दुधिया सब संसार JUGAL KISHORE SHARMA द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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दुधिया सब संसार

दुधिया सब संसार

भरी दुपहरी मई की तपिष में व्यापारी खिलोने टोपिया के गठर में बांधे पीठ लादा गली मुहल्ले में घूम घूम बेचना चाह रहा था । आदमी तो है थक हार कर बड़ें से बरगद को देख कर सुस्ताने की चाह हुई । एक और गठरा रखा और जुते सिरहाने डाल लेट सा गया, थका हारा पसीने से तरबतर कब नींद की आगोष में समाया पता ही नहीं चला । खैर जम्माई अर्द्धनिद्राधारण गाफिल सा उठा और गठर को सहीसाट सा करने लगा परन्तु खिलोने टापिया आधे से कम और बचा बिखरा,उलटपुलट भर पड़ा! यह सोचने और अचंभिंत की इस खोड़ में कोई और तो नहीं पर .....सामान छेड़ा तो छेड़ा किसने इधर उधर उपर निचे नजर दोडा़ई खड़ा होकर देखा तो टोपिया बन्दर के माथे पर सजी धजी है खूब उछल कूद मंची है । हैरान परेषान आवाजे भी लगाई हुर्रे हुर्रे पर क्या मजाल की टस से मस हो जाये। पर जीव हाथपैर समेटने से रहा खूब मिन्नते की खूब हाथ पैर पटके पर बन्दर जो ठहरे क्यो माने। उधर से बिल्ली अपने दो बच्चों के साथ निकली ब्यापारी ने अपनी बिचारगी बताई-जताई बिल्ली बोली दूध-मक्खन-मलाई की व्यवस्था है तो बोल न तो जाने भी। परन्तु व्यापारी ने अपनी सामर्थ्य से परे बताया तो ठुमकती हुई बिल्ली तो बिल्ली अलमस्त होकर निकल ली । कुत्तो का झुण्ड निकला उसके सामने नाक रंगड़ी मिन्नते करी, पर कुत्ते तो कुत्ते एक न सुनी पर शर्त रख दी, दुध और ब्रेड का नास्ता करवाये तो चिल्ला पो कर पूरा सामान इन बन्दरों सः बरामद करवा देगें, ओर प्रति दिन जब भी तू व्यापार को जावेगा तो हम सबों को इच्छानुसार खाना डालेगा दूध पिलायेगा । व्यापारी ने कहा आज की व्यवस्था में हाजिर हॅू पर इतना बड़ा भी व्यापार नहीं की हम सब का रोज पेट पल जावे । मै आज के लिए अपने वचनों पर कायम पर कल का झूठा आष्वासन पर में नहीं दे सकता हूॅं । कुत्तो ने झुण्ड में थोड़ी देर हो हल्ला चिल्लापो लम्बी लम्बी आवाजे दे पर उपर डाल पर बैठा बन्दरों को कोइ असर नहीं । कोऔं जो डाल पर बैठे उनके आगे भी मिन्नते की, पर मजाल की कोई बिना मतलब के हैल्प कर दे । थक हार मायूस सा ईष्वर को याद करने लगा तभी एक सज्जन अपने पोते के साथ गुजरा, पोता कोई चार-पॉच बरस का होगा तुरन्त बिखरे खिलोने और टोपी के लिये मचला, जिद कर मांगने लगा । सज्जन ने व्यापारी से पूछा की यार तुने दुकान ऐसे केसे बिखेर रखी है, समझदार बन्दा है माल तो ढंग से रख, आपसी वार्तालाप में व्यापारी ने सारा माजरा विस्तृत किया । पहले पहल सज्जन-जन बोला तु तेरी टोपी चदर पर फेंक दे और में भी अपनी उसमें डाल देता हूॅं, पोता तो जिद कर रोने लगा कि मुझे तो चाहिए, सज्जन ने कुछ देर रूकने को कहॉं, व्यापारी एंव सज्जन कुछ हट कर खड़ें हो गये ।बन्दरों ने एक एक करके सभी टोपीयॉं खिलाने चदर पर डाल दिये सज्जन ने उसे कहॉं गठरा बना ले और निकल ले आईन्दा ध्यान भी रखना सबक है, काम नहीं पड़ें सबसे अच्छा और पड़े ंतो सजगता से बचना । खैर सज्जन ने अपनी टोपी ली और बच्चे के लिए पॉंच रूपये में खिलोने पर दो टोपिया ले घर को आये । व्यापारी अपने रास्ते ।
सबक है आपस में ही प्यार से रहो कुत्ते बिल्लों और बन्दरों को उनके अपने वास में ही रखें