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किसी को पता नही था आगे क्या होने वाला है पर इतना यकीन जरूर हो गया कि मौत आसमान में नाचने लगी है ।सभी जल्द अपने कदम उठा रहे थे पर तेज हवाओं से मजबूर थे । आगे चलने वाला सर्प सैनिक चलते हुए अचानक ही एक पत्थर की चटान के टूटने से बने गड्ढे में फिसल गया जिसे उसके पीछे चल रही नाता और नैनी ने पकड़ने की कोशिश की पर पहले नैनी और नैनी को पकड़ने गई नाता भी इस विशाल चटान के टूटे हुए गड्ढे में फिसलने लगे जिसे करण ने देखा और उछल कर नाता का एक हाथ पकड़ लिया पर नीचे नैनी ,सर्प सिपाही भी कड़ी से एक दूसरे का हाथ पकड़े थे और इनका वजन करण सह नही सका जिससे अब वह भी इस गड्ढे में फिसल गया पर समय रहते अन्य सर्प सिपाहियों ने छलांगे लगाई इन्हें पकड़ने के लिए हालांकि जन्होने करण को तो पैरों से पकड़ लिया पर अब वह दोनों भी फिसलने लगे थे जिन्हें देख अब राका ने इनकी दिशा में दौड़ लगा दी थी पर रवि को समझ नही आ रहा था क्या हो रहा है हवाओ के तेज से वह बेचारा पहले कुछ समझ ही नही पाया पर जब समझ आया तो वह राका की मद्दत करने दौड़ पड़ा था अब राका ओर रवि ने सर्प सेनिको के पैर पकड़ लिए थे सर्प सेनिको ने करण के और करण ने नाता का हाथ ओर नाता ने नैनी और अंत मे वह सबसे आगे चलने वाला सर्प सैनिक था जो नैनी के हाथ को पकड़े था । नीचे इतनी गहराई थी कि यहां आखो से सब कुछ अंधेरा नजर आ रहा था पर जैसे ऊपर देखा जाए तो इस गड्ढे के आगे सिर्फ आसमान में तेज चलती हवाये थी और बीच मे यह सब जान बचाने की महामेहनत कर रहे थे ।कि गरुड़ के अजीब गुस्सेल आवाज के साथ बड़े भयानकता से विशालकाय उसके पंखों की फड़फड़ाहट अब सबको साफ सुनाई दे रही थी । गरुड़ की आवाज पर अब सबने ऊपर देखना शुरू ही किया था कि तेज हवाओं के तूफान के बिच चीरते हुए यह विशालकाय गरुड़ उनका शिकार करने आते हुए सबको एक साथ दिखाई दिया और ऊपर रवि की घुटी घुटी चीख बाहर निकल गई और गरुड़ ने इस गड्ढे के मुहाने पर खड़े अन्य सर्प सेनिको पर झपटा मार दिया था । निचे इस गरुड़ के इस हरकत से उसके पंखों से निकली तेज हवाओं के झटके में रवि और राका भी अब इस गड्ढे में फिसल गए और गरुड़ के दोबारा हमले से पहले सबके चीख के साथ सभी इस गहरे अंधेरे गड्ढे में लगातार फिसलने लगे । फिसलते हुए कुछ भी दिखाई नही दे रहा था सिर्फ खुद की आवाज़ और दूसरों की आवाज से यह पता हो पा रहा था कि अभी भी लगातार सब नीचे की तरफ तेजी से फिसलते जा रहे है दो मिनट,या तीन या पाँच पता नही कब तक पर अचानक ही अब इस गड्ढे का दूसरा मुहाना जो दूसरा रस्ता जहां खुल रहा था वहां से हल्की रोशनी नजर आने लगी थी जो बड़ी तेजी से बढ़ते हुए आखिरकार गड्ढे के बाहर खत्म हो गई थी । पर अब यह गड्डा जहां खुला था वहां लगभग 30 फुट से नीचे गहरे तालाब में सभी एक के बाद एक रॉकेट की तरह गिर गए थे और तालाब में गिरने के बाद लंबी डुबकी ले कर अपनी सांसे संभालते हुए एक दूसरे को देखने लगे थे कि राका ने अपनी सांस संभाली और तालाब के किनारे लगी सीढियो की तरफ इशारा करते हुए तैरने लगा जिसके पीछे अब सभी लोग सीढियो की तरफ तैरते हुए आगे बढ़ गए थे ।किनारे आने पर सबसे पहले सर्प सैनिक चौकन्ना हो गया जिसके बाद राका ओर दूसरे दो सर्प सैनिक भी किसी आवाज की आहट पर चौकन्ने हो गए थे । पर कुछ देर के बाद भी कोई दूसरी हरकत नही होने से सभी को सकूँन आया । यह जगह पहाड़ो के बीचों बीच एक बहते नदी की धारा के पास पहुँच गए थे जहां दोनो तरफ विशाल पहाड़ थे और यह तालाब जिसके बगल से नदी का बहता झरना था पर अब इनमे से किसी को पता नही था यह जगह कौन सी है और यहां इस तालाब पर सीढिया होने का मतलब साफ है कि शायद यह कोई जनजाति या मनुष्य रहते है तब ही इसतरह सीढियो को बनवाया गया होगा या अगर ऐसा नही है तो यह कोई शापित जगह हो सकती है या कोई पवित्र जगह जहां कोई अन्य जनजाति पूजा पाठ और अन्य देवताओं से जुड़ी गतिविधियों के लिए इस जगह का इस्तेमाल करते हो सवाल कई सारे सबके मन मे थे .। पर सब चुप चाप जान बचने के लिए सकूँन की सांस खिंच रहे थे ।
अचानक ही इस तालाब में हलचल होने लगी मानो कोई बड़ा जीव अंदर कोहराम मचा रखा हो । अब जैसे ही सबने यह पानी मे हो रही हलचल देखी वैसे ही सब पानी से दूर सीढियो पर जा कर चट्टानों के पास खड़े हो गए एकदम सावधान मुद्रा में । इसका कारण भी यहां यह था कि किसी को यहां नही पता कि क्या मुसीबत उनके सामने आने वाली है ।
तभी इस तालाब से एक सुंदर जलपरी का जोड़ा बाहर निकल आता है और खूब खुश हो कर इन्हें देखने लगता है ।जिनमे इस जलपरी की नजरें करण और रवि पर जा टिकती है । इतना सब होने पर साधारण मनुष्य की तो गीली हो जानी की बात सही है पर यहां रवि और करण के साथ नागा पहाड़ो के सर्प भी है उन्होंने अपने हथियारों के साथ हमला करने की तैयारी कर ली थी । पर अब राका ने उन्हें रोक दिया और अपने दोनों हाथ जोड़कर आगे निकल आया घुटनो पर बैठ कर प्रणाम किया और उनसे कहने लगा ।
राका
मै आपके उपकारों का ऋणी हु...मुझे नही पता मै यहां कहा से आया । पर अब यह जगह मेरे लिए अति पवित्र है आप दोनों प्रेमी जलपरियों की कई कहानी और आपके नागा पर्वतों पर हमारे सर्पो को किए मद्दत के लिए मैं आपका तहेदिल से शुक्रगुजार हूं...।
राका की बात सुनकर एक जलपरी बोलने लगी।
जलपरी
ह्म्म्म...तो अब तुम सरदार हो क्या नागा पहाड़ो के श्रापित सर्पो के…? कही तुम काल के वंश से तो नही ...।
उसकी बात सुनकर अब राका के साथ सभी सर्प प्रजाति के सैनिक राका की बेटियां अपने घुटनों पर तुरन्त बैठ गए और राका ने कहना शुरू किया ।
राका
जी...मै काल सर्प का पुत्र राका हूं.. और हमपर इस श्राप को खत्म करने इन दो भविष्य के मनुष्यों के साथ देव नगर के पवित्र कुँए के जल को लेने जा रहा हूँ...जहाँ जाते समय चुडैल का राज्य था और चट्टान के टूटने पर बने बड़े गड्ढे से हम यहां आ पहुचे है...।
राका की बात सुनकर अब दोनों जलपरी हसने लगी और अब उनमे का नर बोल रहा था ।
नही...तुम यहाँ हमारे कहने पर आए हो ..हमने ही अपने शक्तिसे उस चट्टान को गहरे गड्ढे में बदलकर यहां पवित्र नदी के तालाब में आपको लाया है ।..
