर एक सरदर्द कीगोली खाकर वही बेड पर लेट गए और न जाने उन्हें कबनींद आ गई पता ही न चला ।


आस पास के लोग आज सुद्धोधन के दुकानन खोलने को लेकर परेशान थे वो सुबह से बाहर निकलेभी न थे और अब तक तो दुकान खोल देते थे और आजनही ,, वहां के लोगों ने उस भयानक घटना को देखचुके थे तो उन्होंने देर न करते हुए दरवाजा खटखटातेहुए उन्हें बुलाने लगे यह देख कुछ और लोग भी उन्हेंबाहर से जोर जोर से आवाज देने लगे एक लोग ने तोपुलिस स्टेशन पर भी फोन कर दिया था ।सुद्धोधन जी ने कई लोगों की बुलाने की आवाज सुनीऔर वो जल्दी से आंख मलते हुआ बाहर आये ।बाहर खड़े लोगों के चेहरे पर दहशत साफ दिख रहीथी पर जब उन्होंने देखा कि सुद्धोधन जी ठीक हैं तोउनकी जान में जान आयी ।तो सुद्धोधन ने उन्हें बताया कि,, थोड़ी तबियत खराबथी इसलिए दवाई खाकर सो गया था इसीलिएआप लोगों की आवाज सुन नहीं पाया ।,,,एक ने कहा आप इस घर में रहेंगे तो ऐसे ही बीमारहोते जाएंगे ,, यहां से चले जाइये ।तो सुद्धोधन ने उसकी बात को काटते हुए कहाकुछ नही बस सर में थोड़ा दर्द था और कुछ नही ,,,।


अब अक्सर सुद्धोधन जी को घर में चीजों केअक्सर बदलाव दिखने लगे जैसे उनके अलावा इसघर में कई और लोग रहतें हो ।पर इन दिनों उनका दुकान एकदम चल निकलीथी , कमाई भी एकदम अच्छी हो रही थी पैसे बचाकरअब घर भी भेजने लगे थे ,, पर उन्हें रात को अक्सरबहुत भयानक आवाजे व छत पर किसी के टहलनेव बात करने की आवाजें सुनाई देती ,, पर जैसे अब इन्हेंइन सब की आदत पड़ चुकी थी वो इसे हमेशानजरअंदाज करते ।पर एक दिन जो हुआ वह सुद्धोधन जी के लिएबहुत ही भयानक था ...


हुआ ये कि उन्हें रात को बाथरूम लगी और वहनीचे आये और बाथरूम कर पानी पीने लगे तोउन्हें लगा जैसे कोई उनके पीछे कोई खड़ा है पीछेमुड़ कर देखा तो एक भयानक सा चेहरा लिए एकआदमी खड़ा था और कई साया वहीं पर घूम रहीथी तभी सभी ने वहाँ रखी रस्सी को उठा अपने गलेमें डाल बचाओ बचाओ करते हुए वहीं झूल गए ।यह सब देख सुद्धोधन जी डर से काँपने लगे थेवह तुरंत चिल्लाते हुए बाहर भागे और बाहर ही बेहोशहोकर गिर पड़े ।सुबह जब पास के लोगों ने उन्हें देखा तो तुरंतहॉस्पिटल ले गए डॉक्टरों ने बताया उन्हें मेमोरी शॉकपड़ा है ,, इन्हें जागने में कुछ समय लगेगा ।सुद्धोधन जी जब उठे तो ठीक से बोल नहीपा रहे थे । फिर जब वह ठीक हुए तो उन्होंने बतायाकि उस घर में कुछ तो है जैसा आप लोगों ने बताया ठीकवैसा ही उन्होंने कुछ देखा है ।सुद्धोधन जी ने वह घर छोड़ दिया ,,,तो क्या हुआ था उस घर में और लोग क्यों डर रहे थे और उस घर के लोगों में ऐसा क्या था कि ऐसी घटना हुई ।


बात है 50 साल पहले की ....


