Secret Admirer - 60 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 60

कुछ दिन और बीत गए पर अमायरा के लिए मुश्किल भरे थे। वोह अभी भी उस बात को हज़म नहीं कर पा रही थी जो उसे उसकी मॉम से सुनने को मिला था। वोह यह बात एक्सेप्ट नही कर पा रही थी की उसकी मॉम ने कितनी आसानी से उसका हक किसी और को दे दिया था, ताकि इशिता को कभी बुरा ना लगे। वैसे आज से पहले उसे इशिता के लिए अपने मन में कोई खटास महसूस नही हुई थी लेकिन आज उसे देख कर उसे गुस्सा आने लगा था। इशिता तो थी ही अमायरा की नजर में गुनहगार, उसी की वजह से अमायरा की मॉम अमायरा से दूर हो गई थी। और अब अमायरा अपना गुस्सा काबू में नही रख पा रही थी। कबीर उसकी मनोस्तिथि समझ गया था और उसे समझाने की कोशिश भी करता रहता था। पर अमायरा के दिमाग के पास अचानक खुद का दिमाग आ गया था और वोह अब अपनी मन की करने लगा था। उसके दिमाग ने वोह सब बातें भूलने और अपनी मॉम को और इशिता को माफ करने से इंकार कर दिया था, उसके लिए जो उसने दस साल सहे थे। उसकी मॉम से उसको बात किए हुए तीन दिन गुजर चुके थे।

अमायरा डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ रही थी। उसने देखा घर की सभी लेडीज़ डाइनिंग एरिया में मौजूद हैं। उसने एक नज़र अपनी मॉम को देखा फिर अपनी नज़र फेर ली। और फिर सबके नजदीक आ कर सभी को एक साथ ही विश किया 'गुड मॉर्निंग'। इशिता सभी को ब्रेकफास्ट सर्व कर रही थी। उसने अमायरा की तरफ देख कर स्माइल कर दिया।

"गुड मॉर्निंग, बेटा। कबीर कहां है?" सुमित्रा जी ने पूछा।

"वोह अभी आ रहें हैं। डैड, जीजू और साहिल के साथ कुछ डिस्कस कर रहें हैं।" अमायरा ने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा। और दो प्लेट लगाने लगी नाश्ते की, एक अपने लिए और दूसरी कबीर के लिए।

"अमायरा, यहां दही खत्म हो गया है। क्या तुम किचन से और ले आओगी?" इशिता बचा हुआ दही एक कटोरी में निकालते हुए बोली।

"महेश भईया....। प्लीज थोड़ा सा दही ले आइए।" अमायरा ने कुक को आवाज़ देते हुए कहा पर अपनी सीट से खड़ी नही हुई।

"वोह पूरी बनाने में बिज़ी हैं अमायरा। इसलिए तोह मैने तुम्हे कहा लाने को।" इशिता अभी भी बिज़ी थी, और सबके लिए अब कटोरी में सब्जी निकाल रही थी।

"दी, मुझे लगता है की आप मुझे इस तरह हमेशा ऑर्डर नही दे सकती। मैं अब वोही, छोटी सी अमायरा नही हूं। मैं इस घर की बड़ी बहू हूं।" अमायरा ने चटनी अपनी प्लेट में सर्व करते हुए कहा। वोह जानती थी की उसकी मॉम उसे ही घूर रहीं हैं। जबकि इशिता तोह चौंक ही गई थी अमायरा का बिहेवियर देख कर। इशिता जानती थी की अमायरा ऐसी लड़की नही थी, जो किसी को भी पलट कर जवाब दे, कभी भी नही।

"मैं..... ऊऊह..." इशिता अटकने लगी।

"अमायरा, अपनी बड़ी बहन के साथ इस तरह से बात की जाती है।" नमिता जी की आवाज़ सुनाई पड़ी।

"क्यूं मॉम? क्या मैने कुछ गलत कहा? क्या मैं इस घर की सबसे बड़ी बहू नही हूं? आपको को क्या लगता है सुमित्रा मॉम?" अमायरा ने पूछा और सुमित्रा जी भी हैरान थी अमायरा के अजीब बरताव से।

