शेष जीवन (कहानियां पार्ट16) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट16)

रमेश ने जब भी चाहा उमा ने समर्पण कर दिया था।लेकिन रमेश की शादी का पता चलने पर एक दिन रमेश ने उमा के शरीर को पाना चाहा तो उमा ने समर्पण करने से साफ मना कर दिया।उमा के मना करने पर वह नाराज होकर चला गया था।
पहले अगर रमेश नाराज हो जाता तो उमा उसे मनाती थी।पहले वह समर्पण से कभी इनकार भी नही करती थी।पर आज इनकार की वजह थी।
उमा जान चुकी थी कि रमेश अब किसी और का हो चुका है।रमेश ने वादा किया था कि वह सीमा को तलाक दे देगा।लेकिन तलाक लेना आसान नहीं था।
रमेश,उमा से वादा कर चुका था कि सीमा को तलाक दे देगा.।पर ऐसा नही हुआ तो?और इस प्रश्न ने उमा को सोचने के लिए मजबूर कर दिया था।
पहले उसे विश्वास था कि रमेश उसका है इसलिए वह समर्पण करती थी।लेकिन अब रमेश किसी और का हो चुका था।पहले उसे समर्पण प्यार लगता था।अब वासना लगने लगा।
शादी के बाद भी रमेश के व्यवहार में अंतर नही आया था।वह उमा से पहले जैसा ही व्यवहार करता था।पर उमा को लगने लगा था कि वह अब उससे दूर हो गया है।
जब उमा को रमेश की शादी का पता चला तब रमेश ने वादा किया था कि वह सीमा को जल्दी ही तलाक दे देगा।लेकिन उसे यह इतना आसान नही लगता था।रमेश की शादी हो जाने के बाद वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो गयी।वह गम्भीरता से अपने भविष्य के बारे में सोचने लगी।
एक दिन उमा को अपने पिता का लिफाफा मिला।उसमे पत्र के साथ एक फोटो भी था।उसी समय रमेश आ गया था।
"किसका पत्र है?"रमेश ने पूछा था।
"मेरे बापूजी का।"उमा पत्र को पढ़ते हुए बोली।
"तुम्हारे बापूजी ने पत्र में क्या लिखा है?"
"बापूजी ने मेरे लिए एक लड़का देखा है।लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।उसे अमेरिका में नौकरी मिल गयी है।उसकी माँ चाहती है वह शादी करके बहु को साथ लेकर अमेरिका जाए।लड़के को मेरी फोटो भी पसन्द आ गयी है।"
"तुम्हारा क्या विचार है?"
"बापूजी का प्रस्ताव स्वीकार कर लेना ही मेरे हित मे है"
"तो तुम उससे शादी कर लोगों।तुम जानती हो मै तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ।"
"तुम्हारे चाहने का अब कोई मतलब नही है।तुम मुझे चाहते थे।पर अब तुम्हारी शादी हो चुकी है।""
"उमा मेरी शादी कैसे हुई मै सब कुछ तुम्हे बता चुका हूँ।मैं सीमा को तलाक देने का वादा भी तुमसे कर चुका हूँ।अगर मेरी बात पर विश्वास नही तो मैं तलाक से पहले तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ"।
"लेकिन अब मैं ऐसा करना नही चाहती।"
"क्यो?क्या तुम मुझे नही चाहती?क्या तुम्हारा प्यार झूठा है?"रमेश ने एक साथ कई प्रश्न कर डाले थे।
"अगर मेरा प्यार झूठा होता तो मै भी तुम्हारी तरह किसी मर्द से शादी कर लेती,"उमा दृढ़ता से बोली,"सीमा के रहते तुमसे शादी करूंगी तो सौतन का दर्जा मिलेगौ और बिना शादी किये रहूंगी तो रखेल कही जाऊंगी।न मैं सौतन बनना चाहती हूँ और न ही रखेल।"
"फिर मैं क्या करूँ?
"मेरी भलाई इसी में है कि बापूजी का प्रस्ताव स्वीकार कर लूं।तुम्हारा हित इसमें है कि मुझे भूलकर सीमा को अपना लो।"
"यह तुम्हारा अंतिम निर्णय है।"
"निर्णय नही।सच यही है।"