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शापित खज़ाना - 7

सुबह आसमान साफ होने से पहले ही राका और करण, रवि नाता और नेती के साथ नागा पहाड़ो के 20 सर्प जो सैनिक थे वह निकल पड़े थे देवताओ के नगर में पवित्र कुँए के जल के लिए । सफर इतना आसान नही था अभी नागा पहाड़ो को पार करते ही बड़े बड़े पर्वतों का एक लंबा और संघर्ष वाला खतरे से भरा सामने था । चलते हुए सर्प सैनिक अचानक ही रुक गए और जो सबसे आगे था उसने शांत रहने का ईशारा अपने हाथ से किया । कुछ देर सब अपनी जगह पर सभी के कदम किसी पत्थर के पुतले के जैसे जड़ हो गए । यहां सबको ही लगभग आगे के खतरे के बारे में पता था ।पर रवि और करण अनजान थे। साथ के लोगो को देखकर वह भी चुपचाप खड़े हो गए थे ।

बिना आवाज़ किए यहां तक कि नागा के सर्प लोग अपनी सांसो को भी बहौत धीरे - धीरे खिंच रहे थे ।

ना जाने कैसा माहौल बन रहा था ।

पर्वतों के दर्रो से आने वाली सांय सांय की तेज हवाओं में एक शांति का अहसास । और अब धीरे - धीरे यह शांति किसी अनजानी ताकत के कारण भंग हो रही थी ।

तभी रवि ने राका को इशारा किया कि आखिर क्या है ।यह उसका इशारा देख राका सिर्फ अपने होंठों पर उंगली रख सबकों चुप रहने को कहता है ।

थोड़े समय के बाद अब फिर से वही सबसे आगे वाला सर्प सैनिक अपना हाथ उठाकर खतरे को टालने का इशारा करता है और सबके जान में जान आ जाती है । अब रवि राका को पूछ लेता है -

ये..क्या था ..कुछ दिखा तो नही ..पर हम लोग क्यो छुप रहे थे ।

उसकी बात सुनकर राका के साथ चलते हुए नैनी उसे बताने लगती है

-यह शैतान गरुड़ है ।जो जमीन पर नही दिखता ,ऊपर आसमान से ही शिकार ढूँढता है ।और उसका शिकार हम सर्प प्रजाति के सर्प लोग ज्यादा है..।

उसको देख अब रवि उसकी आँखों मे देखता है तब नैनी की आँखे आसमान को देखने के लिए इशारा करती है। और रवि उसके इशारे को देखकर आसमान की तरफ अपना सर घुमाकर देखता है । देखते ही उसके मुह से आवाज निकल जाती है -

अबे ये क्या है जबतदस्त ...।

उसके यह बोलने के बाद तुरन्त करण भी ऊपर देखता है और वो भी अपना मुह खुला का खुला रख लेता है । दरसल इन दोनों ने आसमान में उड़ती विशाल गरुड़ की दूर झलक देख ली थी जो अब पर्वतों के शिखर पर उड़ रहा था । उसका साइज देख कर दोनों ही चकित हो गए थे ।

रवि और करण को अब राका ने अपना हाथ कंधे पर राखर कहा -

उस गरुड़ से बचने के लिए ही हमने अपनी हलचल और बोलचाल रोक दी थी जिससे वह नीचे की आवाज सुन नही सके ...अच्छा है उसने नही सुनी ।

रवि ने उसे कहा

- नही सुनी पर वो देख तो सकता था ..?


राका ने जवाब दिया -

हा देख सकता है पर यह नागा पहाड़ो की सरहद है जहाँ वह एक समझौते की वजह से ज्यादा नही देख सकता है पर जैसे जैसे हम पहाड़ो पर होंगे वैसे वो हमें हजारो मिल की ऊँचाई से भी देख लेगा ..और वह अपना शिकार शुरू कर देगा …

अब इस शिकार की बात पर करण ने राका से कहा - मतलब यह कि वो हमारा शिकार करने वाला है गरुड़ …?

राका -

हम्म ..उसको इसमें मजा आता है ।

रवि -

क्या अब वो हमको खा जाएगा उसका साइज देखा क्या ?

राका अब चलने लगा था इन पर्वतों की तरफ ओर नागा के सर्प सैनिक भी पीछे करण ,रवि भी तेजी से अपने पैर चलते हुए चल रहे थे ।

अब रवि ने नैनी को कहा

- मतलब नही समझे देखो आपको पता है कि वो हमलोगों को ...।

उसकी बात काटकर नैनी ने कहा -

पर वह ऐसा तब तक करेगा जब तक उसकी प्रेयसी जिसे चुड़ैल बनाया है वो नही आती। और उसके सामने वह चुडेल ही हमको बचा सकती है। इस गरुड़ से ..।

करण -

ले अब चुड़ैल भी आ गई कहानी में नया टयूस्ट ..क्या आप लोग यह दोनो को पहले नही बता सकते थे कि एक चुडेल भी है इन पर्वतों में ?।

राका -

बताने का कोई मतलब नही था जब आप मीले थे।

पर अब सफ़र में साथ हे इस लिए बता रहे है। क्योंकि आप ही हमारे भविष्यवाणी के लोग है।

आपको पता होना चाहिए कि आगे क्या मुसीबते है ।


रवि

- बराबर हम्म ..अपने मन मे रवि कहता है (--ये साला जगदीश और प्रोफेसर कहा फंसा दिया है ..छोडूंगा नही ।)

अब रवि को देखकर करण उसके कंधे पर हाथ थपथपाते हुए शान्त कर रहा था। पर रवि बिलबिला चुका था । आज रवि ने अपनी पूरी जिंदगी में यह इतना बड़ा गरुड़ पक्षी देखस था ।जो शायद उन्हें देखकर खा ही लेगा । और ऊपर से उस चुडेल की बात जो इस विशाल गरुड़ को रोक सकती है ।

खैर राका ने आगे चलने का ईशारा किया और सभी पर्वतों के नीचे से ऊपर शिखर की तरफ चल पड़े थे । लगातर चलते हुए उन्हें अब पूरा दिन लग गया था ।सब लोग चलने और लगातार चढ़ाई करने से थक चुके थे । पर जैसे तैसे वह सभी एक सुरक्षित जगह पर जाना चाहते थे कि इस समय सबसे आगे चलने वाला सर्प सैनिक ने राका को कहा -। और सबको बताने लगा

यहाँ से कुछ दूरी पर पहला पडाव है और इन पर्वतों पर सिर्फ हम दिन के उजाले में ही सफर कर सकते है राका ..।

अब उसे देखकर करण ,रवि और नाता, नैनी सब उस सैनिक की तरफ देखने लगे ।

सैनिक ने पर्वत के एक जगह अपने हाथ से इशारा करते हुए दिखाया । उस जगह हल्की रोशनी थी और जो रोशनी वहां से आ रही थी वहां एक पर्वत पर पुरानी गुफा थीं। जिसके आगे एक कुत्ता रखवाली करता दिखी दे रहा था ।

अब यह पर्वत की गुफ़ा पहाड़ो के कुछ ही दूर थी पर अब सब लोग जल्द वहां पहुँचने के लिए बेकरार हो गए । शाम आगे बढ़ने लग गई और रात अपने पैर पसारने लगी थी । वही ज्यादा अंधेरा होने से पहले यह सब लोग उस गुफ़ा में पहुचने के लिए उत्सुक था । इस लिए अब सब तेज कदमो से आगे बढ़ने लगे थे वही जो सबसे आगे सैनिक चल रहा था वह अचानक ही हल्के शब्दो मे बड़बड़ करते हुए अपनी चलने की स्पीड बढाने लगा । जिसकी आवाज रवि और करण को भी साफ साफ सुनाई दे रही थी । उसकी बड़बड़ में ..

