इंडियन कपल - 4 PARIKH MAULIK द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

इंडियन कपल - 4


Volume 4


अब आगे के भाग मे हमने देखा कि खुशी गलत अनुमान लगती है तो सुरज उसे क्या बताता है चलिए देखते हैं



उसने कहा की तुम दुकानदार की शॉप को अपना बना कर रहने लगे हे ना? की तुरंत उसने कहा कि नही ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ था। तो सुनो तब ही वहा पुलिस आ कर हमको बताती है, कि आपका वक़्त खत्म हो गया है अब आपको इन्डिया वापस जाना चाहिए ये सुनकर मेंने उनको बताया कि हमारे पास पेसे नहीं है, तो आप हमे थोड़ा समय दो। अब ये सब सुनकर दुकानदार भी कुछ नहीं कर सकता था और मेंने उनसे कहा कि मे इन्डिया जाकर तुम्हारे पैसे तुम्हारे खाते में जमा कर दूँगा तब दुकानदार मान तो गया मगर मुजे ये बात भी बताई कि केसे तुम्हारे आने की वज़ह से मेरी शॉप खील गई है और अब तुम्हारे जाने पर मेरा बहुत नुकसान हो सकता है ये बात सुनकर मेंने अपनी लाचारी बताई और हम दोनों इन्डिया की ओर निकल गए।

हम ने इन्डिया पहुच कर राहत की साँस ली। और कहते हैं दुनिया का आखिरी कोना घर ही होता है। इंडिया पहुंच कर में अपने पिताजी की बेकरी को संवारने मे लग गया। एसे ही कुछ वक़्त गुज़रा मगर अचानक एकदिन एक डाकिया घर पर आया उसने कहा कि अमेरिका से चिट्ठी आई है, ये बात मुजे मेरे पिताजी ने कोल करके बताई मे ये सुनकर थोड़ी देर दंग रह गया और सोचने लगा कि क्या हुआ होगा? किसकी चिट्ठी होगी? क्यों भेजी होगी? कही पुलिस ने कोई नोटिस तो नही भेजा होगा? ये सारे प्रश्न मेरे दिमाग से जाही नहीं रहे थे। शाम को घर जा कर चिट्ठी पढ़ी उसमे लिखा था,
मेरे मित्र अब तक तो सम्भाला है दुकान को, अब नहीं सम्भाला जाता, चाहता हू की आओगे तुम. ये सोच कर वीजा भेजा है लि. तुम्हारा मित्र


ये पढ़ कर मुजे परवाह हुई उनकी! क्यों कि जब कोई नहीं था तब वे ईश्वर का रूप बनकर उभर गए थे मेरे लिए। मेने कुछ सोचे बगैर, मन ही मन जाने का फैसला ले लिया। मेंने घर पर सब को बताया कि मुजे जाना चाहिए। उनको मेरी जरूरत है, जब मुजे जरूरत थी तब उन्होंने ही मेरी मदद की थी , आज उन्हें मेरी जरूरत नहीं, तो मुजे वहा जाना होगा और ये बात हो ही रही थी कि पिताजी ने कहा कि तुम अकेले जा रहे हो उससे अच्छा अपनी पत्नी को भी साथ लेकर जाओ तुम दोनों वहा साथ रहोगे तो अच्छा रहेगा। वैसे भी वो पेट से है अभी इतना वक्त नही हुआ, अभी वो सफर कर सकता है। अब मेरा वीजा तो भेजा था तो उसका वीजा निकलवा कर,हम दोनो निकल पड़े और मे यहा आ पहुचा अपनी पत्नी के साथ, अब यहा आ तो गया था मगर यहा के हालात को देखते हुए लगा कि थोड़ा समय सहन करना पड़ेगा। और मेरी पत्नी भी पेट से थी, तकरीबन उसका तीसरा महीना शुरू होने वाला था। उसने ये सहन किया कि नहीं ये तो पता नहीं पर हमारा एक दुसरे से दूर होना शुरू हो गया। दिनभर मे बेकरी मे काम कर्ता और रात को थका हुआ सो जाता, नहीं कुछ बात हो पाती, इनदिनों मे हम दोनों एक दूसरे से अंजान बन कर रहने लगे और उसने मुझसे अलग होने का फेसला लिया। उसके बाद वह घर छोडकर चली गई

