सपने - (भाग-30) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-30)

सपने........(भाग-30)

जब इंसान आराम से सोने के मूड में होता है तो उसे नींद ही नही आती.....ऐसा ही कुछ आदित्य के साथ हो रहा था......! वो तो शाम को नवीन वापिस आया तो दोनो ने साथ खाना खाया......नहीं तो आदित्य कमरे से बाहर ही नहीं आता....! आदित्य के ऑफिस से उसके कलीग का फोन आया था, वो उससे पूछ रहा था, "रिजाइन क्यों कर दिया? इतनी अच्छी जॉब जल्दी नहीं मिलती ! बॉस तो ऐसे ही होते हैं इग्नोर करना चाहिए था वगैरह वगैरह"! आदित्य बोला," यार मैं ऐसी हरकते नहीं सहन कर सकता, ये कहाँ का फेमिनिज्म है कि लडकी की न को न ही समझो का जाता है तो क्या लड़को की न मतलब न नहीं होता? लड़कियों की इज्जत तो इज्जत और हम लड़को की कोई इज्जत नहीं होती क्या? मुझे तो नहीं करवाना था उसके हाथों अपना रेप और रही बात नौकरी की को टेंशन नहीं है मुझे, और मिल जाएगी"। "यार तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो पर यहाँ कानून कहाँ मानता है कि लडको का भी रेप होता है......वो भी लड़की के द्वारा? मन तो मेरा भी करता है कि नौकरी छोड़ दूँ, पर मेरी फैमिली प्रॉब्लम्स और ऊपर से लड़के को तो कमाना ही है का ठप्पा जो लगा है तो कमा रहे हैं"!.....फिर इधर उधर की कुछ मिनट बात कर उसने फोन रख दिया......नवीन तो फिर अपने काम पर चला गया......आदित्य के पास सोचने के लिए बहुत कुछ था......आस्था, सविता ताई और अपना करियर......वैसे तो उसने कभी काम के लिए सीरियसली सोचा नहीं था, पर इस जॉब को उसने बहुत अच्छे से किया था, ये भी सच था.......आस्था के सामने वैसे भी उसकी लड़कियों के बारे में इमेज ज्यादा अच्छी नही है, ऊपर से अब ये बॉस वाला मामला.....पता नहीं आस्था क्या सोचती होगी? इन्ही बातो में उलझा हुआ था कि डोर बेल बजने से उसका ध्यान डोर पर चला गया। सविता ताई ने दरवाजा खोला तो कोई आदमी बाहर खड़ा था, जिसे वो अंदर बुला रही थी। आदित्य ने देखा 30 साल के आस पास का एक स्मार्ट सा लड़का खड़ा था। "आदित्य भइया ये विजय हैं जिनके बारे में बताया था"। उसने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया तो आदित्य ने नमस्ते करके उसे सोफे पर बैठने को कह सविता को कॉफी बनाने के लिए भेज दिया। विजय बिल्कुल आदित्य के सामने बैठ गया.......आदित्य ने देखा वो बहुत कांफिडेंट लग रहा था.....! आदित्य ने धीरे धीरे उसके बारे में बातें करना शुरू किया, पढाई, परिवार और आदतें सब कुछ आदित्य ने पूछ लिया....तब तक कॉफी भी आ गयी। आदित्य ने उसका नं और घर का एड्रैस सब ले लिया और जिस बिल्डिंग में वो काम करता है, वहाँ के सेक्रेट्ररी का नं भी ले लिया । आदित्य ने उससे पूछा कि, "वो अपने घर कब जाता है तो उसने बताया कि वो शनिवार को ड्यूटी के बाद घर चला जाता है और संडे की उसकी छुट्टी होती है तो वो सोमवार को सीधा घर से ड्यूटी पर आ जाता है......शादी के बाद वो सविता को अपने साथ यहीं कमरे पर रखेगा"......! आदित्य ने उससे पूछा, "ऐसा क्यों"? तो उसने बताया कि, "घर छोटा है तो दिक्कत होगी....फिर सविता काम भी नहीं छोड़ना चाहती वो अपनी आई की हेल्प करते रहने चाहती है.....