सपने - (भाग-29) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-29)

सपने........(भाग-29)

श्रीकांत का डर वाजिब भी था....वो आदित्य को अच्छे ढंग से जानता था और आस्था को भी........पर कुछ किया तो नहीं जा सकता था पर वो दोस्ती को बचाए रखने की कोशिश जरूर करेगा। राजशेखर बेचारा खुद आस्था की "न" को जैसे तैसे हैंडिल कर रहा है। ऐसे में आदित्य कुछ बोल देगा तो राजशेखर उससे नाराज हो जाएगा और अगर आस्था ने आदित्य को "हाँ" बोल दी तो न जाने राजशेखर इस बात को कैसे झेलेगा? इसी कशमकश में फंस गया था श्रीकांत और कब उनकी गाड़ी बिल्डिंग के अंदर आ गयी पता ही नही चला। पार्किंग में कार लगाते हुए आदित्य बोला, श्री तुम चिंता मत करो, मैं राजशेखर को कुछ नहीं कहूँगा और न ही हमारी दोस्ती टूटेगी," बस अब तू आइडिया बता कि कैसे आस्था को अपने दिल की बात बताऊँ"? आदित्य की बात सुन कर श्रीकांत बहुत तेज हँसा और बोला," रोमियो मुझसे टिप्स माँग रहा है, चलो ऊपर कुछ सोच कर बताता हूँ क्योंकि हमारी आस्था कुछ अलग है, तो पहले उसके मन की बात पता लगाते हैं......वैसे तो चाँस मना करने के ज्यादा है क्योंकि वो पहले अपने सपने पूरे करना चाहती है।फिर तुम भी राजशेखर वाली गलती मत करना और जल्दबाजी से काम मत लेना आराम से सही वक्त पर बात कहना"! आदित्य को भी श्रीकांत की बात सही लगी क्योंकि नचिकेत ने भी जल्दी कर दी थी अपने मन की बात कहने में और उसे 'न' सुननी पड़ी।" ठीक कहा चलो अब", कह कर श्रीकांत और आदित्य ने सामान उठाया और लिफ्ट में सामान रखने लगे।सब उन दोनो का इंतजार कर रहे थे..... सबसे पहले तो वो श्रीकांत से गाँव में क्या क्या हुआ सुनने के लिए बेकरार से बैठे थे.....श्रीकांत ने उन्हें वहाँ जो हुआ वो सब बता दिया, ये भी बताया कि सोफिया के पैरेंटस उससे पूछ रहे थे कि हम शादी के बाद गाँव में रहने वाले हैं या मुबंई में? वो उसे कोई बिजनेस मुंबई में ही करने के लिए एक तरह से फोर्स कर रहे थे। यही बात उन्होंने उसके आई बाबा से पूछी तो, "उन्होंने तो जैसे बच्चे खुश रहे वैसे कर लेंगे कह कर टाल दिया था, पर मैं सोफिया से बहुत पहले ही पूछ चुका था कि अगर हमें गाँव में सिंपल घर में रहना पड़े तो वो क्या करेगी? तब उसने कहा था कि वो मेरे साथ गाँव में ही रहेगी, तभी हमने शादी का फैसला लिया नहीं को बात वहीं खत्म हो जाती....... क्योंकि मैं ज्यादा दिन यहाँ नहीं रह सकता मुझे अपने पैरेंटस की तरह अपने लोगो के बीच रहना है"! श्रीकांत की बात सुन कर सब भावुक हो गए। सबने मिल कर डिनर किया और खूब मस्ती की.....बीयर की बोतलें पूरे हॉल में बिखरी पड़ी थी....श्रीकांत की शादी की डेट पक्की होने की खुशी में पार्टी भी करनी बहुत जरूरी थी....! आदित्य बार बार राजशेखर की तरफ देखता और उसे श्रीकांत की बात याद आ आ जाती.....पर राजशेखर इन सब बातों से अंजान बीयर पी रहा था और सबकी बातें चुपचाप सुन रहा था....वैसे भी वो कम ही बोलता है......! आस्था को भी इन सबके साथ रहने से बीयर या वाइन पीने में न तो हिचक होती थी और न ही उसका स्वाद पहले जैसे बुरा लगता था.......नवीन गिटार बजा रहा था और सविता ताई अपने आप में मस्त सब सामान समेट रही थी......!
