Tere Ishq me Pagal - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क़ में पागल - 20

थोड़ी देर बाद...

"स्वीटहार्ट मेरे नीचे बुलाने पर तुम क्यों नही आई। अहमद ने उसके कान में कहा।

सानिया ने पीछे मुड़ कर देखा तो अहमद को देख कर उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि अहमद ने उसका इरादा भांप कर उसके मुंह पर अपना हाथ रख दिया।

"हाथ हटा रहा हु चिल्लाना मत।" अहमद ने धीरे से कहा।

उसकी बात सुनकर सानिया ने हाँ में अपनी गर्दन हिलायी तो अहमद ने अपना हाथ हटा दिया।

"तुम यहाँ कैसे आये?" सानिया परेशान हो कर बोली।

"इस प्यारी सी खिड़की से।" अहमद ने खिड़की की तरफ इशारा करके कहा।

"तुम क्यों अये।" सानिया ने चिढ़ कर कहा।

"तुम आ जाती तो मैं नही आता।" अहमद ने उसके गाल खींचते हुए कहा।

"कोई देख लेगा तुम जाओ यहां से।" सानिया परेशान हो कर बोली।

"फिलहाल तो हम दोनों के इलावा यहां कोई नही है।" अहमद ने चारों तरफ देखते हुए कहा।

"अच्छा सुनो एक बात बताओ मुझसे मोहब्बत करती हो।" अहमद उसके करीब होते हुये बोला।

"अहमद तूम जाओ यहां से।" सानिया उसकी बात नज़रअंदाज़ करते हुए बोली।

"नही पहले मेरे सवाल का जवाब दो।" अहमद उसके ऊपर झुकते हुए बोला।

सानिया ने अपना हाथ उसके सीने पर रख कर उसे दूर करना चाहा लेकिन अहमद ने उसका हाथ पकड़ कर बेड के साथ लगा दिया।

"अहमद प्लीज छोड़ो।" सानिया घबरा कर बोली।

"छोड़ दूंगा पहले बताओ मुझसे मोहब्बत करती हो।" अहमद ने उसके बालों को पीछे करते हुए कहा।

"हाँ मैं तुमसे मोहब्बत करती हूं।" सानिया ने गुस्से से चिल्ला कर कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद मुस्कुराते हुए बोला:"जानता था पर तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता था।"

"अच्छा छोड़ दो।" सानिया ने रुंधी हुई आवाज़ में कहा।

"छोड़ने के लिए थोड़ी पकड़ा है।" अहमद उसकी तेज़ धड़कने सुनकर मुस्कुराते हुए बोला:"क्या खयाल है अभी उठा कर ले जाऊं।"

"अहमद तुम बहोत बत्तमीज़ हो".........सानिया और भी बातें कर रही थी जबकि अहमद बस उसके हिलते हुए होंठो को देख रहा था। आखिकार बे बस हो कर अहमद ने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये जबकि सानिया की आंखे हैरत से फैल गयी।

अहमद ने जब उसे छोड़ा तो सानिया ने पूरी ताकत के साथ उसे धक्का दिया और फिर उसे पिलो से मारने लगी। जबकि अहमद हस्ते हुए उसकी मार खा रहा था।

अहमद ने तकिया खींच कर साइड में रखा और सानिया को कमर से पकड़ कर अपने करीब करते हुए बोला:"सॉरी यार।"

"अहमद आपको शर्म नही आती।" सानिया ने गुस्से से कहा।

"यार मैं बे बस हो गया था।" अहमद ने बेचारगी से कहा।

"अच्छा जाए।" सानिया ने उसे धकेलते हुए कहा।

"पहले बाताओ नाराज़ तो नही हो।" अहमद ने उसे फिर से अपने करीब करते हुए कहा।

सानिया ने उसकी आँखों मे देखा जहाँ उसके लिए सिर्फ मोहब्बत और इज़्ज़त थी। सानिया अपनी नज़रे झुका ली और बोली:"नही मैं आप से नाराज़ नही हु।"