"तुम हो, बेटा। पर क्या कुछ हुआ है?" सुमित्रा जी ने पूछा और अमायरा ने बात टाल दी।

"हां, क्या कुछ हुआ है अमायरा? मैने बस तुमसे किचन से कुछ लाने को ही तोह कहा था। तोह इसमें तुम इतना गुस्सा क्यों हो गई?" इशिता कन्फ्यूज्ड हो रही थी।

"मैं ही क्यों दी? यहां पर इतने सारे नौकर हैं। मेरे हसबैंड इन्हे इतनी सैलरी भी देते हैं। तोह मैं क्यों इन छोटे मोटे कामों के लिए उठूं? मेरे पास समय नहीं है इन बेकार के कामों के लिए।"

"वाउ! व्हाट अ परफॉर्मेंस अमायरा। तुम डेफिनेटली वोह रिंग डिजर्व करती हो जो तुमने सिलेक्ट की थी।" कबीर ने डाइनिंग एरिया की तरफ बढ़ते हुए कहा और उसके पीछे पीछे उसके डैड और ईशान आ रहे थे। अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई की कबीर यह क्या कह रहें हैं।

"तुम किस बारे में बात कर रहे हो कबीर? सुमित्रा जी ने पूछा।

"एक्चुअली मैं अमायरा को चिढ़ा रहा था की यह बहुत ही डरपोक और शर्मीली है। की यह कभी भी किसी के भी सामने सख्त और मतलबी नही बन सकती। की यह कभी किसी के सामने कुछ बोल ही नहीं पाएगी। हम दोनो इसके लिए एक छोटा सा बिजनेस खोलने की बात कर रहे थे, पर मुझे लगा की इसे पहले थोड़ा सख्त होना पड़ेगा। इसने कहा कि यह मुझे गलत साबित करके दिखा देगी तोह हमारे बीच बैट लग गई। और अब यह वोह बैट जीत गई है तोह, मुझे वोह सॉलिटेयर रिंग इस के लिए खरीदनी पड़ेगी।" कबीर ने झूठ बोला और अमायरा उसे गुस्से से देखने लगी। क्योंकि कबीर ने उसकी बातें कवर अप कर दी थी जो वोह नही चाहती थी।

"ओह, तुमने तोह मुझे डरा ही दिया अमायरा, ऊप्स जेठानी जी। एक पल के लिए तोह मैं डर ही गई थी, बस रोने ही वाली थी की मेरी प्यारी सी छोटी सी अमायरा को क्या हो गया है।" इशिता खिलखिला कर हँस पड़ी और अमायरा ने भी उसे वापिस एक छोटी सी स्माइल पास कर दी।

"कबीर। मुझे तुमसे यह उम्मीद बिलकुल भी नही थी। अब तुम्हे अपनी पत्नी के लिए रिंग खरीदने के लिए किसी बैट की जरूरत है? अमायरा अभी के लिए तुम यह रख लो।" सुमित्रा जी ने अपनी रिंग उतारते हुए कहा। " और कबीर खबरदार अगर दुबारा कभी तुमने ऐसी हरकत की तोह। तुम्हारी यह स्टूपिड सी शर्त से ज्यादा कीमती है मेरी बहु। तुम्हे उसे तोहफे देने के लिए ऐसे स्टूपिड सी शर्त लगाने की जरूरत नहीं है। समझ गए?"

"यस मॉम।"

"गुड। आज ही जा कर वोह रिंग खरीद लाना जो मेरी बहु को पसंद है। अमायरा, इसे पहनो।"

"नो मॉम। मुझे नही चाहिए। मैं इनके साथ जा कर खरीद लूंगी।" अमायरा ने मना करते हुए कहा। अब उसे भी कबीर के झूठ में साथ देना ही पड़ा।

"वोह तोह तुम्हे खरीदना ही है। पर तुम्हारी सास होने के नाते मेरा भी तोह मन है की मैं अपनी बहुओं को कुछ ना कुछ देती रहूं। अगर और कुछ नही तोह इसी हक से रख लो की तुम्हे ही हक है इस घर की बड़ी बहू होने के नाते। कबीर, कम ऑन पहना दो इसे।" सुमित्रा जी ने इंसिस्ट किया और अमायरा ने झट से अंगूठी पहन ली ताकि कोई सीन ना क्रिएट हो।

"उह्ह्! अमायरा अगर तुमने नाश्ता कर लिया हो तोह, चलें?" कबीर ने पूछा और अमायरा ने सिर हिला दिया। उसे बस कबीर के द्वारा रचा हुआ ड्रामा की फ्लो में जाना था, पर उसे पता ही नही था कबीर उसे कहां ले जा रहा है।

"भईया, आज भी? थोड़ा तोह ऑफिस में ध्यान दीजिए।" साहिल ने मज़ाक करते हुए कहा।

"वोह मैं देता ही हूं। अमायरा का आज एक इंटरव्यू है एक एनजीओ के साथ। मैं बस उसे रास्ते में ड्रॉप कर रहा हूं।"

"ओह! ऑल द बेस्ट भाभी। मुझे यकीन है आपको यह जॉब मिल जायेगी।" साहिल ने आगे कहा और अमायरा ने बस सिर हिला दिया। अमायरा ने जल्दी से नाश्ता खत्म किया ताकि यहां से जल्दी से उठ सके।

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"आपने ऐसा क्यों किया?" अमायरा बरस पड़ी कबीर पर जैसे ही वोह दोनो गाड़ी में बैठे।

"तुमने ऐसा क्यूं किया?" कबीर ने उसकी बात का विरोध किया।

"क्या? मैने क्या किया?" अमायरा ने भोली बनते हुए कहा।

"तुम अच्छी तरह से जानती हो तुमने क्या किया है?" कबीर ने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा।

"वैसे, मैने बस सच ही कहा था। क्या नही कहा था?" अमायरा ने जिद्दी बच्चे की तरह जवाब दिया।

"तुमने बस ऐसे ही कहा था? कबीर ने पूछा।

"तोह मैं और क्या करती? मैने यही तोह कहा था की मैं घर की सबसे बड़ी बहू हूं और दी की बड़ी भाभी भी। आपकी पत्नी हूं मैं। क्या आप यह नहीं कहते रहते की मैं आपको अपना पति स्वीकार कर लूं? तोह मैंने वोही तोह कीया।" अमायरा बड़बड़ाए जा रही थी और अचानक ही कबीर ने ब्रेक लगा दिया और अमायरा को अपनी तरफ खींच लिया।

"देखो अमायरा, मैं चाहता हूं की तुम हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट कर लो लेकिन तब जब तुम यह दिल से चाहो, ना की किसी को कुछ प्रूव करने के लिए। मैं तुम्हारे लिए अपनी पूरी जिंदगी इंतजार कर सकता हूं, पर मैं हमारे रिश्ते को इस तरह बेइज्जत होते नही एक्सेप्ट कर सकता। मैं जानता हूं की तुम अपनी मॉम से और इशिता से बहुत गुस्सा हो पर जो तुमने किया वोह पूरी तरह से गलत था। नमिता मॉम ने अपनी पूरी जिंदगी इस सच्चाई को सबसे छुपा कर रखा है। तोह तुम सब के सामने इस तरीके की हरकत कर के क्या प्रूफ करना चाहती हो? अपनी मॉम और इशिता पर गुस्सा दिखा कर के? की उन्हे यह बता कर की वोह गलत हैं? इशिता ने तुम्हारा घर तुमसे छीन लिया तोह उसे यहां इस घर में यह दिखाओगी की तुम उस से कितनी सुपीरियर हो? उसे यह बता कर की तुम्हारा पति उसके पति से ज्यादा कमाता है और उसका पति इस घर को चलाने के लायक नही है? क्या यही तुम्हारा प्लान था?" कबीर बुरी तरह से अमायरा पर चिल्ला पड़ा था बजाय अपनी आवाज़ को कम रखने के।