"चलो यार अपने अपने रूम में चल कर सोते हैं, श्रीकांत भी सफर से आया है थक गया होगा", नवीन ने राजशेखर के कंधे पर हाथ रख कर बोला तो राजशेखर "हाँ चलो", कह कर वो उठ गया । राजशेखर और नवीन उठे तो श्रीकांत भी अपने कमरे में जाने के लिए कुर्सी से उठ गया। सब को अपने कमरे में जाते देख आदित्य ने आस्था को जो पता नहीं कब से बैठे बैठे सो रही थी, उठ कर रूम में जा कर सोने को कहा, पर वो गहरी नींद में थी। वो गौर से आस्था को देख रहा था......!बिल्कुल बच्चों की तरह मासूम लग रही थी।
उसका मन किया कि वो उसे गोद में उठा कर उसके रूम में सुला आए......पर उसने अपने आप को कंट्रोल किया और सविता ताई को उसे सुलाने को कह दिया। सविता ताई पहले उसके कमरे में जा कर उसका बेड ठीक करके आयी.....सारा सामान उसका बेड पर फैला हुआ था, फिर आस्था को पकड़ कर सुला आयी.......! आदित्य अपने कमरे में आ गया....। वो सोच रहा था कि श्रीकांत का माइंड बिल्कुल क्लियर है कि उसे कब क्या करना है....भले ही हर वक्त वो जोक्स सुनाने में और सबको हँसाता रहता है पर वो अंदर से एक जिम्मेदार बेटा है, उसे भी अपने पापा की हेल्प करनी चाहिए.....काफी देर तक वो जागता रहा। काफी देर बाद वो सोया और सुबह जब उठा तो सब अपने अपने काम पर चले गए थे और सविता कपड़े धो रही थी...।
आदित्य फ्रेश हो कर अपनी कॉफी और सैंडविच बना कर टी वी के सामने बैठ गया। जब से वो मुंबई आया है अपने छोटे मोटे करना सीख गया है......! सैंडविच खाते खाते उसे बहुत दिनो बाद राधा अम्मां की याद आ गयी, उसने झट से राधा अम्मां को फोन किया.....वो बहुत खुश हो गयी। उन्होंने जब बताया, "वो बहुत अच्छे से हैं", तो आदित्य को अच्छा लगा। आदित्य ने फोन रखते हुए कहा, "राधा अम्मां आप का जब मन हो फोन कर दिया करो, आपके फोन में मेरा नं है किसी को भी कह कर फोन मिलवा लिया करो अगर आपको नं ढूंढ कर मिलाने में दिक्कत है"। राधा अम्मां बोली, "नहीं आदि बाबा अब सीख गयी हूँ, मैं सोचूँ कि आप काम में बिजी रहते हो, पर अब मिला लिया करूँगी", कह कर फोन रख दिया। नाश्ता करके हटा तो सविता ताई उसके सामने आकर खडी हो गयी। सविता ताई को यूँ खडे़ देख आदित्य ने पूछा, "क्या हुआ सविता ताई? कुछ कहना है"? सविता अपनी बात कहने में हिचकिचा रही थी, उसे फिर भी चुप देख कर आदित्य बोला, "ताई जब तक बोलोगी नहीं, मैं कैसे समझ पाऊँगा"? "आदित्य भइया, मैं काफी दिनो से सोच रही थी आस्था दीदी और आपसे बात करने की पर आप लोग बिजी रहते हैं तो कहने का मौका नहीं मिला और सबके सामने मैं कहना नहीं चाहती थी"! सविता ने थोड़ी हिम्मत करके कहा तो आदित्य बोला, "तुम बोलो ताई मैं किसी को नहीं कहूँगा"! "भइया, 2 बिल्डिंग छोड़ कर विजय गार्ड है, हमारी बिरादरी का है.....वो यहाँ अपने आई बाबा और एक बहन के साथ रहता है और उनका अपना घर भी है..... वैसे वो उसी बिल्डिंग में गार्ड रूम में रहता है, हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते है.....मैं अपने घर में खुद कैसे बात करूँ क्या आप मेरी तरफ से बात करेंगे", कहते कहते नो शरमा गयी। आदित्य कुछ सोच कर बोला, "हाँ क्यों नहीं हम सब ताई कहते हैं तो बहन जैसी हो.....पर पहले तुम विजय को यहाँ बुलाओ, मैं उससे बात करूँगा, जब सब ठीक लगेगा तो तुम्हारे घर पर भी बात करके शादी भी करवा देंगे पर मुझे भी तसल्ली करने दो".....। आदित्य की बात सुन कर सविता बोली, "मैं उसको बोल देती हूँ, वो अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद आपसे मिलने आ जाएगा"। सविता कह कर फोन करने चली गयी"......! आदित्य मुस्कुराते हुए सोच रहा था,"हर कोई शादी करवा रहा है आदि बेटा, बस तू ही अकेला रह जाएगा"! खुद की ही सोच पर वो हँस दिया। आदित्य बस आराम करने के मूड में था कुछ दिन....सो वो दोबारा अपने कमरे में चला गया और लेट गया....न उसका हमेशा के जैसे टीवी देखने का मन कर रहा था और न ही म्यूजिक सुनने का.......!
क्रमश: