तेरे इश्क़ में पागल - 21 Sabreen FA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरे इश्क़ में पागल - 21

ज़ैनब ज़ैन को बेंच पर बिठाते हुए बोली:"शाह मुझे आप पर पूरा यकीन है। मुझसे पहले आपकी ज़िंदगी मे कोई भी था मुझे उससे फ़र्क़ नही पड़ता है। मुझे सिर्फ आज से फ़र्क़ पड़ता,आप अपने पास्ट को भूल जाये मैं भी आपको कभी याद नही दिलाऊंगी।"

"ज़ैनब मेरे माँ पापा के जाने के बाद मैं बिल्कुल बिखर गया था मेरी ज़िंदगी वीरान हो गयी थी। अगर अहमद ना होता तो शायद आज मैं ज़िंदा ना होता। तुम मुझे कभी छोड़ कर नही जाओगी ना! तुम मुझ पर यकीन करोगी ना!!!" ज़ैन उसकी आँखों मे देखते हुए बोला।

"शाह मैं आपको कभी नही छोडूंगी, मैं हमेशा आपका साथ दूंगी।" ज़ैनब उसके आंसू साफ करते हुए बोली।

थोड़ी देर तक वोह दोनो ऐसे ही बैठे रहे फिर वोह दोनो खड़े हो कर चलने लगे।

ज़ैनब ने ज़ैन के हाथ को देख और उसकी बाँह को पकड़ लिया।

ज़ैन उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दिया।

"शाह रुके।" ज़ैनब चिल्लाते हुए बोली।

"क्या हुआ मेरी जान!" ज़ैन परेशान हो कर बोला।

"शाह वोह देखे।" ज़ैनब आइस क्रीम वाले कि तरफ इशारा करते हुए बोली।

"नो वे, ज़ैनब बहोत ठंड है तुम बीमार पड़ जाओगी।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।

"प्लीज शाह मुझे बहोत पसंद है, मैं बीमार नही होउंगी। वैसे भी इस खाने का मज़ा सर्दियों में ही ज़्यादा आता है।" ज़ैनब उसका हाथ पकड़ के उसे मानते हुए बोली।

"कोई ज़िद नही।" ज़ैन ने थोड़ा गुस्से से कहा।

"ठीक है कभी मेरी बात मानी है जो अब मानेगे।" ज़ैनब ने मुंह फुला कर कहा।

ज़ैन उसके सामने हार मानते हुए बोला:"चलो मेरी जान अब मुंह मत फुलाओ।"

ज़ैनब आइस क्रीम खा रही थी सर्दी की वजह से उसकी नाक लाल हो गयी थी और उसकी नीली आंखों में हल्का हल्का आंसू भी आ गया था। वोह इस वक़्त बहोत ही अट्रैक्टिव लग रही थी और ज़ैन बस एक टक उसे देख रहा था।

"शाह आप खाएंगे!" ज़ैनब उसकी नज़रो से कन्फ्यूज़ हो कर बोली।

"नही तुम खाओ।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ठीक है तो फिर आप मुझे घूरना बंद करें।" ज़ैनब ने कहा।

"तुम्हे नही देखूंगा तो किसे देखूंगा।" ज़ैन ने शरारत से कहा।
"वैसे तुम्हे याद है हमारी पहेली मुलाकात भी आइस क्रीम से हुई थी।"

"जी और मेरी सारी आइस क्रीम आपके कपड़ो पर गिर गयी थी।" ज़ैनब ने हस्ते हुए कहा।

"मेरी जान अब मुझ पर इतना भी ज़ुल्म ना करो।" ज़ैन ने उसे देखते हुए कहा।

"क्यों मैं ने क्या किया!" ज़ैनब न समझी से बोली।

"मेरे जज़्बातों को छेड़ कर कहती हो मैं ने क्या किया।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।

"मतलब" ज़ैनब अपनी हंसी को छुपाते हुए बोली।

"मतलब तुम्हरी यह नीली आंखे मुझे पागल कर रही है। तुम जानती हो तुम्हारी इन नीली आंखों पर मरता हु मैं।" ज़ैन ने जज़्बातों से चूर लहजे में कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने अपनी नज़रे झुका ली।

"तेरी इन नीली आंखों के बाद.....
खुदा की कसम कुछ और देखा न गया।"

"आप किसी हरे हुए आशिक़ की तरह शायरी कर रहे है।" ज़ैनब ने अपने गालो पर उंगली रख कर सोचने वाले अंदाज़ में कहा।

ज़ैन का दिल किया कि एक पत्थर उठा कर अपने सिर पर दे मारे।

"हद है यह लड़की मेरे जज़्बातों को समझ ही नही रही है।" ज़ैन ने मन ही मन सोचा।

"चले शाह।" ज़ैनब अपना हाथ साफ करते हुए बोली।

"चलो।" ज़ैन ने ठंडी आह भरते हुए कहा।

"तुम्हारी अक्ल तो मैं घर पर ठिकाने लगाता हु।" ज़ैन बड़बड़ा कर बोला।

...............

ज़ैन अहमद इमरान के सामने बैठे थे जबकि कासिम उनके पीछे खड़ा था। इमरान ही हालत हद से ज़्यादा बुरी थी।

"कासिम गन दो आज इमरान आखिरी दिन है।" ज़ैन ने कासिम की तरफ हाथ बढ़ा कर कहा।

"न.......नह........नही शाह।" इमरान ने मुश्किल से कहा।

ज़ैन ने उसके पैरों में गोली मरते हुए कहा:"यह मेरे पापा को धोखा देने के लिए।"

उसने एक गोली उसके बाज़ू पर मरते हुए कहा:"यह मेरे पापा का भरोसा तोड़ने और उनकी जान लेने के लिए।"

अब की बार ज़ैन ने गन उसके दिल के करीब करके अहमद को देखते हुए कहा:"अगर तू अहमद को कुछ ना करता तो शायद मैं तुझ पर थोड़ा रहेम कर देता।" कहते साथ ही ज़ैन ने गोली चला दी और इमरान का काम तमाम कर दिया।

"कासिम जो वीडियो बनाई है इसके बेटे को भेज देना और इसकी लाश को आग लगा देना।" अहमद ने कासिम से कहा और ज़ैन को ले कर बाहर आ गया।

"अहमद गाड़ी मां पापा की कब्र पर ले चल।" ज़ैन ने कार में बैठते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद गाड़ी चलाने लगा। कुछ देर बाद अहमद ने गाड़ी एक कब्रिस्तान के पास रोकी ज़ैन उतर कर अंदर चला गया जबकि अहमद दूर खड़ा उसे देखने लगा।

"मां बाबा आज मैं ने आपके कातिलों को सज़ा दे दी उन सबको में ने जहन्नुम पहोंचा दिया जिसने भी आपको धोखा दिया था और इमरान के साथ मिले हुए थे। माँ बाबा आप दोनों क्यों मुझे छोड़ कर चले गए। मैं आप दोने से बहोत प्यार करता हु और आपको हर वक़्त याद करता हु।"

ज़ैन अपने परेंट्स की कब्र के सामने बैठ कर बातें कर रहा था जबकि अहमद दूर खड़ा उसे रोते हुए देख रहा था।

..........

रात के दो बजे का वक़्त था जब ज़ैन कमरे में आया तो देखा ज़ैनब बैठे बैठे ही सो चुकी थी।

ज़ैन उसके करीब गया और उसे सीधा लेटाने लगा तो ज़ैनब की आंख खुल गयी।

"तुम बैठे बैठे ही सो गई थी तो मैं ने सोचा सीधा लेटा दु।" ज़ैन ने सपाट लहजे में कहा और दूसरी साइड पर आ कर लेट गया।

"शाह खाना लगा दु।" ज़ैनब ने अपनी आंखें रगड़ते हुए कहा।

"नही मुझे भूख नही है।" ज़ैन ने आंखे बंद किये हुए ही जवाब दिया।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब गुस्से से उठ कर कमरे से बाहर चली।
दरवाज़ धड़ाम से बंद होने की आवाज़ पर ज़ैन ने अपनी आंखें खोल देखा और बोला:"इसे क्या हो गया।"

उसके बाद वोह भी अपनी जगह से उठ कर बाहर आ गया।

उसने किचन में देखा तो ज़ैनब अपने लिए खाना निकाल रही थी।

"ओह तो मैडम ने मेरे इंतेज़ार में खाना भी नही खाया है।" ज़ैन खुद से कहता मुस्कुराते हुए किचन में आ गया।

"सॉरी यार मुझे नही पता था की तुमने खाना नही खाया है।" ज़ैन ने मासूम शक्ल बना कर कहा।

"मैं ने आपको कुछ कहा, आप जाए यहां से।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा।

"सॉरी यार।" ज़ैन ने अपनी दाढ़ी खुजा कर कहा।

ज़ैनब उसकी बातों को इग्नोर करते हुए अपना निवाला मुंह मे डालते ही वाली थी कि ज़ैन में उसका हाथ पकड़ कर वोह निवाला खुद ही खा लिया।

ज़ैनब चमच पटख बोली:"आप बहोत....."

"हैंडसम हु मैं जानता हूं।" ज़ैन ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही आगे की बात कह दी।

ज़ैनब ने गुस्से से उसकी तरफ देखा।

"चलो यार गुस्सा छोड़ो।" ज़ैन ने उसका जैकेट पकड़ कर उसे खींचते हुए कहा।

"अब मैं कभी आपका इंतेज़ार नही करूँगी, यह कोई वक़्त है घर आने का।" ज़ैनब उसे दूर धकेलते हुए बोली।

"आज तो तुम पक्की बीवी लग रही हो ठीक है अगली बार से टाइम पे घर आ जाऊंगा।" ज़ैन ने उसे अपने करीब करते हुए कहा।

"आप....आप क्या कर रहे है?" ज़ैनब अपनी नज़रे झुका कर बोली।

"मैं तो यह सोच रहा हु मेरा खाना ठंडा हुआ या नही।" ज़ैन ने मीनिंगफुल नज़रो से ज़ैनब को देखते हुए कहा।

इससे पहले की ज़ैनब उसकी बातों का मतलब समझ कर उससे दूर होती ज़ैन उसे खींच कर खुद के करीब किया और उसके होंठो पर किस करने लगा। थोड़ी देर बाद जब ज़ैन उससे दूर हुआ तो ज़ैनब लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी।

ज़ैनब का चेहरा शर्म की वजह से लाल हो गया था।

ज़ैन उसके लाल चेहरे को देख कर मुस्कुराते हुए बोला:"आज मेरा खाना कुछ ज़्यादा ही तीखा था।"

ज़ैन ने ऐसा मुंह बनाया जैसे उसे बहोत तीखा लग रहा था।

ज़ैनब गुस्से से उसे घोरते हुए बोली:"खुद तो करेले की तरह कड़वे है और मुझे तीखा कह रहे है।"

"ओह अच्छा, तुमने मुझे कब टेस्ट किया।" ज़ैन ने शरारत से कहा।

"बेशर्म कहि के।" ज़ैनब चिढ़ कर बोली।

"हाहाहा, यह तो तुम रोज़ ही बोलती हो।" ज़ैन हस्ते हुए बोला।

"तुम दोनों इस वक़्त यहां क्या कर रहे हो।" पीछे से शाज़िया की आवाज़ आयी।

उनकी आवाज़ सुनकर ज़ैन की हसी को बरेक लग गया जबकि उसकी हालत देख कर ज़ैनब अपनी हसी दबाते हुए बोली:"वोह चाची जान शाह को बहोत भूख लगी थी तो में सोचा यह अकेले खाएंगे तो अच्छा नही लगेगा इसीलिए इन्हें कंपनी देने के लिए मैं भी यहां बैठ गयी।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन ने घूर कर उसे देखा।

शाज़िया मुस्कुराते हुए बोली:"अच्छा बेटा जो तुमने हलवा बनाई थी वोह भी ज़ैन को दे देना और ज़ैन तुम जल्दी खाना खाओ टाइम देख रहे हो इतनी रात हो गयी है।"

"ओके चाची जान।" ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला।

उनके जाने के बाद ज़ैन की मुस्कुराहट भी गायब हो गयी। ज़ैनब उसके इरादे को भांपते हुए कमरे की तरफ जाने ही वाली थी कि ज़ैन उसके इरादे को नाकाम करते हुए उसे पकड़ लिया।

"छोड़ो मुझे।" ज़ैनब चिढ़ कर बोली।

"पहले तुम्हे तुम्हारे झूठ की सज़ा तो देने दो।" अपनी बात पूरी करते ही ज़ैन ने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख कर लव बाईट दे दिया।

ज़ैनब के मुंह से एक आह निकली।

ज़ैन उसके चेहरे को देखा और फिर उसी जगह प्यार से किस किया जहां उसने लव बाईट दी थी।

"चलो अब मुझे हलवा खिला दो आज मैं ने कुछ ज़्यादा ही तीखा खा लिया है।" ज़ैन ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब मुस्कुराते हुए बोली:"आप रुकें मैं अभी लाती हु।"

ज़ैन मुस्कुराते हुए डाइनिंग टेबल पर बैठ गया।

और ज़ैनब फ्रीज़ से हलवा निकलने लगी। ज़ैनब ने इधर उधर देखा यह देख की ज़ैन आपने फ़ोन में बिजी ही ज़ैनब ने नामक का डिब्बा लिया और दो चमच नमक हलवे में डाल कर मिक्स करके ज़ैन के पास ले गयी।

"शाह जी आप खाएं मैं रूम में जा रही हु मुझे नीद आ रही है।" ज़ैनब ने अपनी मुस्कुराहट दबाते हुए कहा।

"ठीक है।" ज़ैन मोबाइल जेब मे रखते हुए बोला।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब जल्दी से वहां से भाग गई।

उसके जाने के बाद ज़ैन ने जैसे ही हलवा मुंह मे डाला नामक तेज़ होने की वजह से उसका पूरा मुंह खराब हो गया।

ज़ैन ने गुस्से रूम की तरफ देखा जो पहले ही बंद हो चुका था।

ज़ैनब कमरे में आ कर बेड पर लेटते हुए ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।

ज़ैन भागते हुए कमरे में आया।

ज़ैन के चेहरे को देखते ही ज़ैनब की हंसी पर ब्रेक लग गया।

"शाह जी आपको हलवा कैसा लगा।" ज़ैनब अपनी हंसी दबाते हुए बोली।

"बहोत ही टेस्टी था।" ज़ैन शैतानी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर साजाए हुए बोला और चलता हुआ उसके पास आ गया।

न जाने क्यों पर ज़ैनब को उसकी हंसी देख कर खतरे का अहसास हो रहा था।

"शाह....."

इससे पहले की ज़ैनब कुछ बोली ज़ैन ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

कहानी जारी है.........
©"साबरीन"