"मेरा कोई प्लान नही था। मैने बस सच ही कहा था। अगर वोह मुझे दस साल तक इग्नोर कर सकते हैं, मेरी खुशियों की बीना परवाह किए, तोह मैं भी उन्हे दिखा सकती हूं की मेरे पास क्या है। की मेरे पास आप हैं और मुझे किसी और की जरूरत नहीं है। जीजू से इसका कोई लेना देना नहीं है।" अमायरा ने दुष्टता से जवाब दिया। कबीर ने उसे अपने और करीब खींच लिया और उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया।

"मैं तोह कबसे बेकरार था तुमसे यह सब सुनने के लिए अमायरा, की मैं तुम्हारे लिए सबसे इंपोर्टेंट इंसान हूं, की तुम्हे मेरे अलावा किसी और इंसान की अपनी जिंदगी में जरूरत नही, पर सिर्फ तब ही जब तुम सच में ऐसा सोचती हो। इसलिए नही की तुम अपना स्टेटस अपनी ही फैमिली को दिखाना चाहती हो। मैं तब बहुत खुश होंगा जब तुम्हे कबीर की पत्नी होने पर गर्व महसूस होने लगे। ना की कबीर मैहरा की पत्नी पर।" कबीर ने उसे छोड़ा और दुसरी दिशा में देखने लगा। वोह अपने आप को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश कर रहा था।

"मैने सोचा था की आप हमेशा मुझे सपोर्ट करेंगे। पर आपको भी मुझसे प्रॉब्लम होने लगी है।" अमायरा ने कहा और अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करने लगी।

"मैं हमेशा ही तुम्हे सपोर्ट करता हूं पर इसका मतलब यह नहीं की तुम दूसरों को नीचा दिखाओ।"

"प्लीज मुझे यहीं उतार दीजिए। मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना। इस लॉक को खोलिए।" अमायरा ने गाड़ी का दरवाज़ा खोलने को कोशिश करते हुए कहा। शायद चाइल्ड लॉक होने की वजह से दरवाजा नही खुल रहा था।

"नही। तुम कहीं नहीं जा रही हो। मैं तुम्हे अनाथ आश्रम छोड़ रहा हूं और शाम को लेने भी आऊंगा। आई एम श्योर की तुम वहां आसानी से कुछ एक्स्ट्रा टाइम बिता सकती हो ना की घर पर रह कर इशिता को नीचा दिखाने के प्लान बनाती रहो।" कुछ सोचते हुए कबीर ने गाड़ी वापिस स्टार्ट कर दी और अमायरा ने अपना चेहरा फेर लिया। और खिड़की की तरफ चेहरा कर लिया। वोह इस वक्त बहुत गुस्से में थी।

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कबीर ने शाम को उसको अनाथ आश्रम से पिक किया। और दोनो ही के बीच में कोल्ड वॉर छिड़ चुकी थी। दोनो ही एक दूसरे से बात करने की कोशिश नही कर रहे थे। उस रात एक बार फिर दोनो के बीच तकियों की दीवार बन गई थी। पर दोनो ही बेचैनी से लेटे हुए थे। दोनो ही सो नही पा रहे थे, एक दूसरे की आदत जो पड़ गई थी, एक दूसरे की बाहों में सोने की। लेकिन दोनो ही गिव अप करने को तैयार नहीं थे, क्योंकि दोनो ही एक दूसरे से बहुत गुस्सा थे। और फिर बेचैनी में ही उनकी रात गुज़र गई, करवट बदलते बदलते। दिन भर की भाग दौड़ से उनके थके हुए शरीर और दिमाग और कितनी देर जागते। आखिर कर वोह दोनो बेचैन से नींद की आगोश में चले गए थे। वोह दोनो सो चुके थे।

