तेरे इश्क़ में पागल - 22 Sabreen FA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरे इश्क़ में पागल - 22

ऐसे ही दिन गुज़रते चले गए ज़ैन और ज़ैनब ने अहमद के लिए सानिया का रिश्ता मांग लिया था और सानिया के घर वालों ने भी खुशी खुशी इस रिश्ते के लिए हाँ कह दिया था।
ज़ैनब को अब हॉस्पिटल में इंटरशिप करने के लिए होटल में रहना था और उसने इस बारे में ज़ैन को बता दिया था। ज़ैन को पहले बहोत गुस्सा आया फिर ज़ैनब के बार बार मनाने के बाद आखिर कर उसने हाँ कह दिया।

शाम को खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए थे। ज़ैन कमरे में गया तो देखा कि ज़ैनब अपनी पैकिंग कर रही थी।

"कहाँ जाने की तैयारी हो रही है?" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा।

"होस्टल।" ज़ैनब ने बिना उसे देखे ही जवाब दिया।

"क्यों।" ज़ैन उसका गुस्से से भरा लाल चेहरा देख कर मुस्कुराते हुए बोला।

"शाह क्या आपको पता नही है जो आप मुझे इर्रिटेट कर रहे है।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा।

"हाँ पता है और मैं ने भी तुम्हे कहा था कि तुम होस्टल नही जाओगी।" ज़ैन ने उसे पीछे से गले लगाते हुए कहा।

ज़ैनब पीछे मुड़ कर उसे घूरते हुए बोली:"शाह मैं ने भी बोली थी कि मैं होस्टल जाउंगी क्योंकि मुझे हॉस्पिटल में इंटरशिप करनी है और आपकी जैसी हरकते है ना मैं पढ़ाई पर धेयान ही नही दे पा रही हु।"

"हाहाहा, क्या बात है आज मिसेस शाह फुल मूड में लग रही है।" ज़ैन ने आंखों में शरारत लिए ज़ैनब से कहा।

उसकी बातों का मतलब समझ कर ज़ैनब उसे धक्का देते हुए बोली:"मिस्टर शाह अगर आप दोबारा मेरे पास आये तो मैं होस्टल में जाने के बाद आप से बात नही करूँगी।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन उसे घूरते हुए बोला:"अगर तुम्हें होस्टल में रहना है तो मेरी भी एक शर्त है।"

"वोह क्या है?" ज़ैनब अपनी इएब्रो उचकाते हुए बोली।

ज़ैन उसे अपने करीब खींचते हुए बोला:"मेरी शर्त यह है कि मिसेस शाह मुझे रोज़ सुबह, दोपहर और शाम कॉल करेंगी। और हेर वीकेंड मुझसे मिलने आएंगी।"

उसकी बात सुनकर ज़ैनब मुस्कुराते हुए अपनी बाहें उसके गले मे डालते हुए बोली:"और अगर ऐसा ना कर तो।"

"तुम्हारे अंदर कुछ ज़्यादा ही हिम्मत नही आ गयी है।" ज़ैन उसकी आँखों मे देखते हुए बोला।

"वोह एक्चुअली मेरे जो हस्बैंड है ना उन्हें बहादुर बीवी पसंद है। उनका मान ना यह है कि उनकी बीवी को किसी भी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए किसी आदमी के सहारे की ज़रूरत नही है।" ज़ैनब भी उसकी आँखों मे आंखे डाल कर बोली।

"वाह काफी समझदार हो गयी हो।" ज़ैन मुस्कुराते हुए उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला।

"आपका ही असर है।" ज़ैनब उसके ग्लो पर किस करते हुए बोली:"ठीक है अब आप मुझे छोड़े मुझे मेरी पैकिंग करनी है।"

"अरे.......अरे......मेरे सोये हुए अरमानो को जगा कर खुद भागने का इरादा है।" ज़ैन ने मीनिंगफुल हसी हस्ते हुए कहा।

"नही,,,शाह....."

ज़ैनब की बात उसके मुंह मे ही रह गयी क्योंकी ज़ैन ने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये थे और उन्हें शिद्दत से चूमे जा रहा था।

तभी दरवाज़े पर होने वाली ननॉक से उसने ज़ैनब को छोड़ दिया और ज़ैनब लंबी लंबी सांसे ले रही थी।

ज़ैन ने उसके बालो और कपड़ो को ठीक किया और जा कर दरवाज़ा खोल कर देखा तो सामने अहमद खड़ा था।

"तू इस वक़्त यहां क्या कर रहा है!" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा।

"अगर तू चाहता है कि मैं भाभी को यहां से जाने से रोक लूं तो मेरा एक काम करना होगा।" अहमद ने दांत दिखाते हुए कहा।

"नही, मुझे उसे नही रोकना है।" ज़ैन ने ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद उसे साइड करता हुआ कमरे में आ गया और सीरियस एक्सप्रेशन के साथ ज़ैनब के पास गया, जो बेड पर बैठी अपनी पैकिंग करने में बिजी थी।

ज़ैनब ने अपनी नज़रे उठा कर अहमद को देखा।

"मेरी प्यारी बहेना अगर तुम होस्टल गयी तो मैं तुमसे बात नही करूँगा।" अहमद कह कर सीधा कमरे से बाहर चला गया जबकि उसकी इस हरकत पर ज़ैन के चेहरे पर स्माइल आ गयी और ज़ैनब के चेहरे का रंग उड़ गया।

ज़ैन को मुस्कुराता देख ज़ैनब चिढ़ कर बोली:"यह सब आप की वजह से हो रहा है।"

फिर ज़ैन को घूरते हुए कमरे से बाहर निकल गयी।

ज़ैनब अहमद के कमरे में आई तो अहमद मोबाइल में गेम खेल रहा था। उसे देख कर अहमद ने कोई भी रेस्पॉन्स नही दिया।

"भाई।" ज़ैनब ने उसे आवाज़ दी।

"हुँ।" अहमद बिजी अंदाज़ में बोला।

"नाराज़ हो।" ज़ैनब अहमद के पास बैठते हुए बोली।

"नही।" अहमद ने मोबाइल में देखते हुए कहा।

उसकी हरकत देख कर ज़ैनब की आंखों में आंसू आ गए।

"भाई आप जो चाहेंगे मैं वैसा ही करूँगी, मैं होस्टल नही जाउंगी, बट प्लीज आप मुझसे नाराज़ मत हो मैं आपकी नाराज़गी बर्दाश्त नही कर सकती हूं।" कहते साथ ही ज़ैनब रो पड़ी।

"अरे,,,,,,अरे।" अहमद एक दम से बौखला उठा।

"ज़ैनब भाभी प्लीज रोना बंद करो नही तो ज़ैन मुझे ज़िंदा नही छोड़ेगा।" अहमद उसके आंसू देख कर परेशान होते हुए बोला।

"भाई मैं नही जाउंगी।" ज़ैनब रोते हुए बोली।

"क्यों नही जाओगी, तुम ज़रूर जाओगी।"

अहमद की बात पर ज़ैनब ने हैरत से उसे देखा।

"पहले मुझे इसलिए अच्छा नही लग रहा था क्योंकि मैं ज़ैन को उदास नही देख सकता था लेकिन अब मुझे लगता है तुम्हारे ख्वाब ज़्यादा ज़रूरी है।"

"यु आर ग्रेट भाई, थैंक यू सो मच।" ज़ैनब खुशी से चिल्लाते हुए बोली।

"बस,,,बस।" अहमद मुस्कुराते हुए बोला।

ज़ैन दरवाज़े पर खड़ा मुस्कुराते हुए उन दोनों को देख रहा था।

"क्या बात है तूने पार्टी बदल ली।" ज़ैन अंदर आते हुए अहमद से बोला।

"आप तो चुप ही रहिये, आपकी वजह से ही अहमद भाई मुझसे नाराज़ हो गए थे।" ज़ैनब गुस्से से उसे घूरते हुए बोली।

"तुम्हारा हो गया है तो चले।" ज़ैन चिढ़ते हुए बोला।

"कहाँ जाना है?" ज़ैनब ने पूछा।

"हमारा कुछ काम अधूरा रह गया था उसी को पूरा करने।"
ज़ैन ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी बात का मतलब समझ कर ज़ैनब हड़बड़ाते हुए बोली:"आप दोनों बातें कर मुझे चाची से कुछ काम है।"

