तेरे इश्क़ में पागल - 19 Sabreen FA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरे इश्क़ में पागल - 19

बॉस वोह इमरान..........कासिम के बाकी के शब्द उसके मुंह मे ही रह गए जब उसकी नज़र ज़ैन पर पड़ी जो खूंखार नज़रो से उसे देख रहा था। ज़ैन ने दोबारा फ़ोन की तरफ देखा जो कट चुका था।

ज़ैन गुस्से से चलते हुए कासिम के पास आया और उंगली उठा कर बोला:"ज़ैन हर किसी को मौका नही देता है सीधा ऊपर का टिकट काट देता है। तुम खुश नसीब हो जिसे यह मौका मिल रहा है। इस मौके को गवाना मत।" और वहां से चला गया।

उसके जाने के बाद कासिम ने चैन की सांस ली तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। कासिम ने डर कर पीछे देखा तो अहमद था।

अहमद मुस्कुराते हुए बोला:"बेटा कासिम आज तो तू गया था।"

इतनी ठंडी में भी उसके माथे पर पसीने की बूंदे थी कासिम अपने पसीने को साफ करते हुए बोला:"अहमद सर मुझे भी ऐसा ही लगा था।"

"तो किस ने तुझे न को डिस्टर्ब करने के लिए कहा था, तू भी अपने काम सीधे करले।" अहमद ने उसकी कमर पर मुक्का मरते हुए कहा।

"मैं ने क्या किया मुझे क्या पता था बॉस फ़ोन पर बात कर रहे होंगे।" कासिम ने अपनी कमर को सहलाते हुए कहा।

"वैसे आज अगर तेरा काम तमाम हो जाता तो मुझे मुफ्त की बिरयानी खाने मिलती।" अहमद ने हस्ते हुए कहा।

"क्या सर आपको सिर्फ खाने की ही पड़ी रहती है।" कासिम ने मुंह बना कर कहा।

"जी बिल्कुल सही फरमाया अपने कासिम मिया।" अहमद ने हस्ते हुए कहा।

"चलो अहमद सर नहो तो बॉस दोबारा मुझे मौका नही देंगे।" कासिम ने आगे बढ़ते हुए कहा।

"हाँ चलो मुझे तो कुछ नही होगा लेकिन ज़ैन तेरा नमो निशान मिटा देगा।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रख कर चलते हुए कहा।

"अहमद सर ऐसा मत कहे बच्चा डर जाता है।" कासिम ने मुंह बनाते हुए कहा।

दोनो बात करते करते रूम में आ गए।

"यह ज़ैन बर्फ को ऐसे क्यों देख रहा है!" अहमद ने कासिम के कान में कहा।

"अहमद सर मुझे क्या पता। आप बात नही करें अपने सही कहा था आप को कुछ नही होगा लेकिन मुझे बहोत कुछ हो जाएगा।" कासिम ने धीरे से कहा।

"डरपोक।" अहमद ने हंस कर कहा।

"कासिम इमरान को बर्फ पर लेटा कर बांध दो।" ज़ैन ने गुस्से से कहा।

कासिम ने अपने आदमियो को इशारा किया और उसके आदमियो ने इमरान को बर्फ पर लेटा कर बांध दिया।

ज़ैन ने चाकू निकाला और इमरान की तरफ बढ़ने लगा।

"नही,,,,,, नही,,शाह मुझे माफ करदो।" इमरान ने डरते हुए कहा।

ज़ैन ने उसकी बात को नज़र अंदाज़ करके चाकू से जगह जगह उसे कट लगाना शुरू किया। इमरान की चीखें पूरे कमरे में गूंज रही थी। लेकिन उसकी चीखे सुनकर भी ज़ैन को उस पर रहम नही आ रहा था। पूरी बर्फ खून से भर चुकी थी।

"कासिम इसके ज़ख्मो पर नमक छिड़को और पूरी रात छिड़कते रहना लेकिन याद रहे यह मरना नही चाहिए। अगर यह मर गया तो तुम सब मे से कोई भी जिंदा नही बचेगा।" ज़ैन ने चाकू को साफ करते हुए कहा।

"ओके बॉस।" कासिम ने सिर झुका कर कहा।

ज़ैन ने एक नज़र निढाल पड़े इमरान पर डाली और वहां से बाहर निकल गया।

अहमद भागते हुए उसके पास आया और बोला:"कहाँ जा रहा है?"