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अगली सुबह दोनो ही हड़बड़ी में उठ कर बैठ गए क्योंकि दरवाज़े पर कोई ज़ोर ज़ोर से खटखटाए जा रहा था। अमायरा उठ कर खड़ी हो गई। बिना एक बार बैड की तरफ देखे वोह दरवाज़ा खोलने चल पड़ी। कबीर ने उसे जाते देखा तोह तुरंत सारे तकिए बैड के बीच में से हटा दिए। अमायरा ने दरवाज़ा खोला तो देखा की उसका पूरा परिवार बाहर खड़ा है और मुस्कुरा रहा है। सबके हाथ में गिफ्ट्स और बैलून थे। अमायरा तोह चौंक पड़ी सब को इस तरह सुबह इतनी जल्दी उसके कमरे में आते देख कर और बाकी के लोगों ने जैसे ही कबीर को देखा सब चिल्लाते हुए कमरे में घुस गए। सभी एक साथ हूटिंग करने लगे और कबीर मुस्कुराने लगा। कुछ देर तोह अमायरा असमंजस में सब देख रही थी लेकिन थोड़ी ही देर में उसे सब कुछ समझ आने लगा। और साथ ही उसे गिल्ट भी महसूस होने लगा।
"हैप्पी बर्थडे!" पूरे परिवार ने एक साथ कबीर को विश किया। और उसके दोनो भाई तोह उस से चिपक ही गए और कस कर गले लग गए। सब ने कबीर को एक एक कर के प्रेजेंट्स दिए और बड़ों ने गिफ्ट्स के साथ आश्रीवाद भी दिया जिसे कबीर ने सहजता से स्वीकार कर लिया सभी बड़ों के पैर छू कर, अपनी सासू मां के भी जैसे वोह अपनी मॉम और डैड के छूता था। इसका मतलब यह था की सभी को याद था की आज कबीर का बर्थडे है और याद नही था तोह सिर्फ अमायरा को। वोह भी इसलिए क्योंकि वोह कल सारा दिन गुस्सा थी। अब उसे एक बार फिर गुस्सा आ रहा था लेकिन इस बार खुद पर। कैसे वोह कबीर का बर्थडे भूल सकती है?

मैं कितनी खुदगर्ज हूं की उनका बर्थडे ही भूल गई, क्योंकि मैं कल बस उनसे गुस्सा थी, वोह भी अपनी बेवकूफी की वजह से? वोह तोह मुझे समझाने की कोशिश कर रहे थे बस। पर अब क्या। सब ने उन्हें विश कर दिया सिवाय मेरे। कितनी बुरी वाइफ हूं मैं। उन्होंने मेरे लिए कितना कुछ किया है और मैं उनका ही बर्थडे भूल गई। मैने तोह अभी तक उन्हे ठीक से विश भी नही किया और उन्हें कल अकेला भी छोड़ दिया, उनके लिए गिफ्ट भी नही लिया। मैं उनसे कैसे लड़ाई कर सकती हूं, जबकी सारी गलती तोह मेरी थी? अब वोह हमेशा मुझे सुनाते रहेंगे की मेरी वजह से ही हमारे बीच पहली बार लड़ाई हुई थी, और वोह भी उनके बर्थडे के दिन। पहले जो हल्की फुल्की लड़ाई होती थी तब तोह हम एक दूसरे को ठीक से जानते तक नहीं थे। और अब जब जानने लगे हैं तोह मैने ही पहली बार लड़ाई शुरू कर दी। अब जब हम दोनो एक दूसरे के इतने करीब आने लगें हैं तोह मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं? यह लड़ाई मेरी वजह से ही थी। हमारी पहली लड़ाई।

"ओके तोह आज सैटरडे है और आज आपका कोई ऑफिस नही है तोह आज हम पार्टी करेंगे, बड़ी वाली।" साहिल एक्साइटेड होते हुए बोला।

"साहिल तुम्हे तोह पता है ना, मैं इस दिन को सेलिब्रेट नही करता।"

"हां पता है। पर यह पहले की बात थी। अब आपके साथ भाभी है। आप उनके साथ आज का दिन सेलिब्रेट नही करना चाहते? या फिर आपका उनके साथ अकेले कहीं खिसकने का प्लान है, प्राइवेट सेलिब्रेशन के लिए?" इशान ने चिढ़ाते हुए कहा।