गोपाल भाटिया तब राजस्थान में रहा करते थे ,, उन्हें एकलड़की बहुत पसंद आ गई थी जिनका नाम नारायणीथा , फिर उन्होंने नारायणी से शादी कर ली,हालांकि उनके पिता जी इस रिश्ते से नाखुश थेइसी कारण वह घर छोड़कर हरियाणा चले आयेयहां 2 साल रहने के बाद वह दिल्ली चले आये औरयहां बुराड़ी इलाके में रहने लगे । उनके लड़के अब बड़े हो गए थे दो लड़के रतनऔर उत्तमेश थे और एक लड़की प्रमिला ।लड़कों की शादी हो गई लड़की भी विदा कर दी गईकुछ सालों तक सब कुछ ठीक रहा पर ,, पर एकदिन गोपाल जी न रहे ।

इसका सबसे बड़ा झटका रतन को लगा था क्योंकि वह अपने पिता जी से बहुत लगाव रखता था ,,वह अक्सर उन्हें सोचता रहता , वैसे तब भी गृहस्थी जीवन ठीक ही थी ,,, एक दुकान था प्लाईवुड का जो काफी अच्छे से चल रहा था ।पर एक दिन अचानक जब रतन काम कर रहा थातो ऊपर से एक बड़ा प्लाईवुड उसके ऊपर आ गिरा जिससे उसकी आवाज चली गई ,, बहुत इलाजकिआ गया पर कोई फायदा न हुआ ,, उसकी आवाजवापस न आई ।इसी बीच एक और एक दुखद खबर आई कि रतन की बहन प्रमिला के पति का एक एक्सीडेंट में मौतहो गई ,, तो कुछ दिन बाद वह यहीं रहने लगी ।


रतन की आवाज जाने के कुछ महीनों के बाद एकरात उसे अपने कमरे में कुछ अटपटा सा लगामानों उसने किसी साया को देखा हो पर वह किसीसे कुछ नही बताया । ऐसा ही अक्सर उसे कुछ न कुछ आवाजें व साया अक्सर उसे दिखाई देती पर वह तो बोल नही पाता था । फिर दो साल बाद एक दिन शाम को वह एकाएक बोल उठा ,, घर वाले को विश्वास नही हो रहा था किरतन बोल रहा है ,, जब उससे पूछा गया कि यह कैसे हुआ तो उसने बताया कि पिता जी उसके सपने मेंआये थे और उसे कहा कि उसकी आवाज ठीकहो जाएगी ,, और कुछ दिन बाद ही वह ठीक हो गया। घर वाले भी खुश थे ,, पर अक्सर वह घर वालों से कहता रहता कि पिता जी के आत्मा को अभी शांति नही मिली है तो उनकी आत्मा की शांति के लिए कहीं जाकर उनके नाम की पूजा करवाते हैं । रतन के दो बच्चे थे ध्रुव और मेनका और उत्तमेश केतीन बच्चे प्रियंका , नीतू और शिवम ।


सभी उज्जैन गए वहां पिता जी के नाम पर पूजा करवाई।फिर रतन को पता चला कि यहां के तांत्रिक बहुत ही ज्ञानी वह किसी भी आत्मा से उसकी मुलाकातकरवा सकता है ,, तो भृतहरि गुफा जो वहाँ का जानामाना तंत्र जगह है वहीं पर एक तांत्रिक से अपने पिता जी के आत्मा की शान्ति व उनसे मुलाकातके लिए एक तंत्र पूजा करवाई ,, तांत्रिक के बताएअनुसार उसे हफ्ते में अपने घर कई बार पिता जी केनाम से छोटी मोटी पूजा करनी होगी ,, जिससे उसकेपिता उसके परिवार को सही राह दिखाएंगे ।


एक रात रतन को कुछ महसूस हुआ जैसे उसके पास कोई खड़ा हो जब उसने आंखे खोली तो देखाएक बहुत ही भयानक सा चेहरा लिए एक सायाखड़ा है ,, फिर वह साया उसके पिता जी के रूप मेंबदल गया । रतन ने उससे बात की वह आत्मा जिसने उनके पिता का रूप लिया था उसने बताया कि उसेएक तरह की पूजा करनी होगी जिससे घर के सभीकाम ठीक से होंगे । जब वह सुबह उठा तो उसने सब को इस बारे में बताया और रतन से सभी बातें एक रजिस्टर में लिखरखा ,अब तो रतन को अक्सर वह आत्मा नजर आतीवह उसे कई धार्मिक बातें बताती जिसे वह एक रजिस्टर में नोट कर लेता । उत्तमेश की लड़की प्रियंका की शादी की परेशानी हो रही थी ,, पर एक सुबह रतन के बताए अनुसारघर में एक अनुष्ठान कराया गया जिसके कुछही दिनों बाद प्रियंका की शादी भी तय हो गई।यह सब देख घर के सभी अब विश्वास करने लगे थेकि सच में रतन को उसके पिता जी की आत्मा दिखाई देती है ,, जो रतन के माध्यम से उनके घर को खुशहालकर रहें हैं ।लेकिन सच बात यह थी कि वह आत्मा उसके पिताजी की आत्मा नही थी वहां उसके तांत्रिक पूजा के बादउस घर में कुल पांच आत्माओं का वास था जोरतन को अपने वश में कर रखा था क्योंकि वह उसेअपना माध्यम बनाना चाहता था , इसीलिए हर शाम अक्सर वह कुछ ऐसी बातें बड़बड़ाने लगता जिससेपूरे घर वाले डर जाते वह सभी को कहता अगर रजिस्टर में लिखे क़ायदों को न माना तो इसकीबहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी । दिन भर में दो तीन पूजा घर में होने लगी थीऔर शाम को सभी को उस पूजा में शामिल होना अनिवार्य था ,, सब रतन की बात मानते भी थे और उसकी पत्नी मीना भी उसके इन सब कामों में हमेशाउसकी साथ देती उस पर भी एक आत्मा ने वश किया हुआ था ।सभी शैतानी आत्मायें अभी की जान की प्यासी थीपर घर वालों को लगता यह तो रतन के पिता कीआत्मा है जिसे वह देखता है ।लेकिन रतन ने बहुत ही भयानक से दिखने वाले उनपांचो आत्माओं को देखा था पर सुबह होते ही उसे कुछन याद रहता केवल इसके सिवा की सपने में उसकेपिता जी आये थे और कई बातें बताई थी रतन कीहर बात को प्रियंका उस रजिस्टर में लिखती वह रतन की हर बात को मानने लगी थी ।


फिर एक रात रतन ने देखा कि उसके पिता जी फिर उसके सपने में आये थे और इस बार उस आत्मा नेउन्हें एक पूजा करने को कहा जिसे बड़ पूजा कहतेहैं ।अगले दिन रतन ने सबको यह बताया कि यह पूजा हमें पूरे सात दिन तक करनी है और बताया इस पूजा के बाद हमारी सारी परेशानियां दूर हो जाएगी । सात दिन तक रतन के कहे अनुसार पूजा फिर एकबार रतन ने बताया कि इस पूजा का अंतिम चरण यह है कि तुम्हारी हाथ मुँह को बांधकर व आखों पर पट्टी बांधकर तुम्हें लटकना होगा और तब यह पूजापूरी होगी ।घर वाले पहले यह बात सुनकर डर गए पर रतन नेबताया इससे तुम्हें कुछ नही होगा ,, तुम मरोगेनही केवल तुम्हें चक्कर आएगा , गला भारी हो जाएगा फिर पिता जी की आत्मा आकर तुम्हें खुद बचा लेगी । और फिर मैं तुम्हें धीरे धीरे एक एक कर उतार दूँगा। इससे तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी । रतन की बातों में सब आ चुके थे पर उन्हें नही पताथा कि वह क्या करने जा रहें है सभी ने सोचा था किउन्हें तो कुछ नही होगा सभी ने अपने अगले दिन कीप्लानिंग भी कर रखी थी । उनके घर का कुत्ता टॉमी के वर्ताव से सब परेशानथे वह अक्सर रतन को देखकर भौकता रहता और घर वाले सोचते कहीं यह बीमार तो नही है ।वह दिन भी आ चुका था रतन के कहे अनुसार टॉमी को घर के छत पर बांध दिया गया व रात केबारह बजे पूजा शुरू हुई घर वालों को कुछ देर बाद एकाएक न जाने क्या हुआ वो खुद ही जाकर स्टूल लाने लगे व ध्रुव व शिवम जाकर टांगने के तारले आये ।फिर एक एक कर रतन ने सबके हाथ बांध दिया वहसबके मुँह पर पट्टिया लगा दी व आंखों को भी बांधदिया क्योंकि रतन की मां नारायणी देवी बूढ़ी थीतो वह स्टूल पर नही चढ़ सकती थी तो रतन नेबताया कि वह जाकर एक कमरें में लेट जाएं ।रतन की पत्नी मीना ने सबके गले में रस्सी डाल दीफिर खुद भी आंख मुँह बांधकर गले में रस्सी डाल खड़ी हो गई फिर रतन कोई मंत्र पढ़ने लगा फिर उसनेजैसे ही इशारा किया सभी झूल गए और सब तड़पनेलगे कुछ ही देर में उनकी आत्मा ने शरीर छोड़ दी फिर रतन ने भी खुद के गले में रस्सी डाल झूल गयाऔर कुछ ही देर बाद वह भी मर चुका था ।अन्दर कमरे में नारायणी देवी अभी भी जिंदा थी फिर एक बहुत ही भयानक सा साया दिखा जोउनकी तरफ बढ़ने लगा फिर वही रखी बेल्ट अपनेआप नारायणी देवी के गले में कसती चली गईऔर कुछ ही देर में तड़पकर वह भी शांत हो गए ।


सुबह जब दूध वाले के बुलाने वह दुकान के न खोलने के कारण जब घर के दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजा खुलाहुआ था जब कुछ लोग अंदर गए तो वह मंजर देख सभी की पैरों तले जमीन खिसक गई अन्दर देखा तो दस लाशें झूल रही थी ,,, फिर पुलिस को फोन किया गया । घर में केवल एक जिंदा वस्तु मिली और वह था उनका कुत्ता टॉमी जो छत पर बंधा हुआ था जो बीमार लग रहा था कुछ दिन के उपचार के बादभी वह भी मर गया । कई जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने इसे सामूहिकआत्महत्या बताया । घर में हुए इस हादसे के बाद सब उस घर को भूतियामानते थे और आसपास के रहने वाले भी वहां से चलेगए थे और वहां दहशत का माहौल सभी के चेहरोंपर साफ दिख सकता था । हालांकि सुद्धोधन दास के आने के बाद लोगों केमन में कुछ डर खत्म होने ही लगी थी कि जो घटना सुद्धोधन जी के साथ हुआ वह सुनकर लोगों ने अब उस घर को अभिशापित मान लिया थाअब उस घर की कीमत करोड़ो की जगह कुछ नही था क्योंकि वहां कोई रहना तो दूर उसकीबात भी सुनने से डरते थे और आस पास के रहनेवालों का कहना है कि छत पर व खिड़की से झांकती भयानक साया का दिखना आम बात है जोवहां के लोगों के मन में दहशत को जिंदा रखने को मजबूर करता है ।


[ एक अंधविश्वास पूरे घर को ले डूबी थी वो भी ऐसे परिवार को जो पढ़ी लिखी थी ,,, तो अपने आसपासहो रही किसी भी ऐसे अंधविश्वास को बढ़ावा न दें उसका नतीजा बहुत ही भयानक हो सकता है ]


|| समाप्त ।।


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