"तेरी भाभी प्लस बहेना के पास।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"अबे साले अपनी हालत देखी है और फिर बोलेगा मेरी बहेना तुझसे दूर भागती है।" अहमद ने उसकी शर्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा जो खून से लथ पथ थी। उसकी बात सुनकर ज़ैन रूम में गया और शावर ले कर कपड़े चेंज करके वापस आया।

"चले।" ज़ैन बाहर आ कर बोला।

"तू जा मैं बाद में आ जाऊंगा।" अहमद ने गेम खेलते हुए कहा।

"क्यों तू कहा जा रहा है?" ज़ैन ने उसको घूरते हुए पूछा।

"बेटा तेरी तो सेटिंग हो गयी है अब मेरी भी हो जाने दे।" अहमद ने चिढ़ कर कहा।

उसके एक्सप्रेशन देख कर ज़ैन हस्ते हुए बोला:"ठीक है, मुझे पता है तेरी शक्ल बन्दर जैसी है तुझे बताने की ज़रूरत नही है।"

अहमद ने कुशन उठा कर उसे खींच कर मारा लेकिन ज़ैन पहले ही वहां से हट चुका था वोह कुशन दीवार पर जा लगा। ज़ैन ने हस्ते हुए कहा:"दिल के अरमां आँसू में बह गए।"

"ज़ैन तू जा रहा है कि मैं अपनी बहेना को फ़ोन करके कह दु की तू मुझे परेशान कर रहा हा है।" अहमद ने गुस्से से कहा।

"तुझे लगता है मैं उससे डरता हूँ।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा।

"हाहाहा।" अहमद के चेहरे पर एक शैतानी स्माइल थी। उसने अपना फ़ोन निकाला और ज़ैनब को फ़ोन किया और फ़ोन स्पेकर पर कर दिया।

फ़ोन की बेल सुनकर ज़ैन भागते हुए उसके पास आया लेकिन ज़ैनब पहले ही फोन पिक कर चुकी थी।

"हेलो बहेना।"

"हेलो भाई, कैसे है आप/" ज़ैनब नर पूछा।

ज़ैनब की आवाज़ सुनकर ज़ैन ने अहमद की तरफ देखा। उसके चेहरे पर एक शैतानी स्माइल थी। ज़ैन ने घूर कर अहमद को देखा।

"हाँ मैं ठीक हु लेकिन............." उसकी बात पूरी होने से पहले ही ज़ैन उसके हाथ से फ़ोन ले कर फ़ोन कट कर दिया और अहमद को घूरते हुए बोला:"अगर तूने दोबारा ऐसी हरकत की तो मैं अली को तेरे और सानिया के बारे में बता दूंगा।"

" तू ही तो मुझे परेशान कर रहा है।" अहमद ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा।

"मैं जा रहा हु।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।

"यार मेरा फ़ोन तो दे दे।" अहमद ने उसे पीछे से आवाज़ दी।

ज़ैन पीछे मुड़ा उसके चेहरे पर स्माइल थी। अहमद उसकी शिमले का मतलब समझते हुए भाग कर उसके पास आया और उसके हाथ से अपना फ़ोन छीन लिया।

"मुझे लगा था तो सानिया से डरता है जबकि तू तो अपना फ़ोन टूटने से डरता है।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा और बाहर निकल गया।

.........

ज़ैन जब घर पहोंचा ज़ैन परेशान सी बुक ले कर बेड पर बैठी थी।

"क्या हुआ जान?" ज़ैन ने प्यार से पूछा।

"शाह जी आप आ गए।" ज़ैनब खुश हो कर बोली।

"यस मेरी जान मैं आ गया अगर मुझे पता होता तुम मेरा इंतेज़ार कर रही हो तो मैं पहले ही आ जाता।" ज़ैन ने उसका हाथ चूम कर कहा तो ज़ैनब झेप गयी।

ज़ैनब अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली:"ऐसा कुछ नही वो बस मुझे यह क्वेश्चन समझ नही आ रहा है।" ज़ैनब ने परेशान हो कर कहा।

