Secret Admirer - Part 59 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Secret Admirer - Part 59


"अमायरा, आई एम सॉरी। मैं गलत थी। मैने गलती की थी पर अब......"

"आप जानती है मॉम, आपने सिर्फ एक गलती की थी। मेरी और कबीर की शादी करवा कर। क्योंकि जब तक मैं उनसे नही मिली थी, मुझे नही पता था की मेरी जिंदगी में से कुछ मिसिंग है। उनसे शादी करने से पहले, मैं खुश थी, अपनी जिंदगी के साथ समझौता कर लिया था मैने। मैं संतुष्ट थी हर बार बली का बकरा बन कर। हमेशा वोही करती जो मुझे लगता था की आप चाहती हैं, हमेशा वोही करती जिस से दी की लाइफ आसान हो जाए, क्योंकि बेचारी...उसके पास मां बाप नही है। पर आप जानती है क्या, उन्होंने एक पल ऐसे नही किया है जैसे वोह अनाथ हो। पर मैं ऐसी जिंदगी पिछले दस साल से जी रही थी।"

"अमायरा प्लीज ऐसे मत कहो।"

"यही सच है मॉम। उन्होंने अपने पैरेंट्स को खो दिया इसलिए आपने उन्हे एडॉप्ट कर लिया। आप से जो बल पड़ा आपने वोह सब किया बस दी की जिंदगी में खुशियां भरने के लिए। पर मेरा क्या? मैने भी अपने दोनो पेरेंट्स खो दिए थे वोह भी एक ही दिन। एक इस दुनिया से मुझे छोड़ कर चले गए, और दूसरा अपनी जिमेदारियों खो गया। यू नो व्हाट; पहली बार जिंदगी में मुझे इन सभी बातों से जेलसी हुई है। एक अनाथ होने के बावजूद उनके पास सब कुछ है। लविंग पेरेंट्स, सिक्योरिटी ऑफ अ फैमिली एंड अ लविंग हसबैंड। व्हाट डिड आई हैव? मेरे पास क्या है? एक मरे हुए पिता, एक जिमेदारियों के बोझ तले दबी हुई मां, और प्यार कहीं नहीं। आपने कभी नही सोचा की मैं भी लाइफ में खुशियां डिजर्व करती हूं? एक प्यार करने वाला पति, जो सच में मुझे अपनी ज़िंदगी में चाहता हो, ना की मुझे ऐसे ले जैसे उसकी जिंदगी में थोपी गई हूं? बताओ मुझे?"

"तुमने कहा था तुम्हारे और कबीर के......."

"यह उनके और मेरे बीच की बात है मॉम। मैं आपसे यह पूछ रहीं हूं की आपने हमारी शादी तै करते वक्त कभी यह सोचा था की क्या मैं इस शादी से खुश रहूंगी? क्या आप नही जानती थी की वोह अपने पास्ट में ही फसे हुए हैं? की वोह शायद मुझसे प्यार ही ना करे, और वोह और मैं सिर्फ फैमिली के लिए एक साथ है, हमारी खुशियों के लिए नही?"

"अमायरा मैं जानती हूं की मैं तुम्हारी माफी डिजर्व नही करती हूं पर फिर भी मैं उम्मीद....."

"जो भी आपने किया वोह अब अतीत बन चुका है मॉम। जो भी आप उम्मीद करते थे, उसका प्रभाव अब यह हुआ की, मैं अब अपनी जिंदगी में उनके अलावा किसी और आदमी को नही देख सकती। आज इस वक्त मैं आपसे बस इतना कह सकती हूं की थैंक यू। अगर आप अपना यह एक तरफा व्यवहार नही करती तोह मुझे कबीर कभी नही मिलते, मैं उनसे शादी नही करती। मैं अब जान गई हूं की उनसे अच्छा पार्टनर मुझे कभी नही मिल सकता। पर यह आपकी सबसे बड़ी भूल भी है। उन्होंने मुझे रियलाइज करवाया की अपने लिए भी किया जाता है, अपनी खुशियों के बारे में भी सोचा जाता है। उन्होंने मुझे रियलाइज करवाया की मुझे भी प्यार पाने का हक है। उन्होंने मुझे रियलाइज करवाया की मैं चाहूं तो अपनी खुशियां वापिस पा सकती हूं। वोह इकलौते इंसान है जिसे परवाह है की मैं क्या महसूस करती हूं, मैं क्या चाहती हूं, मुझे क्या पसंद है, मुझे क्या नापसंद है। उन्होंने ही मुझे यह महसूस कराया की मुझे भी लोग चाहते हैं, मैं भी जरूरी हूं, मुझे भी सब प्यार करते है, ख्याल रखते हैं। ऐसा कुछ जिसके बारे में आपने कभी नही सोचा मॉम। आपने कभी परवाह नही की मॉम।"

"आई एम सॉरी अमायरा।"

"ऐसा बार बार मत कहिए मॉम। मुझे आपका सॉरी नही चाहिए। मुझे मेरे वोह दस साल वापिस चाहिए जो मैने आपके होते हुए भी अनाथों की तरह गुजारे।"

"ऐसा मत कहो अमायरा। प्लीज मुझे माफ करदो।" नमिता जी बुरी तरह रो पड़ी थी।

"ठीक है। मैं ऐसा नहीं कहूंगी। बल्कि मैं कहूंगी की मैने आपको माफ किया।" अमायरा ने कहा और नमिता जी उसकी आंखों में नासमझी से देखने लगी।

"हां मॉम। मैने आपको माफ किया। अगर यह आपके लिए नही होता तोह मैं उनसे कभी शादी नही करती। पर अब वोह मेरी जिंदगी में एक ऐसे इंसान हैं जिसके लिए मेरी पूरी जिंदगी कुर्बान है। तोह इसलिए थैंक यू मॉम। अब मैं चलती हूं। मुझे जाना है।" अमायरा खड़ी हुई और जल्दबाजी में कमरे से निकल गई। नमिता जी को विश्वास ही नहीं हो रहा था की अभी अभी क्या हो गया। वोह भी खड़ी हुई, कमरे का दरवाज़ा बंद किया, और बैड पर लेट गई। वोह बहुत रोई, बहुत। उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, उन्होंने अपनी ही बेटी के साथ नाइंसाफी की थी, और अब उनके मन की व्यथा, उनका दुख वोह किसी के साथ शेयर भी नही कर सकती थी। वोह आज अपने पति मनमीत को बहुत याद कर रहीं थी। काश वो आज यहां होते तोह शायद ऐसी परिस्थितियां पैदा ही नहीं हुई होती।

«»«»«»«»

कबीर को आज कोई मैसेज नही मिला की अमायरा अनाथ आश्रम के लिए निकल गई है। उसे थोड़ा अजीब लगने लगा। उसने कुछ देर और इंतजार किया पर कोई मैसेज नही आया। अब वोह बेसब्र होने लगा था। यह उन दोनो की अब आदत बन गई थी की दोनो में से कोई भी कहीं के लिए निकले और कहीं पहुंचे, दोनो ही सूरत में एक दूसरे को मैसेज कर बता देते थे। और आज अमायरा ने कबीर को मैसेज नही भेजा था इसका मतलब या तोह अमायरा गई नही है या फिर वोह भूल गई मैसेज भेजना। यही सोचते हुए उसे हल्का गुस्सा आने लगा। कबीर ने और आधे घंटे सोचने की सोची। फिर आधे घण्टे बाद भी जब कोई मैसेज नही आया तोह उसने फोन लगा दिया। पर फोन नॉट रीचेबल बताया। अब वोह अचानक घबराने लगा था। उसने तुरंत उस ड्राइवर को फोन लगाया जो अमायरा को अक्सर अनाथ आश्रम छोड़ता था। उस ड्राइवर ने बताया की अमायरा तोह घर पर ही है, वोह कहीं गई ही नही। वोह इसका कारण सोचने लगा की आखिर आज अमायरा क्यों नही गई। फिर उसे याद आया की अमायरा ने उसे बताया था की वोह आज अपनी मॉम से बात करने वाली है। जरूरी उसी दौरान कुछ हुआ होगा। वोह अपनी मॉम को कॉल कर के अमायरा के बारे में नही पूछ सकता था। क्योंकि वोह जनता था की अमायरा और नमिता जी दोनो ही नही चाहते की यह बात किसी और को पता चले। अब कबीर बेचैन होने लगा था अमायरा से बात करने के लिए। जब की उसकी कुछ मीटिंग्स थी अभी पर फिर भी उन्हे उसने बाद में री शेड्यूल करवा कर तुरंत घर के लिए निकल गया।
जब कबीर घर पहुंचा तोह देखा उसके कमरे के दरवाज़ा अंदर से बंद है। उसने धीरे से खटखटाया। अंदर से नही अमायरा से दरवाज़ा खोला और ना ही कोई जवाब दिया। अब कबीर और बेचैन हो गया। वोह बस यही उम्मीद करने लगा की अमायरा बस ठीक हो। उसने दुबारा दरवाज़ा खटखटाया और इस बार भी कोई जवाब नही मिला। उसे अब कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करे। तब उसने डिसाइड किया की खिड़की से अंदर घुसा जाए जो गार्डन की तरफ खुलती है।

कुछ देर बाद वोह कमरे के अंदर था। उसने देखा की अमायरा गुड़ी मुड़ी सी बैड पर एक कोने में लेटी हुई है। वोह जल्दी से उसकी तरफ बढ़ गया। उसने देखा की वोह सो रही थी। उसके चेहरे पर सूखे हुए आंसुओं के निशान थे जिसका मतलब वोह खूब रोई थी और रोते रोते सो गई थी। बैड के सारे तकिए बेतरबी से नीचे फेंक पड़े थे। और उसका फोन भी टुकड़ों में पूरे कमरे में इधर उधर नीचे फेका पड़ा था। उसका उसकी मॉम के साथ क्या हुआ था, कबीर नही जानता था, लेकिन इतना जानता था की जरूर उसकी और उसकी मॉम के साथ हुई बातचीत की वजह से ही अमायरा का यह हाल है। कबीर ने अब जा कर अमायरा की सोने की पोजीशन पर ध्यान दिया था। ऐसा लग रहा था की अमायरा घुटने मोड़ बहुत देर बैठे रोई होगी और फिर रोते रोते थक कर सो गई होगी। और सोने की वजह से वोह बैड पर एक साइड लुढ़क गई होगी उसी पोजीशन में। और जिस पोजीशन में वोह सो रही थी पक्का उसे अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा होगा। कबीर ने उसे ठीक तरह से सुलाने की कोशिश की ताकी वोह कंफर्टेबल महसूस कर सके लेकिन उसकी कोशिश की वजह से अमायरा जाग गई और उसने तुरंत आंखे खोल दी। एक पल को तोह अमायरा हैरान ही रह गई। और फिर उसे अचानक याद आ गया की वोह रोते रोते सो गई थी। उसने अपने आस पास देखा, कबीर उसके पास ही बैठा था और उसे चिंतित नज़रों से देख रहा था।

"तुम ठीक हो, स्वीट हार्ट? तुम रो रही थी।" कबीर ने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों में थाम लिया था और अमायरा बिना पलके झपकाए उसे एक टक देखे जा रही थी। और फिर अमायरा कबीर के गले लग गई और खूब रोने लगी। कबीर ने भी बिना कोई सवाल पूछे उसे रोने दिया। कुछ देर तक ऐसे ही रोने के बाद वोह चुप हुई और सीधे हुई। कबीर ने उसे टिश्यू बॉक्स दिया और एक ग्लास पानी भी।

"आप कमरे के अंदर कैसे आए?" अमायरा को अचानक याद आया। "और आप यहां कर क्या रहें हैं? क्या आपको इस वक्त ऑफिस में नही होना चाहिए था?"

"मुझे इस वक्त कहीं नहीं होना चाहिए था। बल्कि यहां होना चाहिए था, तुम्हारे साथ। अब बताओ मुझे, क्या तुम ठीक हो? तुम रो क्यों रही थी?"

"मैं.....मैने......मॉम से बात की थी।"

"फिर?" कबीर ने प्यार से पूछा और अमायरा ने उसे सब बता दिया जो भी उसके और उसकी मॉम के बीच हुआ था। बस नही बताई तोह एक ही बात। कबीर के लिए अपनी फीलिंग्स जो उसने अपनी मॉम के सामने स्वीकार की थी। साथ ही साथ वोह धीरे धीरे रोई भी जा रही थी।

"क्या तुमने सच में उनसे कहा की तुमने उन्हें माफ कर दिया है?" कबीर ने पूछा और उसने सिर हिला दिया।

"डैट्स लाइक माय गर्ल। उन्होंने जो कुछ भी किया, उनके पास, इसकी एक वजह थी। वोह अकेली थी, और अचानक ही उन्हे दो बेटियों को अकेले खुद से पालना पड़ा। और उन्हे तुम्हारे पापा को किया हुआ उनका वादा भी निभाना था। वोह डेफिनेटली तुम्हारी माफी डिजर्व करती हैं। भले ही कभी कभी उनसे गलतियां भी हुईं।"

"पर मैं नही जानती थी की मैं सच में उन्हे कभी माफ कर भी पाऊंगी या नही मुझसे मेरा बचपन छीन ने के लिए। मैने वोह उनसे गुस्से में कह दिया था, पर पता नही मैं श्योर ही नही हूं की मैं उन्हे माफ कर पाऊंगी की नही।" अमायरा ने अपनी मन को बात रखी।

"मैं समझता हूं की तुम गुस्से में हो। पर वोह तुम्हारी मॉम है। वोह गलत हो सकती हैं, बुरी नहीं। मैं तुम्हें यह नहीं कह रहा हूं कि तुम अभी तुरंत ही होने माफ कर दो, समय लो, लेकिन ठंडे दिमाग से एक बार इस बारे में जरूर सोचो। वह तुम्हारी मॉम है, उन्हें तुम्हारी जरूरत है।"

"आपको मेरी साइड होना चाहिए, ना कि उनकी।"

"पर एक बार तो सोचो, अमायरा। उनकी साइड कौन है? तुम्हारे पापा की डेथ के बाद वह हर एक चीज अकेले खुद ही तो संभाल रही है। उनके पास तो कोई भी नहीं है उनका दर्द बांटने के लिए। शायद तुम्हारे सच जानने के बाद उनके लिए थोड़ा आसान हो गया, और वोह तुमसे सहारे की उम्मीद करने लगी जो वोह किसी और से उम्मीद नही कर सकती थी जब इशिता की बात थी तोह। क्योंकि कोई नही जानता था इशिता के गोद लेने के बारे में। तुमने बताया की वोह शुरवात में इशिता को प्यार नही करती थी, और फिर भी उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की उसे अपनी बेटी बनाने में। इसमें जरूर ही बहुत हिम्मत की जरूरत है। और अब वोह डेफिनेटली सपोर्ट की हकदार हैं। पर यह तुम्हारे ऊपर है की तुम्हे क्या करना। कोई जल्दी नही है।" कबीर ने समझाते हुए कहा और अमायरा एकटक कबीर को देखने लगी की कितनी सहजता से, शांति से वोह उसकी मॉम के बारे में सोच रहा है। और जो कबीर कह रहा था उस बात में दम भी था। आखिर सही ही कह रहा था कबीर।

"आप उनके बारे में अभी भी ऐसा कैसे सोच सकते हैं?"

"मैं तुम्हारे साथ पिछले कुछ महीनो से रह रहा हूं, और महीने भर पहले से तुमसे ज्यादा जुड़ भी चुका हूं, तुम्हारे नज़दीक आ चुका हूं, तोह तुम्हारी समझदार कुछ तोह मुझ में भी ट्रांसफर होना तोह बनती है। तोह इन महीनो में मुझमें अपने आप ही तुम्हारी कुछ समझदारी आ गई।" कबीर ने मज़ाक किया और अमायरा मुस्कुरा पड़ी।

"वैसे, इसके पीछे एक स्वार्थ भी है। एक बार सोचो, अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तोह तुम मुझसे कभी शादी नही करती। और इसके लिए मैं जिंदगी भर उनका कर्ज़दार रहूंगा। वोही एक वजह है तुम्हारा मेरी जिंदगी में होने का। ऐसा नहीं है, की जो भी तुमने इतने सालों में बर्दाश्त किया उसके लिए मैं खुश हूं, बल्कि मेरा भी तोह एक पास्ट है, पर शायद भगवान ने हमें इसी तरह मिलवाने के लिए हमारी किस्मत लिखी थी। जो हमने खोया उस से उभर कर हम दोनो एक हो जाएं।" कबीर के कहते ही अमायरा को अपने शब्द याद आने लगे जो उसने अपनी मॉम से कहे थे। उसने अपनी मॉम से कबीर के बारे में कहा था की वोह भगवान का शुक्र गुजार है की भगवान ने उसकी किस्मत में कबीर को लिखा, जो उसके लिए सबसे जरूरी हो बन गया है।

अभी कुछ दस महीने में उसने जो खुशियां पाई थी, क्या उसकी कीमत पर वोह सच में दस साल मिले उस दर्द को भूलने को तैयार है?






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कहानी अभी जारी है...