आज तक वापस नहीं आई और तब मे बिल्कुल अकेला हो गया था। पर कर्ता भी तो क्या अब उसके साथ आया था, तो वापस भी नहीं जा सकता था, फिर बहुत परिश्रम के बाद ये बेकरी की शॉप लगाई अब दुकानदार भी बूढे हो चुके थे तो वह अपनी शॉप मेरे भरोसे छोडकर चल बसे।


ये सब बात चल रही थी कि जेनी को उसकी माँ का कॉल आया , कि तुम अभी तक कहा हो? घर पर इंतजार कर रहे हैं तुम्हारे पिताजी। वह जाने लगी, बस निकल रही थी कि जाते जाते उसने अपनी माँ को मिलवाने का वादा किया और वहा से चली गई और फिर सूरज फिर से अकेला हो गया

ऐसे ही समय चल रहा था कि एक दिन जेनी का कॉल आता है, वह कहती हैं कि तुम मेरे घर आओ, मे तुम्हें मेरी माँ से मिलाना चाहती हू और कॉल खत्म हो गया। फिर सूरज वहा पहुचा और जेनी को कॉल किया तब तक सूरज उनके घर के दरवाज़े के पास पहुच चुका था। उसे आवाज़ सुनकर मालूम होता है कि सुनीता और जेनी एक दूसरे से बात कर रहे हैं, जेनी अपनी माँ से बहुत खुश हो कर कहती हैं, कि मे आपको किसीसे मिलाती हू, उसकी माँ ये सोच कर परेशान हो जाती है। कि कोन होगा? कहां से आया होगा?

इतने साल बाद जब सूरज सुनीता की आवाज सुनता है, तो कुछ भी बोले बग़ैर बस सुनता रहता है, थोड़ी देर के लिए सुन्न हो कर सुन कर वहा से निकल जाता है। तब दूसरे दिन जेनी वापस उसके घर जाती हैं, पूछती है कि तुम कल मेरे घर पे क्यों नहीं आए थे? मेंने तुम्हारा बहुत इंतजार किया पर फिर पता चला कि तुम आए तो थे, मगर बाहिर से ही वापस लौट गए थे, एसा क्यू? तब सूरज कहता है कि मेंने तुम्हें और तुम्हारी माता को बात करते सुना तो लगा कि आप दोनों अकेले हो इसी लिए। फिर दोनों बाते करने लगते है, जेनी कहती है की तुम मुझसे शादी करो, ये सुनकर सूरज अचंभित हो जाता है, और बोल पड़ता है ये नहीं हो सकता। जेनी ने प्रश्न किया, क्यों? तब वे बोल उठा की तुम मेरी बेटी हो। ये सुनकर जेनी को झटका तो लगाना ही था। अब एसी बात सुनकर जेनी को शंका होती है। तो वे सूरज को पूछती है कि तुम्हारी पत्नी का नाम क्या है?



वापस वहीं प्रश्न पूछे जाने पर सूरज थोड़ा परेशान हो कर बताता है, कि और कोई नहीं तुम्हारी माता सुनीता है।

ये सुन कर जेनी एक दम स्तब्ध रह जाती है और बोलती है, केसे? ये नहीं हो सकता? कुछ देर जेनी बिलकुल चुप हो जाती है l और पूछती है तो फिर आपने बताय उसके अनुसार मे आपकी ही बेटी हू? ये सुनकर सूरज हाँ मे सिर हिलाता है
अब ही रुकते हैं और थोड़ा इंतजार करते हैं ठीक है