महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 26 - पंडित केदार नाथ की खुली शिखा Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 26 - पंडित केदार नाथ की खुली शिखा

कजरी ने अपनी बहिन को अपनी भौंहो से इशारा किया कि वह ड्राईवर को रास्ता बताये । बदरी केबिन मे ड्राईवर को रास्ता बता रही है । रूट बदली इस लिए किया गया था क्योंकि दामिनी को उसके घर से गाड़ी मे बैठाकर लेकर चलना था । बस ड्राईवर को बदली ने कहा ..अंकल यहां रोककर चलो .. सड़क के किनारे दामिनी अपने कंधे पर एक छोटा बैग लटकाये खड़ी थी .. बदली ने दामिनी को पुकारा दीदी आजाइए ..दामिनी बस मे सवार हुई अपने दाहिने हाथ से कजरी व केतकी के हथेली पर मारते हुए आगे बढ रही थी ..कजरी ने अपनी टीम की लड़की को देखा , वह तुरंत उठी,अपनी सीट की तरफ इशारा किया ..मेम आप यहां बैठिए .. दामिनी ने अभय को नमस्ते जीजू कहा अभय ने भी नमस्ते का जबाब दिया और अपने से पीछे की सीट पर बैठने का आग्रह करते हुए कहा इधर आ जाइए ..दामिनी केतकी के पीछे वाली सीट पर बैठ गयी .. गाड़ी रवाना हुई .. बदली ने मेन रोड़ तक का रास्ता ड्राईवर को बताया और केबिन से बाहर आ गयी वही पर खड़ी हो गयी ..केबिन के पीछे प्राथमिक उपचार बॉक्स लगा था उसी के साथ एक माइक लगा था उसे उठाकर सबका ध्यान खींचते हुए बोली ..हेलो हेलो ..सभी ध्यान से सुनिए क्या आप सभी अंत्याक्षरी खेलने के लिए तैयार हैं .. सभी ने चिल्लाते हुए वाव ..यश यश तैयार हैं .. पूरे रास्ते अंत्याक्षरी चलती रही , किसी को भी रास्ते का पता ही नही चला । अब आदर्श गांव के मेन गेट पर सभी पहुंच चुके थे ..कजरी ने सभी को रोकते हुए कहा ..अब हम अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हैं । कृपया सभी अनुशासन मे रहें ..आज आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा .. अपने दीमाग मे यह बात बैठाले हम यहां मस्ती करने नही आये हैं । मै आज आपको ऐसी शख्सियत से मिलाऊंगी ,उससे मिलकर आप सबको लगेगा कि ऐसी शख्सियत भी आज के दौर मे है । अभी आप नीचे उतरकर सड़क के उस तरफ लाइन से खड़े हो जायें । सभी धीरे धीरे नीचे उतरने लगे ..बदली( कजरी की बहिन ) वहां सबको एक लाइन मे खड़ा करने लगी ..कजरी ने फोन पर किसी से बात की और कहा हम मेनगेट पर आ चुके हैं .. ठीक है हम आपका इंतजार यहीं पर करते हैं .. पांच मिनट के बाद .. एक दुबला पतला आदमी ढीले ढाले कपड़े पहने उनके पास आकर सबको हाथ जोड़कर प्रणाम करके बोला ..हमारे गांव मे आप सबका हृदय से स्वागत है .. सभी लड़कियां उसे एकटक देखने लगी .. सभी लड़कियो ने भी उसका अभिवादन किया । कजरी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा ..आज हमारे सामने पंडित केदार नाथ जी खड़े हैं हमे इनसे बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है ..
पंडित जी ने कहा यहां विश्राम स्थल है इसमे आप चलकर थोड़ा विश्राम करना चाहे तो कर लीजिए ..पानी की व्यवस्था वहां पर है ..सभी ने उस ओर देखा जहां पर चार मटके लगे थे ..मटको के मुंह पर सफेद सूती कपड़ा लगा था उस पर मिट्टी का ढक्कन रखा था .. पास मे दीवार पर आदर्श वाक्य लिखा था ..जल है तो जीवन है । अपनी आने वाली पीढी के लिए भी जल बचाओ ।
लड़कियां पंडित जी की खुली चोटी जो हवा से दायें बाये हिल रही थी उसे देखे जा रही थी ..संभवतः सोच रही हो कि ये आदमी अपने आपको इस तरह से क्यो रखता है .. जो भी हो इसे स्मार्ट दिखना चाहिए.. ।
पंडित जी ने कहा यदि आप विश्राम नही करना चाहते है तो मै आपको गांव मे ले चलूं .. सभी ने हां मे सिर हिलाया .. पंडित जी बोले आप घर मे किसके सामने ज्यादा खुलकर बात करती हो ? सबके जबाब अलग अलग थे ..किसी ने दोस्त बताया ,किसी ने अपनी बहिन , किसी ने अपनी मा तो किसी ने अपना पापा .. पंडित जी बोले आज आप सभी मेरे साथ खुलकर बात करें खुलकर अपने सवाल करें .. आप भूल जाइए मै एक अनजान व्यक्ति हूँ .. मै आपके सारे सवालों के जबाब दूंगा .. तभी एक चंचल लड़की बोल पड़ी .. अंकल आपकी चोटी खुली क्यों है ?
पंडित जी मुस्कुराये और बोले ..देखो बेटा इस चोटी की वजह से ही आज आप गांव देखने आयी हो । चोटी की बात से पहले आपसे मै कुछ कहना चाहुंगा .. हमारी संस्कृति मे बड़ों को काका बाबा भैया कहने का रिवाज था । हमने पश्चिमी देशो की नकल करके इन नामो से संबोधित करना छोड़ दिया है । हमारी भाषा मे शब्दों की कमी नही है हमारे पूर्वजो ने हर रिश्ते को नाम दिया है । अतः आप मुझे अंकल न कहकर बाबा ताऊ काका भाई जी कुछ भी संबोधित कर सकती हैं ..कजरी ने पूछा आपको यहां के लोग क्या कहते हैं ..पंडित जी बोले ये तो मुझे दादोसा बोलते है ..जरूरी नही आप भी यही कहे .. कुछ लड़कियो ने एक साथ कहा हम भी दादोसा ही कहेंगी ..दादोसा अब चोटी का रहस्य बताओ .. आप चोटी खुली क्यों रखते हैं ?