राका उसकी बात सुनकर हैरान था क्यो की जलपरियों में इतनी शक्ति सिर्फ समुद्र के राजा ही दे सकते थे औऱ वर्षो पहले वो भी कही गायब हो गए थे जब सबपर यह श्राप लगा था ।
……
महारानी ने अपने युद्ध के कपड़ो को पहनना शुरू किया था और सभी सूर्यनगर के सैनिक भी तैयार थे यहां जगदीश ओट उसके लोग भी अपने लेटेस्ट टेक्नॉलजी के साथ महारानी के साथ ही घोड़ो पर सवार हो रहे थे । उन्हें नही पता था कि आखिर महारानी किसके साथ लड़ने जा रही है और महारानी कितना अपने खजाने के रास्ते को बताने का वादा निभाएंगी । कुछ ही देर बाद रानी भी अपने काले विशाल घोड़े पर सवार हो कर आई और सभी सेनिको को आदेश दिया कि सभी सैनिक ज्वालामुखी वाले पर्वतों की झील की तरफ आक्रमण कर जो भी सामने आए उन्हें मौत दी जाए । महारानी के आदेश के बाद सैनिक और जगदीश के लोग भी महारानी के काफिले के साथ घोडो को दौड़ा देते है हजारों की संख्या में महारानी अपनी सेना के साथ आगे बढ़ने लगी थीं । जहां जगदीश को यह अहसास होने लगा था कि महारानी सिर्फ एक महिला नही है बल्कि जरूर कोई अलग बात है जगदीश अपनी नजर घोड़े को दौड़ाते हुए महारानी पर रख रहा था कि तभी जैसे ही धूप के आसमानों में बादल होते और महारानी इनके छाव से गुजरती थी वहां वह एक भयानक रूप में दिखाई देती और जैसे ही वह फिर से धूप में आती तो पुनः अपना रूप उसपर दिखाई देता ,यह सिलसिला लगातार दिख रहा था अब जगदीश के लोगो को भी यह आभास होने लगा था और जो सैनिक उनके साथ थे वह भी ऐसे ही देखते फिर सही हो जारहे थे । तभी महारानी ने चीखते हुए जगदीश को कहा ।
महारानी
जगदीश..डरो नही यही मेरा असली रूप है ...में ही हु शापित महारानी और अब मैं तुम्हारी मद्दत से अपनी पूरी ताकत हासिल कर सकूंगी बौनों को हराकर।
जगदीश परेशान हो उठा पर वह भी 21 वी सदी का बिजनस मेन था इतनी जल्दी हार नही मानने वाला था बिना खजाने के वापस नही जा सकता था इस लिए उसने भी अपने आदमियों को चलते घोड़े से कहा ।
जगदीश
याद रखो महारानी ही खजाने के बारे में हमको बताएगी इस लिए महारानी के साथ रहो...। लगातार जंगल नदिया और खुले मैदान पार कर महारानी का काफिला पवर्तों के पठार पर आकर रुक गया ,सैनिक अब उतर कर अपने रानी के लिए तम्बू बंधने लगे रानी ने जगदीश और उसके लोगो को भी रुकने का इशारा किया और कहा ।
महारानी
यहां से एक प्यार में पागल हो चुकी चुड़ैल के महल की सीमा लग जाती है अभी रात ढलने के करीब है और चुडैल को हम रात में नही मार पाएंगे वह कई सौ साल से यहां रहते हुए बहौत शक्तिशाली हो गई है। आप सभी भविष्य मनुष्य मेरे मित्र यहां आराम कर ले आपके आराम की सुविधा जल्द यहां होगी आज रात हम यही रुकेंगे और कल सूरज उगने से पहले सुबह के पहर में चुड़ैल के महल में उसे खत्म कर बौने के देश का रहस्य भी जान लेंगे ।
हालांकि जगदीश को कुछ समझ नही आ रहा था वह रानी से कुछ पुछने की कोशिश करता कि इसके पहले बादल की छाव महारानी पर आते ही भयानक रूप देखकर वह अंदर तक सहम गया । उसके मुह में थूक तक सुख गया तहस कुछ ना बोल सका और रानी आपने तम्बू यानी छावनी की तरफ निकल गई ।
…..
राका सब सोच रहा था कि तभी जलपरियों ने अजीब आवजे निकालनी शुरू कर दी और कुछ ही देर बाद वहां छोटी छोटी सात लडकिया बिल्कुल परियो के समान सजी हुई तालाब से बाहर निकलने लगी थी । इन लड़कियों ने बाहर निकलकर पहले करण और फिर रवि का हाथ पकड़ लिया जिसके बाद बाहर आई सभी परिया जो लडकिया थी उन्होंने सर्प सैनिक के साथ ही राका और अन्य लोगो का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा था । जैसे ही इन सातों परियो ने हाथ पकड़ा वैसे ही अब सीढियो के आगे की चट्टान में सबको विशाल मंदिर के दरवाजे जैसा दृश्य देखने मिल गया था जहां अभी तक चट्टान थी पहाड़ो के अब वह एक दरवाजा था जिसके दोनो बाजू बड़ी बड़ी मछलियों के प्रतिमाएं जिनके मुह से पानी के झरने और भी खूबसूरत नजारा दिखाई देने लगा था अब सब बिना सोचे इन सात लड़कियों के साथ आगे बढ़ने लगे और जल्द ही इस दरवाजे के अंदर पहुच गए थे । अंदर का नजारा तो और भी भव्य था यह एक महल था जिसमे समुद्र के देवता और परियो के विशाल प्रतिमाए लगी थी । अंदर मशालों से रोशनी इस जगह को काफी मनमोहक बना रही थी ।इन छोटी परियो के साथ अब इस महल में सभी लोग आ गए थे सभी परिया महल के रास्तो को दिखाते हुए इन्हें अपने साथ महल के ज्यादा से ज्यादा अंदर ले जा रही थी । मानो की किसी विशेष जगह तक ले जाकर किसी से इन्हें मिलाने के लिए यह सब किया जा रहा था । और इस महल में भी नजाने क्या था कि यहां सभी लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे थे ।