"अच्छा इधर लाओ।" ज़ैन ने उससे बुक लिया और उसे समझने लगा। ज़ैनब तो पहले हैरान हो गयी फिर उस क्वेश्चन पर धयान देने लगी।

"थैंक यू शाह।" क्वेश्चन सॉल्व होने के वाद ज़ैनब खुश हो कर बोली।

"ऐसे नही मेरी जान जैसे सारी लडकिया अपने हसबैंड को थैंक्स बोलती है वैसे बोलो।" ज़ैन बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया।

"कैस थैंक्स बोलू।" ज़ैनब ने न समझी से बोली।

"किस मि बटरफ्लाई।" ज़ैन ने उसके बाल को पीछे करते हुए कहा।

न,,,,नही। ज़ैनब घबरा कर बोली।

"हाँ ना।" ज़ैन बच्चो की तरह मुंह बना कर बोला।

"प्लीज़ नही ना।" ज़ैनब खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।

"प्लीज हाँ ना।" ज़ैन उसे अपने करीब खींचते हुए उसी के अंदाज़ में बोला।

आखिरकार ज़ैनब को उसकी ज़िद के आगे झुकना ही पड़ा।
"ठीक है अपनी आंखें बंद करे।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा।

"ज़रा प्यार से बोलो।" ज़ैन ने उसके गालो को छूते हुए कहा।

"शाह जी प्लीज अपनी आंखे बंद करें।" ज़ैनब ने अपने दांत पीसते हुए कहा।

ज़ैन ने हस्ते हुए अपनी आंखें बंद कर ली। ज़ैनब ने झुक कर उसके गालों पर किस किया।

"यार यह बच्चो वाली किस है!" ज़ैन ने हैरान हो कर कहा।

"मुझे यहां किस चाहिए।" ज़ैन ने अपने होंठो की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"शाह मुझे चाची जान बुला रही है।" ज़ैनब ने बहेना बनाते हुए कहा।

"अच्छा मुझे तो कोई आवाज़ नही आई।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।

"प्लीस छोड़ें।" ज़ैनब परेशान होकर बोली।

"पहले किस करो तभी छोडूंगा नही तो मुझे ऐसे सोने में कोई प्रॉब्लम नही है।" ज़ैन ने आंख मार कर कहा।

"आंखे बंद करे।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा।

ज़ैन ने मुस्कुराते हुए अपनी आंखें बंद करली।

ज़ैनब ने डरते हुए अपने कोमल होंठो को ज़ैन के होंठो पर रख दिये।

ज़ैन का एक हाथ उसकी कमर पर था और दूसरा उसके चेहरे पर था जैसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई ज़ैनब ने उसे धक्का दीया और बेड से उतर गयी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था। ज़ैन अब भी अपनी नशीली आंखों से उसे देख रहा था।

.........

अहमद ने गाड़ी सानिया के घर के पास रोक दी और उसे कॉल किया।

सानिया जो मोबाइल में कुछ पड़ रही थी अहमद का नाम देख कर उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी और उसकी दिल की धड़कने तेज़ हो गयी।

"हेलो।" सानिया ने फ़ोन उठा कर कहा।

"हेलो कैसी हो मिसेस अहमद?" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"आप ने किस लिए फ़ोन किया है।" सानिया अपनी घबराहट छुपा कर बोली।

"तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूँ, बाहर आ जाओ।" अहमद ने उसकी खिड़की की तरफ देखते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर सानिया भागते हुए खिड़की के पास गई और खिड़की को खोल लर नीचे देखा तो अहमद नीचे ही खड़ा था। उसे देख कर अहमद ने स्माइल पास की।

"आप यहां क्या कर रहे है?" सानिया घबरा कर बोली।

"नीचे आओ मिलना है।" अहमद ने उसे देखते हुए कहा।

"नही मैं नही आ रही हु तुम जाओ!" सानिया घबरा कर बोली।

"ठीक है मत आओ मैं ही आ जाता हूं।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ठीक है अगर तुम्हारे अंदर हिम्मत है तो आ जाओ।" सानिया ने कहा कर फ़ोन कट कर दिया और वापस जा कर बेड पर लेट गयी।


कहानी जारी है.........

©"साबरीन"