Secret Admirer - Part 58 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Secret Admirer - Part 58


"आई एम सॉरी अमायरा।"

"मुझे आपका सॉरी नही चाहिए। मुझे जवाब चाहिए। आपने मुझे ऐसे क्यों बड़ा किया जैसे मैं ही आपकी गोद ली हुई औलाद हूं?"

"मैं...... अमायरा.... मैं..!"

"बोलिए मॉम। मैं इंतजार कर रही हूं। मैने दस साल इंतजार किया है इस जवाब के लिए। मेरी तरफ से दी के लिए कोई बुरी फीलिंग्स नही है, क्योंकि वोह खुद भी यह सब नही जानती, पर आपके पास तोह वजह थी यह सब करने की जो भी आपने किया। आज मुझे सब जानना है।"

जब नमिता जी ने थोड़ी देर कुछ नही कहा तोह अमायरा फिर बोली

"आई एम वेटिंग मॉम।"

"मनमीत चाहते थे इशिता को गोद लेना जब उसकी मां की मौत हो गई थी पर मैं थोड़ा डरी हुई थी। मुझे नही लगता था की मैं एक पराई लड़की को अपनी बच्ची की तरह कभी पाल पाऊंगी पर वोह अपनी बात पर अड़े रहे। वोह कहते थे की उन्हे इशिता से प्यार हो गया था जिस पल से उन्होंने उस बच्ची को देखा था। जब उन्होंने अपनी जिद नही छोड़ी तोह मैं ही झुक गई और मुझे इशिता को एडॉप्ट करने के लिए हां करना पड़ा क्योंकि मैं तुम्हारे डैड से बहुत प्यार करती हूं। मैं उन्हे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करना चाहती थी। उन्होंने ही उसका नाम रखा था इशिता। मैं हमेशा उनसे झगड़ती थी की वोह एक ऐसी लड़की पर अपना इतना प्यार लूटा रहें हैं जो अपनी है ही नही पर वोह हुनेशा ही मुझे मना लेते थे। मैने कभी भी इशिता को मां का प्यार नही दिया था। वोह मनमीत ही थे जो इशिता की देखभाल करते थे, उसका ख्याल रखते थे। कुछ महीनो बाद मैने कंसीव किया। मैं तोह खुशी से सातवे आसमान पर पहुंच गई थी। यह सोच कर की अब मेरे पास मेरा अपना बच्चा होगा प्यार करने के लिए। की अब मुझे किसी बाहर वाले के लिए फेक मां नही बनना पड़ेगा।"

"पर मुझमें और दीदी में तोह पांच साल का गैप है।"

"हां। मैने डिलीवरी के वक्त अपना बच्चा खो दिया था। मुझे लगा की यह मेरे कर्म है। मुझे लगा की भगवान ने मुझे सज़ा दी है एक अनाथ बच्ची को मां का प्यार ना देने के लिए। वोह पहली बार था जब मुझे इशिता के लिए कुछ एहसास हुआ था और मैने यह डिसाइड किया था की मैं अब अपनी ममता से उस इशिता को दूर नही करूंगी। उसके बाद हम वापिस इंडिया शिफ्ट हो गए। मैं कुछ सालों तक कंसीव नही कर पाई। और फिर जब तुम हमारी जिंदगी में आई तोह मुझे ऐसा लगता था की हमारी जिंदगी पूरी हो गई। मैं बहुत खुश थी। मैने ही तुम्हारा नाम रखा था, अमायरा। पर जो पहली बार मेरे साथ हादसा हुआ था वोह मेरे जेहन से निकलता ही नही था। मुझे अब भी लगता था की मैं अगर तुम्हे प्यार करूंगी तोह भगवान मुझे एक बार फिर सजा देगा, इशिता को इग्नोर करने के लिए। इसलिए मैं उसपर ज्यादा ध्यान देने लगी। मैं पहले उसे प्यार करती, पहले उसका ख्याल रखती, पहले उसकी इच्छाओं को पूरा करती। धीरे धीरे यह मेरी आदत बनने लगी। मुझे बाद में बहुत बुरा लगता की मैने उसे उसकी इच्छाओं को पहले चुना पर मैं हेल्पलेस थी। तब तक फिर भी सब कुछ ठीक चलता रहा जब मनमीत जिंदा थे। जब मनमीत मरने वाले थे तोह आखरी सांस लेने से पहले उन्होंने मुझसे एक वादा लिया था की मैं कभी भी इशिता को यह बात पता नही चलने दूं और उसे अपनी बच्ची की तरह ही हमेशा उसका ध्यान रखूं। मैं इतनी भावविह्वल हो चुकी थी की, अपने प्रोमिस को निभाने के लिए और इस वजह से मैं अक्सर अपनी खुद की बेटी को भुल जाति थी। जब मुझे पता चला की तुम सच जान गई हो तोह मुझे लगा की तुम समझोगी मेरे बरताव को। मैं जानती हूं की मेरा एक तरफा बरताव गलत था। मुझे ऐसा नही करना चाहिए था। मैं एक मां के रूप में हार गई, पर फिर भी मुझे माफ करदो अमायरा। मैं तुम्हे जान बूझ कर कोई दर्द नही देना चाहती थी।" नमिता जी रो रो कर अपना दिल हल्का कर रही थी और अमायरा उनके पास ही हैरान बैठी थी।

"शुरू में मैं डरती थी क्योंकि यह मेरी आदत बन रही थी और जब मनमीत हमें छोड़ कर चले गए तोह यह आदत ज़िमेदारी में बदल गई। वोह एक वादा निभाने के लिए जो मेरे पति ने मुझसे मरने से पहले किया था। पर मेरे बरताव का कोई एक्सक्यूज़ नही है। एक मां के तौर पर मुझे ध्यान रखना चाहिए था की मेरे बच्चे मेरी ममता के साए में रहें न की दूर। तुमसे सब कुछ एक्सपेक्ट करना की की तुम समझोगी, इससे अच्छा मुझे अपना बरताव सुधारना चाहिए था। मुझे तुम पर भी ध्यान देना चाहिए था।

"हां। बिलकुल चाहिए था। आपको पता होना चाहिए की आप की वजह से मेरी जिंदगी के दस साल बर्बाद हुए हैं। यह जानते हुए भी की आप मेरे साथ गलत कर रहीं हैं आपने मुझे ऐसे ही सफर करता हुआ छोड़ दिया। जिस वक्त मुझे आपकी आपके इमोशंस की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उस वक्त आपकी जिमेदारियों की वजह से सब खराब हो गया। और मुझे एक बात बताइए की आज अचानक आपको यह रियलाइजेशन कैसे हो गया? जब मुझे आपसे कोई फर्क नही पड़ रहा तब? बताओ?" अमायरा रो पड़ी।

"क्योंकि मैने मौत को बहुत ही करीब से देख लिया है। मुझे इन दिनो अपने किए को अपने बरताव को सोचने के लिए काफी समय मिला। जब की मैं पास्ट नही बदल सकती, पर मैं अभी भी कम से कम माफी तोह मांग ही सकती हूं तुम्हारे साथ अनफेयर होने के लिए। मैं नही जानती अब मेरे पास कितना समय बचा है, पर मैं एक बात जरूर जानती हूं, की तुम दुनिया की सबसे अच्छी बेटी हो जो शायद किसी को मिली हो। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है की मुझे हर जन्म में सिर्फ तुम ही मेरी बेटी बन कर आओ।" नमिता जी ने अपनी बेटी के आंसू पोंछे हुए कहा।

"और आपको यह लगता है की मैं भी यही चाहती हूं? आपके प्यार के लिए दस ग्यारह साल तक तड़पने के बाद, आपसे सच जानने के बाद, क्या मैं भी यही चाहूंगी की आपकी बेटी बनू?" अमायरा ने रेहसमय तरीके से पूछा।

"अमायरा, आई एम सॉरी। मैं गलत थी। मैने गलती की थी पर अब......"

"आप जानती है मॉम, आपने सिर्फ एक गलती की थी। मेरी और कबीर की शादी करवा कर।"








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कहानी अभी जारी है...