इंडियन कपल - 5 PARIKH MAULIK द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इंडियन कपल - 5

Volume 5


अपने आगे का भाग पढ़ा ही होगा। हमने देखा की सूरज सुनिता के बारेमे बताता है ये सुनकर जेनी सुन्न पड़ जाती है। खुद को अपनी बेटी होने के बारेमे पूछती है अब आगे।

जेनी एक दम से रोने लगती है, कहती है कि अंजाने मे मेंने आपको बहुत परेशान किया, आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है। मुजे माफ करना और गले लगकर रोने लगती है, सूरज उसे चुप कराता है, बस करो, जो हो गया वो गया, अब बदलने वाला थोड़ी है। तभी शाम हो गई थी। जेनी उदास हो गई होती है और अपने घर की ओर जाते हुए कहती है, कि उस बार तुम नहीं आए थे, मगर इस बार मेरे घर जरूर आना।

जेनी घर जाकर वापस सुनीता से अपने दोस्त के बारेमे बात करने लगती है और बातों ही बातों में बोल देती है, कि मे डेनिम की बेटी नहीं हू। ये सुन कर सुनीता भड़क जाती है कि तुम्हें एसा किसने कहा? तुम डेनिम की ही बेटी हो। दोनों बहस करने लगते हैं और तभी जेनी पूछती है, तो फिर सूरज कोन है? ये सुनकर सुनीता एक पल के लिए पूरी सुन्न हो जाती है, मानो एक पल में पूरी जिंदगी अपनी नजरों के सामने से निकल गई हो और रोने लगती है बताती है कि सूरज मेरा पहला पति था। यह कह कर वह अपने कमरे में खुद को बंद कर देती है

दूसरे दिन दोनों मे बात होने पर सुनीता जेनी को सब बताती है , क्या हुआ था और मुजे उनको क्यू छोड़ना प़डा? वह मेरी जिंदगी की बहुत बड़ी गलती थी, तबसे नाही मे उनसे मिली, नाहीं बात की और नाहीं कभी मिलने की कोशिश की।।

सुनीत बताती है कि जब हम इन्डिया से यहां आए तब यहा का माहोल कुछ अलग था। और मे एक महीने पेट से थी जब मुजे उनकी जरूरत थी लेकिन वो तो बस बेकरी को सम्भाल ने मे लगे हुए थे। उन दिनों पूरा दिन बेकरी मे थक कर आने के बाद बस सो जाया करते थे। तब मे अपना मन बहलाने के लिए बेकरी जाया करती थी। एक दिन डेनिम वह कुछ सामान लेने के लिए बेकरी आया हुआ था, उसकी नजर मुझ पर पड़ी वह थोड़ी देर मुझे देखा और फिर मुड़ कर सामान खरीद ने लगा, तब मुझे इंग्लिश आती नही थी और उसे हिंदी नही आती थी। सामान लेने के बाद वह मेरे सामने वाली बेंच पर बैठा और सैंडविच खाने लगा मैने उस पर ध्यान नहीं दिया। फिर में जब भी आती थी, वह आया करता था। तब उससे पहचान हुई, उसने मुझे समय देना शुरू किया तो में उसकी ओर खींची चली, डेनिम फिर दिन के समय पर घर आने जाने लगा, तब तक तो सूरज को कुछ नही पता था। मगर एक दिन पड़ोसी सूरज की बेकरी पर गई हुई थी। उसने सूरज को बताया कि रोज तुम्हारे जाने के बाद एक आदमी आपके घर पर आता है। उसने यकीन नही किया और बात को टाल दिया उस दिन सूरज ने मुझे आकर पूछा की मेरे जाने के बाद घर पर कोन आता है पर मेने उस पर ध्यान ना देकर सो गई उसे पता चल चुका है, ये सोच कर मेने उससे मिलने का बंद कर दिया, मगर में डेनिम को भूल ही नही पति थी । मेने डेनिम से वापस मिलना शुरू किया अब जब उनको पता नहीं था तब तक तो ठीक था।