क्योंकि सविता का भाई अपनी आई को ठीक से नहीं रख रहा"। आदित्य को तो विजय बहुत पसंद आया और उसके चेहरे से उसकी ईमानदारी भी दिखाई दे रही थी, पर वो फिर भी जल्दबाजी में कुछ ऐसा नहीं करना चाहता था कि जिससे सविता ताई को परेशानी हो, इसलिए उसने विजय को बोला, "वो अगले संडे का उनके घर आएगा.....टाइम फोन करके बता दूँगा"।विजय के जाने के कुछ देर बाद आस्था और नवीन आ गए.......थोड़ी देर बाद श्रीकांत और राजशेखर भी आ गए.......डिनर करते करते आदित्य ने सबको सविता ताई और विजय के बारे में बताया तो सब सविता ताई को छेड़ने लगे तो वो शरमा कर किचन में चली गयी.......श्रीकांत बोला कि, "वो भी विजय के घर जाएगा क्योंकि आदित्य को मराठी आती नहीं तो श्रीकांत समझ पाएगा"। आदित्य ने सविता को कहा, "जो बातें हम विजय या उसके परिवार के बारे में करेंगे वो सब विजय को मत बताना....तुमने मुझे कहा है तो मैं ढंग से चेक करके ही बात को आगे बढाऊँगा, अगर हम पर यकीन है तो साथ देना"......! सविता बोली, "जी भइया मैं कुछ नहीं बताउँगी....आप सब पर यकीन है तभी पहले आपको बताया"। "वाह सविता ताई, मजा आ जाएगा....श्रीकांत और आपकी शादी में तो खूब सारे गााने गा कर मस्ती करूंगा"....!नवीन ने कहा तो सब एक साथ बोले, "हाँ क्यों नहीं"! "हमारी तो मौजा ही मौजा".....आदित्य ने हँसते हुए कहा। राजशेखर बोला, "हम में से किसी ने नोटिस किया आजकल हमारे नवीन बाबू चहकते रहते हैं, लगता है कि कोई स्पेशल आ गयी है इनकी लाइफ में"! "हाँ यार तभी चेहरा भी कितना खिला खिला सा रहता है".....आगे की लाइन श्रीकांत ने नवीन को गौर से देखते हुए कहा।" क्या यार ऐसा कुछ नहीं है शादी तुम्हारी और सविता ताई की हो रही है और चेहरा मेरा देख रहे हो", नवीन ने बातों का रूख पलटते हुए कहा......पर आस्था कहाँ उसे छोडने वाली थी? "हाँ तुम दोनो ठीक कह रहे हो.....कुछ तो दाल में काला है बाबू मोशाय"! आस्था की डॉयलाग डिलीवरी से सब हँसने लगे........! नवीन बोला, "सब मेरे पीछे मत पड़ो , ऐसा कुछ होगा तो सबसे पहले मैं आप सब को बताऊँगा....अभी तो मैं खुश हूँ क्योंकि मुझे एक मूवी में 2-3 गाना गााने का मौका मिला है......आज ही बात हुई है.....अरूणा जी और नचिकेत की वजह से पॉसिबल हुआ है.....अगर आप चारों मेरी लाइफ में न आते तो पता नहीं मैं क्या करता"? "इतनी अच्छी बात ऐसे बता रहा है? पार्टी कब दे रहा है"? आदित्य ने कहा तो सब "पार्टी चाहिए पार्टी चाहिए जोर जोर से चिल्लाने लगे"! "पार्टी करेंगे एक बार सविता ताई की तरफ से भी खुशखबरी आ जाए तो सब एक साथ सेलिब्रेट करेंगे", नवीन बोला। अगली सुबह आदित्य भी नाश्ता करके विजय की बिल्डिंग की तरफ निकल गया। उसने जो नं दिया था ,उनसे बात करके वो उनसे मिलने चला गया......! आसपास की बिल्डिंग के गार्डस धोबी और ड्राइवरों से जो भी मिला उनसे बात की, जो लोग जानते थे उन सबका कहना था कि काफी अच्छा लड़का है, किसी से कभी ऊँची आवाज में भी बात नहीं करता...सेक्रेट्री ने भी बताया कि, "विजय ने कभी एडवांस नहीं माँगा न कभी ऐसा लगा कि वो शराब वगैरह पीता है और न ही छुट्टी एकस्ट्रा लेता है".......! यहाँ ते सब ठीक लग रहा था आदित्य को बाकी घर के बारे में भी पता चल जाएगा......वहाँ से घूम कर वो वापिस आ गया, उसने सविता को भी कुछ नहीं बताया और तैयार हो कर बाहर चला गया.......! जब से जॉब करने लगा था तब से उसे यूँ हि घूमने का टाइम ही नहीं मिला था और आज उसका अकेले घूमने का मन ही नही कर रहा........उसने आस्था को फोन किया तो उसने बताया कि वो 2 घंटे में फ्री हो जाएगी.....उसने टाइम देखा तो 1 बज रहा था, उसने आस्था को कहा, "वो उसे स्टूडियों के बाहर मिलेगा साथ ही लंच करेंगे"।
आस्था तक पहुँचने में ही उसे तकरीबन 1 घंटा लगने ही वाला था......सो उसने रास्ते से कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक की बॉटल ले ली। स्टूडियों के बाहर पहुँच कर गाड़ी में बैठे बैठे स्नैक्स खाने लगा और साथ ही कोल्ड ड्रिंक पी कर टाइम पास करने लगा....! आस्था का आधे घंटे बाद फोन आया कि," वो फ्री हो गयी है", तो आदित्य बोला," मैं बाहर हूँ आ जाओ"....! आस्था बाहर आयी तो आदित्य को गाड़ी में मजे से चिप्स खाते देख बोली, "मेरे लिए कुछ है या सब खुद खा पी कर हजम कर गए"......! मुझे पहले से हू पता था कि तुम यही बोलने वाली हो, पीछे देखो रखा है या नहीं....आस्था ने जल्दी से एक पैकेट उठाया और खाने लगी......। "चलो यार जल्दी से कुछ खिला दो, बहुत भूख लगी है", आस्था ने कहा तो आदित्य हँस कर बोला, "तुम रोज घर से लंच क्यों नही लाती हो? आज तो मैं आया हूँ, तुम रोज क्या खाती हो"? आस्था बोली, "कभी सैंडविच या समोसे के साथ चाय कॉफी पी लेते हैं"....! "तुम तो हिरोइन हो नाटक की तुम्हे ये सब नहीं खाना चाहिए कुछ हेल्दी खाया करो....तुम रोटी सब्जी या कल से फ्रूटस लाया करो समझी".....! "कह तो तुम ठीक रहे हो, कल से पक्का कुछ ले कर आऊँगी, वैसे आदित्य तुम पहले से ज्यादा समझदार हो गए हो, सविता ताई की शादी के मैटर को अच्छे से हैंडिल कर रहे हो"! आस्था का इतना कहना था कि आदित्य का चेहरा खिल उठा और ऐसा लगा कि उसके गाल और कान बिल्कुल लाल हो गए है, शायद आस्था से अपनी तारीफ सुन उसके दिल में उम्मीद की मात्रा बढ़ गयी थी, हो न हो इसी बात का असर था......! आस्था उसे देख कर हँस दी," ओ गॉड आदित्य तुम कितना ब्लश कर रहे हो! लगता है पहली बार किसी से अपनी
तारीफ सुन रहे हो"! हाँ यार ये तो ठीक कहा पर मैं शरमा नहीं रहा, मेरा कांप्लेक्शन ही ऐसा है"! आस्था मुस्कुरा दी......वो कुछ कहती पर तब तक गाड़ी एक रेस्तरां के सामने रूक गयी.....दोनो उतरे और लंच करने के लिए अंदर जा कर एक टेबल पर बैठ गए........दोनो अपनी दिल्ली की यादों को ताजा कर रहे थे.....खाने का आर्डर दे कर वो लोग बातों में बिजी हो गए.....खाना भी 10-15 मिनट में आ गया तो बातें बंद कर खाना खाते हुए खाने की ही बातें शुरू हो गयी, ऐसा अक्सर होता है न कि हम एक रेस्तरां में बैठ कर खाना खाते हुए दूसरे रेस्तरां और होटल्स के खाने की बातें करने लगते हैं.....ऐसा ही कुछ आदित्य और आस्था याद कर रहे थे, दिल्ली के होटलो और ढाबों की बातें करने लगे ......तो खाना खत्म हो गया पर बातें पूरे रास्ते चलती रहीं.......!
क्रमश: