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द नेक्स्ट 365 डेज फ़िल्म समीक्षा

मई के महीने में इस फ़िल्म के मेकर्स ने जो कारनामा किया था। और उसका जहाँ अंत हुआ था। ये तो पता था। कि कारनामे का अगला पार्ट आएगा। पर इतनी जल्दी ये हद हैं। पर ये हद हैं, लेकिन कोई अचम्भितकरने वाली बात नहीं हैं। क्योंकि फ़िल्म में जो दिखाया जाता हैं। उसके लिए ये दो महीने भी ज्यादा हैं। बल्कि अगर डायरेक्टर चाहे तो इसके सारे पार्ट एक साथ भी रिलीज कर सकता हैं।

इस कारनामे की कहानी वहीं से शुरू होती हैं। जहां से दूसरे पार्ट की खत्म हुई हैं। लेकिन ट्विस्ट के साथ जो अगले दो मिनट में खुल भी जाता हैं। और वहीं पर दर्शक समझ जाता हैं। फ़िल्म खत्म, अब बस आगे एक घण्टा पचास मिनट पोर्न देखनी हैं। लेकिन इस बार पोर्न लगातार नहीं चलती हैं। जैसे पिछली वाली में चली थी। लेकिन इस बार पहले से ज्यादा पोर्न दिखाई हैं। शायद लगातार पोर्न ना दिखाकर डायरेक्टर दर्शकों को आराम देना चाहता हो।

कहानी; हीरोइन को गोली लगी थी। तो डॉक्टर ने उसे बैड रेस्ट बता दिया। लेकिन हीरोइन को सेक्स करना हैं। और वो हीरो से दरख्वास्त करती हैं। करों। लेकिन वो नहीं करता। फिर हीरोइन खुद ही कुछ प्लानिंग करके हीरो को सेक्स के लिए तैयार कर देती हैं। अब जब वो 40 मिनट की फ़िल्म के अंदर 3 बार सेक्स कर चुके होते हैं। तो हीरोइन को याद आती हैं। उस लड़के की जिसके साथ उसने पिछली फिल्म में सपने में सेक्स किया था। मुझे तो उस लड़के से प्यार हो गया हैं। और वो हीरो को छोड़कर उस लड़के के पास चली जाती हैं। और उसके साथ अबकी बार बहुत खुश होकर रियल में सेक्स करती हैं। जिसके बदले में वो लड़का कहता हैं। "कि मैं तुम्हें हमेशा ऐसे ही सेक्स करते हुए खुश देखना चाहता हूँ।" इसके बाद वह वापस आकर हीरो से तलाक मांगती हैं। लेकिन हीरो मना कर देता हैं। अब हीरोइन अपने माँ-बाप के पास जाती हैं। कि उसे किसके साथ रहना चाहिए। लंच टेबल पर उसकी माँ उसे ज्ञान देती हैं। कि "खुदगर्ज़ बन, अपने पति की खुशी के लिए नहीं, अपने लिए जी" और हीरोइन की खूशी पूरी फिल्म में एक ही हैं। ज्यादा से ज्यादा सेक्स, और वो उसे फ़िलहाल नया लड़का दे रहा हैं। तो बस वो सोच लेती हैं। कि हीरो को छोड़ना हैं। अब फ़िल्म के अंत में हीरो का एक मोनोलॉग होता हैं। और फ़िल्म खत्म हो जाती हैं। आखिर अगला पार्ट भी तो बनाना हैं।

संवाद; संवाद ऐसे ही हैं। जैसे पिछली वाली में थे। कि "मेरे साथ सेक्स करों"

मुझे वाइन चाहिए

पैंटी नहीं पैनी

मुझे किस करों

ऐसे ही बकवास टाइप के हैं।

डायरेक्टर; हवश की अभिव्यक्ति, अगर फ़िल्म बनाते वक्त दिमाग में हो तो कैसी होती हैं। बस इसी का नतीजा हैं। डायरेक्शन, पूरे दिन डायरेक्टर बस ये सोचता होगा सेक्स सीन कहाँ और कैसे डाला जाए। इस फ़िल्म का कारण भी सेक्स हैं। और प्रभाव भी

हीरोइन के सहेली के सीन फ़िल्म में कॉमेडी के लिए हैं। जिन्हें देखकर दर्शकों का दीवार में सर मारने का मन करता हैं। पर हो सकता हैं। कि डायरेक्टर इन्हें देखकर हँस- हँसकर पागल हो रहा हो

एक्टिंग; मैं ये बात सोचता हूँ। कि जब हीरो-हीरोइन सेट पर घर से कपड़े पहनकर एक्टिंग करने जाते होंगे। तो डायरेक्टर इनसे क्या कहता होगा। अरे तुम कपड़े पहनकर आएं। इनकी जरूरत नहीं हैं।

फिर वो पूछते होंगे अच्छा न्यूड सीन हैं। ठीक हैं। तो एक्सप्रेशन वगैरह कैसे होंगे।

अरे यार आप लोगों ने जो पोर्न देखी हैं। बस उन्हीं सीनों को दिमाग में दोहराओ औऱ जैसे भी हो सेक्स करों।

अब हीरोइन केवल पूछती हैं। सर फिर भी कुछ और भी सीन हैं। अलग तरह के जिनमें सेक्स ना हो

हां-हां एक चीज़ और हैं। तुम्हें जब भी कैमरे पर आना हैं। बदन पर कम से कम कपड़े, सेक्स करने वाली लार टपकाना, फ़िल्म में जितने भी मर्द हैं। उन्हें खुद से सेक्स करने के लिए तैयार करना हैं। मोटा-मोटा ये हैं। कि तुम्हें बस सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह पेश आना हैं।

इस बात पर हीरो पूछता हैं। सर जब ये तो ये काम करेगी तब मुझे क्या करना हैं।

ओ- हो इतनी चिंता, उस वक़्त तुम्हें किसी और के साथ सेक्स करना हैं। या हीरोइन को देखकर सेक्स करने के लिए तैयार होना हैं।

थोड़ी देर का टेक लेकर अब डायरेक्टर कहता हैं। तुम लोग सेक्स करना चालूं। मैं कैमरा खोलकर अपने आप शूट कर लूँगा।

पोर्नोग्राफी; जिस फ़िल्म में थ्रीसम दिखाया हो, ये कहकर की ये सिनेमेटिक लिबर्टी हैं। तो सोचो उसका लेवल क्या होगा। इस पूरी फ़िल्म सीरीज के सेक्स सीन में बस लड़का-लड़की के आगे के हिस्से पर अभी डायरेक्ट कैमरा नहीं लगाया हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं हैं। कि दिखाया नहीं हैं। चलो ये बात ठीक हैं। कि इरोटिक फ़िल्म हैं। हीरो-हीरोइन के इस तरह के दृश्य दिखा दिए। लेकिन फ़िल्म में बाकी लोग भी केवल सेक्स कर रहे हैं। जैसे हीरोइन की एक सहेली हैं। उसका काम भी ये ही हैं। या हीरो के बॉडीगार्ड वो भी पब में सेक्स कर रहे हैं। फ्लोर में नाचती नंगी लड़कियां हो या समुद्र बीच पर नहाती सब कुछ खुला हुआ हैं। दरअसल ये एक फुल पोर्नोग्राफी अगर नहीं हैं। तो एक हार्ड पोर्नोग्राफी हैं। क्योंकि सॉफ्ट पोर्नोग्राफी जैसा तो इसमें कुछ हैं। ही नहीं, क्योंकि जो सेक्स सीन हैं। वो एक हिंसा से भरे सेक्स सीन हैं। कुछ लोग कहेंगे ये BDSM टाइप के हैं। लेकिन नहीं, ये रेप सीन हैं। जो लड़की की इच्छा से हो रहे हैं।


अंतिम बात ये हैं। कि नेटफ्लिक्स कई तरह की फ़िल्म बनाता हैं। लेकिन इस तरह की फ़िल्म बनाने में उसे एक मानसिक सुख की प्राप्ति होती हैं। नेटफ्लिक्स की जो फ़िल्म सेलेक्ट करने वाली टीम हैं। वो क्या सोचकर फ़िल्म सेलेक्ट करती हैं। इस बात को कोई भी नहीं जानता हैं। पर अगर उसका इरादा हर देश के सिनेमा को नेटफ्लिक्स पर लाना हैं। तो ये तो देखे कि लाना क्या हैं। अब ये पोलैंड की फ़िल्म हैं। जिसके केंद्र में इटली हैं। तो दर्शक तो ये सोचेंगे कि पोलैंड देश में इस तरह की फिल्में ज्यादा देखी जाती हैं। क्योंकि नेटफ्लिक्स पर ये पोलैंड की बहुत चलने वाली फिल्म हैं। पर दरअसल ये फ़िल्म सेलेक्ट करने वाले बंद कमरों में बैठे लोग हैं। इन्हें जब तक कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक इनकी सैलरी आ रही हैं। जिस दिन नेटफ्लिक्स इन्हें बाहर निकालने की चेतावनी देगा उस दिन ये पक्का कुछ अच्छा सेलेक्ट करेंगे।


क्योंकि अगर लोगों को पोर्न ही देखनी हैं। तो उसे लोग इंटरनेट पर फ्री में भी देख लेंगे। नेटफ्लिक्स का प्लान लेने की जरूरत नहीं हैं। जिस से इनकी सैलरी बनती हैं।


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