ज़ैनब को घबरा कर भागते देख ज़ैन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।

अहमद उसके पास आ कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला:"तू कब से काम अधूरा छोड़ने लगा।"

अहमद की बात सुनकर ज़ैन ने घूरते हुए अहमद को देखा और गुस्से से बोला:"साले मैं ने तुझे कहा था तो ज़ैनब को होस्टल जाने से रोक ले और तूने मुझे छोड़ कर उसका साथ दे दिया।"

"मैं अपनी बहेना को रोते हुए नही देख सकता था।" अहमद ने बत्तीसी दिखाते हुए कहा।

और फिर उन दोनों की लड़ाई शुरू हो गयी।

........

ज़ैनब जब सो कर उठी तो ज़ैन वहां नही था। वोह उठ कर वाशरूम में चली गयी। ज़ैनब नहा कर बाहर आई और अपने गीले बालों को सुखाने लगी।

ज़ैन जब कमरे में आया तो बस ज़ैनब को देखता ही रह गया।

ब्लैक कलर के लांग फ्रॉक में ज़ैनब बेहद खूबसूरत लग रही थी।

ज़ैन उसके करीब आ कर उसे पीछे से गले लगाते हुए बोला:"यह ब्लैक कलर तुम आज के बाद मेरे इलावा किसी के सामने नही पहनोगी।"

"क्यों।" ज़ैनब हैरान हो कर बोली।

"क्योंकि इस कलर में तुम बेहद अट्रैक्टिव लग रही हो।" ज़ैन ने ज़ैनब कंधे पर ठोड़ी रखते हुए धीरे से उसके कान में बोला।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब ब्लश करने लगी।

"ब्लश कर रही हो।" ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला।

"नही।" ज़ैनब ने उसे देखते हुए कहा।

"तो फिर तुम्हारे गाल इतने लाल क्यों है।" ज़ैन ने उसके गाल पर किस करते हुए कहा।

"गुस्से में भी गाल लाल ही होते है।" ज़ैनब उसे धक्का देते हुते बोली।

"हाँ लेकिन वोह कलर अलग होता है।" ज़ैन मुस्कुराते हुए सोफे पर बैठते हुए बोला।

"आप सुबह सुबह कहा गए थे?" ज़ैनब बात बदलते हुए बोली।

"आह हाँ, अब तो तुम मुझे छोड़ कर जा रही हो तो मैं कहि भी जाऊं तुम्हे उससे क्या लेना देना है।" ज़ैन उसे छेड़ते हुए बोला।

"मिस्टर शाह मैं सिर्फ छह महीनों के लिए होसटल जा रही हु। अगर अपने कोई ऐसी वैसी हरकत की तो मैं आपको छोडूंगी नही।" ज़ैनब गुस्से से उसे उंगली दिखाते हुए बोली।

"मैं तो दूसरी बीवी लान के बारे में सोच रहा था।" ज़ैन अपनी हंसी छुपाते हुए सीरियस अंदाज़ में बोला।

"फिर तो अच्छी बात है मैं भी अपने लिए कोई हैंडसम से डॉक्टर ढूंढ लुंगी।" ज़ैनब ने भी उसे उसी के अंदाज़ में जवाब दिया।

उसकी बात सुनकर ज़ैन गुस्से से उसका बाज़ू पकड़ते हुए बोला:"आज तो कह दिया है दोबारा कभी किसी और के साथ होने की बात मत करना।"

"रिलैक्स हो जाओ, मैं तो बस मज़ाक़ कर रही थी।" ज़ैनब उसकी गुस्से लाल हुई आंखों को देखते हुए बोली।

"मज़ाक़ में भी मुझसे दूर जाने की बात मत करना।" ज़ैन उसके माथे को चूमते हुए बोला।

"ओके।" ज़ैनब उसे गले लगाते हुए बोली।

ज़ैन ने भी उसे कस कर गले लगा लिया।

कहानी जारी है........
©"साबरीन"