"ठीक है फिर मैं ज़ैन और भाभी के साथ खुद आऊंगा तुम्हारा रिश्ता लेने क्यों कि मेरे पेरेंट्स तो है नही।" अहमद उससे दूर होते हुए बोला।

सानिया बस उसे देख रही थी।

अहमद खिड़की के पास पहोंचा तो सानिया बोली:"ध्यान से जाना।"

"जो आपका हुक्म।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

अहमद के जाने के बाद सानिया वापस बेड पर लेट कर खुद से बोली:"उफ्फ यार सांई यह बंदा तो तेरी जान लेलेगा।"

और आने होंठों पर हाथ रख कर कुछ देर पहले अहमद की हरकत के बारे सोच कर मुस्कुराने लगी।

............

ज़ैन अपना काम कर रहा था ज़ैनब चाय ले कर उसको देते हुए बोली:"वैसे क्या मैं आप से कुछ पूछ सकती हूं?"

ज़ैन लैपटॉप को साइड में रखते हुए बोला:"पूछो।"

"आप के परेंट्स कहाँ है आपने मुझे मिलवाया नही है।" ज़ैनब हिचकिचा कर बोली।

उसकी बात सुनकर ज़ैन के एक्सप्रेशन बदल गए वोह चाय का कप रखते हुए बोला:"रात बहोत हो गयी है जा कर सो जाओ।"

"शाह वोह कहा है मुझे बातये ना।" ज़ैनब उसके पास बैठते हुए बोली।

"कहा ना जा कर सो जाओ।" ज़ैन ने गुस्से से कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब बेड पर जा कर लेट गयी।

"आह" ज़ैन ने गहरी सांस ली और सोफे पर उठ कर ज़ैनब के पास बैठ कर बोला:"चलो बाहर चलते है।"

"नही, मुझे नही जाना है।" ज़ैनब ने मुंह दूसरी तरफ करते हुए कहा।

"चलो ना मेरी जान चलते है।" ज़ैन ने उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा।

"नही मुझे नीद आ रही है।" ज़ैनब उसका हाथ झटक कर बोली।

"यार उठ भी जाओ।" ज़ैन उसके गालों पर किस करके बोला।

ज़ैनब उसको धकेल कर गुस्से से उठ कर बैठ गयी और उसके सीने पर मुक्का मरना शुरू कर दिया।

"क्या हर वक़्त सिर्फ आपकी ही मनमानी चलेगी कभी कहते हो लेट जाओ कभी कहते हो उठ जाओ, हर वक़्त बात आपको गुस्सा ही आता है। जाएं यहां से मुझे आपसे कोई बात नही करनी है।"

"मेरी जान प्यार भी तो करता हु बस कभी कभी गुस्सा आ जाता है।" ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

"कभी कभी आपको तो हर वक़्त गुस्सा आता है।" ज़ैनब अपना हाथ छुड़ा कर बोली।

"अच्छा सॉरी ना चलो अब बाहर चलते है।" ज़ैन अपना कान पकड़ते हुए बोला।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब बेड से उतर कर अपनी कोट पहनने लगी ज़ैन ने भी अपनी कोट फेनी और दोनों बाहर निकल गए।

दोनो इस वक़्त घर के करीब सड़क पर वाक कर रहे थे।

"चलो ज़ैनब वहां बैठते है।" ज़ैन बेंच की तरफ इशारा करते हुए बोला।

दोनो बेंच पर बैठे थे ठंडी हवा चल रही थी जिसकी वजह से ज़ैनब के बाल उड़ रहे थे।

"मेरे मां पापा नही है।"

ज़ैन के यूं अचानक कहने पर ज़ैनब ने हैरान होकर उसकी तरफ देखा और बोली:"मतलब।"

"मतलब उनकी डेथ हो चुकी है।" ज़ैन ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा।