पर जब पता चला तो हम दोनों मे दूरी बढ़ने लगी अब उनको मुझसे बात करना भी पसंद नहीं आता था, फिर एक दिन हम दोनों की लड़ाई हुई तब मेंने उनपर बे वज़ह गुस्सा किया वो शांत रहे, ये सोच कर की यहा मेरे अलावा उसका कोन है, पर मे समज ही नहीं पाई, उनको लगा कि गुस्सा शांत होने पर समज जाऊँगी, मगर उस रात मेने शादी तोड़ ने की बात की, उन्होंने मुजे काफी समझा ने की कोशिश की पर मेंने एक नहीं सुनी, तब उन्होंने मुजे एक ही शब्द मे इतना कहा, यहा तुम्हारा कोई नहीं है और मेरा भी कोई नहीं है। तुम्हे एक दिन पछताना पड़ेगा और मे डेनिम के साथ चली आई ।

जब में डेनिम के पास आई तब मेरे दो महीने पूरे हो चुके थे। तब डेनिम ने उस बच्चे को गिराने की बात की मेने माना किया, मगर वो नही माना और मुझे परेशान कर ने लगा, मेने बहुत मिन्नते करने के बावजूद उसने मेरी एक नही सुनी और तब में बिल्कुल अकेली पड़ गई। अब वापस भी नही जा सकती थी, मेने जो सूरज के साथ किया था। उससे में बहुत शर्मिंदा थी। ना चाहते हुवे भी मुझे बच्चा गिराना पड़ा, और तब से में डेनिम की कटपुतली बन कर रह गई। कुछ सालो बाद में फिर से पेट से हुई और तुमने जन्म लिया। अब बताओ की तुम सूरज की बेटी हो या फिर डेनिम की? तुम्हारे तो गुण भी सूरज से नही मिलते। वो खरा सोना था मगर में पहचान नहीं पाई।


ये सब सुन कर जेनी एक दम चुप हो कर बैठ गई कुछ दिनों बाद सूरज से मिलने गई तब सूरज को ये सब सच्चाई बताई , में कोन हु और सुनीता ने तुमको छोड़ा फिर उसके साथ क्या हुआ था। ये सब सुन कर सूरज को सुनिता के लिए जो गुस्सा था वह खत्म होने लगता है। उसे सुनिता की फिक्र होने लगती हैं, मन ही मन खुद को कोस ने लगता है कि मेने उसे उस वक्त समय नहीं दिया जब उसे मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी। थोड़ी देर बाद जेनी अपने घर की और चली जाती है।


एक दिन इंडिया से कॉल आता है , तुम्हारी माता अब नही रही। ये सुन कर सूरज पूरी तरह टूटजाता है। जेसे ही उसे पता चलता है, वह बेकरी को जेनी के हवाले कर के उसे सारी बात बताता हैं। और इंडिया के लिए जाने की तैयारी में लग जाता है।

इतने सालो तक सूरज इंडिया ना जाने की वजह से वहा उसके पिता भी परेशान थे।

इस दौरान जेनी ये सब सुनीता को बताती है । सुनीता ये सुनकर खुद को रोक नहीं पाती और वह भी इंडिया की ओर जाने की तैयारी में लग जाती है

अब आते है सूरज की ओर वह इंडिया की ओर निकल ने के लिए एरपोर्ट पहुंचा वहां वहा हवाई जहाज समय संख्या के अनुसार उपतस्थित था। वह जाकर अपनी सीट पर बैठा मगर उसे इस बात का अंदाजा नहीं था। अचानक वह सुनीता की आवाज सुनता है। वे मनने सोचता है कि शायद भ्रम हुआ होगा ,ये सोच कर वह वापस अपने काम में लग जाता हे। कुछ देर बाद वापस उसे सुनीता की आवाज सुनाई देती है अब उसे यकीन हो गया था की आगे सुनीता ही है। उसके सीट से आगे तीसरी सीट पर सुनीता बैठी हुई थी। ये सोच कर वह मन ही मन खुश होता है, मगर उससे बात कर नही सकता था। क्युकी उसे लगता था की वह उसे छोड़ कर जा चुकी है अब उसके दिल में कोई जगह नहीं है। वैसे भी इतने साल हो चुके है, वह उसे पहेचनेगी की नही? ये भी पता नहीं। अब आगे बैठी सुनिता को पता था कि सूरज पीछे बैठा है।।

अब देखते हैं की क्या होगा आगे क्या दोनों एक दूसरे से बात करेंगे? और अगर हां। तो कैसे? गांव में पहचेंगे तो क्या होगा? लोग नही जानते की वे अलग अलग रह रहे हैं।
देखते है आगे थोड़ा सब्र करो