.. है देवताओ के रक्षक...मद्दत पहाड़ो के हम सर्प पर्वतों से देवताओं के नगर के सफर में ..है रातकी प्रेमिका चुडेल से रक्षा करो…

यह बार बार वह बड़बड़ा रहा था उसको ऐसा बड़बड़ाते हुए अब करण ने राका को पूछ लिया - ये ऐसा क्यों बोल रहा है…

उसकी बात सुनकर राका ने चलते हुए ही आसमान की तरफ देखकर कहा कि रात जल्द घिरने वाली है और रात घिरते ही प्रेमी चुडेल अपने शिकार पर निकलती है इस लिए देवताओ से यह प्राथना कर रहा है ।..जिससे हमारी जान बच सके ।

इतना सुनने के बाद अब करण कुछ नही बोला पर तुरन्त अपनी चलाने की चाल तेज कर दी और अब वह भी बिना कुछ कहे गुफ़ा के रास्ते आगे बढ़ने लगा ।

कुछ देर यू ही चलने के बाद आखिरकार गुफा के पास नजदीक सब पहुँच गए थे ।

यहां जो नीचे पर्वत पर चढ़ते समय गुफा के द्वार पर कुत्ता दिखाई दे रहा था अब उसे देख रवि,करण के साथ ही दूसरों के भी होश उड़ गए थे । वह कुत्ता एक हाथी से भी ज्यादा बड़ा था उसे एक जंजीर से बांध कर रखा गया था । अब हालात यह कि अब इस के सामने से दरवाजे पर कैसे कोई जाए। इस गुफा के अंदर जाने के लिए एक दरवाजा था और दरवाजे के पीछे जान बचाने के लिए सुरक्षित जगह ।

कुछ देर रुकने के बाद अब राका ने एक कदम आगे उठाया पर वह कुत्ता भयानकता का अवतार लेकर आगे गुर्राते हुए आ गया ।यहां तक तो ठीक पर उसकी गुर्राहट से हवा इतनी तेज आई कि सबके शरीर पर कुत्ते की लार भी इन हवाओं से आ चिपकी थी।

पर राका अब फिर एक कदम आगे उठाते हुए बढ़ने लगा और अपने गले का तावीज हाथ मे लेकर कुत्ते के पैर के आगे एक छोटे से गड्ढे में रख दिया । तावीज रखने के बाद अब कुत्ता अचानक पीछे हटने लगा और उसका आकार भी धीरे धीरे छोटा होने लगा था । कुछ ही पलों में यह हाथी जितना विशाल कुत्ता अब बिल्कुल सामान्य पालतू कुत्ते जैसा दिखाई देने लगा था । और अब वह राका के आगे अपनी पूछ भी हिलाने लगा ।

तभी गुफा का दरवाजा खुला गया और उसमें से एक सुंदर महिला अपने हाथ मे दिया लेकर बाहर आई और राका को कहा

- नागा पहाड़ो के सरदार आप सफर पर है .अगर आपको रात के लिए आश्रय की जरूरत है तो आप अपने लोगो के साथ यहां आज रुक सकते है । शीतल पर्वत की पवित्रता को बिना नुकसान पहुचाएँ।

उसकी बात सुनकर राका ने कहा - हमे आज रात आश्रय चाहिए आपके गुफामें हम शीतल पवर्त की पवित्रता बनाकर हम रखेंगे ऐसा वचन देते है ।

राका की बात सुनकर महिला ने सबको अंदर आने का इशारा किया और वह गुफा का दरवाजा खोल अंदर मुड़ गई ।

जैसे अंदर सब लोग आए तो यहां का नजारा देख सभी हैरान हो गए थे । इतना भव्य नजारा था यहाँ गुफ़ा के अंदर पूरा एक भव्य नगर बसाया गया था । जिसको देख आये हुए सभी लोग बस देखते ही रह गए थे ।वह महिला राका को पीछे आने का कहते हुए आगे बढ़ रही थी जो इस गुफा के अंदर एक विशाल नदी के बने एक तरफ के संगमरमर की सीढ़ियों से होते हुए एक मंदिर जैसे जगह पर खत्म होती थी ।सबके वहां पहुचते ही अन्य दो और लोग वहां आये और राका को अंदर ले गए ।



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