"नही। हम कहीं नहीं जा रहें हैं। बस ऐसा है की मुझे बर्थडे वगेरह सेलिब्रेट करने अच्छा नही लगता।"

"प्लीज कबीर। तुम पिछले कुछ सालों से अपना जन्मदिन नही मनाते थे, हम समझते हैं, पर अब तुम मना नहीं कर सकते। सेलिब्रेट इट विद ऑल ऑफ़ अस? विथ अमायरा?" सुमित्रा जी ने धमकाते हुए कहा और कबीर अब उन्हे टाल नही सकता था।

"ओके मॉम। पर कुछ फैंसी या बड़ा मत करना। बस फैमिली मेंबर्स ही हों और सुहाना। डेट्स इट।" कबीर ने जवाब दिया।

"ओके फाइन। नो प्रॉब्लम। अमायरा, देखो यह तुम्हारे हसबैंड की बर्थडे पार्टी है, तोह यह तुम्हारी ज़िमेदारी है की शाम तक अच्छे से पार्टी अरेंज हो जानी चाहिए। क्योंकि अब तुम ही उसे सबसे ज्यादा अच्छे तरीके से जानती हो।" सुमित्रा जी ने ऑर्डर देते हुए कहा और अमायरा ने ज़ोर से सिर हिला दिया।

"ऑफकोर्स मॉम। मैं सब कुछ अरेंज कर दूंगी।" अमायरा ने जवाब दिया। उसे कुछ राहत मिली थी की चलो कम से कम कबीर के बर्थडे की कुछ तोह उसे ज़िमेदारी मिली, शायद कुछ गिल्ट कम हो जाए।

कुछ देर बाद सारे लोग उनके कमरे से चले गए। और अब वोह दोनो कमरे में अकेले रह गए थे। कबीर ने एक बार अमायरा को बेगरज नज़रों से देखा और बाथरूम की ओर बढ़ गया।

"मिस्टर मैहरा।" कबीर को अमायरा की आवाज़ सुनाई पड़ी और उसने एक गहरी सांस ली।

"यस अमायरा।" कबीर ने पीछे पलट कर देखते हुए कहा। वोह एक बार फिर इरिटेट हो गया था मिस्टर मैहरा शब्द सुन कर, लेकिन इस वक्त गुस्से में था इसलिए उसे करेक्ट नही कर सकता था।

"उह्ह्.......हैप्पी बर्थडे।" अमायरा ने विश किया और गहरी सांस भर कर कबीर के जवाब का इंतजार करने लगी।

कबीर ने एक बार उसकी आंखों में देखा जैसे कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहा हो और फिर अपना सिर झटक दिया।

"थैंक यू।" कबीर ने दो टूक जवाब दिया और वापिस बाथरूम की तरफ बढ़ गया।

"मैं......" कबीर ने बिना आगे अमायरा की बात सुने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया। और अमायरा तोह हैरान ही रह गई। कबीर ने दरवाजा इतनी जोर से बंद किया था की अमायरा की आंखें हैरानी से फैल गई थी।

आज तक कबीर ने उसे कभी भी गुस्सा नही दिखाया था। वोह हमेशा ही उसका सपोर्ट करता था, हमेशा ही उस से प्यार से बात करता था, और शांति से उसकी बात सुनता था, जबकि वोह जनता था की अमायरा अपनी मॉम से गुस्सा है तब भी वोह उसे समझाने की कोशिश ही करता रहता था। यह कल ही ऐसा झगड़ा हुआ था उनके बीच की वोह कबीर के समझाने पर भी समझ नही पाई थी। तोह आज कबीर उस से इतना नाराज़ क्यों है जब पहले कभी नही रहा? वोह अपना दिमाग चला रही थी वजह पता करने के लिए और अचानक ही उसे कुछ याद आ गया था। उसने अपने कपड़े लिए और गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गई जल्दी तैयार होने के लिए। कबीर के बाथरूम से निकलने से पहले उसे तैयार हो कर वापिस कमरे में आना था।

कबीर लंबे शावर लेने के बाद बाथरूम से बाहर निकला। और अपने सामने का नज़ारा देख कर एकदम से चौंक गया।




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