"कैसे हुई?" ज़ैनब उसके आंसू साफ करते हुए बोली।

ज़ैन ने उसके हाथ को चूम कर अपने चेहरे को साफ करते हुए कहा।:"इमरान मेरे बाबा का दोस्त था। दोनो बिज़नेस पार्टनर थे। बाबा के पास इमरान से ज़्यादा पैसा था इसलिए वोह उनसे नफरत करता था। लेकिन मेरे बाबा इन सबके बारे में नही जानते थे वोह उस पर बहोत भरोसा करते थे। मेरे बाबा की लव मैरिज हुई थी शादी के दो साल बाद मैं पैदा हुआ था हर तरफ खुशी थी और इमरान नफरत की आग में जल रहा था।

"मेरी मां बहोत खूबसूरत थी बिल्कुल तुम्हारे जैसी।" ज़ैन की आंखों से आंसू बह रहे थे। ज़ैनब की भी आंखे उसे देख कर नम हो गयी थी।

इमरान ने जब मां को देखा तो जैसे पागल होगया। इमरान ने सोचा कि हर चीज़ बाबा के पास क्यों है इतनी दौलत एक बेटा और बेहद खूबसूरत बीवी।

फिर एक दिन इमरान ने मां को अगवा कर लिया। मेरे बाबा बहोत परेशान थे उन्होंने इमरान से भी कहा कि वोह मां को ढूंढे जबकि उन्हें पता ही नही था उनकी नूर उस दरिंदे के पास है।

उसने मेरी मां के साथ..............उसने बार बार मेरी मां को अपनी हवस का निशाना बनाया।एड़ी माँ रोती रही तड़पती रही लेकिन उस दरिंदे पर कोई असर ही नही हो रहा था।

ज़ैन अब लगातार रो रहा था।

फ़ी एक दिन बाबा इमरान के घर जा पहोंचे। पर सामने का मंजर दिल दहलाने वाला था। मां बेड पर बेजान पड़ी थी जबकि इमरान अपनी शर्ट के बटन बन्द कर रहा था।

यह देख कर उन्हें हार्ट अटैक आ गया था।

उनका दोस्त जिस पर वोह सबसे ज़्यादा भरोसा करते थे उस ने उनकी नूर के साथ वो सब किया जो उसे नही करना चाहिए था। उस दिन उनका भरोसा दिल सब कुछ टूट गया था। चाचा जान भी बाबा के साथ थे। इमरान उन लोगों को देख कर वहां से भाग गया था। जबकि चाचा जान मां और बाबा को लेकर हॉस्पिटल चले गए थे।

मां की हार्ट बीट बहोत स्लो चल रही थी। दोनो की कंडीशन बहोत सीरियस थी, आखिरकार दोनो ने एक साथ हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। मुझे इस ज़ालिम दुनिया मे वोह अकेला छोड़ गए।

चाची जान ने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया और मुझे इस दर्दनाक हक़ीक़त के बारे में बताया।

ज़ैन का चेहरा आंसुओं से भीग चुका था।

"ज़ैनब मैं जानता हूं मैं बहोत बुरा हु, मैं शराब पीता था मैं लड़कियों के साथ घूमता था।" ज़ैन उसका हाथ पकड़ कर घुटनो के बल बैठा हुआ था।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब को ऐसा लगा जैसे उसके दिल के टुकड़े टुकड़े हो गए हो।

"शाह आप लड़कियों के साथ रात गुज़ारते थे!" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा।

"नही ज़ैनब में बस लड़कियों के साथ शराब पीता था। लेकिन जब से तुम मेरी ज़िंदगी मे आयी हो मैं ने यह सब छोड़ दिया है। तुम्हे पाने के बाद मैं ने किसी चीज़ की ख्वाहिश नही की। मेरा यकीन करो।" ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब अपना हाथ छुड़ा कर खड़ी हो गयी।

कहानी जारी है.........
©"साबरीन"


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