शेष जीवन(कहानियां पार्ट 17) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शेष जीवन(कहानियां पार्ट 17)

एक और सावित्री
"भाभी इस केस में कुछ नही हो सकता।"
"तुम यह बात कह रहे हो।इस शहर के माने हुए वकील होकर यह बात कर रहे हो।"
"भाभी मे कानून की बारीकियां समझता हूँ।इसीलिए यह बात कह रहा हूँ।इस केस में महेश को फांसी की सजा मिलेगी।सारे सबूत उसके खिलाफ है।"रमेश ने विमला को सारी बात समझायी थी।
"तुम कैसे देवर हो।अपनी भाभी की मांग उजाड़ कर उसे विधवा बना देना चाहते हो।"
"भाभी मै क्या करूँ?"
"कोई तो तरकीब होगी जो मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ने से बचा सके?"
"आपकी मांग के सिंदूर को सिर्फ एक आदमी उजाड़ने से बचा सकता है।"रमेश बोला था।
"कौन?जल्दी बताओ,कौन मेरी मांग का सिंदूर उजड़ने से बचा सकता है?"विमला ने पूछा था।
"राजन'
"राजन"विमला बोली,"जिसका बच्चा महेश की कार के नीचे आकर मर गया।तुम उसी की बात कर रहे हो?"
"मैं उसी की बात कर रहा हूँ।"
"वह महेश को कैसे बचा सकता है?विमला ने पूछा था।
"अगर वह अपना केस वापस ले ले तो महेश की जान बच सकती है।"
"लेकिन वह अपना केस क्यो वापस लेगा।उसका इकलौता बेटा मरा है।"
"मुझे मालूम है,जिस का बेटा मर गया हो।वह केस वापस क्यो लेगा?लेकिन प्रयास करने में क्या नुकसान है।भाभी एक बार आप उस से मिलकर तो देखो।शायद उसे आपकी बात सुनकर दया आ जाये और वह केस वापस लेने के लिये मान जाये।"रमेश के समझाने पर विमला, राजन से मिलने के लिये तैयार हो गयी थी।
महेश और विमला ने प्रेम विवाह किया था।महेश का अपना बिजिनेस था।महेश को रफ्तार पसन्द थी।वह हर काम मे तेजी चाहता था।वह कार भी बहुत तेज चलाता था।विमला को यह पसन्द नही था।वह जब भी महेश के साथ होती।कहती,"प्लीज महेश कार धीरे चलाओ।'
विमला के बार बार कहने पर बडी मुश्किल से महेश कर की रफ्तार कम करता था।महेश की तेज कार चलाने की आदत ही उसके लिए मुश्किल बन गयी।
महेश अपने बिजिनेश के सिलसिले में कार से सहारनपुर जा रहा था।दिल्ली से बाहर निकलते ही उसने कार की रफ्तार बढ़ा दी।उसी समय सड़क के किनारे बने एक स्कूल की छुट्टी हुई।बच्चे अपने अपने बैग लेकर भागे थे।बबलू दौड़कर सड़क पार करने लगा तभी तेज गति से आती महेश की कार के नीचे आ गया।बबलू कार के नीचे आकर इतनी बुरी तरह कुचल गया था कि उसी समय उसकी मौत हो गयी।लोगो ने महेश को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
राजन सरकारी नौकर था।बबलू उसका इकलौता बेटा था।बेटे की मौत ने उसके जीवन मे अंधेरा ला दिया था।रमेश के समझाने पर एक दिन विमला, राजन के घर पर जा पहुंची थी।विमला ने राजन को अपने बारे में बताया था।उसके बारे में जानते ही राजन बोखला गया,"तुम्हारे पति ने मेरे बेटे को मार दिया।अब तुम यहाँ क्या करने आई हो?"
"आपके साथ जो हुआ उसका मुझे भी बहुत दुख है। लेकिन मेरे पति ने जान बूझकर आपके बेटे को नही मारा है।"विमला ने राजन को समझाया था
"आपके पति ने जान बूझकर चाहे न मारा हो।भले ही वह हादसे का शिकार हुआ हो।लेकिन मेरा बेटा तो नही रहा।"
"मैं मानती हूँ लेकिन--
"लेकिन क्या?आप मेरे पास क्यो आयी है?"राजन विमला की बात को बीच मे काटकर बोला
"अगर यह केस अदालत में चला तो मेरी मांग का सिंदूर उजड़ जाएगा।"